रात के सन्नाटे मे वो गाडी गुजरने लगी. एक बड़े बँगले के सामने जाके वो गाडी रुक गयी। हमें गाड़ी से उतरने कों कहा गया। हम चुपचाप उतर गए। उनके कहने पर हम बँगले के अंदर बढ़ने लगे।
वो बंगला काफ़ी बड़ा और शानदार था। फिर भी हमें वो नरक जैसा भा रहा था। हम लोग सीढ़ीयों से ऊपर की मंजिल पे गए। वहां हमें निचे बैठने केलिए कहा गया। हम दोनों अपने घुटनो के बल बैठ गए। हमारे सामने थोड़ी दुरी पर एक आदमी खड़ा था। हमारी और पिठ किये हुए। उसके पास रखे टेबल के ऊपर वो अपना पेग बना रहा था। उसके बाल बहुत एकदम ट्रिम किये हुए थे। बेशक, वो इन सबका लीडर था।
मैंने देर ना करते हुए, सफाई देना चालू किया,
"आप जो सोच रहे हो, वैसा कुछ... "
एक आदमी ने मुझे चुप रहने का इशारा किया। वो आदमी उनके लीडर के पास गया।
मैंने धीमी आवाज मे पीजे से पूछा,"ये सब कौन है? "
"Scorpion gang!"
"क्या ये हमें मार देंगे?"
"नहीं, पूजा करेंगे हमारी।", उसने मेरी ओर देखके गुस्से से बोला,"मै भी तेरी बातो मे आकर कहाँ फस गया। तेरी बात नहीं सुननी चाहिए थी। ना तेरी बात सुनता, ना यहाँ आके फसता।"
वो आदमी लीडर के कान मे कुछ खुसपुस करने लगा। उस आदमी ने कहा, "बॉस, वो ईगल गैंग का लीडर। आपके सामने है।"
ये बात सुनते ही उनके लीडर(सॅंडी) ने हाथ मे रखे ग्लास को घूमाना बंद किया। वो ख़ुशी के मारे पागल हो गया। क्योंकि उसका सबसे बड़ा दुश्मन उसकी कैद मे था। एक हसीं के साथ वो झट से हमारी ओर मूड गया।
वो हमें देखके हसने लगा पर मै एकदम शॉक हो गया। क्योंकि मेरे सामने खड़ा आदमी ओर कोई नहीं, मेरा बेस्टफ्रेंड मयूर था।
पीजे अपने दोनों हाथ जोड़के रोने लगा। पर मै सॅंडी की ओर बस देखे जा रहा था और मै कुछ पलकेलिए भूल गया की, वो मयूर नहीं है। मैंने हसते हुए उसे कहा,
"मयूर, तू?"
सैंडी की हसीं एकदम से रुक गयी। मै झटसे खड़ा होके उसकी ओर बढ़ने लगा,
"अरे यार, मै तो सच मे डर गया था। मुझे लगा की मेरा खेल अब ख़तम ही समझो। पर मेरे भाई, तूने बचा लिया यार।"
कहके मैंने सैंडी को झप्पी दे दी। वहां खड़े सारे लोग शॉक हो गए।
"अब तो पक्का मर गए।", पीजे खुसपुसा।
सैंडी मुझे किसी पागल की तरह देखने लगा। मेरी बकबक चालू ही थी,
"अच्छा हुआ यार की तू मिल गया। जान मे जान आ गयी", कहके मैंने उसके कंधे पे अपना हाथ रख दिया।, "ये सब साले मिलके तेरे भाई को मारना चाह रहे थे।"
मैंने उन लोगो को देखा और कहा, "देख क्या रहे हो बे! मेरा जिगरी दोस्त है। सालों, मुझपे गोलिया चला रहे थे... अब तुम्हे दिखता हू। तुम्हारी तो..."
तभी मेरे जिगरी दोस्त ने मेरे सरपे गन रख दी। सरपे पड़े वजन के कारण मुझे असलियत का एहसास हुआ। मै पीछे जाके, पीजे के बगल मे बैठ गया।
पीजे झूठमूठ की हसीं के साथ बकने लगा,"ये कौन है मै सच मे जानता।"
दारू का ग्लास पूरा टॉप टू बॉटम मारके, वो धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा। उसकी चाल नशे वाली थी। उसके अपना मुँह खोला,
"ये मयूर कौन है?"
"सर, मे... मेरा दोस्त है। आपको देखा तो उसकी याद आ गयी। सॉरी सर। मा... माफ़ कर दो।"
एक छोटी सी हसीं के साथ उसने कहा, "होता है। कई बार ऐसा होता है। जब मौत से रूबरू होते है ना, तब अक्सर ऐसा होता है।'
"सर, actually, आप जैसा सो... सोच रहे हो, वैसा नहीं है।", मैंने बड़ी मासूमीयत से कहा।
"अच्छा ! तो कैसा है।", उसने पूछा।
"सर, आपको सुनने मे अजीब लगेगा पर मै विष नहीं हूँ।"
"I know"
"आपको पता है?"
"Off course. मुझे पता है की, तू वो घमंडी, अकड़ू विष नहीं है। बल्कि मौत के डर से सिमटा हुआ डरपोक विष है।", ये बात कहके उसने पीजे की ओर देखा, "और तू कौन है बे? तुझे तो कभी इसकी गैंग मे नहीं देखा।"
आखिरकार पीजे को अपनी सफाई देने का मौका मिला, जो वो नहीं छोड़नेवाला था। उसने कहा,
"वही तो बताने की मै कबसे कोशिश कर रहा हूँ। मै इस बन्दे को नहीं जानता सर।"
"मुझे दोस्तीपर मूतने वाले लोग बिलकुल पसंद नहीं है। मौत सामने आयी तो, दोस्ती भूल गया!", सैंडी गुस्से से बोला।
"नहीं सर, ये मेरा कोई दोस्त नहीं है।", पीजे ने कहा।
"तो विष क्या इतना बेवकूफ़ है जो किसी राह चलते आदमी के साथ घूमेगा। किसी ओर को पागल बना।"
आखिरकार पीजे ने कहा, "माफ़ कीजिये सर। पर बात ही कुछ ऐसी है की आप यकीन नहीं करोगे।"
"मुझे यकीन करना भी नहीं है"
तभी मैंने बिच मे बोला, "यार मयूर तू..."
मेरे मुँह से गलती से फिर से मयूर का नाम आया। सैंडी ने मेरी ओर गुस्से से देखा।
"सॉरी सर ", मैंने कहा.
"ये बार बार मयूर क्या लगा रखा है!", सैंडी ने गुस्से से पूछा।
"सर सॉरी पर हमारी बात का यकीन कीजिये। मै विष नहीं हूँ। मै दूसरी दुनिया से आया हूँ।"
"तू विष नहीं है, तो तेरा चेहरा क्या उससे गलती से एक्सचेंज हो गया क्या!", उसने हसते हुए कहाँ। उसे लगा की उसने अच्छा जोक मारा है पर वहां खड़ा कोई भी आदमी उसके जोक पे नहीं हँसा। its a bad joke, वो समझ गया और खुद ही चुप हो गया।
"मै सब बताता हूँ... "मैंने बोलने की कोशिश की।
"चुप!", उसने मेरी बात को बिच मे ही काट दिया।
सैंडी ने अपने आदमीयों को देखा और कहा,
"मार दो इन्हे!", और वो अपना पेग बनाने केलिए टेबल की ओर बढ़ा।
उसके शब्द कान पे पड़ते ही दिल धड़कना बंद हो गया। पूरा खून ठंडा पड़ गया। रोंगटे खड़े हो गए। दो आदमी हमारी ओर गन लेके बढ़ने लगे। हमारी ओर बढ़ने वाले वो आदमी हमें साक्षात् यमदेव की तरह भाने लगे। कटनेवाला बकरा जब कटनेसे पहले शोर मचाता है, वैसे हम सैंडी को आवाज़ देने लगे।
"भाई plz - सुनो ना भाई - आप जो सोच रहे हो वैसा नहीं है -मै विष नहीं हूँ "
"मै तो इसे जानता तक नहीं सर।", पीजे बकने लगा।
पर सैंडी का कोई जवाब नहीं। हम दोनों रोने लगे।। दो आदमी हमारे पास आ खड़े हुए, हमारे ऊपर गन तान दी। गन लोड कर दी।
एक बात तो सच है। जब आदमी डर के हायर लेवल पे चला जाता है, तब वो ब्रेव आदमी बन जाता है। सैंडी को आवाज देने पर भी वो मूड नहीं रहा था। और आखिरकार मैंने चिल्लाके बोला,
"अबे गधे सुन!"
पुरा माहुल एकदम शांति से भर गया। गन ताने खड़े वो दो आदमी हैरान हो गए। पीजे भी हैरान। टेबल की ओर बढ़नेवाला सैंडी मेरे आवाज से रुक गया... मैंने डर के मारे गुस्से मे बोलना शुरू कर दिया,
"तुझे कितनी बार बोलू की मै विष नहीं हूँ। मै सूरज हूँ और मै दूसरी दुनिया से आया हूँ। यही बात तुझे कबसे बताने की कोशिश कर रहा हूँ पर तू है की सुनने को तैयार नहीं है। और मै ये जो बार बार मयूर की रट लगाए बैठा हूँ ना, वो मयूर और कोई नहीं, बल्कि तू है। और मेरी दुनिया मे वो मेरा जिगरी दोस्त है। ", मेरी आवाज़ रोने मे बदलने लगी, "और तू अपने दोस्त को ही मारने पर तुला है। कैसा दोस्तों है तू।"
मेरी किसी बच्चे की तरह रोने लगा। डर के मारे मैंने सब बक दिया। सारे माहौलमे सन्नाटा छाया था। सब लोग सैंडी की ओर देख रहे थे। वो अब क्या करेगा, किसी को पता नहीं था। वो धीरे से हमारी ओर मुडा। मेरी ओर गुस्से से देखा। उसका फैसला साफ था। उसने अपनी नजर मुझपे रोख दी और कहा,
"गधे का मतलब क्या होता है? "
अच्छा हुआ की, इस दुनिया मे गधे का मतलब पता नहीं था। मैंने हालात को संभालते हुए कहा,
"ग... गधा मतलब... पावरफुल आदमी।"
"Thats right। only i am gadha here।", उसने एक मुस्कुराहट के साथ कहा।
उसने अपनी गन निकाली और हमारे पास आते हुए बोलना शुरू किया, "तो तू दूसरी दुनिया से आया है और तू विष नहीं है "
"हां सर, यही बात मैं कबसे बताने की कोशिश कर रहा हूँ। वो दरसल क्या हुआ था ना, एक पार्टी मे..."
"मुझे तेरी स्टोरी सुनने मे कोई दिलचस्पी नहीं है। ये दूसरी दुनिया वाली बात सच मे अजीब लगती है पर विष इतना भी बेवकूफ़ नहीं की, अपनी जान बचाने केलिए ऐसी फुद्दू वजह बताये। पर ये दूसरी दुनिया वाली बात... सच मे पच नहीं रही।"
"मेरी बात पे भरोसा कीजिये सर। मै सच बोल रहा हूँ।"
"मै कैसे मानु की तू सच बोल रहा है? प्रूफ!", उसने मेरी ओर एकटक देखते हुए बोला।
"प्रूफ? ", मैंने उसकी बात को दोहराया।
"अगर तू प्रूफ कर पाया की तू विष नहीं, सूरज है, तो ठीक। वर्णा मारा जायेगा।"
"प्रूफ की क्या जरूरत है सर। आप उसके अड्डे पर देखिये ना, वो वहां पर होगा।"
उसने मेरी ओर थोड़ी देर केलिए देखा और बोला,
"I am not convinced. "
कहके सैंडी टेबल के पास जाके, अपना नया पेग बनाने लगा।
प्रूफ-प्रूफ-प्रूफ। कहाँ है प्रूफ? मैंने मेरे दिमाग़ पर जोर डाला।
पीजे ने मुझसे कहा, "तेरे पास कोई तो चीज होंगी।"
"मेरा पॉकेट दिखाए क्या?", मैंने पीजे से पूछा।
"अबे कोई तो प्रूफ दिखा जल्दी, वर्णा वो मार डालेगा।"
"मेरे पास प्रूफ नहीं है यार। "
और तभी सैंडी ने उलटी गिनती चालू की।
"10... 9..."
मेरी लाइफ कभी इतनी तेज नहीं चली थी। वो उलटी गिनती गिन रहा था। इधर मै और पीजे प्रूफ -प्रूफ कर रहे थे। पर क्या दिखाए प्रूफ? मेरे पास कुछ नहीं था।
"7... 6... "
मुझे ऐसा लगा की बस यही मेरे लाइफ के आखरी 6 सेकंड है। शायद यही मेरे मरने का समय है। काश मै इस वक्त को रोक पाता। किसी... फोटो की तरह... एक मिनट... फोटो !
"2... 1... "
और तभी मै चिल्लाया, "प्रूफ है... मेरे पास प्रूफ है।"...
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