दोनों जल्दी से फार्म हाउस से निकल कर पहुंचते हुए रात हो जाती है। दक्ष रात के आठ बजे मेंशन पहुँचता.दीक्षा कहती है यें हम कहाँ आये है। यें हमारा घर स्वीट्स "मेरी माँ पार्वती "के नाम पर। दोनों अंदर आते है तो अंदर घर बहुत खूबसूरती से सजा हुआ था। किसी की शादी की तैयारी हो रही थी।
रितिका तूलिका सब कुछ पंडित के मुताबिक दिए जा रही थी। दक्षांश अतुल, वीर और अनीश के साथ बैठा हुआ था। ज़ब वो दीक्षा को देखता है तो दौड़ते हुए उससे आकर लिपट जाता है..... मम्मा आज आपकी शादी है। दीक्षा हैरानी से दक्ष को देखती है। दक्ष झुक कर दक्षांश को अपनी सीने से लगा लेता है। लेकिन कुछ कह नहीं पाता, उसे समझ मे नहीं आता की वो अपने बेटे को केसे सब कुछ बताये। दक्षांश सात साल का था और बहुत ही समझदार बच्चा है, जिसमे ज्यादा आदते दक्ष की जैसी थी जो बातों से कम आखों की भाषा ज्यादा समझता है। वो दक्ष के पीठ पर हाथ रख कर कहता है... डैड।
यें सुन दक्ष अपने से अलग कर दक्षांश को सामने कर, उसे देखने लगता है..... जैसे पूछ रहा हो की यें सब केसे।
दक्षांश उसकी बात समझ कर कहता है," मुझे अनी और अतु चाचू ने बताया।"
दक्ष कहता है, "तो क्या आपको मुझ पर गुस्सा नहीं आया जो मैं इतने समय आपको और आपकी मॉम को अकेला छोड़ दिया था।"...." नो डैड, मॉम कहती है की हम कभी कभी परिस्थिति से मजबूर हो जाते है और हम हमारी मन की नहीं कर पाते है। तो आप भी किसी परिस्थिति मे होंगे इसलिए नहीं आये।
दक्ष उसकी बात सुन उसे सीने से लगा लेता है और दीक्षा की तरफ देख कर कहता थैंक यू। दीक्षा पूछती है, वो किसलिए।
दक्ष अपने बेटे को गोद मे लेकर दीक्षा से कहता है, " वो इसलिए की आपने हमारे बेटे की बहुत अच्छी परवरिश की है। हम महादेव के दिल से शुक्रिया कहते है की उन्होंने हमारे लिए आपको जीवनसाथी के लिए चुना।
तूलिका, रितिका, अतुल, अनीश, वीर, सभी आते है.... उन दोनों के पास।
कहते है बातें होती रहेगी... पहले शादी हो जाये फिर आगे बातें होगी। रितिका और तूलिका... दीक्षा को अपने साथ ले जाती है। और अतुल, अनीश, वीर, दक्ष को लेकर जाते है। दक्ष के गोद मे अब भी दक्षांश है।
तूलिका कहती है दीक्षा से, आज हमदोनों तेरे लिए बहुत खुश है। आज एक बात समझ मे आ गयी कभी कभी जो हमारी जिंदगी की सबसे बुरी घटना घटती है.... तो उसका मतलब यें नहीं होता की परिणाम भी उसका बुरा होगा... कभी कभी परिणाम उम्मीद से ज्यादा खूबसूरत होता है। रितिका कहती है इसलिए कहा जाते है की, "हर बुरे वक़्त के बाद अच्छा वक़्त जरूर आती है। और आज हमदोनों बहुत खुश है तेरे लिए।
फिर दोनों दीक्षा को रजवाड़े लाल रंग की जोड़ा पहनाती है और राजस्थानी पारम्परिक गहनों से उसे तैयार करती है।
निचे दक्ष भी सफेद रंग की शेरवानी और उस पर लाल रंग का दुपट्टा, कमर मे तलवार..... आज दक्ष..... दक्ष प्रजापति नहीं..... राजा दक्ष प्रजापति नजर आ रहा है।
सीढ़ियों से लाल जोड़े मे घुंघट डाली हुई दीक्षा ज़ब तूलिका और रितिका के साथ निचे आती है तो... सब की नजर उस पर थम जाती है..... दक्ष के मुँह से.... खूबसूरत महरानी।... वीर.... सर झुका कर.... उसको नमन करता है। आज दीक्षा महारानी लगवरहि है।
दोनों मंडप पर बैठते है, शादी शुरू होती है। फिर पंडित जी कहते है.... कन्यादान कौन करेंगे। पीछे से एक आवाज़ आती है..... हम करेंगे.... यें है.... दक्ष के काका हुजूर लक्ष्य प्रजापति और काकी माँ सुमन प्रजापति। दक्ष उन दोनों को देख मुस्कुरा देता है। दोनों दीक्षा का कन्यादान करते है। फिर फेरे और सिंदूर दान के साथ पंडित जी कहते है... शादी सम्पन्न हुई..... आज से आप दोनों पति पत्नी हुए।
दोनों लक्ष्य और सुमन जी का आशीर्वाद लेते है। दक्ष कहता है, शुक्रिया काका हुजूर। शुक्रिया कैसा मेरे शेर। आप हमारे बेटे है और इस रियासत के होने वाले राजा और आज से हमारी बेटी.... जो आपकी पत्नी हुई.... वो होने वाली महरानी। महादेव आप दोनों पर सदैव अपना आशीर्वाद बनाये रखे।
अच्छा अब हम निकलते है। देर हो जाएगी तो घर पर बातें शुरू हो जाएगी और अभी आपकी शादी बाहर आने का सही वक़्त नहीं है। जी काका हुजूर आप ठीक कह रहे है।
चलिए हम चलते है।
उन्दोनो के जाने के बाद अनीश पेपर आगे कर देता है, इस पर आप दोनों के साइन चाहिए.... तो कल कानूनी तोर से भी शादी पक्की हो जाएगी। दोनों पेपर पर साइन करते है।
सभी खुश होकर गले मिलते है। तूलिका कहती है, दीक्षा से की आज दक्षु हमारे साथ सो जायेगा। क्यों मैं क्यों आपके साथा सोऊंगा तुली मासी। मेरा अपना रूम है और मैं उसमें ही सोऊंगा। ठीक है छोटे कुंवर..... जैसा आप कहे.... कहती हुई सभी हँस देते है।
अतुल दक्ष से कहता है आज का दिन बहुत हैटिक रहा, यें कहते हुए उसकी नजर तूलिका पर जाती है। तुम भी दीक्षा के साथ आराम करो। कल का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। हम्म्म... ठीक है.... फिर... यें कहते हुए दक्ष.... दक्षांश के पास आता है और उसे सीने से लगा कर कहता है..... लव यू माय सन। लव यु माय डैड। दोनों बाप बेटे को ऐसे देख दीक्षा की आँखे नम हो जाती। दक्ष इशारे से दीक्षा को अपने पास बुलाता है वो भी आ कर उन्दोनो से लिपट जाती है। तीनों को देखते हुए.... सभी एक साथ कहते है.... अब हुई पूरी फॅमिली।
तूलिका दक्ष के पास आकर कहती है..... आपको क्या बुलाऊ। रितिका मुस्कुराते हुए बोलती है..... जीजा जी या राजा जी।
दक्ष हल्का मुस्कुराते हुए कहता है... हम आप दोनों को अपनी छोटी बहन मानते है तो आप जो चाहे कह सकती है। और दोनों के सर पर हाथों को फेर कहता है..... चाहे आप जो भी हम रहेंगे आप दोनों के बड़े भाई ही। जो आपको हर वक़्त सुरक्षित रखे गया। दोनों उससे लिपट कर कहती है..... सोचा नहीं था दीक्षा के साथ साथ, हमें भी एक बड़ा भाई मिल जायेगा। शुक्रिया हमें अपनी बहन मानने के लिए जीजू।
अतुल और अनीश.... चलो यार ज़ब इन्हें नहीं जाना है तो आज हम सब बैठ कर यही पार्टी करते है चल यार दक्ष, वीर... आप सब भी आईये। दक्ष उन दोनों को घूरते हुए.... वीर को इशारा देता है.... वीर दक्षांश को लेकर चला जाता है। और दक्ष... सीधे दीक्षा को गोद मे उठा लेता है।दीक्षा के साथ सभी उसकी इस हरकत से हैरान होते है। दक्ष दीक्षा को लिए जाने लगता है तो..... तुम दोनों से उम्मीद है की मेरी छोटी बहन का ध्यान रखोगे। और सीढ़ियों दे सीधा ऊपर अपने कमरे मे चला आता है।
निचे अतुल से अनीश कहता है..... बहन इसकी जिम्मेदारी हमारी, वैसी सुबह से एक ने एक्शन मूवी दिखा कर....ता था थाईया... करवाया और दूसरी ने.... इमोशनल मूवी.... दिखा कर सर के हजारों बाल कम कर दिए। वो अतुल की तरफ देखते हुए बोले जा रहा था की अतुल ने उसका चेहरा..... तूलिका और रितिका की तरफ घुमा दिया।अनीश उन दोनों को देख कर कहता है यें दोनों मुझे ऐसे क्यों देख रही की.... जैसे यें मुझे यें भट्टी मे भून कर खा जाएगी।
तभी तूलिका कहती है... हम शुद्ध शाकाहारी है और हम जीव जंन्तु या तुम जैसे आदिमानव नहीं खाते।लेकिन हमारा मन तुम्हें भूखे शेर के आगे भेंकने को जरूर हो रहा है। क्या कहा तुमने की हमने एक्शन मूवी दिखाई है..... बच्चू रुको... एक्शन नहीं जुरासिक पार्क दिखाते है।और वो अनीश को मारने बढ़ती है। इधर अनीश अतुल के पीछे छिप जाता है.... भाई बचा ले त्रिलोकी माई से..... मार डालेगी मुझे।
अरे तुली रुक.... रितिका उसे अनीश की तरफ जाने से रोकती हुई कहती है.... छोड़ ना जाने कल बात करेंगे। अभी चल सोने और खींच कर रूम मे ले जाने लगती है....। जाते जाते तूलिका मुड़कर कहती है.... अभी तो बच गए.... छोरुँगी नहीं तुम दोनों को..... और महिषासुर वध जरूर दिखा दूँगी।
उसके जाने के बाद.... अतुल अनीश से क्या था यें और क्यों किया तूने ऐसे। छोड़ना यार इसी बहाने जी तो रही है.... उसके आखों का खौफ नहीं देखा तूने जो वो गुस्से मे छिपा लेती है। चल सोने। कल बात करेंगे।
दोनों चले जाते है सोने।
दक्ष अपने कमरे मे दीक्षा को लिए आता है।
पूरा कमरा गुलाब और मोंगरे के फूलों से सजा हुआ,देख दक्ष के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और वो अपनी बेकरार नजरों से दीक्षा को देख रहा होता है। दीक्षा उसकी तरफ देख शरमा कर उसके सीने मे खुद को छिपा लेती है। दक्ष उसे प्यार से बिस्तर पर लिटा देते है और दोनों एक दूसरे प्यार भरी नजरों से निहारे जा रहे होते है। दोनों के लबों पर ख़ामोशी और आखों मे बातें हो रही होती है। दक्ष धीरे धीरे दीक्षा के ऊपर झुकने लगता है.... दीक्षा उसे ऐसे झुकता देख अपनी आँखे बंद कर लेती है। उसकी बंद आखों को देख दक्ष को लगता है की दीक्षा अभी तैयार नहीं है.... रिश्ता आगे बढ़ाने के लिए। तो वो उसे सॉरी कहते हुए.... माथे को चुम कर उठ जाता है।..... दीक्षा दक्ष के मुँह से... सॉरी... सुनकर और ऐसे उसकी प्रतिक्रिया को देख समझ नहीं पाती है की, अचानक क्या हुआ।
दक्ष बालकनी मे खड़ा हो आसमान मे चाँद को देख रहा होता है। राजस्थान की जमी और रात का वक़्त।..... चाँद अपने पुरे सबाब पर अपनी रौशनी जमीं पर बरसा रही है और ठंडी ठंडी बहती हवा... दक्ष के अंदर की गर्मी को शीतलता दिए जा रही है। वो अपनी आखों को बंद कर..... अपनी अंदर की तूफान को शांत कर रहा होता है की पीछे से उसके सीने पर हाथ किसी के महसूस होते है।
दीक्षा ज़ब दक्ष को इस तरह से जाते देखती है तो वो भी बेचैन हो उठती है.... और पीछे से जा कर दक्ष के पीठ से लग जाती है। दक्ष की सीने पर चल रहे हाथों को पकड़े हुए कहता है, "स्वीट्स क्या हुआ.... सब ठीक है.... हमें माफ कर दीजिये हम बिना आपकी मर्जी जाने आपके करीब आने लगे थे "।
दीक्षा बहुत बेचैन हो कर उसे कहती है,"ऐसी बात आप क्यों कर रहे है, दक्ष .....। उसकी बात सन दक्ष उसकी तरफ मुड़ने लगता है तो.... दीक्षा उसे कहते है..... ऐसे ही रहिये दक्ष। ज़ब तक हम अपनी बातें ना खत्म कर लगे। वरना फिर हम बोल नहीं पाएंगे। दक्ष ख़ामोशी से उसी तरह खड़ा रहता है और दीक्षा उसकी पीठ पर अपनी सर को रखी हुई अपनी बातें... कहनी शुरू करती है...
"दक्ष आपको पता है, ज़ब हम पहली बार आपकी करीब आये थे तो हमें आपका छूना गन्दा नहीं लगा था, हालांकि हमने सारी मर्यादा तोड़ दी थी फिर भी, क्योंकि एक लड़की, या औरत को मालूम हो जाता है की.... किसकी केसी नजर है,.... किसकी केसी सोच है.... और किसकी केसी छुवन है। हम आज आपके सामने यें बात कुबूल करते है की चाहे हमने आपको देखा नहीं, चाहे हम आपको जानते थे या नहीं। सच तो यही है की..... फिर भी हम आपसे अनजानी मोहब्बत करने लगे थे, आपके बगैर हमारा भी दिल कहीं लगता नहीं था। और आप हमें मिले यें महादेव की बहुत बड़ी मेहरबानी है हम पर दक्ष।
लेकिन हम आपको इस बात पर यकीन दिलाते है की, यदि आप नहीं भी हमें मिलते तो भी, दक्षांश के साथ ही हम अपना रिश्ता बांध कर रखते। हमें दक्षांश के सिवा किसी की जरूत नहीं होती।
हाँ!! हम मानते है की हमारी परिस्थिति बहुत विपरीत हो गयी थी और उस समय हम सिर्फ खुद को, हमारे बच्चे को, और हमारी दोनों दोस्तों को बचाने मे उलझें हुए थे।हमारी करीबी रिश्तों से ज़ब हमें धोखा मिला उसके बाद तो हमें अपने साये पर भी यकीन नहीं रहा, फिर हम आपको क्यों ढूढ़ते।
फिर आप से इतना ही कहेगे दक्ष.... हम भी बिना मिले ही आपसे पिछले सात सालों से प्यार करते आये है.... दक्षांश के रूप मे।"
फिर वो दक्ष को आप ी तरफ मोड़ कर कहती है..... दक्ष पिछले सात सालों मे हमारी कभी एक दूसरे से बात नहीं हुई..... लेकिन हमारी धड़कनो ने हमेशा बात की है।फिर दक्ष के चेहरे को हाथों मे लेना चाहती है, लेकिन दक्ष थोड़ा उससे ज्यादा लम्बा है, इसलिए पूरी तरीके से उसकी हाथों मे दक्ष का चेहरा नहीं आता। दक्ष यें बात समझते हुए उसे कमर से पकड़ कर थोड़ा उठा लेता है... दीक्षा मुस्कान लिए उसके चेहरे को हाथों मे पकड़ कर कहती है.... आप इसी तरह पूरी उम्र मुझे समझोगे ना।
दक्ष अपना सर हाँ मे हिलता है..... लेकिन कुछ कहता नहीं वो बस अभी दीक्षा को सुनना और अहसास करना चाहता है।
फिर दीक्षा उसके माथे को चुमति है,जिससे दक्ष की आँखे बंद हो जाती है और वो इसी तरह अभी खड़ा रहता है। दीक्षा उसकी बंद आखों को चूमती है..... दक्ष के लबों पर मुस्कान आ जाती है। फिर उसके गालों को चूमती हुई कहती है..... दक्ष मे आपकी पूरी तरह से होना चाहती हूँ.... आपको महसूस करना चाहती हूँ।
दीक्षा के ऐसे कहते ही.... दक्ष अपनी रुमानी नजरों से देखते हुए..... मदहोश भरी आवाज़ में पूछता है..... तुम सच कह रही हो स्वीट्स!!!दीक्षा अपनी पलकें गिरा कर... हाँ में अपनी सहमति देती है।
दक्ष यें सुनते ही सीधे उसके होठों पर अपने होठों को रख देता है..... औऱ उसे किश करने लगता है, दीक्षा भी उसे किश करने लगती है.... दोनों एक दूसरे को... लगातार चुम रहे होते है। दक्ष, दीक्षा को चूमते हुए ही कमरे के अंदर ले आता है..... औऱ उसे बिस्तर पर लिटा देता है... इस दौरान दोनों एक दूसरे को चूमना नहीं छोड़ते है.... दक्ष की जुबान... दीक्षा के जुबान से खेलने लगती है। दक्ष पूरी तरीके से दीक्षा के मुँह के अंदर अपनी जुबान को घुमा रहे होता है। दीक्षा के हाथ, दक्ष के बालों पर चल रहे होते है और दक्ष के हाथ.... एक एक कर दीक्षा की बालाउज की डोरियों को खोल रही होती है। इस दौरान दीक्षा को सांस लेने में दिक्क़त होता समझ दक्ष उसके होठों को छोड़ देता है औऱ अपने गरम होंठ... दीक्षा के गर्दन पर रख देता है.... दीक्षा के दोनों हाथ... दक्ष के कंधे पर कस जाती है। दक्ष उसके गर्दन को प्यार से चूमते हुए.... उसके निचे क्लिवज के पास उसके होंठ घूम रहे होते है औऱ दीक्षा की सांसे तेज हो रही होती है..... दक्ष इस दौरान दीक्षा की एक एक करके सभी गहने को निकाल देता है..... दीक्षा की हल्की हल्की आवाज़ आनी लगती है..... दक्ष अपने लबों को उसके गर्दन के चारों तरफ घुमाते हुए उसे बाईट कर रहे होता है.... उसकी एक एक बाईट पर दीक्षा की आवाज़ तेज हो जाती है....। तब तक दक्ष, दीक्षा के बालाउज की सभी डोरियों को खोल कर एक झटके में.... उसके बदन से.... उतार कर भेंक देता है.... दीक्षा अचनाक... ऐसे करने से जल्दी से घूम जाती है..... अब दक्ष के सामने दीक्षा की खुली पीठ होती है..... जिसे देख दक्ष अपना कंट्रोल खोने लगता है..... दक्ष जल्दी से अपनी शेरवानी उतार देता है.... औऱ अब उसका भी ऊपर का हिस्सा खुला होता है।..... दक्ष झुक कर दीक्षा के खुली पीठ को बेतहाशा चूमने औऱ काटने लगता है। दीक्षा उसके एक एक छुवन से पिघलने लगती है।
दक्ष,.... अपनी मदहोश भरी आवाज़ में कहता है.... स्वीट्स आज, ज़ब मैं तुमसे प्यार करू तो तुम भी मेरा साथ दो.... इस बार हमदोनों पुरे होश हवाश में दिल से एक दूसरे के हो जाये.... यही चाहता हूँ मैं।..... दीक्षा अपना सर हाँ में हिलाती है.... दक्ष उसे प्यार से अपनी तरफ घूमता है.... औऱ एक बार उसे ऊपर से निचे की तरफ देखता है.... दीक्षा, उसकी प्यार भरी नजरों को देख अपनी दोनों हाथों से चेहरा छिपा लेती है। दक्ष मुस्कुरा कर... स्वीट्स मेरी आखों में देखो.... फिर उसकी हाथों को हटा कर... उसके माथे को चुम लेता है... फिर दोनों आखों पर किश करता है.... फिर दोनों गालों को चुमता हुआ.... एक बार फिर दोनों के होंठ आपस में एक दूसरे को चुम रहे होते है... दोनों तब तक एक दूसरे को चूमते है, ज़ब तक... दोनों की सांस भारी नहीं होनी लगती। दक्ष उसी तरह दीक्षा को चूमते हुए उसके गर्दन पर जाता है औऱ उसके एक हाथ..... दीक्षा के सीने के एक तरफ के हिस्से को पकड़ी हुई होती है..... दक्ष..... दीक्षा के हर हिस्से को चूमते हुए.... उसके.... उसके सीने के.... उभारो पर.... अपनी हाथों को ले जाते हुए... दबा रहा होता है.....औऱ उसे सक कर रहा होता है.... दीक्षा अपनी दोनों आखों को बंद किये दक्ष के अहसास को पल पल जी रही होती है... उसके हाथ दक्ष के सर के बालों को सहला रहे होते है।
दक्ष धीरे धीरे.... अपने होठों को उसके नाभि पर ले जाकर अपनी जुबान से फिराने लगता है.... दीक्षा की सिसकियाँ... निकलने लगती है.... झटके से दक्ष.... दीक्षा की निचे के कपड़ो को भी उससे अलग कर देता है..... अब दक्ष की किश कुछ ज्यादा वाइल्ड होती जा रही होती है... जगह जगह वो दीक्षा को... किश औऱ बाईट करने लगता है.... दक्ष ज़ब.... दीक्षा के निचले हिस्से में अपनी मोहब्बत का अहसास देना शुरू करता है.... दीक्षा के दोनों हाथ... बिस्तर की चादर पर कस जाती है.... दक्ष के दोनों हाथ..... दीक्षा के हर हिस्से को सहला रहे होता है... दक्ष.... दीक्षा से.... स्वीट्स थोड़ा दर्द होगा.... दीक्षा.... मदहोशी से कहती है..... आपकी मोहब्बत के आगे मुझे हर दर्द मंजूर है.... दक्ष...आई लव यू.... स्वीट्स.... कहते हुए.... एक झटके में..... खुद को.... दीक्षा के अंदर समां लेता है..... दीक्षा की चीख.... को दक्ष अपनी होठों में दबा लेता है..... औऱ दोनों एक दूसरे के साथ प्यार भरे अहसासों को जीने लगते है..... जिसमे दक्ष की सात साल की बेचैन मोहब्बत औऱ दीक्षा की खामोश मोहब्बत मिल कर आज दोनों को पूरी कर रही होती है।... दक्ष के रफ्तार के साथ.... साथ.... दीक्षा की सिसकियाँ भी तेज होती जाती है..... जैसे जैसे दक्ष.... दीक्षा की गहराइयों में उतरता जाता है.... वैसे वैसे दीक्षा की..... नाख़ून.... उसके कंधे को चुभोते जा रही होती है... लेकिन आज दोनों ही एक दूसरे के दर्द को नहीं..... अपनी मोहब्बत को जी रहे होते है।... पांच -छः घंटे के प्यार के बाद.... दीक्षा इतनी थक जाती है की उसी तरह दक्ष के सीने में लिपट जाती है। दक्ष पूरा पसीने से भींगा हुआ, अपनी सीने में छिपी अपनी मासूम मोहब्बत को देखता है औऱ उसके माथे को प्यार से चुम कर..... सो जाता है।
आज दोनों की चेहरे पर सुकून थी। आखों में खालीपन की जगह मोहब्बत थी। आज एक का सात सालों का इंतजार खत्म हो कर.... उसकी मोहब्बत उसे मिली। औऱ एक की तन्हाई भरा इंतजार खत्म मोहब्बत भरी रात से हुई।
अगली सुबह....
दक्ष की बाहों में दीक्षा सो रही होती है, दक्ष बहुत प्यार से उसे कहता है.... स्वीट्स ज्यादा तकलीफ हो रही है...। नहीं..... बस नींद आ रही है। हम्म्म। दोनों एक दूसरे के साथ युहीं लिपटे हुआ थे। दीक्षा नींद में ही दक्ष से पूछती हैं, "कितना टाइम हुआ है....। दक्ष उसे बाहों में लेकर कहता है.... दिन के बारह बज़ रहे है।... क्या.... जोड़ से चीखती हुई दीक्षा कहती है।
दक्ष चिढ कर..."स्वीट्स आराम से... क्या हुआ ऐसे क्यों चीख रही है आप????
दीक्षा घूर कर कहती..."दक्ष यें सुबह के बारह नहीं दोपहर के बारह बज़ रहे है औऱ हम अभी तक सो रहे थे औऱ आपने हमें उठाया भी नहीं... कहती हुई निचे उतरने लगती है.... की तभी चीखती है.... आह!!!...
दक्ष घबरा कर,"आराम से स्वीट्स ऐसे क्यों परेशान हो रही है....। तभी दीक्षा की नजर खुद पर औऱ फिर दक्ष पर जाती है।.... अपनी आँखे बड़ी करती हुई.... दक्ष के सीने में छिप कर कहती है.... आप बहुत बुरे है दक्ष....। देखिये हम किस हालत में है।
दक्ष हँसते हुआ उसके चेहरे को ऊपर करके.... जान बुझ कर पूछता है.... किस हालत में है हम??? हम बिना कपड़ो के है दक्ष वो भी एक दूसरे के आमने सामने.... फ्लो फ्लो बोल जाती है की तभी उसे अहसास होता है की वो क्या बोल गयी। दक्ष उसे गोद में उठाते हुआ कहता है.... मेरी मासूम रानी सा अपने छोटे से दिमाग़ में ज्यादा जोर मत दो। हमदोनों के बिच कल रात को ही सारे पर्दे हट चुके है तो अब चलो।... लेकिन कहाँ।..... दक्ष उसे गोद में उठा कर कहता है..... वाशरूम... बाथिंग के लिए। दीक्षा शरमा कर उसके सीने से लिपट जाती है। दक्ष मुस्करा देता है। दोनों एक साथ बाथ लेकर निकलते है।.... अब दर्द कैसा स्वीट्स!!!
हम्म्म थोड़ा आराम है। चलो पहले कुछ खा लो, फिर तुम आज आराम कर लो।....दोनों साथ में निचे आते है। तब तक सभी का नाश्ता हो चूका होता है। दीक्षा सभी से नजरें चुराते हुए निचे आती है।...फिर दोनों साथ में नाश्ता करते है।..तूलिका औऱ रितिका उन्दोनो को देख मुस्कुराती है। दक्षांश दोनों के पास आकर कहता है.... डैड आप तो बहुत देर सोते है औऱ आज मॉम भी देर से उठी है। मैं तो बोर हो गया हूँ... उसकी बात सुन पांचो को झटका लगता है.... क्योंकि सुबह से दक्षांश से सभी को परेशान कर रखा होता है।
दक्ष उसे अपने पास बिठाता है औऱ कहता है..... दक्षु आपको अपने डैड पर भरोसा है।.... हाँ डैड, आपने यें क्यों पूछा???
वो इसलिए की क्योंकि हमारे बेटे को बहुत कुछ ऐसे पसंद है जो हमें पसंद है... लेकिन आप कर नहीं पाते है..... तो सोचा क्यों ना हम आपको वो करने का मौका दे!!!!.... सच डैड क्या मैं ऐसे कर सकता हूँ!!!! हाँ बिल्कुल.... आप वो सब कुछ कर सकते है।... लेकिन मॉम को नहीं पसंद दीक्षा की तरफ देख कर कहता है।
आपकी मॉम अब मना नहीं करेगीं क्यों रानी सा !!!!..... जो आप ठीक समझे दक्ष।
हम्म्म तो हम आपको आज रात की फ्लाइट से वीर के साथ एक जगह भेज रहे है वहाँ आप रहेंगे और वही आपकी ट्रेनिंग औऱ पढ़ाई होगी। दक्ष की यें बात सुन कर सभी हैरान हो जाते है।
अतुल दक्ष से कहता है.... लेकिन दक्ष कल ही तो तुम मिले हो... अपने बेटे से सात साल बाद.... फिर इतनी जल्दी क्यों। दीक्षा भी भावुक होकर दक्ष की तरफ देखती है....। दक्ष उसे इशारे में शांत रहने को कहता है।
हमारे पास वक़्त बहुत कम औऱ मैं नहीं चाहता की मेरा बेटा कमजोर रहे उसे मुझसे औऱ अपनी माँ से भी ज्यादा मज़बूत होना होगा।
सभी उसकी बातें सुन चुप हो जाते है। फिर दक्ष.... कहता है..... दक्षांश आप के साथ साये की तरह वीर काका रहेंगे औऱ.... आप सर उस पर ध्यान जो आप सिखने जा रहे हो। "जी डैड "।
दक्षु कहती हुई दीक्षा उसे अपनी सीने से लगा लेती है औऱ कुछ नहीं कहती। सभी उसकी भावनाओं को समझ रहे होते है। दक्ष उसके कंधे पर हाथ रख कर कहता है,"स्वीट्स आपको अपनी भावनाओं को संभालना होगा औऱ हम खुद जाया करेंगे उनसे मिलने। लेकिन दक्ष इतनी जल्दी क्यों??? क्या कुछ समय बाद नहीं हो सकता था यें... या फिर इंडिया में भी तो वो सब हो सकता है जो आप चाहते है?????
हाँ, रानी सा हो सकता है लेकिन हम हमारे बच्चे को लेकर कोई चूक नहीं करना चाहते है, इसलिए अभी हम किसी को नहीं बताना चाहते की दक्षांश हमारा बेटा है। जिस तरह हम अपने भाई -बहन औऱ अपने भाई की सुरक्षा के लिए.... खुद से दूर सुरक्षित रखा है.... तो हम अपने बच्चे को केसे यहाँ रखे।
एक बार हम यें सारे मसले खत्म कर दे फिर आगे सोचेंगे की क्या करना है। आपको हम पर भरोसा रखना ही होगा रानी सा।
चलिए फिर सब जाने की तैयारी कीजिये।
औऱ आप सब मेरे साथ स्टडी रूम में आईये। कहते हुए दक्ष... दीक्षा के माथे को चुम कर कहता है कुछ दिन का वक़्त दीजिये। एक बार हम आपको सबके सामने ले आये, तब दक्षांश भी हमारे साथ आ जायेगा। तब तक आप अपने बेटे से बातें कीजिये.... हमें कुछ जरूरी काम है तो हमें मिलते है आपसे।
औऱ सीधे स्टडी रूम में चला जाता है.... उसके पीछे पीछे अतुल, अनीश, औऱ वीर भी होते है।
इधर प्रजापति महल में,
अलग हंगामा खड़ा होता है। राजेंद्र प्रजापति... सब पर बरस रहे होते है क्योंकि दक्ष दो दिन से घर नहीं आया औऱ वो अपने मेंशन में रहने लगा। रानी सा आप हमें यें बताईये की केसे इन्हें हमें यें गद्दी दे दे ज़ब यें इतने जिम्मेदार नहीं है।
राजा साहब यें तो हमें नहीं मालूम लेकिन हमें इतना जरूर मालूम है की अगर बाबा साहेब ने कुछ नियम बनाये है तो जरूर उसमें कोई वजह होगी।
वैसे भी दक्ष इस प्रजापति महल में पहले भी नहीं रहता था औऱ अगर होता भी था तो.... उसके हिस्से में किसी को जाने की इज्जाजत नहीं थी। फिर आप क्यों इतने परेशान हो रहे है। आज पृथ्वी की शादी की बात होने वाली है, हमें उस पर ध्यान देते है। कामिनी कहाँ है आप??? जी भाभी सा!!!
सभी तैयारियां हो गयी शाम के मेहमानों के लिए। जी भाभी सा सब तैयार हो गया है ठीक है।
रंजीत प्रजापति अपने कमरे में घूम रहे होते है परेशान होकर। क्या बात है दादा सा आप इतने परेशान क्यों है। पृथ्वी मुझे लग रहे है दक्ष कुछ बहुत ही जरूरी कुछ छिपा रहे है। हमें नहीं मालूम की क्या है लेकिन कुछ तो है। आपने अपनी आदमियों से पूछा। जी दादा सा पूछा था लेकिन उनको दक्ष की किसी हरकत की कोई जानकारी नहीं मिली है अभी तक।
पृथ्वी हमें किसी भी हालत में दक्ष क्या सोच रहे है यें मालूम करना ही होगा। यें दक्ष अपने पिता की तरह तो बिल्कुल नहीं है, जितना यें जमीन के ऊपर है तो उतना ही निचे।
पृथ्वी गुस्से में कहता है.... की हमें कौन से कम है दादा सा एक बार यें गद्दी मिल जाये फिर।
चलिए राजा जयचंद सिंह आने वाले होंगे।
शाम के वक़्त राजा जयचंद अपनी पत्नी स्नेहलता जी के साथ प्रजापति महल आते है। उसके साथ उनके छोटे भाई औऱ उनकी पत्नी (सुमेर सिंह औऱ उनकी पत्नी रचना सिंह )। जयचंद जी के दो बेटियां कनक लता औऱ दूसरी लतिका औऱ एक पुत्र सोमचंद सिंह। उनके छोटे भाई के दो बेटे शक्ति सिंह औऱ भूषण सिंह।
आईये... आईये.... राजा जयचंद जी आपका स्वागत है प्रजापति महल में... खम्माघणी राजा सा।
सभी अंदर आते है। राजा जयचंद की दोनों बेटियां बहुत सुन्दर थी। पृथ्वी को एक नजर में कनकलता पसंद आ चुकी थी।
बात चित को आगे बढ़ाते हुए, राजा जयचंद कहते है। हमारा सौभाग्य है की आपके साथ हमारा रिश्ता जुड़ रहा है।
तब तक दक्ष अंदर आता है... ब्लैक थ्री पीस में बहुत ही आकर्षक लग रहे है। उसकी उपस्थित ही इतनी मज़बूत होती की हर एक की उपस्थिति उसके आगे फीकी हो जाती है। सभी उसकी तरफ देखने को विवश हो जाते है लिए
दक्ष किसी पर भी बिना एक नजर दिए अपने कमरे में चला जाता है उसके साथ इस वक़्त अतुल औऱ वीर होते है।
राजेंद्र जी जोर औऱ तेज आवाज़ से कहते है.... दक्ष। उनकी आवाज़ सुन दक्ष रुक जाता है लेकिन पीछे नहीं मुड़ता।
आपको यें भी तमीज नहीं की आप अपने से बड़ो का सम्मान करे। दक्ष बिना मुड़े ही कहता है.... हमें कब कहाँ किसे सम्मान देनी है वो हमें अच्छी तरह से मालूम है। वैसे भी हमें यहाँ कुछ जरूरी काम से आये है, अगर आपकी इज्जाजत हो तो हम वो काम कर ले। कहते हुए ऊपर चला जाता है।
माहौल में थोड़ी गर्मी आ जाती है, उसे कम करते हुए.... तुलसी जी औऱ कामिनी कहती है..... रानी स्नेहलता.... हमें हमारे पृथ्वी के लिए कनक पसंद आयी तो जितनी जल्दी हो सके..... सगाई औऱ शादी की तारीख निकलवाते है। जयचंद जी खुश होकर कहते है.... राजा सा.... हमारा आपके घर से रिश्ता जोड़ना.... यें हमारे लिए बहुत शोभाग्य की बात है। लेकिन आपसे एक विनती है.... हमारी। सभी कहते है बताईये...।
राजा सा हमारी इक्क्षा है की... हमारी बड़ी कनकलता की शादी आपके बड़े बेटे पृथ्वी से तय हुई है तो हमारी छोटी बेटी की शादी.... दक्ष से तय हो जाती तो यें हमारे परिवार औऱ हमारी रियासत के लिए बहुत बड़ी बात होती।
इस पर राजेंद्र जी कुछ कहते की उसी पहले ही रंजीत जी बोल पड़ते है की..... अरे इससे ज्यादा ख़ुशी की बात कुछ हो ही नहीं सकती।औऱ भाई सा को इसमें कोई एतराज तो बिल्कुल नहीं हो सकता, क्यों भाई सा..... औऱ अपनी कुटिल हँसी हँस देता है।
राजेद्र जी अचनाक इस तरह से रंजीत के बोलने पर.... हाँ में हाँ मिला देते है। तभी जयचंद जी कहते है तो हमें रिश्ता पक्का समझे। हाँ बिल्कुल बिल्कुल यें हम प्रजापति की जुबान है। पंडित जी.... लग्न देखिये। जी राजा साहब।
कुंवर पृथ्वी प्रजापति औऱ सुश्री कनकलता सिंह की सगाई आज से पांचवे दिन औऱ उससे ठीक बारहवे दिन विवाह का शुभ मुहूर्त है।
औऱ कुंवर दक्ष प्रजापति औऱ सुश्री लतिका सिंह की सगाई पांचवे दिन औऱ शादी अगले महीने की आठ तारीख शुभ है।
क्या कहा..... आपने...। यें इतनी डरावनी औऱ कठोर आवाज़ थी की.... पंडित जी तो काँपने लगे औऱ सभी के माथे पर पसीने की बूंद चमकने लगी थी।
कंटिन्यू.....