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शॉपिंग।

अब आगे। 

दोपहर 1 बजे। 

रिया और नीलम शॉपिंग मॉल से बाहर आ गयी। रिया ने शॉपिंग नही की, क्योकि उसने दिवाली से पहले ही शॉपिंग कर ली थी। दोनों पार्किंग एरिया मे आयी, जहा पर रिया ने कार पार्क की थी। रिया ने नीलम का शॉपिंग का सारा सामान कार के पिछली सीट पर रख दिया। दोनों सहेलियाँ कार मे बैठ गयी। 

"आज बहुत शॉपिंग कर ली है न? 

(नीलम ने रिया से कटाक्ष मे कहा।) 

" हाँ नीलम। बट नीलम , तूने दिवाली से पहले ही शॉपिंग क्यो नही की? 

(रिया ने सीट बेल्ट बांधते हुए नीलम से पूछा।) 

"यार रिया, मुझे मेडिकल असाइंमेंट पुरा करना था, तो असाइंमेंट लिखने मे ही दिन बीत गए। तो मै शॉपिंग नही कर पायी। इसलिए आज शॉपिंग कर ली। 

(नीलम ने वजह बताते हुए कहा।) 

" ओह तो यह बात है। पर दिवाली तो अब 2 दिन मे खत्म ही होने वाली! तो इतनी ज्यादा शॉपिंग करने की क्या ज़रूरत थी तुझे? 

(रिया ने नीलम से सवाल किया।) 

"बस ऐसे ही यार। देख जो चीज़े इस दिवाली पर काम मे आयेगी वो यूज करूँगी और बाकी बची चीज़े नेक्स्ट इयर की दिवाली पर यूज करूँगी। सिंपल! 

(नीलम कहती हैं। नीलम की ऐसी बाते सुनकर रिया हँसने लगती हैं। रिया अपनी हँसी रोक ही नही पा रही थी।) 

" क्या हुआ? तु क्यो हँस रही हैं? 

(नीलम ने रिया को हँसता देख पूछा।) 

"अरे हँसी आ गयी तो हसूँगी ही न! यार तेरी बात पर मुझे हँसी आ रही हैं। 

(रिया ने अपनी हँसी रोकते हुए कहा।) 

बता तो यार रिया, क्यो हँसी रही हैं तु? 

(नीलम ने फिर पूछा।) 

" नीलम, शॉपिंग सिर्फ एक ही स्पेशल इवेंट के लिए की जाती हैं, और तूने तो 2 साल की शॉपिंग आज ही कर डाली,वो भी 2 दिवाली त्योहार की शॉपिंग। इसलिए हँसी छुट गयी मेरी। 

(रिया ने शॉपिंग का सामान को देखते हुए कहा।) 

"अच्छा, अब हँसना बंद कर, और कार स्टार्ट कर। मुझे जल्दी से घर पहुँचना है। 

(नीलम ने बात को बदलते हुए कहा।) 

[रिया कार स्टार्ट करती हैं। दोनों मार्केट से घर चले जाते है।] 

..... 

शिव हॉस्पिटल। 

[आशीष जी ऑपरेशन थियेटर मे बच्चे का ऑपरेशन कर रहे थे। उनके साथ एक और डॉक्टर साब थे, और बगल मे खड़े कुछ नर्स भी थी। ऑपरेशन थियेटर के बाहर बैठे सुरेश जी और उनकी पत्नी अंजली जी भगवान से अपने बच्चे के लिए प्रे कर रहे थे। डेढ़ घण्टे बाद ऑपरेशन थियेटर के दरवाजे के बाहर का रेड लाइट बंद हो गया। तभी आशीष जी बाहर आते हैं। आशीष जी को देख कर बाहर बैठे दोनो पति पत्नी उनके पास आते हैं]

"डॉक्टर साब..हमारा बच्चा कैसा है अब? 

(सुरेश जी बड़ी उम्मीद से आशीष जी से पूछते है।) 

" गुड न्यूज है! आपका बच्चा अब खतरे से बाहर है। ऑपरेशन सक्सेसफूल रहा।"

(आशीष जी ने मुस्कुराते हुए खुशखबरी दी।) 

[सुरेश जी और अंजली जी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी। उन्होंने हाथ जोड़ कर भगवान का शुक्रिया अदा किया।]

"डॉक्टर साब, क्या हम अपने बेटे से मिल सकते है? 

(अंजली जी ने आशीष जी से पूछा।) 

"जी नही! आप उससे अभी नही मिल सकते। क्योकि, पेशंट अभी बेहोश है। हमने उनको इंजेक्शन दे दिया है। थोड़ी देर बाद उसको होश आ जायेगा। तब आप उससे मिल सकते है। 

(आशीष जी ने बच्चे की सिचुएशन बताते हुए कहा।) 

अच्छा, ठीक है डॉक्टर साब! 

(सुरेश जी ने कहा।) 

[आशीष जी आगे बोलते हैं... ]

" अच्छा यह बताईये की, आपके बेटे को "रॉकेट" लगा कैसे? 

(आशीष जी ने दोनो से पूछा।) 

"जी वो हमारे पड़ोस मे कुछ बच्चे पटाखे जला रहे थे। अब हम दोनो घर मे ही थे। हमे लगा की हमारा बेटा अपने कमरे मे होगा! पर हमे यह नही पता था की वो उन पड़ोस के बच्चो के साथ है। हम ने उसको आवाज़ लगा कर बुलाया भी था, पर वो नही माना। वो अब भी उनके साथ खेलना चाहता था। फिर हम दोनो घर के अंदर गए। कुछ देर बाद घर के बाहर कुछ शोर हुआ। हम शोर सुनकर बाहर देखने गए थे, की क्या हुआ है? हमने देखा की हमारा बेटा ज़मीन पर गिरा पड़ा है। उसके सीने मे वो रॉकेट..... 

(सुरेश जी ने आशीष जी को इमोशनल होकर बताया।) 

[सुरेश जी के आँखो से फिर से आँसू बहने लगे। वो रोने लगे। आशीष जी ने उनको संभाला। आशीष जी ने दोनो को चैयर पर बिठाया।]

"मै आपका दुख समझ सकता हूँ। देखिये, अब आप रोइये मत। आपका बेटा अब बिल्कुल ठीक है। आपको चिंता करने की कोई ज़रूरत नही है।

(आशीष जी ने उन दोनो को कहा।) 

[आशीष जी अपने केबिन मे आ जाते है। सुरेश जी और अंजली जी अब खुश थे, क्योकि,उनका बेटा अब ठीक है। ]

... 

शाम 4 बजे। 

रिया का घर, 

[रिया घर के काम रही थी। रिया ने अपने मेडिकल कॉलेज की यूनिफॉर्म को धो कर छत पर सुखाने के लिए टाँग दिये। घर की छत पर ठंडी हवाएं चल रही थी, जिससे रिया के बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे। रिया ने अपने बाल सवारे। ठंडी हवाएं रिया के चेहरे को छु रही थी, ऐसा लग रहा था , जैसे यह हवाएं उसके लिए कोई पैग़ाम ला रहे हो! जैसे जैसे हवा तेज हो रही थी.. वैसे वैसे रिया को कुछ होने का अंदेसा हो रहा था। रिया छत से घर के अंदर आयी, और नीचे हॉल मे बैठ कर TV On किया, और देखने लगी। रिया ने म्युजिक चैनल लगाया। राघव बाहर से घर के अंदर आ रहा था, उसे गाना सुनायी दिया। ]

"लो, फिर से शुरू हो गयी यह। लगा दिया अपना पसंदीदा गाना! 

(राघव ने अपने मन मे कहा।) 

" मेरी राहे, तेरे तक है, 

तुझपे ही तो मेरा हक है। 

"इश्क मेरा, तु बेशक है, 

तुझपे ही तो मेरा हक है। 

" साथ छोडूंगा ना तेरे पीछे आऊंगा, 

छीन लूंगा या खुदा से मांग लाऊंगा। 

दिल बनके मै दिल धड़काउंगा, 

मै तेरा बन जाऊंगा। ×2

[TV पर यह गाना लगा हुआ था। गाना सुनकर रिया का दिल खुशनुमा हो गया। रिया उस गाने को गुनगुनाने लगी। तभी राघव ने आते हुए रिया से पूछा।]

"रिया... तु कब आयी शॉपिंग से? 

" भैय्य्या मै 2 बजे ही घर आ गयी थी। लेकिन आप कहा थे? दोपहर को मुझे घर पर नही दिखे आप? 

(रिया ने TV का वोल्यूम कम करते हुए पूछा।) 

"Actually , मै अपने दोस्त के बर्थडे पार्टी मे गया हुआ था। बहुत एंजॉय किया हमने। अच्छा रिया, मेरे कार की चाबी कहाँ है? 

(राघव ने बात बता कर रिया से दूसरा सवाल किया।) 

" भैय्या, आपके कमरे के ड्रॉ मे रख दी है मैंने। 

(रिया ने राघव को बताया।) 

[राघव अपने कमरे मे चला जाता हैं। कुछ देर मे आशीष जी भी घर आ जाते है। रिया अपने पापा को देख कर बहुत खुश होती हैं, क्योकि, आज सुबह से रिया ने अपने पापा को घर पर नही देखा था।]

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{हेलो दोस्तों, तो कैसा लगा आपको आज का यह भाग? मुझे कॉमेंट मे ज़रूर बताये। धन्यवाद। }

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