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माय यूथ बिगेन विद हिम

सात साल पहले, उनके ब्रेकअप के बाद, वह बिना किसी को बताए अचानक गायब हो गया। अब, उसकी शादी की पूर्व संध्या पर वह फिर से वापस आ जाता है, और उसे खुद से शादी करने के लिए मजबूर करने का कोई उपाय नहीं छोड़ता... विवाह के प्रमाण पत्र के साथ, वह निर्दयतापूर्वक उसे अपनी तरफ बांध लेता है। वहाँ से, इस "सिंड्रेला"की एक व्यापारिक साम्राज्य के उत्तराधिकारी की पत्नी के रूप में यात्रा शुरू होती है ... श्रीमती हुओ - शांत, कैंची-सी जबान, और विचित्र बुद्धिमता। श्रीमान किन - पत्नी की खातिर करने वाला और उनकी बेटी का "दास"। इस मनोहर प्रेम कहानी पर हमारे साथ सम्मोहित होने के लिए आपका स्वागत है। अनुवादक का नोट: संभवतः मेरी पढ़ी गई सबसे अच्छी कहानियों में से एक है।मुझे आशा है कि आपको भी इसे पड़ने में आनद आएगा।

Baby Piggie · Integral
Sin suficientes valoraciones
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दुःखद घटना

Editor: Providentia Translations

"ज़ियुअन! तुम ठीक हो?" डरी हुई हुओ मियां तुरंत भाग कर आई, और निंग ज़ियुअन को उठने में मदद करने की कोशिश करने लगी।

अचानक निंग ज़ियुअन ने गुस्से में मियां को धक्का देकर हटाया, जिससे मियां ज़मीन पर गिर गई।

"तुम यहाँ से जाओ, तुम्हारा यहाँ कोई काम नहीं! तुम एक चरित्रहीन... महिला हो। मुझे हाँथ मत लगाओ। तुम मुझे और गुस्सा दिला रही हो।"

हुओ मियां की आँखों से आँसू निकल आए। उसने लाचारी में सर हिलाते हुए कहा, "मैंने गलत नहीं किया है ज़ियुअन। मैंने तुम्हें धोखा नहीं दिया। मेरा विश्वास करो! यह सब बातें मेरे अतीत की है, जो उसके और मेरे बीच पहले ही ख़त्म हो चुकी है।"

"तुम पर विश्वास करूँ? किस बारे में? की तुम अभी तक पवित्र हो?" निंग ज़ियुअन ने अपने निचले होंठ से खून पूछते हुए और मिया का मज़ाक उड़ाते हुए कहा।

हुओ मियां नीचे देखने लगी, और आँखें बंद कर ली। उसने कोई जवाब नहीं दिया।

"क्या हुआ? तुम कुछ बोल क्यों नहीं रही? क्या वह इंसान गलत कह रहा है? या तुम मुझे अब भी बताना नहीं चाहती की तुम अपवित्र हो? बोलो? क्या तुम पवित्र हो?" निंग ज़ियुअन ने मियां को तिरस्कृत नजरों से देखते हुए जवाब मांगा।

"नहीं, वह सच कह रहा है! मैं सात साल पहले उसके साथ थी, लेकिन यह सब अब अतीत की बात है! ज़ियुअन, तुम मुझे समझाने का मौका तो दो! मैं तुम्हें हमारे बीच हुई सारी बाते बताऊँगी।"

"चुप रहो!" निंग ज़ियुअन ने हुओ मियां के बायें गाल पे ज़ोर से थप्पड़ जड़ दिया।

मियां को उस थप्पड़ का दर्द दिल तक महसूस हुआ।

ठीक बगल में खड़े किन चू की आँखे गहरा गई, उनमे दिल टूटने का दर्द झलक रहा था।

मियां ने निंग ज़ियुअन को सहारा देने की कोशिश की, लेकिन ज़ियुअन ने उसे एक तरफ धकेल दिया।

"हुओ मियां, मुझे लगा था कि तुम एक अच्छी लड़की हो, एक ऐसी लड़की जिसके साथ मैं अपना पूरा जीवन बीता सकता हूं। मैं तुमसे शादी करना चाहता था, तुम्हारे साथ ज़िन्दगी बिताना चाहता था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि तुम भी नकली लोगो में से एक होगी, मैं यह सब क्यों न देख सका! तुम्हें समझने के लिए मैंने कॉलेज में तुम्हारे साथ समय बिताया, तुम्हें छूने की हिम्मत तक नहीं की क्योंकि मैं तुम्हें देवी मानता था। मैं सच में अँधा हो गया था!" निंग ज़ियुअन हँसा। "तुमने मेरी भावनाओं के साथ खेला है!"

"ज़ियुअन! तुम चाहो तो मुझे मर लो या जो भी कहना चाहते हो वह कह लो, मुझे कोई परेशानी नहीं है। पर पहले अस्पताल चलते है तुम्हें चोंट लगी है?"

हुओ मियां ने लड़खड़ाते हुए ज़ियुअन की मदद करने की कोशिश की, लेकिन ज़ियुअन ने उसे फिर से धक्का दे कर खुद से दूर कर दिया।

"मुझे छुओ मत, हुओ मियां। अपने गंदे हाथ मुझसे दूर रखो। तुम मुझे कहीं नहीं ले जा रही हो। चली जाओ यहाँ से! मैं तुम्हें दुबारा नहीं देखना चाहता। चली जाओ!" अपनी बात ख़त्म कर के, ज़ियुअन एक घायल जानवर की तरह रेंगते हुए वह से चला गया।

हुओ मियां जहाँ खड़ी थी वहीं खड़ी रही, ख़ामोशी से रोकते हुए!

उसे नहीं पता था की चीज़े ऐसी क्यों हुई। क्या किस्मत का अभी उसे और सतना बाकी था? क्या सात साल पहले जो हुआ उसकी कीमत चुकानी अभी भी बाकी थी?

उसे फिर इस तरह से मजबूर क्यों किया जा रहा है? वह एक आम लड़की की तरह क्यों नहीं रह सकती ? वह सिर्फ एक साधारण जीवन जीना चाहती है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।

"हुओ मियां, मेरे पास वापस आ जाओ। मुझसे शादी कर लो।" उसके पीछे से किन चू की आवाज़ गूँज रही थी।

उसकी बात में न कोई चर्चा थी और न ही कोई आवेदन, था बस एक आदेश! जहाँ सवाल उठाने की कोई जगह ही नहीं थी। हुओ मियां जानती थी कि किन परिवार में उस तरह की शक्ति है, वे लोग जन्म से ही अधिकारवादी होते है। और इस शहर में, वे जिस वास्तु पर हाँथ रख दे वे उनकी हो जाती है। सात साल पहले, मियां इसे अच्छी तरीके से समझ चुकी थी और अपनी गलतियों के लिए उसने भारी कीमत भी चुकाई थी। ऐसा लग रहा था की अपने परिवार की तरह अब किन चू भी आदेश देने का आदि हो चूका है।