"But i can", कमरे से बाहर आते हुए, तीसरे आदमी ने बोला। 34 साल का वो आदमी था।
मैंने पीजे से पूछा, "ये कौन है?"
पीजे के जवाब देने से पहले वो आदमी बोला, "मै भी तुम्हारे जैसा फसा हूँ।"
पीजे ने मुझसे कहा, "इसका नाम कल है। "
"कल?", मैंने चौंकके कहा।
"पता है अजीब नाम है। इसकी कहानी भी तुम्हारे जैसी ही है।",पीजे ने मुझसे कहा।
"मतलब?", ये ऊपर ऊपर की जानकारी मेरे पल्ले नहीं पड़ रही थी।
"ये भी तुम्हारे जैसा दूसरी दुनिया से आया है।", पीजे के ऐसे बोलते ही मेरे चेहरेपर न जाने एक रौनक सी छा गयी।
"तुम भी? ", मैंने ख़ुशी से कल को पूछा।
"हाँ ब्रो", उसने कहा।
"पता नहीं क्यू पर, अब थोड़ा अच्छा लग रहा है। मुझे लगा, सिर्फ मै ही ऐसी सिचुएशन मे फस गया हूँ।", मैंने अपने ही खयालो मे बोले जा रहा था।
कल सोफे पे बैठ गया, उसने टेबल की ओर देखा, और पीजे से बोला, "तुमने सारा पिज़्ज़ा खा लिया?"
"भूक लगी थी यार।", पीजे ने जवाब दे दिया।
मैंने पीजे से पूछा, "ये तुम्हे कब मिला? कल या परसो?"
"7सालो से।", कल ने झटसे जवाब दे दिया।
मै आगे बोलना ही भूल गया। क्या मेरे साथ भी ऐसा होगा।
मै कल के बाजु मे बैठ गया।
"क्या बात कर रहे हो? 7साल?", मैंने फिरसे डरके मारे बड़बड़ाना शुरू किया।
"हम्म्म। ", उसने काफ़ी शांति से कहा।
"तुम वापस क्यों नहीं गए? ", मैंने बड़बड़ाते हुए कहा।
"ब्रो, किसी गावं या शहर जाने जैसी तुम बात कर रहे हो!", मेरी बेवकूफी वाले सवाल पे उसने हस्ते हुए जवाब दिया।
"तुमने ट्राय भी नहीं किया?"
"पहले किया था ट्राय पर, उस दुनिया से ये वाली दुनिया अच्छी है।"
"मतलब?", उसकी बात मेरे समझ मे न आयी।
"बहुत लम्बी स्टोरी है। तू नहीं समझेगा।", उसने मेरी बात को टालते हुए कहा।
मैंने उससे पूछा, "तो... क्या... अब हमेशाकेलिए यहाँ पे?"
मेरी हालत मेरे बात करने के ढंग से पता चल रही थी।
उसने बोला, "ये पसंद है मुझे। फिर से रिस्क नहीं ले सकता।"
वो बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से अपने जवाब दे रहा था। लेकिन मेरी शांति तो भंग हो गयी थी। मै इसकी तरह हाथ पे हाथ रख के नहीं बैठ सकता। 7साल! मै सोच भी नहीं सकता। पता नहीं, मेरे माँ-पापा कितने परेशान हो रहे होंगे। साला फालतू मे उस नाईट पार्टी मे चला गया। मुझे अपनेआप पे गुस्सा आ रहा था।
मै पीजे के पास गया। कहा, "सुनो पीजे, मै यहाँ नहीं रह सकता। मै ऐसा करता हूँ, जिस आईने के अंदर से मै आया था, उसी से वापस चला जाता हूँ।", खुद को दिलासा देते हुए, झूटी हसीं के साथ मैंने कहा।
"Its not possible.", पीजे ने झट से मेरे हसीं पे पानी फेर दिया।
"क्यों?", मैंने पूछा।
"ये छोटे वार्महोल की लाइफ बड़ी छोटी होती है। अगर कोई चीज उसके अंदर से ट्रेवल करें, तो उस वार्महोल की पूरी एनर्जी उस चीज को ट्रेवल करवाने मे चली जाती है। और उसके बाद, वार्महोल फिनिश ! कभी कभी ये वार्महोल ट्रेवलींग के बिचमे ही खतम हो जाते है।", उसने मुझे समझते हुए कहा।
"तो... तो... क्या... मै कभी घर... नहीं जा पाउँगा?", बोलते बोलते मेरी आँखे गीली हो गयी।
थोड़ा सोचने मे बाद पीजे ने कहाँ, "एक रास्ता है... पर... थोड़ा मुश्किल है।"
प्यासे को रेगिस्तान मे पानी की बूंद मिले, उससे भी ज्यादा ख़ुशी मुझे हुयी।
"क्या है?", मैंने झटसे पूछा।
"पर बहुत मुश्किल है यार।", उसने कहा।
"अरे इससे मुश्किल तो नहीं होगा!", मै चिल्लाते हुए बोला।
"लुक। i'm a scientist. मै आर्टिफिशली वार्महोल बना सकता हूँ पर... "
"हाँ तो बनाते है ना!", उसकी बात को बिच मे ही काट के मैंने बोला।
"हेलो, चाय नहीं बनानी। बहुत मुश्किल काम है।", मेरे मुँह के आगे हाथ लहराते हुए वो बोला।
"तो फिर कैसे करें?", मैंने उससे पूछा।
"उसकेलिए एक अलग किस्म के फ्युल, सीरम, लिक्विड... पता नहीं क्या बोलते है उसे... उसकी जरुरत लगेगी। वो एनर्जी का काम करेगी वार्महोले क्रिएट करने मे।"
मै पीजे को गौर से सुने जा रहा था।
"मेरी मशीन उस लिक्विड की एनर्जी से स्पेसटाइम मे कर्व पैदा करेगी, जिसके कारण वार्महोल क्रिएट होगा।"
उसकी सारी बाते मेरे दिमाग़ के ऊपर से गयी। मैंने उससे एक ही बात पूछी, "बना सकते है ना? "
"हां क्यों नहीं। बस वो लिक्विड लगेगा।"
"हां तो किस बात की देरी है। वो लिक्विड लेके आते है ना!", मैंने ख़ुश होके कहा।
"वो थोड़ी ही दुकान पे मिलता है। वो लिक्विड कल लेके आया था, अपने यूनिवर्स से। मै उसपे ठीकसे रीसर्च कर पाता, इससे पहले ही, कुछ लोग वो मुझसे छीन के ले गए। साले चिंदीचोर!"
"तो लेके आते है ना!", मैंने कहा।
"पागल है क्या तू? बहुत डेंजर लोग है!", पीजे के चेहरेपे छाये डर से पता चल रहा था, की वो लोग कितने डेंजर है। पर मै थोड़ी ही चुप बैठनेवालों मे से था!
"अरे तुम टेंशन मत लो। मै रिक्वेस्ट करता हूँ ना उनसे।"
"ये रिक्वेस्ट वगैरा तुम्हारे दुनिया मे चलता होगा। यहाँ पे नहीं।",वो मुझे टालते हुए बोलने लगा।
मैंने भी उसका पीछा ना छोड़ते हुए बोला, "अरे यार इतना क्या डर रहे हो? किसके पास है वो फ्यूल?"
पीजे ने मेरी ओर देखा। एक गहरी सांस लि। और मुझसे कहा, "बहुत बड़ा गैंगस्टर है... ईगल गैंग का हेड है... "
मै उसे गौर से सुनने लगा। वो आगे कहने लगा, "बहुत साइको है... गुस्सा आया तो, उधर ही मार देता है... "
मैंने धीमी आवाज मे पूछा, "कौन... कौन हैं वो गैंगस्टर? "
पीजे ने मेरी ओर देखा और कहाँ, " तुम! "
*-*-*-*-*
एक बड़ा सा बंगलो। आलिशान। रात के अँधेरे मे झगमगा रहा था। उस बंगलो के सामने तीन काली गाड़िया हवा को चीरते हुए आयी। दरवाजे के सामने रुक गयी। एक आदमी जल्दी से भागते आया और उसने बिच वाली काली गाड़ी का दरवाजा खोला। और अंदर से एक आदमी बाहर आया।
लम्बे बालोंका बन किये हुए, हाथ पे कई टैटू कराये हुए, मुँह मे बड़ी सी जलती सिगार पकडे हुए, वो आदमी गाड़ी से बाहर आया। दिखने मे बिलकुल सूरज के जैसा। सेम टु सेम। सूरज की दूसरी दुनिया की रेप्लिका। इसका नाम था 'विष'। सूरज की तरह इसके चेहरेपर भी तिल था। बस चलने का अंदाज़ काफ़ी अलग था। विष गैंगस्टर वाले अंदाज़ मे बंगलो के अंदर गया। उसके पीछे बाकि के आदमी गन लिए, उसे फ़ॉलो करने लगे। कुछ घर के बाहर रुक गए। वो विष का बंगलो था।
बंगलो अंदर से काफ़ी बड़ा था। बड़े से हॉल मे एक आलीशान कुर्सी थी। विष उस कुर्सी पे जा बैठा। यक़ीनन वो कुर्सी सिर्फ उसके लिये थी। वो कुर्सि पे अपना सर निचे झुकाये बैठ गया। उसके हाथ लाल रंग से भरे थे। पुरे हॉल मे सन्नाटा छाया था। वो सन्नाटा उसकी ताकद बयां कर रहा था।
तभी वहां पर दो लड़किया आयी। हाथ मे पानी का कटोरा लिए। वो दोनों विष के सामने बैठ गयी। एकने कटोरा पकड़ा, दूसरी विष के हाथ को पानी से साफ करने लगी। उसके हाथों पे लगा हुआ खून, धीरे धीरे उस कटोरे मे घुलने लगा। बाद मे उसके हाथ को एक कपडे से पोंछके, वो दोनों लड़किया चली गयी।
हॉल के सन्नाटे मे किसी के पैरों की आवाज गूंजने लगी।
टप... टप... टप... वो थी रीना। विष की खास। गर्लफ्रेंड। खूबसूरत और ख़तरनाक। जीन्स, टीशर्ट और ऊपर लेदर जैकेट पहने थी। वो विष के सामने आके खड़ी हुयी।
उसने एक हसीं के साथ पूछा, "आज किसकी बारी थी?"
विष हसने लगा। हसते वक्त उसके दो गोल्डन दांत चमक रहे थे। पुरे हाल मे उसकी हसीं गूंज रही थी। उसने जवाब दिया, "वाईपर गैंग।...पिछले हफ्ते मुझपे हमला किया था ना। ये सब उसकेलिये। "
"क्या बात है ! आखिरकार तुमने उस गैंग का नामोनिशान मिटा ही दिया। ", अपनी गन टेबल पे रखते हुए रीना बोली।
विष ने रीना को देखते हुए कहा, "आज सुबह से तुम दिखाई नहीं दी। कॉल का जवाब तक नहीं दिया। "
"शायद फ़ोन साइलेंट मे होगा। अच्छा ये बताओ, आज का क्या प्लॅन है। ", बुलेट मॅग्ज़िन मे भरते हुए रीना बोली।
"प्लॅन! लाइफ मे कभी प्लॅन करके कुछ नहीं करने का। प्लॅन बनते ही फ़ैल होने केलिए है। ", एक हसीं के साथ विष ने कहा।
"चलो, अब तुम्हारा दुश्मन भी नहीं रहा। तो अब किस बात का टेंशन? ", मॅग्ज़िन गन मे लोड करते हुए वो बोली।
"दुश्मन घास की तरह होते है। कितना भी काटो, उग ही जाते है।"
"अगर तुम उनकी ओर ध्यान ही नहीं दोगे तो, प्रॉब्लम ही नहीं होगी। ", गन जैकेट मे रखते हुए रीना बोली।
"ओह्ह बेबी, तुम कितनी भोली हो", रीना के पास जाते हुए विष बोलने लगा, "एक बात बताओ। इस शहर मे सबसे पावरफूल गैंग कोनसी है?... मेरी। पुरे शहर मे किसका राज चलता है?... मेरा। टॉप पे कौन है?... मै। अब एक बात बताओ।"
सिगार मुँह मे रखते हुए विष आगे बोलने लगा, "अगर ये आलतू-फालतू लोग हमसे ऊँचा उड़ने लगे, तो हमारी पावर, रुतबा किस काम का? और सबसे अहम बात। मुझे टॉप पे रहना पसंद है।"
विष वहां के आईने मे अपना चेहरा टटोलने लगा। पर उसकी ये बात शायद रीना को हजम नहीं हुयी।
"विष, ज्यादा घास काटने से, वो और ज्यादा बढ़ती है। और ज्यादा घास बढ़ने से, उसमे ही फसने का डर भी लगा रहता है।",रीना बोली।
'हम्म", विष अपना टटोलने मे व्यस्त था।
"कहीं ऐसा ना हो जाये की, उन्हें साफ करते करते, तुम खुद ही ना साफ हो जाओ।", रीना बोली।
विष ने आईने मे देखना रोक दिया। शायद ये बात उसे चुभ गयी।
ईगो... बहुत बुरी चीज रहती है। अपना पराया कुछ नहीं देखती।
पीछे मुड़के विष ने रीना के गले को पकड़ लिया। सांस लेने केलिए रीना झटपटाने लगी। पर विष उसे आसानी से छोड़नेवालों मे से नहीं था। क्योंकि बात उसके ईगो पे आ चुकी थी।
विष गुस्से से बोलने लगा, "क्या मै इतना कमजोर हूँ? तुम ये सोच भी कैसे सकती हो की, मेरे दुश्मन मुझे मारेंगे। बेबी, ऐसी बात करके तुमने मेरा दिल दुखाया है। इस बार तुम्हे छोड़ रहा हूँ। अगली बार ये मौका नहीं दूंगा। got it? "
रीना ने झटपटाते हुए मुश्किल से अपनी गर्दन हाँ मे हिलायी।
"Good", कहके विष ने फेंक दिया। रीना निचे गिर गयी। उसकी साँसे तेज चल रही थी। सांस लेते लेते वो खांस रही थी।
विष वहासे निकल गया। रीना जमीन पर थी। उसका हाथ उसके गले को सहला रहा था।
अपमान... अच्छी चीज नहीं होती।
रीना के मुँह से कुछ शब्द निकले, "99th"
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