Chapter - 18
अगले दिन...
ताई सभी को अध्ययन कक्ष में पढ़ा रहा था शिद्दत बाहर अपनी पुस्तक लिए बैठी थी वो सोच रही थी कि वो क्या लिखे वो बाहर की चहल - पहल देख रही थी तभी उसके मन में अपने की बात याद आयी उसने उसे लिखना शुरू किया वो लिखने लगी लेकिन अचानक से लिखते - लिखते उसके चेहरे भाव बदल गए l
ऐसा लग रहा था कि वो शिद्दत नहीं बल्कि कोई और है उसके अंदर इस वक़्त किसी के लिए प्रेम था जो आंसुओ की धारा बनकर बह रही थी उसका ध्यान इस वक़्त एकाग्र हो गया था उसे खुद भी नहीं पता था तभी पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा और शिद्दत अपने होश में आती है और सब कुछ भूल जाती है l
वो पीछे मुड़कर देखती है तो दीया थी दीया उसे देख बोलती है - अरे शिद्दत तू रो क्यों रही है किसी ने कुछ कहा शिद्दत अपने गाल पर हाथ रखती है और कहती है - नहीं लेकिन मैं ये पुस्तक लिख रही थी तो अपने आप ही आंसू बहने लगे l
ऐसा क्या लिख दिया तूने, दीया ने वो पुस्तक अपने हाथ में ली और उसे पढ़ने लगी और शिद्दत से कहा - ये कहानी किसकी है तूने लिखी l
शिद्दत - हाँ पता नहीं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है l
उसने अपने सर पर हाथ रख कर कहा दीया ने कहा - लेकिन ये कहानी बड़ी अच्छी बहुत दुख भरी कहानी ये अगले जन्म की कहानी है ऐसा लग रहा है ये तू ही है लगता है तुम्हारा दोबारा जन्म हुआ है l
शिद्दत ये सुन सोचने लगती है और उससे कहती है - कुछ भी मत बोलो दो मेरी कहानी l
वो अपनी पुस्तक ले लेती है और वहाँ से चली जाती है l
शाम को सभी अध्ययन कक्ष में मिलते हैं सभी अपनी जगह बैठ जाते हैं युन क्यूँग आगे बैठी थी फिर उससे थोड़ी दूर सिमी उसके थोड़ी दूर शिद्दत, शिद्दत के पीछे ओंग युन क्यूँग के पीछे जियांग और उन सभी के सामने ताई बैठा था
उसने सभी की पुस्तकें मांगी सभी ने कुछ अलग - अलग कहानियाँ लिखे हुए थे ताई ने सभी की पुस्तकें एक - एक कर देखने लगा किसी ने पुराने लोगों के बारे में लिखा था किसी ने नए विचारों को किसी ने प्रेम कहानी लिखी थी फिर बारी शिद्दत की थी उसने ऊपर के जब अक्षर पढ़े वो हैरान रह गया क्योंकि उस पर लिखा था - जब बारिश होगी तब हमें प्यार होगा l
अर्थ - जब बारिश होगी तब मैं अपने प्यार का इजहार करूंगी और तुम मेरे प्यार को स्वीकार करोगे l
उसने इतना ही पढ़ा और पुस्तक बंद कर दिया उसने शिद्दत की तरफ देखा और कहा - क्या ये तुमने लिखा है l
शिद्दत - हाँ ये मैंने लिखा है आपको कोई शक है l
ताई ने पुस्तक देखते हुए कहा - नहीं l
उसने पुस्तक बिना पढ़े साइड में रख दिया और कहा - यहां पर सबसे श्रेष्ठ है युन क्यूँग उसने बहुत अच्छी कहानी लिखी है और इसलिए वो श्रेष्ठ है l
शिद्दत हैरानी से उसे देखती रही कि ताई ने उसकी कहानी पढ़े बिना ही श्रेष्ठ घोषित कर दिया उसने फिर भी आराम से कहा - लेकिन आपने तो मेरी कहानी पढ़ी ही नहीं l
ताई - तुम्हारी कहानी अच्छी है लेकिन अब मैंने बता दिया अपना फैसला l
शिद्दत नीचे इधर उधर देखने लगी उसके अंदर जैसे आग उबल रहा था उसकी जलन इतनी बढ़ गई थी कि उसके सोचने की शक्ति खत्म होती जा रही थी उसका गला गरम हो चुका था उसे खांसी आने लगी ओंग भागकर उसके लिए पानी लेकर आया शिद्दत पानी पीने लगी तो उसके गले से पानी साँप की तरह उतर रहा था l
शिद्दत ने गिलास दूसरी तरफ रखा ओंग ने जैसे ही उसे छुआ तो उसने अपना हाथ पीछे कर लिया और कहा - तुम्हारा बदन तो आग की तरह जल रहा है l
सभी उसकी तरफ देखने लगे ताई उसके पास आया और उसने कहा - क्या तुम ठीक हो l
शिद्दत बिना उसकी ओर देखे रूखे स्वर में कहा - हाँ मैं ठीक हूँ आप मेरी चिंता न करें l
ताई के बदन पर भी थोड़ा गरम महसूस होने लगा उसने खुद से कहा - मेरा भी बदन गरम लग रहा है l
शिद्दत ने कहा - क्या मैं बाहर जा सकती हूँ क्योंकि अगर मैं यहां रही तो सब कुछ जल जाएगा l
युन क्यूँग ने उससे मज़ाक में कहा - क्यों तुम आग हो क्या l
शिद्दत ने उसकी तरफ गुस्से से घूर कर देखा जिससे युन के अंदर जाकर एक डर समा गया वो डर गयी ताई उसके सामने बैठा और धीरे से उसे उसके कंधे पर हाथ रखा l
शिद्दत ने उसकी तरफ देखा और उसका सारा गुस्सा चला गया उसके गर्दन के पीछे से से एक काली ऊर्जा निकलती है जिसे ताई देख लेता है वो कुछ - कुछ चीजें समझ रहा था उसने शिद्दत से पूछा - क्या तुम ठीक हो ?
हाँ मैं तो ठीक हूँ मुझे क्या हुआ है, शिद्दत ने नाॅर्मली कहा l
उसे महसूस हुआ कि उसका शरीर दर्द कर रहा है ताई ने पूछा - क्या तुम्हारा शरीर दर्द कर रहा है l
शिद्दत उसे हैरानी से देखती है कि आखिर उसे कैसे पता चला शिद्दत ने कहा - नहीं ऐसी कोई बात नहीं है हाँ मेरे गर्दन के पीछे... l
कहते कहते शिद्दत रुक जाती है वो देखती है सभी उसे ही देख रहे थे उसने कहा - क्या... देख रहे हो मैं तो कह रही थी मेरे बाल मुझे तंग करते हैं क्या मैं जाऊँ l
ताई कहता है - हाँ तुम जा सकती हो l
सभी चले जाते हैं ताई सोच में था l
रात को जब सभी अपने - अपने कमरे में सो रहे थे बाहर बादल गरज़ते हुए बारिश हो रही थी शिद्दत अपने कमरे में बैठी थी तभी उसे एक गहरी आवाज आयी - शिद्दत... शिद्दत... शिद्दत... l
शिद्दत उस आवाज को सुन बाहर आती है वो धीरे धीरे आगे जा रही थी उसने देखा पुस्तकालय का दरवाजा खुला और वहाँ से मोमबत्ती की रौशनी आ रही थी शिद्दत को अभी भी वो आवाजें सुनाई दे रही थी - शिद्दत... शिद्दत...
वो उस दरवाजे के पास आती है और एक परछाई को देखकर हैरान रह जाती है और डर की वज़ह से चिल्लाने वाली थी तभी उसे किसी ने अंदर खींचकर उसके मुँह पर अपना हाथ रख उसे दीवार से सटा देता है l
और दरवाजा बंद कर देता है शिद्दत डर के कारण अपनी आँखे बंद किए थी जब वो अपनी आँखे खोलती है तो देखती है उसके सामने ताई खड़ा है जो उसके मुँह पर हाथ रखा है और उसको ही देख रहा था l
शिद्दत भी उसकी आँखों में खो जाती है खिड़की से ठंडी - ठंडी हवा उनके चेहरे पर आ रही थी जिससे शिद्दत के बाल उसके गाल पर आ रहे थे तभी शिद्दत को ताई की आँखों में कुछ चित्र सा दिखा उसने ध्यान से देखा तो कोई लड़के लड़की की journey दिख रही थी l
बारिश में लकड़ी उस लड़के को अपने प्यार का इजहार कर रही थी वो दोनों गले मिल रहे थे, वो मोरों के साथ खुली प्रकृति में नाच रहे थे, लड़के की गोद में लकड़ी सर रख कर सोई हुई थी, और फिर अचानक से सब कुछ गायब होने लगा l
शिद्दत को वो देख आंसू छलक आये ताई ने अपनी नज़रें उससे हटा ली और खिड़की के पास आकर खड़ा हो गया शिद्दत बोली - वो अभी मैंने कुछ... कुछ देखा l
शिद्दत उसके पास आयी और उससे कहा - मैंने... मैंने आपकी आँखों में कुछ... देखा वो दोनों लोग... कौन थे l
उसने साँसे भरते हुए कहा l
ताई ने कहा - वो मेरा अतीत था l
शिद्दत ने हैरानी से उसे देखते हुए पूछा - अतीत... l
ताई ने कहा - हाँ l
शिद्दत सोचते हुए बोली - जो भी था बहुत सुन्दर अतीत था
ताई को उसकी बात सुनकर बहुत खुशी हुई उसने उससे पूछा - वैसे तुम यहाँ क्या कर रही हो इतनी रात को l
शिद्दत को याद आया कि वो किस लिए आयी थी वहाँ उसने कहा - हाँ वो मुझे कोई बुला रहा था मैं देखने आयी कौन बुला रहा है l
ताई - इतनी रात को कौन बुला रहा था वो कैसे बुला रहा था कोई तेज आवाज थी l
शिद्दत - नहीं जैसे वो कोई साया हो ऐसा बुला रहा था l
ताई सोचने लगा शिद्दत ने कहा - क्या सोच रहे हैं क्या वो कोई भूत था l
शिद्दत ने मासूम सी शक्ल बनाकर पूछा तो ताई हँसते हुए कहता है - तुम पागल हो भूत नहीं होता है और होता भी है तो वो तुम्हें क्यों बुलाएगा और अगर तुम्हें डर लग रहा है l
शिद्दत ने कहा - नहीं मुझे डर नहीं लगता क्योंकि मैं एक राजकुमारी हूँ और राजकुमारियाँ कभी किसी से नहीं डरती मैं जा रही हूँ l
शिद्दत जाने के लिए जैसे ही एक कदम बढ़ाती है जोर की बिजली कड़कती है और वही आवाज फिर से आती है - शिद्दत... शिद्दत...
उसकी आवाज़ सुनकर तो शिद्दत की धड़कनें तेज हो जाती हैं वो अपने कदम पीछे कर लेती है l
ताई उसे देख कहता है - क्या हुआ ?
शिद्दत - उसने फिर से आवाज दी l
ताई दरवाजा खोलकर देखने जा रहा था लेकिन शिद्दत उसका हाथ पकड़ कर रोक है और दरवाजा बंद कर देती है और उससे कहती है - नहीं नहीं अगर आप बाहर गए आपको कुछ हो गया तो नहीं आप नहीं जाओगे बाहर l
ताई ने कहा - देखने तो दो कौन है बाहर l
शिद्दत ने थोड़ा रूखे स्वर में कहा - नहीं मैंने कहा न नहीं आप नहीं जायेंगे l
ताई को उसके बाल के पास काला धुंआ नजर आ रहा था शिद्दत अब कमजोर महसूस कर रही थी तो वो बैठ जाती है ताई भी उसके सामने बैठ जाता है l
उस पर वो काला साया हावी हो रहा था उसे देख ताई ने उसे गले लगा लिया उसे अचानक से गले लगाता देख शिद्दत हैरान रह गयी और उसकी धड़कनें भी तेज हो गयीं ताई ने उसके बाल की एक लट पकड़ी और मंत्र बोलकर बाँध दिया l
और कहा - हो गया l
शिद्दत - क्या हो गया l
ताई - कुछ नहीं l
शिद्दत ने कहा - मुझे नींद आ रही है l
शिद्दत उसके सीने पर सर रख कर आँखे बंद कर लेती है ताई जो दीवार के पास बैठा था और शिद्दत को अपने पास पाकर वो मुस्कराता है शिद्दत उसका हाथ पकड़ बिना किसी होश के कहती है - क्या एक बात पूछूं l
ताई भी उसे पकड़ अपनी आँखे बंद कर सर दीवार से लगाए बैठा था और कहता है - हाँ पूछो ?
शिद्दत - क्या एक छात्र और गुरु मे प्यार हो सकता है l
ताई ने कहा - हाँ उसकी कोई जात नहीं होती l
शिद्दत - यही मेरी सहेलियाँ भी कहती हैं और मुझे बहुत छेड़ती हैं कि मैं आपसे प्यार करूँ l
ताई के कानों में ये बात गूंजती हुई निकल जाती है वो अपनी आँखे खोलता है और उससे कहा - तुमने अभी क्या कहा l
शिद्दत - यही की मैं आपसे प्यार करूँ लेकिन उन्हें क्या पता मैं आपसे प्यार नहीं कर सकती क्योंकि मैं आपकी छात्रा हूँ और आप मेरे गुरु लेकिन फिर भी मैं किसी और से प्यार कर...
वो आगे कुछ बोल पाती उससे पहले ही सो चुकी थी l
ताई का ये सुनकर दिल टूट गया था उसने सोचा कि उसके इंतजार का क्या होगा उसने कहा - भले ही तुम मुझसे प्यार न करो लेकिन मैं फिर भी तुम्हारा इंतजार करूंगा l
ताई उसे रात भर निहारता रहा l
Continue...