वह तेजी से मुकुल के घर की ओर चल पड़ा। उसके मन में कई सवाल थे, और कुछ सवालों के जवाब भी थे, साथ ही उसे पछतावा हो रहा था। उसकी चाल में एक अजीब सी हड़बड़ी थी, जैसे वह किसी बड़े तूफान से बचने की कोशिश कर रहा हो। वह खुद उसी चीज़ का कारण बन रहा था जिससे वह बचने की कोशिश कर रहा था। उसकी कई गलतियाँ एक-एक करके उसके सामने आ रही थीं।
एक दर्दनाक याद ने उसके मन को झकझोर दिया। उसने शुभम की कार के बाईं ओर के टायर को पंचर करने की कोशिश की थी। उसने स्क्रू-ड्राइव्ह को बार-बार टायर में घुसाया। इससे उस टायर की ताकत कम हो गई थी। जब शुभम की कार सैली के पास पहुंची, तब वही टायर फट गया और वही हादसा हो गया। वह हादसा जो उसकी ज़िन्दगी में एक काले साए की तरह मडरा रहा था। यदि उसने स्क्रू-ड्राइव्ह से टायर पर वार न किया होता, तो यह दुर्घटना नहीं होती। यह सब उसकी गलती की वजह से हुआ। उसकी गलती के कारण उसकी पत्नी का बार-बार एक्सीडेंट होता रहा।
उसने कई बार उसे अपने सामने मरते देखा था, और कई बार उसे दर्द दिया था। उसे खुद पर शर्म आ रही थी। पर अब उसे यह सब बंद करना था। उसने ठान लिया था कि वह अब एक भी गलती नहीं करना चाहता था। अब यह सब ख़त्म करने का समय आ गया था। उसने ठान लिया था कि अब वह सैली को दोबारा मरते हुए नहीं देखना चाहता था।
वह मुकुल के घर के दरवाजे पर पहुंचा। उसके कदम भारी हो गए थे, दिल की धड़कने तेज हो रही थीं। उसने दरवाजे पर दस्तक दी, लेकिन तुरंत दरवाजा नहीं खोला। उसने कुछ देर तक वहीं रुककर अपने आप से बात की। उसने कहा, "मुकुल मुझे दोबारा टाइम ट्रेवल न करने की सलाह देगा। और मैं फिर से उसे इमोशनल करके टाइम ट्रेवल करने के लिए मना लूंगा। सॉरी मुकुल, मुझे पता है कि मैं तुझे धोखा दे रहा हूँ। लेकिन अब मेरे लिए सैली के अलावा और कुछ भी मायने नहीं रखता। मैं सैली के लिए किसी को भी धोखा दे सकता हूँ।"
यह कहकर उसने दरवाज़ा खोला और अंदर चला गया। हमेशा की तरह, मुकुल उसे समय यात्रा करने से रोक रहा था। मुकुल की आंखों में चिंता और दर्द था। भास्कर ने उसकी और सैली की एक पुरानी फोटो निकाली, जिसमें वे तीनों हसते हुए खड़े थे। उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े। मुकुल का दिल पिघल गया। वह उसे फिर से अतीत में भेजने के लिए तैयार हो गया।
भास्कर ने भारी मन से मशीन में बैठते हुए कहा, "यह आखिरी मौका है मुकुल। मुझे सैली को बचाना ही होगा।" मशीन चालू हुई और वह फिर से उस ब्लैक होल के अंदर चला गया। वहां सिर्फ अंधेरा था, एक अनंत गहराई जो उसे अतीत की ओर खींच रही थी। अचानक वह एक सफ़ेद कमरे में पहुंच गया जहां चारों ओर सफेदी ही सफेदी थी। उसके बाद वह फिर से ब्लैक होल में चला गया। चारों ओर नीला धुआ बनने लगा और अचानक वह अतीत में पहुच गया।
घड़ी में शाम के 7:40 बज रहे थे। उसने मशीन से बाहर कदम रखा, उसकी धड़कने तेज थीं। बिना कुछ कहे उसने मुकुल से स्कूटर की चाबी ले ली और ट्राइडेंट होटल की ओर तेजी से बढ़ा। होटल पहुचते ही उसने देखा कि उसके सामने एक और भास्कर था, जो शायद वर्तमान समय का था. उसका भविष्य से आये हुए भास्कर पर ध्यान नहीं था. वर्तमान समय का भास्कर लिफ्ट में था। लिफ्ट का दरवाज़ा बंद हो गया और वह सातवीं मंजिल पर चली गई।
भविष्य का भास्कर तेजी से सीढ़ियाँ चढ़ने लगा। तीसरी मंजिल पर एक मेज पर छोटा सा फूलदान देखा और उसे उठा लिया। सातवीं मंजिल पर पहुंचते ही उसने देखा कि वर्तमान का भास्कर अपने कमरे में जा चुका था। वह जानता था कि अगर वह कमरे में गया, तो सैली के सामने दो भास्कर होंगे, जिससे सब गड़बड़ हो जाएगा।
भविष्य का भास्कर कमरे से थोड़ी दूरी पर खड़ा होकर खुद से बुदबुदाया, "वर्तमान का भास्कर कमरे से बाहर आएगा और मैं उसे रोकने की कोशिश करूंगा। ताकि वह ग्रांड हयात होटल में ना जाए। उसके बाद मुझे ग्रांड हयात होटल में आने वाले दूसरे भास्कर को भी रोकना होगा। एक बार ये दोनों यही रुक जाएं, तो सब ठीक हो जाएगा। सैली बच जाएगी।"
यह उसका प्लान था। वह वर्तमान समय के भास्कर का बाहर आने का इंतजार करने लगा। जब वह बाहर आ जायेगा, तब भविष्य का भास्कर वर्तमान समय के भास्कर के सिर पर फूलदान मारकर उसे बेहोश करेगा, यही उसकी योजना थी। कुछ मिनटों तक इंतजार किया, तब ही पीछे से एक महिला की आवाज सुनाई दी, "Excuse me, sir."
भास्कर ने पीछे मुड़कर देखा। वह एक लेडीज वेटर थी, उसकी बड़ी-बड़ी आँखें भय से फैली हुई थीं। भास्कर को लगा जैसे उसने कोई भूत देखा हो। वेटर भास्कर को घूरती जा रही थी, एक पल के लिए भी उसने आँखें बंद नहीं कीं। भास्कर ने उसकी आँखों के सामने अपना हाथ लहराते हुए कहा, "हैलो मैडम।"
वह कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी। भास्कर को एहसास हुआ कि उसने कुछ ऐसा देखा था जिसे शायद वह पचा नहीं पा रही थी। लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसने ऐसा क्या देखा था। शायद भास्कर के पीछे कोई था, जिसे देखकर वह लेडीज वेटर चौंक गई थी। इसलिए उसने पीछे मुड़कर देखा। लेकिन उसके पीछे कोई नहीं था। वह बस भास्कर को ही देख रही थी। भास्कर ने उसके कंधे पर हाथ रखा और जोर से हिलाया, "मैडम! क्या हुआ?"
उसने कहा, "आप यहाँ पर कैसे आ गए?"
भास्कर को समज में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहना चाहती है। उसने वेटर से कहा, "तुम क्या कह रही हो? मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा।"
वेटर ने संजीदगी से कहा, "आप यहाँ हो, तो फिर वह कौन था जिसे मैंने देखा था?"
भास्कर के चेहरे पर हैरानी थी। "मैडम, आपकी बातें मेरे सिर के ऊपर से जा रही हैं।"
"सर, मैंने एक व्यक्ति को देखा, जो बिल्कुल आपके जैसा दिखता था।"
यह सुनकर भास्कर हैरान रह गया। शायद उस लेडीज वेटर ने एक और भास्कर को देखा था, जो भविष्य से आया था। अब उस लेडीज वेटर को क्या कहकर वहा से भगाया जाए, यह उसे समझ में नहीं आ रहा था। उसने कहा, "मैम, शायद आपने किसी दूसरे व्यक्ति को देखा हो, या आपको कोई भ्रम हुआ हो।"
वेटर ने ज़िद्दी लहजे में कहा, "नहीं सर, मैंने उस इंसान से बात भी की थी।"
"क्या?" भास्कर ने आश्चर्य से ऊंची आवाज में कहा। क्योंकि जब भी भास्कर ने टाइम ट्रेवल किया था, उस समय इस लेडीज वेटर से एक बार भी बात नहीं की थी। तो यह वेटर ऐसा क्यों कह रही थी, यह समझ में नहीं आ रहा था। उसने कहा, "मैडम, मैं आपसे इससे पहले कभी नहीं मिला था। तो आपसे बात कैसे कर सकता हूं।"
वेटर ने दृढ़ता से कहा, "सर, मैं आपके बारे में नहीं कह रही। मैं उस आदमी के बारे में बता रही हूं, जो नीचे खड़ा था। उसने मुझसे बात की थी। वह बिल्कुल आपके जैसा दिखाई देता है और उसकी आवाज भी आपकी तरह थी।"
उसकी बातें सुनकर भास्कर को समझ में नहीं आ रहा था कि वह ऐसा क्यों बोल रही है। भास्करने अपने आप से कहा, "मैं कई बार यहां पर आया हूं और चला गया हूं। लेकिन तुम्हें कभी नहीं देखा। और ना ही आपसे कभी बात की है। तो नीचे खड़ा हुआ भास्कर कौन था? शायद मैंने फिर से टाइम ट्रेवल तो नहीं किया ना?"
वेटर ने आश्चर्य से कहा, "क्या? टाइम ट्रेवल?"
"यह..यह..नहीं।" भास्कर ने हकलाते हुए कहा। फिर उसने अपने आप को संभाला। "मैडम, मैं यह कहना चाहता हूं कि जिसे आपने नीचे देखा था, वह मेरा जुड़वा भाई है। वह मुझसे तीन सेकंड बड़ा है।" उसने मुस्कुराते हुए कहा।
वेटर की आंखों में अविश्वास की चमक थी। "क्या? सच में?"
"हाँ। जब उसे प्यास लगती है, उसके तीन सेकंड बाद मुझे भी प्यास लगती है। जब उसे भूख लगती है, फिर तीन सेकंड बाद मुझे भी भूख लगती है। जब उसकी शादी हुई, फिर तीन सेकंड बाद मेरी भी शादी हो गई। जब वह हनीमून पर गया..."
वह आगे बहुत कुछ बताना चाहता था, तभी लेडीज वेटर ने उसे रोकते हुए कहा, "ठीक है सर। मैं सब समझ गई।"
भास्कर ने उसे कहा, "ठीक है। बहुत अच्छा।"
लेडीज वेटर ने कुछ सोचते हुए कहा, "सर, आपके बड़े भाई ने आपको कुछ दिया है।"
भविष्य का भास्कर जिसे वह अपना भाई बता रहा था, उसे पता चल गया की, उसने दोबारा टाइम ट्रेवल किया हैं और उसने ही कुछ सन्देश उसे भेज दिया है, लेकिन वह उलझन में था, की वह सच में भविष्य का भास्कर है, या फिर कोई पराया आदमी, जो उसे बुमराह कर रहा था, उसे समझ में नहीं आ रहा था.
भास्कर ने लेडीज वेटर की ओर देखा, उसने भास्कर को चॉकलेट दी और उसके साथ एक टिशू पेपर भी दिया, जो शायद भविष्य के भास्कर का संदेश था। भास्कर ने टिशू पेपर खोलकर देखा, उस पर कुछ लिखा था। उसने जोर से पढ़ना शुरू किया, "भास्कर, तुम सैली से कुछ भी मत छिपाओ। यदि तुम उसे वह सब कुछ नहीं बताओगे, जो उसके साथ हुआ है, तो चाहे तुम उसे बचाने की कितनी भी कोशिश कर लो, वह जिन्दा नहीं बच पाएगी। उसे सब कुछ सच बताना चाहिए।" उसने टिशू पेपर के नीचे लिखा "भास्कर 7" भी जोर से पढ़ा। उसे 7 अंक का मतलब समझ में नहीं आया। उसने खुद से कहा, "7 इस आकड़े का क्या मतलब है?"
लेडीज वेटर ने सुझाव दिया, "शायद सात यह कोड होगा। या फिर यह भी हो सकता है कि उसने आपको सात तारीख को कहीं आमंत्रित किया हो। या फिर आप सात लोग हों। शायद उसका यही मतलब हो।"
भास्करने दिमाग पर जोर डाला. उसने अभी तक चार बार टाइम ट्रेवल किया था, इसी वजह से वहा पर 5 भास्कर थे. लेकिन उस टिशू पेपर पर भास्कर7 लिखा था.
भास्कर ने लेडीज वेटर की ओर देखा और अपने आप से बुदबुदाया, "यहाँ पाँच हैं। और इसमें सात अंक लिखे हैं। क्या इसका मतलब यह है कि, मैंने समय यात्रा और दो बार और की है?"
वेटर ने फिर से पूछा, "सर! क्या आपने सच में टाइम ट्रेवल किया है?"
भास्कर ने तंग आकर कहा, "नहीं मैडम। कुछ नहीं। प्लीज आप यहाँ से चली जाइये।"
"ओके सर।" वेटर ने कहा और वह वहा से चली जा रही थी।
लेकिन उसी समय वर्तमान समय का भास्कर सैली के कमरे से बाहर आ गया। जिसका भविष्य समय का भास्कर इंतजार कर रहा था. लेकिन भविष्य के भास्कर का उस पर ध्यान नहीं था, लेकिन लेडीज वेटर का ध्यान उसके पीछे गया, जहां वर्तमान समय का भास्कर था। उसने भविष्य के भास्कर से कहा, "सर, वह भी आपके जैसा दिखता है।" उसने वर्तमान समय के भास्कर की ओर इशारा करते हुए कहा।
भास्कर ने पीछे मुड़कर देखा। उसके पीछे वर्तमान समय का भास्कर था। वह कमरे से बाहर आ गया था और जल्दी-जल्दी सीढ़ियाँ उतर रहा था। यह भविष्य के भास्कर के लिए अच्छा अवसर था। उसके हाथ में एक फूलदान था। वह तेजी से वर्तमान समय के भास्कर के पीछे भागा और जब वह सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था, तो भविष्य के भास्कर ने उसके सिर पर फूलदान से वार किया। वर्तमान समय का भास्कर लड़खड़ाकर नीचे गिर गया और एक कमरे के सामने गिरकर बेहोश हो गया। उसके सीढ़ियों से गिरने की वजह से जोर की आवाज आई।
उस आवाज़ पर बगल वाले कमरे से एक खूबसूरत युवती बाहर आई। उसने वर्तमान समय के भास्कर को बेहोशी की अवस्था में देखा। उसने तुरंत अपने पति को पुकारा, "एंथनी, एंथनी, जल्दी आओ।"
उसकी आवाज पर एंथनी कमरे से बाहर आ गया। वे दोनों भास्कर के पास गए। युवती ने कहा, "एंथनी, शायद यह सीढ़ियों से फिसलकर नीचे गिर गया है।"
एंथनी ने तुरंत स्थिति को समझते हुए कहा, "मैं इसे अंदर ले जाता हूँ।"
वह उसे उठाकर कमरे में ले गया। भविष्य समय का भास्कर कुछ दूर खड़ा होकर यह सब देख रहा था। उसे याद आया कि वह भी ऐसे ही गिर गया था। तब उसे पता चला कि वह सीढ़ियों से पैर फिसलने की वजह से नहीं गिरा था, बल्कि भविष्य के भास्कर ने उसे इसी तरह नीचे गिराया था। इसका मतलब था कि भास्कर ने खुद को ही गिराया था और इसी वजह से उसके सिर के पिछले हिस्से पर चोट आई थी। भास्कर इन सबसे बाहर आना चाहता था, सैली को बचाना चाहता था। लेकिन जैसे-जैसे वह इन सबसे पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रहा था, उसका मन उलझता जा रहा था।
उसने पीछे मुड़कर गहरी सांस ली। तभी उसने देखा कि लेडीज़ वेटर उसे आंखें फाड़कर देख रही थी। वह भास्कर के ठीक सामने खड़ी थी। उसने बड़ी आँखें कर कहा, "सर, वह बेहोश व्यक्ति भी आपके जैसा दिखता है।"
भास्कर का मन पहले ही उलझ गया था और अब उस लेडीज वेटर के सवालों से और भी ज्यादा उलझता जा रहा था। अब लेडीज वेटर से क्या कहूं, उसे समझ नहीं आ रहा था। उसने तुरंत उसका हाथ पकड़कर एक तरफ ले गया। "हां मैम, वह भी मेरे जैसा दिखता है।" उसने धीमी आवाज में कहा।
वेटर की आंखों में अब भी सवाल थे। "आपने कहा था कि आप जुड़वाँ भाई हैं। तो यह तीसरा व्यक्ति कौन है?"
भास्कर बेहद परेशान हो गया था। उसने अपने बाल खीचते हुए कहा, "मैडम, वह भी मेरा भाई है। प्लीज, यहाँ से चले जाइये।"
वेटर की उलझन कम नहीं हो रही थी। "लेकिन सर, मुझे समझ में नहीं आ रहा। पहले तो आपने कहा था कि आपके दो ही भाई हैं।"
वह वहां से जा नहीं रही थी। अब भास्कर का गुस्सा सातवे आसमान तक पहुंच गया था। उसने दांत पीसकर थोड़ी ऊँची आवाज़ में कहा, "मेरे पिता ने दो शादियाँ की थीं। यह उनका तीसरा चमत्कार है। लेकिन मैं उसे भाई नहीं मानता।"
वह डर गई थी क्योंकि भास्कर उस पर चिल्ला रहा था। उसे डरा हुआ देखकर भास्कर को बुरा लगा। उसने धीमी आवाज़ में उससे कहा, "देखो, मेरे सिर में दर्द हो रहा है। इसलिए प्लीज कोई सवाल मत पूछो।"
"जी सर," उसने धीमी आवाज में कहा और वहां से चली जा रही थी।
भास्कर ने राहत की सांस ली, लेकिन उसके दिमाग में अब भी सवालों की भरमार थी। उसने अपनी घड़ी देखी और सोचा, "मुझे सैली को बचाने के लिए जल्दी करना होगा। अब और देरी नहीं की जा सकती।"
यह कह कर भास्कर उसके कमरे में जा रहा था। तभी उसके कमरे से एक और भास्कर बाहर आया। और लिफ्ट में चला गया। सैली कमरे से बाहर भागकर लिफ्ट के पास चली गयी। लेकिन लिफ्ट में जो भास्कर था उसने सैली को लिफ्ट से बाहर धक्का दे दिया। और लिफ्ट नीचे चली गई। सैली बहुत रो रही थी। "भास्कर मैंने कुछ भी गलत नहीं किया हैं। मेरे ऊपर भरोवसा करो। मैं अकेली नहीं रह सकती," ऐसा कहकर सैली खड़ी हो गयी।
भविष्य समय का भास्कर दूर से यह सब देख रहा था। सैली जब पीछे मुड़ गयी, तभी भविष्य समय का भास्कर भी पीछे मुड़ गया। ताकि वो उसे ना देखे। सैली सीढ़ियों से नीचे भागकर चली गयी, भविष्य समय का भास्कर यह सब देख रहा था। लेकिन उसने उसे रोकने की कोशिश नहीं की। क्योंकि अब समय बीत चुका था। वह निराश हो गया था।
उसने पीछे देखा तो लेडीज वेटर ठीक उसके चेहरे के सामने खड़ी थी। वो उसे शक भरी नजरों से देख रही थी। शायद उसने इस लिफ्ट में जो भास्कर था, उसे भी देख लिया था। भास्कर को समझ में नहीं आ रहा था की, उसे कैसे समजाया जाये। वह दोनों काफी देर तक एक दूसरे को घूरते जा रहे थे। भास्करने कुछ मिनटों के लिए अपनी सांसे रोक लीं। वेटर फटी आँखों से उसे देख रही थी। उसने हिम्मत कर कहा, "मैडम. क्या आपने उस लिफ्ट में जो आदमी था, उसे भी देख लिया?"
"हाँ। वह चौथा आदमी भी आपके जैसा दिखता है। लेकिन कैसे?"
भास्कर पागल हो रहा था। वह ज़ोर ज़ोर से हसने लगा। उसे नहीं पता था कि उसे क्या बताऊ। उसने कहा, "मैडम. वह भी मेरा अपना भाई है।"
लेडीज वेटर ने कहा, "क्या वह सौतेली माँ का है?"
भास्करने ना चाहते हुए कहा, "हां मैम।"
"सर आपके कितने सौतेली माँ है?"
उसने गुस्से से दाँत पीसते हुए कहा, "सिर्फ एक।"
"सर, आपके सौतेले माँ को भी जुड़वाँ बच्चे कैसे थे? सर आपके हर भाई आपके जैसे ही कैसे देखते है?"
"वह, यह हैं की, वह," उसने चेहरे पर जूठी मुस्कान लेकर कहा।
"सर आपके पिता जुड़वाँ बच्चों को कैसे जन्म दे रहे थे? वे सभी बच्चे एक जैसे कैसे दिखते हैं?"
वह ज़ोर से चिल्लाकर बोला, "मेरे पिता एक जादूगर थे। उसके पास एक जादू की छड़ी थी। जब वह जादू की छड़ी घुमाते थे, और जुड़वाँ बच्चे पैदा हो जाते थे। क्या आपको वह छड़ी देखनी है? देखा दू वह छड़ी? "
"सर, सच में आपके तीन ही भाई हैं ना?"
"क्यों? क्या आपने चौथे को भी देखा है क्या?" भास्करने उसकी ओर संदेह भरी नजरों से देखते हुए धीमी आवाज में कहा।
"नहीं सर।"
"मैं बच गया।" उसने राहत की सांस लेते हुए कहा।
"मैं बच गया, मतलब? क्या इसका मतलब यह है कि आपके और भी जुड़वां भाई हैं?"
भास्करने फिर गुस्सा होकर जोर से कहा, "पता नहीं मेरे पापा ने और कितनी जगह पर मुँह मारा है। जब मुझे पता चलेगा, तब मैं आपको बता दूँगा।"
"सर, आपके पिताने इतनी शादियाँ क्यों कीं थी?" लेडीज वेटर की आँखों में एक अजीब सा सवाल था, जो भास्कर के दिल को चीर कर रख दिया।
"मेरे पिता एक नंबर का मादर चोट..."
"अरे! सर," लेडीज वेटर ने आवाज़ काटते हुए कहा ।
कुछ पलों के बाद, जैसे ही उसे होश आया, उसने गहरी साँस ली और कहा, ''मेरे पिता गलत आदमी थे। मैं यही कहना चाहता हूँ।" इस बार उसकी आवाज़ में कुछ निर्मलता थी ।
भास्कर ने अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले और उसके हाथ में रख दिए, "ये पैसे आप ले लो। और यहाँ से चले जाओ।"
फिर उसने उसके हाथ में पाँच सौ के चार नोट रख दिए ।
"सर, आपके बड़े भाई ने जो निचे खड़ा था, जिसने मुझे आपको वह टिशू देने के लिए कहा था, उसने भी मुझे पैसे दिए थे। उसने भी मुझे आपकी तरह पांच-पांच सौ के चार नोट दिए थे।"
उसने मुस्कुराते हुए कहा, "मैडम मैंने कहा था, जब मेरा भाई एक काम करता है, तुरंत ही वही काम मैं भी करता हूं।"
लेडीज वेटर ने अपना बायां हाथ जेब में डालकर पांच-पांच सौ के चार नोट निकाले, और अपने दाहिने हाथ में जो पाँच सौ के नोट थे, उसे देखने लगी। उसके दोनों हाथों में भी पांच-पांच सौ के नोट थे, लेकिन फर्क सिर्फ इतना ही था की, एक वर्तमान के भास्कर ने पैसे दिए थे, और एक भविष्य के भास्कर ने पैसे दिए थे। इस विचार की गहराई में, उसने दोनों हाथ के नोटों को ध्यान से देखा, जैसे किसी सुलझी हुई गुत्थी को सुलझाने की कोशिश कर रही हो। दाहिने हाथ के चारों नोटों के सीरियल नंबर उन बायां हाथ के चार नोटों के सीरियल नंबर मैच हो गए थे।
"सर, आपके भाईने दिए हुए नोटों के सीरियल नंबर और आपके द्वारा दिए हुए नोटों के सीरियल नंबर एक ही हैं। कैसे?" यह सवाल उसके मुह से निकलते ही, जैसे कोई चिर काले राज की पर्दाफाश कर रहा हो। "अरे। यह..यह.." वह हकला रहा था, जैसे उसके पास सच का कोई जवाब ही नहीं था।
"सर, यहाँ चार लोग हैं जो आपके जैसे दिखते हैं। और नोटों का सीरियल नंबर भी सेम है। यहां कुछ गड़बड़ है। अब मुझे पुलिस को बुलाना होगा।"
लेडीज वेटर पोलिस को बुलाने के लिए वहा से जाने लगी, तभी भास्कर ने उसके पीछे गया, उसका मुह दबा दिया, और उसे लिफ्ट की ओर ले गया।