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प्रेम के सात चरण

Chapter - 12

शिद्दत ताई को जाते हुए देख रही थी ताई के जाने के बाद उसकी सहेलियाँ उसके पास आती हैं उसमें से एक कहती है - अरे अनाया तुम तो सीधा गुरु जी गले ही लग गयी आज तक कोई उनके आसपास एक लड़की भी नहीं गयी और तुम तो सीधा उनके दिल में उतर गयी l

दूसरी बोली - मानना पड़ेगा तुम्हें आखिर कैसे किया तुमनें वो तो किसी और का इंतजार कर रहे हैं लगता है तुम्हें देखकर उन्होंने अपना इरादा बदल दिया है चलो कोई बात नहीं कम से कम गुरु जी को अब इतनी पीड़ा सहन तो नहीं न करनी पड़ेगी l

तभी एक और लड़की बोली - हाँ जैसे तुम्हें देखकर मुस्करा रहे थे जैसे तुम्हारे ही दीवाने हों क्यों न तुम्हीं बन जाओ उनकी जीवनसाथी उनकी बरसों की तपस्या भी खत्म और तुम्हारी जैसी सुन्दर जीवनसाथी भी मिल जाएगी l

शिद्दत ने गुस्से में उनसे कहा - क्या बकवास कर रही हो तुम सब तुम्हें पता भी है तुम सब क्या बोल रही हो वो किसी का इंतज़ार कर रहे हैं और तुम उनके बरसों की तपस्या का अपमान कर रही हो क्या तुम्हें बिल्कुल भी शर्म नहीं आती अपने गुरु के बारे में ऐसे बोलते हुए छीः... l

शिद्दत ये कहकर वहाँ से जाने लगती है तभी उनमे से एक लड़की बोलती है - तो फिर क्यों उनकी चिंता में दौड़ी चली गई क्यों उनका दर्द तुमसे देखा नहीं गया क्यों उनकी चोट खुद पर ली बताओ l

शिद्दत ने हिचकिचाते हुए कहा - नहीं.. ऐसी बात.. नहीं है.. तो फिर क्यों गयी उनके पास दौड़कर खुद के पैर में चोट लगी है फिर भी उसको भी भूल गयी तुम और बिना उसकी परवाह किए चल दी क्यों करती हो उनकी चिंता, उस लड़की ने कहा l

दीया, देखो तुम्हारे पैर से कितना खून निकल रहा है चलो अंदर पहले कपड़े बदलो फिर पैर में मैं पट्टी कर देती हूँ l

शिद्दत उसके साथ चली गई वो अपने कमरे में आयी और कपड़े बदलकर बिस्तर पर बैठ गयी दीया ने उसके पैर में पट्टी बांधी शिद्दत ने कहा - दीया क्या तुमने कभी किसी की परवाह की है l

दीया ने उसकी तरफ देखकर कहा - हाँ अभी तुम्हारी ही चिंता कर रही हूँ देखो l

शिद्दत ने चिढ़ते हुए कहा - अरे नहीं ऐसे नहीं मतलब जैसे अगर तुम्हें चोट लगी है फिर भी तुम उसकी परवाह किए बिना ही किसी और के लिए अपने दर्द भूल जाओ ऐसे कभी किसी के पास दौड़कर गयी हो l

दीया - क्या बकवास कर रही हो मैं कभी नहीं गयी और न ही जाऊँगी l

शिद्दत ने परेशान होते हुए कहा - तो फिर मैं क्यों गयी थी ?

दीया ने कहा - हाँ ये बात सोचने वाली है मम्म... कहीं तुम्हें राजकुमार ताई से प्यार तो नहीं न हो गया l

शिद्दत खड़ी हो जाती है - क्या बकवास कर रही हो आ...

वो दर्द से वापस बैठ जाती है और दीया को देखकर कहती है - क्या बकवास कर रही हो तुम्हारा दिमाग तो ठीक है न l

माफ़ करना लेकिन मुझे जो सही लगा मैंने वही कहा और इसमे इतना गुस्सा करने की क्या बात है, दीया ने कहा l

अच्छा ठीक है वो सब छोड़ो मैं आराम करने जा रही हूँ, शिद्दत ने कहा और बिस्तर पर लेट गयी l

अगली शाम को शिद्दत जल्दी - जल्दी पुस्तकालय की तरफ भागती है वो दरवाजे पर दस्तक देती है और कहती है - क्या मैं अंदर आऊँ l

ताई, सिमी, जियांग बैठे थे उन्होंने उसको देखा फिर ताई ने नीचे देखा तो शिद्दत अंदर थी तो उसने कहा - अंदर तो आ गयी हो पूछ क्यों रही हो l

शिद्दत ने मुस्कुराते हुए कहा - ओह माफ़ करना l

वो अंदर आती है ताई कहता है - बैठो l

शिद्दत उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ जाती है l

ताई - मुझे लगा तुम नहीं आओगी l

शिद्दत ने उसे देखते हुए पूछा - क्यों नहीं आऊंगी मुझे क्या हुआ है और मैं आपके कहने पर क्यों रूकूँ l

ताई - मेरा मतलब था कि तुम आराम कर रही होगी इसलिये l

शिद्दत ने कहा - मैं एक राजकुमारी हूँ और राजकुमारीयाँ बिना अपना काम पूरा किये आराम नहीं करती और वैसे भी मुझे इतनी चोट नहीं लगी है कि मैं आराम करूँ l

ताई - हम्म... चलो शुरू करते हैं तो हम आज दूसरा अध्याय शुरू करेंगे l

सिमी ने कहा - मुझे एक बात पूछना है l

ताई ने कहा - हाँ पूछो l

सिमी ने कहा - जब हम किसी से प्यार करते हैं तो कैसे समझ पायेंगे मुझे यही जानना है l

ताई के साथ-साथ शिद्दत और जियांग भी उसे ही देख रहे थे ताई ने कहा - क्यों तुम्हें किसी से प्यार है l

सिमी ने कहा - नहीं है तो नहीं लेकिन अगर पता चल जाएगा तो क्या पता हो ही जाए l

ताई ने कहा - जब हम किसी की परवाह करते हैं उसका इंतजार करते हैं उसी के बारे में सोचते हैं तो शायद हम उससे प्यार करते हैं l

सिमी ने कहा - थोड़ा और अच्छे से समझाओ ताकि मुझे मेरा लक्ष्य सही लगे हाँ यही है l

ताई ने कहा - मतलब जैसे इसके सात चरण होते हैं l

सिमी ने अपने पैरों को देखते हुए कहा - लेकिन मेरे तो दो ही चरण है l

ताई ने कहा - पागल मेरा कहने का मतलब है कि इसके सात पड़ाव होते हैं l

1 - आकर्षण, जो कि तुम्हें हर किसी की तरफ आकर्षित करेगा लेकिन तुम्हारा मन बस एक पर ही जाकर रुकेगा l

2 - स्नेह, स्नेह जो दूसरों की परवाह करवाये और उसकी सबसे ज्यादा जिससे तुम प्यार करते हो l

3 - प्यार, जिससे तुम प्यार करते हो l

4 - भरोसा, तुम्हें उसके भरोसे को जीतना होगा और खुद भी उस पर भरोसा करना होगा l

5 - उपासना, जो हमें भगवान और अच्छे लोगों से जोड़े उसकी इज़्ज़त करो उसे खुद के बराबर या खुद से ऊपर रखो प्यार का पांचवा पड़ाव यही है l

6 - जुनून, जो उसके प्यार में पागल यानी वैरागी बना देता है अगर तुमने इन सभी को पार कर लिया तो तुम अपने प्यार को पाने में सफल रहोगे l

शिद्दत ने ताई को देखते हुए कहा - लेकिन आपने सातवाँ तो बताया ही नहीं सातवां कौन सा पड़ाव है l

ताई - उसे जानना जरूरी नहीं है वो खतरनाक है उसके लिए मैं कभी इजाज़त नहीं दूँगा l

सिमी ने कहा - अरे गुरु जी अगर आप ने सातवाँ पड़ाव नहीं बताया तो मैं अपने प्यार को कैसे पाउंगा l

ताई ने कहा - मुझे माफ़ करना वो खतरनाक है अब तुम सब यहां पर ध्यान दो l

ताई ने किताब की तरफ इशारा करके कहा तो शिद्दत उसे देखते हुए खुद से बोली - राजकुमार गुरु जी मैं सातवाँ पड़ाव तो पता लगा के ही रहूँगी आप देख लेना l

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