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युद्ध चालू है the war is on

राम्या उस मंदिर से अपने घर रात को ही जाने लगा।राम्या को कोई डर नही लगता था क्यू की राम्या कोई साधारण बालक नही था ये बात उस बाबा को भी पता था।

( उस बाबा का नाम था "कवीर" और उस औरत का नाम था "सुदाही" राम्या को आप लोग जानते ही है राम्या की मां का नाम था "अंजन")

राम्या की मां अपने बिस्तर पे अपना हाथ फैला कर देखी तो राम्या वहा पे नही था राम्या की माता आश्चर्य से उठ कर बिस्तर पे बैठ गई और सोचने लगी," राम्या कहा चला गया, आज दिखाई नही दे रहा है!." राम्या की मां अपने बिस्तर से उठ कर मंदिर से बाहर निकली। राम्या तो वहा पे नही था इसलिए राम्या अंजन को नही दिखा। अंजन बहुत परेशान हो गई और वहा से जंगल की तरफ चल दी राम्या को बुलाते हुए," राम्या... राम्या.... राम्या कहा हो तुम... राम्या तुम बोल क्यू नही रहे हो.. राम्या राम्या!." परंतु राम्या तो वहा पे था नही की अपना माता का आवाज सुन कर दौर कर चला आए। राम्या की माता बहुत डर चुकी थी और जंगल की तरफ जाते हुए कह रही थी," पता ना कहा पे होगा मेरा पुत्र, हे प्रभु कल्याण करना मेरा पुत्र को !." राम्या की मां राम्या को ढूंढते ढूंढते काफी दूर सफर कर चुकी थी राम्या की मां का हालत बहुत खराब हो चुका था राम्या की मां से अब चला नही जा रहा था। राम्या की मां कैसे भी करके कुछ दूर और गई तभी अंजन के पैर में एक कांटा चुभ गई।

राम्या की माता को पैर में दर्द हुआ राम्या को माता वही पे चक्कर खा कर गिर गई। वहा पे रजनी का समय था वहा पे कोई नजर तक भी नहीं आ रहा था। राम्या की मां वही पे गिरी रह गई।

राम्या जब उस मंदिर से काफी दूर सफर कर चुका था राम्या अपने और बाबा के मंदिर के बीच में था। राम्या अपने मन मगन में जा रहा था तभी राम्या को कुछ हसने की आवाज सुनाई दिया," हा... हा... हा... हा...!." राम्या ये आवाज सुन कर आश्चर्य से पीछे घूम कर देखा तो कोई बस्तु या बंधु नहीं था राम्या वही पे खड़ा होकर सोचा," क्या चीज की आवाज थी, इतनी काल में कोई यहां क्या कर रहा होगा! छोड़ो मैं चलता हूं बहुत दूर जाना है !." राम्या इतना सोचने के बाद वहा से फिर आगे निकला तो फिर से हसने की आवाज राम्या की कान में सुनाई दिया," हा... हा... हा... !." राम्या फिर से वही पे ठहर गया और चारो तरफ अपना नजर घुमा कर देखने लगा परंतु वहा पे राम्या को कोई वस्तु या बंधु नही दिखा, राम्या आश्चर्य से सोचने लगा," ये कौन हो सकता है जो सामने नही आ रहा है, और पीछे से हस रहा है!!" इतनही में राम्या की कान में कुछ आवाज फिर से सुनाई दिया जो बाय तरफ से आ रही थी," चूं... चूं... चूं..!." राम्या खड़े खड़े सोचा," चल कर देखता हूं क्या चीज है!." राम्या वहा से बाय तरफ घूम कर चला तभी कुछ दूर सफर के बाद राम्या के सामने कुछ चिड़िया अपने घोंसले में बैठ कर बोल रही थी राम्या उन चिड़िया को देख कर कहा," वोह इतनी रात में भी तुम लोग शांत नहीं रह सकते हो, पता है कितना दूर से आया हूं!." तभी उस चिड़िया से आवाज आती है," हे बालक अभी तुम नादान हो, समय तो देखो सुबह होने वाली है, अर्थात ये बताओ तुम इस जंगल में क्या करने आए हो!." राम्या उस चिड़िया का आवाज सुन कर दंग रह गया और सोचने लगा," चिड़िया भी बोलती है, मुझे तो नही पता था लेकिन छोड़ो!." फिर राम्या उस चिड़िया से कहा," चिड़िया रानी में तो संगीत सुन कर यहां तक सफर किया था परंतु अब मेरी माता जग चुकी है मुझे जाना होगा यदि आपका अज्ञा हो तो मैं जाऊं!." चिड़िया से आवाज आई," हे बालक तुम्हारे प्राण का संकट है तुम्हे आयेत्राज ना हो तो मैं तुम्हे घर तक छोड़ सकता हूं!." राम्या उस चिड़िया का आवाज सुन कर आश्चर्य से सोचने लगा," ये मुझे कैसे छोड़ सकती है, इसे तो अधिक वजन मेरा है फिर ये कैसे मुझे उड़ा सकती है,नही माना कर देता हूं!." फिर राम्या उस चिड़िया रानी से कहा," चिड़िया रानी आप कष्ट मत लो मैं खुद अपने कदम से चला जाऊंगा, अब मुझे जाना होगा, चुकी मेरी माता मेरी प्रतीक्षा कर रही होगी! अब आपका आज्ञा हो तो मैं जाऊं!." वो चिड़िया रानी समझ गई थी की ये बालक साधारण बालक नही था। फिर वो चिड़िया रानी राम्या से कही," हे बालक अब तुम जा सकते हो!." राम्या उस चिड़िया रानी का आवाज सुन कर वहा से फिर निकल गया अपने घर की तरफ। वो चिड़िया रानी राम्या को बैठ कर देख रही थी राम्या वहा से निकल कर कुछ दूर पे आ गया था तभी फिर से राम्या की कान में आवाज आया," हे बालक तुम कहा जा रहे हो!." राम्या आश्चर्य से अपना नजर घुमा कर चारो तरफ देखा परंतु कोई नही दिखा। फिर से राम्या के कान में आवाज आया," हे बालक मुझे तुम देख नही सकते हो!." राम्या उस आवाज को सुन कर आश्चर्य से पूछा," परंतु क्यू !." फिर से राम्या को कान में आवाज आया," क्यू की मुझे श्राफ मिला हुआ है, और मैं इसी जंगल में रहता हूं!." राम्या उस आवाज को सुन कर आश्चर्य से कहा," परंतु कोई तो ठिकाना होगा जहां पे आप रहते है!." फिर से आवाज आया," है बालक वो ठिकाना तुम हो, में तुझे उठा कर यहां से ले जाऊंगा!." राम्या उस आवाज को सुन कर आश्चर्य से पूछा," परंतु आप हो कौन अपना चेहरा तो दिखाओ!." फिर से राम्या के कान में आवाज आया," हे बालक तुम मुझे देखना चाहते हो तो लो देखो!." इतना कह कर राम्या के सामने एक राक्षस खड़ा हो गया जिसका आसन काफी बड़ा था एक पेड़ की जैसे। राम्या उस राक्षस को देख कर आश्चर्य से कहा," आप तो एक राक्षस हो!." वो राक्षस राम्या का बात सुन कर कहा," हा बालक मैं एक राक्षस हूं परंतु इसे पहले मैं एक संत था!." राम्या उस राक्षस का बात सुन कर कहा," क्या आप संत थे, फिर क्या वजह थी जो आप राक्षस बन गय!." राक्षस राम्या से कहा," हे बालक मेरे पास अधिक समय नही है जो तुमसे बात करू मैं तुम्हे यहां से उठा कर अपनी महाराजा के पास ले जाऊंगा!." राम्या उस राक्षस का बात सुन कर आश्चर्य से पूछा," परंतु आपका महाराजा है कौन!." वो राक्षस राम्या से गुस्सा में कहा," में तुम्हे कुछ नही बता सकते क्युकी सिर्फ तुम्हे उठाने की इजाज़त है!." राम्या उस राक्षस से आश्चर्य से पूछा," परंतु आप तो अभी कह रहे थे की आपको श्राफ मिला है फिर ये महाराजा कौन है!." वो राक्षस राम्या की बात सुन कर गुस्सा हो गया और अपनी मुंह के जादू से एक आग का गोला निकल कर राम्या की तरफ छोड़ दिया। राम्या बजरंग बल्ली का भक्त था राम्या के पास बहुत सक्तिया थी राम्या अपने मुंह से जल निकाल कर उस राक्षस की तरफ छोड़ दिया। उस राक्षस का आग के गोला राम्या के जल से बुझ गया।

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to be continued...

क्या वो राक्षस से राम्या बच जायेगा या फिर वो राक्षस राम्या को उठा ले जाएगा क्या होगा जानने के लिए पढ़े" RAMYA YUDDH!."

प्लीज आप लोग पढ़ कर कॉमेंट नही कर रहे है प्लीज अच्छा लगे तो कमेंट जरुर करिए और रिव्यू जरूर दीजिए।

आपसे HUMBLE REQUEST HAI।

राम्या उस राक्षस से बहुत ज्यादा सकती शाली था परंतु वो राक्षस भी बहुत सक्ति शाली था। क्या होगा अब वो राक्षस राम्या को उठा ले जाएगा या फिर राम्या उस राक्षस को मार कर अपने माता के पास वापस लौट जाएगा जानने के लिए पढ़े "RAMYA YUDDH"

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