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उस बालक के शरण में चले जाइए go to that boy's shelter

महाराजा जैसे अपने रथ पर बैठने के लिए अपने महल से बाहर निकले तो ढोल नगाड़ा बजने लगा था, और साथ ही सिंघा भी बजने लगा था, महाराजा अपने महल का चौथा कपाट से बाहर निकल कर सीधे अपने रथ के तरफ चल दिए थे, महाराजा अपने रथ पे बैठे और पीछे से सारे राक्षस दैत्य कतार में खड़े थे, एक दो सैनिक सौ लाने के लिए एक डाली की तरह काठ का बॉक्स लिए थे, तभी दरवाजा खुला और महाराजा के रथ आगे आगे और पीछे से पैदल कुछ सेना पति चल दिया सब नदी के किनारा पर, महाराजा के साथ महाराजा ने दो भाई भी थे बिभष और रजनीश,

कैरेक्टर डिटेल्स...

अब आपको बता दूं कि रजनीचर उस महाराजा का भाई का नाम था, महाराजा का भाई सात थे पहले का नाम था जलेदी जिसका मृत्यु हो चुकी थी, और दूसरा का नाम था रजनीचर जिसका अभी मृत्यु हो चुकी है, और पांच भाई जिंदा है ऊं पांचों भाई में से दो का नाम तो आपको पता है एक जिसका नाम है बिभष और दूसरा जिसका नाम है रजनीश जो एक चौकीदार तर पे खड़ा रहता है, इसकी वजह यह थी की रजनीश इन सातों भाई से छोटा था अर्थात अपना भाई के चरण में रहना चाहता था, महाराजा का तीन भाई है जिसे महाराजा , जलेदी, रजनीचर, बिभष और रजनीश इन पांचों के अलावा कोई और नहीं जानता था, दरबार के हर कोई इनके लड़के के बारे में जानता था परंतु महल से बाहर कोई और नही जानता था, इन सातों भाई में सबसे बड़ा महाराजा थे और महाराजा के बाद देवरिपु थे जिनको किसी ने नहीं देखा था और देवरिपु के बाद रात्रिचर था इसे भी कोई अभी तक नही देखा था, और रात्रिचर के बाद जलेदी था जिसका मृत्यु हो चुकी थी, जलेदी के बाद निशाचर था जिसको कोई नही देखा था निशाचर के बाद रजनीचर था जिसका अभी मृत्यु हो चुकी है रजनीचर के बाद बिभष था जिसको हर कोई जनता है और सबसे छोटा रजनीश था जो एक चौकीदार के तौर पे था, अब बता दूं कि महाराजा के महल में चार रानियां रहती थी, एक जो महाराजा की पत्नी थी जिनका नाम था सुमाली, और दूसरा जो देवरिपु की पत्नी थी जिसका नाम था माली, और तीसरा रात्रिचर जिसका पत्नी का नाम था कांदरी, और चौथा जो रजनीचर की पत्नी थी जिसका नाम था मानवी, जलेदी और निशाचर का शादी नही हुआ था, क्यू की जलेदी और निशाचर भी अपने भाई महाराजा से एक दिन वचन दिए थे की हम शादी नही करेंगे और आपका सिर्फ सेवा करेंगे, इस वजह से जलेदी और निशाचर का शादी नही हुआ था और रजनीचर का शादी हो गया था, अब मैं आगे बता दूं आपको की ऊं चारो रानियों मैं से सुमाली की एक पुत्री और एक पुत्र थी जिसका नाम था अदिति और पुत्र था सेनवाज,और दूसरी रानी मानवी जिसका एक पुत्र था जिसका नाम था दनुज, और तीसरा रानी माली जिसका आसन से की पुत्र या पुत्री नही थी, और चौथा रानी कांदरी जिसका एक पुत्र था उसका नाम था मांदरी, इन सारे का उम्र लगभग बीस साल से ज्यादा था, अब आप लोग सोच रहे होंगे की मांदरी तो हरिदास गुरु जी का शिष्य था और सूर्य का दोस्त था और मांदरी एक आठ से नौ साल का बालक था फिर ये बीस साल का कब हो गया, तो आपको ये सब जानने के लिए आगे पढ़ना परेगा,

अब कहानी पे आता हूं...

महराजा आगे आगे और पीछे से सैनिक और साथ में रजनीश और बिभष भी था, महाराजा का रथ जैसे उस नदी के किनारा पे पहुंचा, तो वहा पे सब सनात्ता था और रजनीचर का सौ वही जमीन पे पड़ा था, परंतु रजनीचर बगल में कौवा राज अकेले मन मार कर बैठा था, महाराजा अपने साथ सौ लाने के लिए डोली भी लेकर गय थे, महाराजा अपने रथ से उतरे और साथ ही बिभष और रजनीश भी उतरा और रजनीचर के पास चल दिया, जैसे रजनीचर के पास गय और महाराजा बैठ कर रजनीचर के सीना में देखने लगे, रजनीचर के सीना में एक बाण लगा था, बिभष और रजनीश दोनो खड़े खड़े देखते रहे , तभी बिभष के आंख से एक बूंद नाम रजनीचर के होंठ पे गिर गया, उस आंसू को देख कर महाराजा के रोंगटे खड़े हो गय थे, महाराजा को कुछ समझ नही आ रहा था की क्या बोले और क्या करे, महाराजा वहा से उठा और कौवा राज को देखते हुए गुस्सा में पूछा," ये किसने किया, ये बाण किसकी है जो मेरे भतीजा के सीना में लगा है!." महाराजा के बात सुन कर कौवा राज इतमीनान से जवाब दिया," महराज ये बाण उसी बालक है जो जलेदी की मौत दिया था!." कौवा राज की वाक्य सुन कर महाराजा आश्चर्य से पूछे," वो बालक कहा है !." कौवा राज महाराजा की वाक्य सुन कर इज्जत से कहा," महाराज वो बालक कोई साधारण बालक नही है अर्थात यदि आपको कोई त्रुटि ना लगे तो आप रावण की तरह उस बालक के शरण में चले जाइए!." ये बात सुन कर महाराजा कौवा राज पे आक्रोश हो गया और गुस्सा में कहा," ये तुम बार बार मुझे छम्मा मांगने की ज्ञान क्यों देते हो, यदि तुम लजित हो तुम खुद जाकर उसके शरण में गिर जाओ !." कौवा राज महाराजा की वाक्य सुन कर अपना मुंह बंद कर लिया और चुप चाप खड़ा होकर बिभष की तरफ देखने लगा, परंतु बिभष भी अपना नजर हटा लिया, वैसे रजनीश को भी किया तो रजनीश ने अपना नजर हटा लिया, महाराजा आक्रोश में अपने रथ पे आकर बैठ गया, बिभष और रजनीश दोनो रजनीचर के सौ को उस बॉक्स में उठा कर रखवा दिया और एक सफेद कपड़ा से ढक दिया और वहा से वापस घर चल दिया, मानवी अपने कक्ष में बेड पे बैठ कर रो रही थी, साथ ही सुमानी, माली और कांदरी भी अपने अपने कक्ष में बेड पे बैठ कर रो रही थी, देवरिपु, रात्रिचर और निशाचर वो अपने घर पे नही रहते थे,

to be continued...

ये तीनों कहां रहते थे अर्थात महाराजा अब क्या करेगा अपने दो भाई के मृत्यु के बाद जानने के लिए पढ़े " RAMYA YUDDH "