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मधुर वर्तलाप sweet conversations

,"इतनी रात को ये औरत अपनी कलश में जल भरने के लिए आए थी!." उस औरत के साथ चलते चलते राम्या इस बात को सोच रहा था। वो औरत अपने कंधा पे एक कलश रखी थी और एक कलश अपने हाथ में रखी थी जिस कलश का जल राम्या के पैर से टकड़ा कर गिर गया था। वो औरत राम्या के साथ चलते चलते वर्तलाप करने की सोची। वो औरत राम्या से पूछी," पुत्र, माते का कहा है!." राम्या इस बात को सुन कर कहा," माते मेरी मां तो अभी सो रही होगी!." वो औरत,राम्या से पूछी," तुमको संगीत गाने आता है पुत्र!." राम्या उस औरत की बात सुन कर कहा," नही माते लेकिन मुझे बजरंग बल्ली और श्री राम का भजन बहुत अच्छा लगता है!." वो औरत,राम्या से पूछी," वो तो ठीक है परंतु इतनी निसा में आने की क्या जरूरत थी। कल सुबह भी तो आ सकते थे!." राम्या ये सुन कर कहा," जी माते, परंतु मैं तो उस फल को खाने निकला था। अर्थात मुझे क्या पता था इतना मधुर संगीत, मेरा प्रेम गीत मिल जायेगा!." वो औरत राम्या का बात सुन कर पूछा," कौन सी फल पुत्र!." राम्या अपना हाथ उस चांद की तरफ उप्पर इशारा से कहा," माते वो फल, जो मेरे प्रभु ने खाया था!." वो औरत राम्या का बात सुन कर आश्चर्य से कहा," पुत्र, जो तुम्हारे प्रभु ने खाया था वो वो फल नही है!." राम्या उस औरत का बात सुन कर आश्चर्य से पूछा," माते, फिर वो कौनसा फल है। जिसे मेरे प्रभु ने खाया था!." वो औरत राम्या का बात सुन कर समझ गई की ये कोई महमुली लड़का नही है। वो औरत वही पे रुक गई। राम्या उस औरत से पूछा," माते आप क्यू रुक गई!." वो औरत अपना दोनो कलश नीचे ज़मीन पे रख दी। राम्या उस औरत से पूछा," माते आप यहां पे कलश क्यू रख दी!." वो औरत राम्या से कहा," पुत्र, मैं इस लिए ये कलश यहां रखी चुकी तुम्हारा जो प्रभु ने जो फल खाया था वो तुम्हे खिला सकूं! तुम यहीं पे ठहरो मैं आती हूं!." वो औरत वहा से एक सेव की पेड़ के पास जाने के लिए चली। राम्या उस औरत का हाथ का उंगली पकड़ लिया। वो औरत पीछे घूम कर राम्या से आगे पूछी," क्या हुआ पुत्र, तुम यहीं पे ठहरो मैं आ रही हूं!." राम्या उस औरत का बात सुन कर कहा," माते मैं भी आपके साथ चलना चाहता हूं। यदि वो फल जादा उप्पर होगा तो मैं खुद चढ़ कर तोड़ लूंगा!." वो औरत राम्या का बात सुन कर मुस्कुरा दी। वो औरत राम्या के गाल पे हाथ रख कर कही," अवश्य!." वो औरत और साथ में राम्या भी वहां से पांच दस कदम पे एक सेव का पेड़ था। वो दोनो वहा पे पहुंच गया। राम्या उस पेड़ पे सेव का कलर देख कर आकर्षित हो गया। राम्या उस पेड़ को चारो तरफ से घूम कर देखने लगा था। वो औरत के सर से उप्पर एक डाली में सेव था। वो औरत अपना हाथ उप्पर करके उस फल को तोड़ ली। वो औरत राम्या को बुलाई," पुत्र, इधर आओ!." राम्या दौर कर उस औरत के पास आ गया। वो औरत राम्या को फल देकर कही," लो तुम्हारे प्रभु ने यहीं फल खाया था! तुम भी खा लो!." राम्या उस औरत का बात सुन कर समझा की," सच में मेरे प्रभु ने उतना उप्पर जाकर यही फल खाया था!." वो औरत समझ रही थी की ये लड़का बहुत ज्ञानी है। राम्या उस औरत से आगे पूछा," माते क्या मेरे प्रभु ने सिर्फ यहीं फल खाने के लिए उतना उप्पर गय थे!." वो औरत राम्या का बात सुन कर बोली," हा पुत्र!." और वो औरत मुस्कुरा दी। राम्या भी उस औरत को देख कर मुस्कुरा दिया। वो औरत राम्या से आगे कही," पुत्र अब चलो, नही तो तुम अपने मधुर संगीत कला से नही मिल पाओगे!." राम्या उस औरत का बात सुन कर कहा," हूं?." फिर वो औरत और राम्या दोनो वह से कलश के पास गया। और वो औरत उस दोनो कलश को उठा कर वहा से आगे चल दिया। राम्या को फिर से वही संगीत सुनाई दिया," हो... धीरज धरम मित्र अरु नारी... आपद काल परखिये चारी... राम सिया राम... सिया राम जय जय राम.. राम सिया राम... सिया राम जय जय राम..!." राम्या इस संगीत को सुन कर वहा से फिर दौरा तो वो औरत राम्या को रोकते हुए कही," पुत्र !." राम्या, वही पे रुक गया उस औरत का बात सुन कर कहा," जी माते मुझे वो संगीत सुनाई दे रहा है। माते मुझे जल्द जाना होगा वहा पे!." वो औरत राम्या से कही," पुत्र सामने देखो !." राम्या उस औरत का बात सुन कर सामने देखा तो राम्या का आंख खुली की खुली रह गई। राम्या के सामने एक बहुत ही खूबसूरत मंदिर थी उसी मंदिर में वो संगीत कोई बाबा गा रहे थे। राम्या उस मंदिर को देख कर बहुत आकर्षित हो गया था। राम्या वहा से उस मंदिर में जाने के लिए वहा से दौर पड़ा। उस मंदिर में बहुत सारे पुजारी थे और वो औरत भी उसी मंदिर में रह कर बाबा की सेवा कर रही थी। राम्या उस मंदिर पहुंच कर बाहर से खड़े खड़े देख रहा था। तभी वो बाबा का संगीत भजन समापत हो गया था। वो बाबा वहा से उठने वाले थे तभी उस बाबा का नजर राम्या पे पड़ा, वो बाबा तुरंत समझ गया की," ये कोई मामूली बालक नही है!." वो बाबा को सब पता चल गया की राम्या यहां पे क्यू आया है। बाबा मंदिर के अंदर चौकी पे बैठा थे राम्या उस मंदिर के पास चारो तरफ अपना नजर घुमा कर देख रहा था। राम्या वहा का सुंदरता देख कर बहुत आकर्षित हो गया था। और वहा पे साएक्रो साधू संत थे राम्या ऊं सारे बाबा को ध्यान से देखे जा रहा था। तभी वो औरत राम्या के पास पहुंच कर कलश नीचे की तरफ रख दिया। राम्या का नजर उन बाबा पे गया जिस बाबा ने राम्या का मधुर संगीत का दीवाना बना दिया था। बाहर से गेट की तरफ अंदर के चौकी दिख रहा था। जहा पे बाबा बैठे थे।

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to be continued...

क्या राम्या उस बाबा से मिल पाएगा या फिर राम्या के मां का क्या होगा जब पता चलेगा की मेरा बेटा राम्या कहा गया जानने के लिए पढ़े,"RAMYA YUDDH!." और जुड़े रहिए मुझसे और webnovel से।