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सबक

आँखों में शर्म तो बहोत थी मगर जरूरत ने बेशरम बना दिया

जानता था कि गलत हे मगर किसी की खुशी ने करम करा दिया

वो तो पहले से कातिल थे, अपनी एक नजर से हज़ारों को मार दिया करते थे

हम ने ही उन्हें दिल मे बसा के दिल पे ज़ख़्म लगा दिया

अब लोगों से क्या गिला शिकवा करेगे, हम तो खुद से ही नाराज रहते हे

ये खुदा मुझे अपनी ही औकात याद दिलाने के ये कैसा सबक सिखा दिया...