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सालो बाद

लम्बे चौङे लान को बङी खूबसूरती से सजाया गया था। पौधों में भी बिजली के नन्हें नन्हें बल्ब जगमगा रहे थे। चारों तरफ़ रगं नूर का समा था। हर चेहरा शादाब था।

मगर हसन खुद को इस माहौल में एडजस्ट नहीं कर पाए रहे थे। इस तरहा की रंगीन महफ़िलों से वह काफ़ी अर्से से दूर थे। दुनिया की हर खुशी उन्होंने अपने उपर हराम कर ली थी। इसी लिये यह माहौल उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था। वह खुद को सब से अलग - थलग महसूस कर रहे थे।

नवेद इन्हें यहां बिठा कर जाने किधर चला गया था। उनका दिल घबराने लगा। वह परेशान से इधर-उधर देखे जा रहे थे। तबही उनकी नज़र सामने उठ गई।

निशी के पापा जीया अहमद और उनकी खूबसूरत बीवी लोगो से शादी की मुबारकबाद लेते फिर रहे थे। नीले रंग की कामदानी साङी मे बेगम जिया बहोत खूबसूरत लग रही थी। स्टाइलिश कटे हुए बाल और चान्द से रोशन चेहरे पर चमकती रोशन आंखे हर एक को अपनी तरफ खीन्च रही थी। दो जवान बच्चों की मां होने के बाद भी वह काफी पुरकशीश और तरो-ताजा लग रही थी।

" जरीना!" हसन को हैरत का एक बङा झटका लगा। उन्हें अपनी आंखों पर यकीन नही आया। वह एक दम खरे हो गए। हां ,वह जरीना ही थी बीते हुए वक्त ने उस पर कोई खास असर नहीं डाला था। वह पहले की तरह शादाब और दिलकश थी, जिन्दगी से भरपूर। वह कुछ आगे बढ आऐ।

ये कहानी मैने एक बुक मे पढीं थी और मुझे ये बहोत अच्छी लगी और मैं ये कहानी आपके साथ शेयर करना चाहती हूं। ये 90जः की कहानी है। कमेन्ट मे आपको ये कहानी कैसी लगी जरूर बताए और मुझे आपका प्यार और सपोर्ट दें।

थैंक्यू