घने अंधेरे में एक धुंधला सा चेहरा नजर आता है। यह चेहरा देव का है। देव को बांधकर कोठरी के कोने में बैठा रखा है। साथ ही मुंह को भी पट्टियों से बांध रखा है। किसी भी व्यक्ति की ऐसी दशा देखकर दानव को भी दया आ सकती है। देव को देखकर यह साफ पता चलता है की रस्सी खोलने की सारी कोशिशें करने के बाद वह एक हारा हुआ इंसान है।और अब उसमें इतनी भी हिम्मत नहीं है कि वह हिल तक सकें....
रूप-मैंने आपको मना किया था जीजी सा आप ही नहीं मानी।
गौरी-यही तो मेरा दुर्भाग्य है। अगर कल तुम्हारी बात मान गई होती, तो कुशाल के साथ मेरी शादी तय हो जाती। लेकिन दारजी तो न जाने किस विलायती लड़के से मेरी शादी करवाना चाहते हैं....?
ना जान ना पहचान, ना एक दूसरे से मिले ना एक दूसरे से बातें की, अरे मैंने तो उसका चेहरा तक नहीं देखा है.... मैं ऐसे इंसान से कैसे शादी करूं.... उपर से गलती भी उसी की है, उसी ने पूरे हाट के सामने मेरा हाथ पकड़ा था। अब खुद भी सजा पा रहा है मुझे भी दिलवा रहा है।
वाणी-देख गौरी..... अब जो भी है, वहीं है। अच्छा यही होगा कि तू उसमें अपना चित्त लगा। यही तेरे लिए और हम सब के लिए सही है।
गौरी-लेकिन मैं एक अनजान शख्स से कैसे शादी कर लूं?
वाणी-अनजान कहां है..... दारजी ने सारी जानकारियां तो पता कर ली हैं उसकी। अब जितना भी तेरा हमारे साथ वक्त है उसे अच्छे से बिता...। ग्यारह दिन बाद देवउठनी ग्यारस है, हर शादी के लिए सबसे बड़ा शुभ मुहूर्त होता है ये। तेरी शादी उसी दिन है। अच्छा होगा की हम तैयारियां करें....!
तीनों बहनें बाजार में यह सभी बातें करके वापस घर आ गई। घर में तैयारियां जोरों शोरों पर थी। सभी के चेहरे पर खुशी थी। लेकिन गौरी जरा भी खुश नहीं थी।क्योंकि यह उसकी जिंदगी का फैसला था जो बिना उसकी रजामंदी के किया जा रहा था। जब सभी से बात करने पर भी कोई फैसला नहीं हो सका तो, गौरी ने फैसला किया कि वह उस लड़के को भगा देगी। बहुत कोशिश करने पर भी वो ऐसा नहीं कर पाई। पहली बार जब छुपते छुपाते उस कमरे तक पहुंची जहां देव को बांध कर रखा हुआ था, तो काकी सामने से आ गई और गौरी को अपने साथ ले गई। दूसरी बार जब गौरी आई, तो खुद दारजी वहां पर खड़े थे। दारजी को वहां देख कर गौरी की तो आगे जाने की हिम्मत ही नहीं हुई। वो वहीं से भाग कर वापस अपने कमरे में आ गई। और तीसरी बार तो गौरी कोठरी तक पहुंच भी गई थी। खिड़की से झांक कर देव को पुकारा ही था....
गौरी-सुनो... !
और इतने में ही पीछे से वाणी बाईसा आ गई। वाणी ने गौरी से कहा...
वाणी-तु यहां क्या कर रही गौरी...? कहीं....कहीं तु उस लड़के को भगाने तो नहीं आई थी ना...? क्या करती रहती है गौरी तू सारे दिन...? अब चल यहां से...! कहीं किसी ने देख लिया तो बवाल हो जाएगा...।
इस तरह गौरी कि देव को भगाने की सारी कोशिशें नाकाम रही.....