webnovel

Raza ki Inayat

यह कहानी है ऐसे दो लोगों की जो एक दूसरे से बहुत ही अलग और जुदा थे , रज़ा एशिया का नंबर वन बिजनेसमैन होने के साथ ही एक माफिया था , एक बे दिल माफिया , जिसे ना अपनों पर भरोसा था ना इश्क पर और ना ही खुदा पर , वहीं दूसरी तरफ इनायत जो अकेले ही अपने बेदर्द किस्मत से लड़ रही थी क्योंकि उसके पास ना अपनों का साथ था ना सिर पर किसी का हाथ था , इनायत एक बार डांसर थी और इनायत यह काम सिर्फ अपने अब्बा के लिए करती थी , क्योंकि इनायत के अब्बा कोमा में थे और इनायत के पास कोई काम नहीं था जिस वजह से मजबूरी में इनायत एक बार डांसर बन गई ......... तो आखिर कैसी होगी एक बे दिल माफिया और बार में डांस करने वाले इनायत की मुलाकात ? जिसे भरोसा नहीं इश्क पर क्या उसका इश्क बन पाएगी इनायत ? Raza ki Inayat Hindi Love story

Storyteller_rm · Ciudad
Sin suficientes valoraciones
8 Chs

Inayat

अब तक आपने पढ़ा ।

मिस्टर शेख , उसका नाम इनायत है । और अपनी जुबान से अगर मेरी इनायत का नाम भी लिया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा । आप अपनी बीवी को लेकर मेरे मेंशन से दफा हो जाइए । वरना खुदा की कसम मैं क्या कर बैठूंगा मुझे खुद नहीं पता । 

रज़ा यह कैसा तरीका है बात करने का मैं अब्बा हूं तुम्हारा । मिस्टर शेख की बात सुनकर रज़ा अपना सर घूमता है और सीडीओ से नीचे की तरफ मिसटर शेख को देखते हुए , रज़ा शेख अनाथ है । रज़ा की ना कोई अम्मी जान है और ना ही अब्बू , तो इज्जत के साथ मेरे मेंशन से निकल जाइए । वरना रज़ा शेख को बेज्जती से निकलना भी आता है । 

अब आगे ।

रज़ा की बात सुनकर मिस्टर शेख के साथ खड़ी औरत रज़ा की तरफ देखते हुए तुरंत रहती है । रज़ा बेटा हम जानते हैं हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई है गलती नहीं गुनाह कर दिया है हमने सौतेली ही सही लेकिन आपकी है आपकी । हमें भी आपकी फिक्र होती है ।

 जवान संभाल कर बात करिए मिसेज रेशमा शेख , मैं आपका बेटा नहीं हूं और सही कहा आपने आपसे गुना हुआ है वह गुनाह जिसकी जितनी भी सजा दो वह काम है ।

हमारी अम्मी का नाम राजिया है । समझी आप चुपचाप यहां से निकल जाइए आप दोनों और आज के बाद से मुझे अपनी शक्ल मत दिखाएगा । चले जाइए यहां से इससे पहले की हम भूल जाएं आप दोनों कौन हो ।‌ रज़ा एक व्यंग भरी मुस्कान के साथ कहता है और फिर ऊपर की तरफ चला जाता है ।

 रज़ा के जाने के बाद सलीम रेशमा को घुर कर देखने लगता है । वही रेशमा सलीम की नजर को अपने ऊपर महसूस कर अपना सर झुका लेती है । सलीम गुस्से से पर पटकते हुए बाहर चला जाता है । वही रेशमा भी एक नजर ऊपर की तरफ देखते हुए बाहर की तरफ चली जाती है । 

वही रज़ा कमरे में पहुंचकर सीधे बाथरूम में चला जाता है और शॉवर के नीचे खड़ा हो जाता है । इस समय रज़ा की आंखें बंद थी उसकी आंखों के सामने इनायत के साथ बिताए हुए हर लमहे उसे याद आ रहे थे ।

हमें माफ कर दो हमारी जान , एक गलतफहमी ने सब कुछ तबाह कर कर रख दिया । कहां पर हो तुम एक जानवर को तुमने इंसान बना दिया मेरे दिल में फीलिंग जगा  कर तुम मुझसे दूर नहीं रह सकती । 

कहते हुए अपनी आंखें खोलता है । थोड़ी देर बाद रज़ा फ्रेश होकर कमरे में आता है वह बड़े गौर से कमरे को देख रहा था आज उसे अपना यह कमरा बस एक पत्थर की दीवार से काम नहीं लग रहा था ।

रज़ा के कानों में चहकती हुई इनायत की आवाज़ गूंज रही थी । रियाज एक गहरी सांस लेते हुए क्लोजेस्ट रूम में चला जाता है और थोड़ी देर बाद नीचे हॉल में आता है तो देखा है , अकबर उस छोटे से बच्चे को लेकर हाॅल में बैठा हुआ था । 

वह छोटा सा बच्चा अपनी टिमटिमाती आंखों से रज़ा को देख रहा था रज़ा हल्का सा मुस्कुराते हुए उस बच्चों के पास आता है । तभी वह बच्चा रज़ा का चेहरा देखते हुए , मुझे यहां पर क्यों लेकर आए हैं ? 

उसे बच्चों की बात सुनकर रज़ा उसे बच्चों के बाजू में बैठता है फिर उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी सॉफ्ट वॉइस में , दिखने में तो तुम 5 - 6 साल के बच्चे लग रहे हो और बातें इतनी बड़ी करते हो ।

मैं 6 साल का हूं । इतना बड़ा हूं मैं , तो बड़ी बातें तो करूंगा ना । उस बच्चे की क्यूट बाते सुनकर रज़ा और अकबर को हंसी आ जाती है ।

तुम्हारा नाम क्या है । रियाज उसे बच्चों की तरफ देखते हुए उसके बालों को सहला कर पूछता है । असद नाम है मेरा , असद अपनी क्यूट सी वॉइस में कहता है ।

बहुत ही खूबसूरत नाम है दरअसल असद तुम यह मेंशन देख रहे हो न , देखो कितना बड़ा है और मैं यहां पर रहने वाला अकेला इसलिए मैंने सोचा आज से तुम भी यहां पर रहो ।

माफ करिए लेकिन अम्मी जान कहती थी । किसी के घर पर रुकना अच्छी बात नहीं होती । असद के मुंह से इतनी लॉयल्टी वाली बातें सुनकर रज़ा बहुत ही इंप्रेस हो गया था ।

और मैं कहूं कि यह घर आपका है तो । रज़ा की बातें सुनकर अशद हैरानी से उसकी तरफ देखने लगता है । लेकिन यह कैसे हो सकता है यह मेरा घर नहीं है मेरा तो कोई घर ही नहीं है कहते हुए अशद मायूसी से अपना सिर झुका लेता है । 

अशद हम तुम्हारे बारे में सब कुछ जानते हैं ।‌ हम आपका पूरा ख्याल रखेंगे । रज़ा की बात सुनकर अशद अपनी अपने इनोसेंट आंखों से रज़ा को देखने लगता है ।

क्या आप सच में मेरा ख्याल रखेंगे । अशद बडी मासूमियत के साथ पूछता है । तो रियाज हंसते हुए अपना सिर हा में दिला देता है ‌। 

वही असद खुश होकर रज़ा को कसकर गले लगा लेता है ।

नेक्स्ट मॉर्निंग ।

वहीं दूसरी तरफ हॉस्पिटल में ।

इनायत कसमसाते हुए अपनी आंखों को खोलती है तो सबसे पहले उसकी नजर सामने खड़े अन्य के ऊपर जाती हैं ।

इनायत अन्य को देख कर जल्दी से उठकर बैठ जाती है और बड़े गौर से कमरे को देखने लगती है ।

यह हम कहां पर हैं ? इनायत थोड़ा दर्द से कहराते हुए कहती है । वही अन्य जल्दी से चाहत के पास आता है और उसे शांत करते हुए , देखिए पहले आप शांत हो जाइए दरसल इसलिए मेरा घर है ।

अन्य की बात सुनकर ‌ इनायत थोड़ी सी शांत हो जाती है । तभी चाहत की नजर अपने ऊपर जाती है तो वह हैरानी से घबराते हुए , मेरे कपड़े ।

अन्य अरे मिस आप शांत हो जाइए आपके कपड़े मेरे घर के मेड ने बदला है । अन्य सपाट लफ्जों में कहता है ।

अन्य की बात सुनकर इनायत थोड़ी शांत हो जाती है ।

प्लीज रीडर आप लोग मुझे सपोर्ट कर रही है और कमेंट और रिव्यू भी दीजिए ।

अब कैसी रहेगी अन्य और इनायत की मुलाकात ?

क्या रज़ा कभी पता लग पाएगा इनायत के बारे में ?

Raza ki Inayat.....

please comment

Storyteller_rmcreators' thoughts