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एक अधूरी कहानी ओम और कालरात्रि

💓देवलोक में जन्मा ओम नमोदेवी का पुत्र🧝 था और काललोक में जन्मी कालरात्रि👸 काललोक के राजा कालदक्छ और कालयात्री की पुत्री थी कालरात्रि👸 बचपन से अतिसुंदऔर मनमोहक थी पर ओम🧝 बचपन से ही बड़ा नटखट और शरारती था कालरात्रि के जन्म के साथ नीलकमल 💐का जन्म हुआ था ओम 🧝और कालरात्रि 👸के पुनः मिलने 🤝का कारण बना है तो बचपन से ही कालरात्रि नीलकमल को देखती थी और ओम 🧝के इंतजार में सरोवर के पास बैठी रहती थी तब एक दिन ओम अपनी मैया🌺 के मुख से नीलकमल💐 के चर्चा सुना और उसी🧝 दिन नीलकमल लेने काललोक आया जहां नीलकमल💐 काललोक के सरोवर में खिला था जो अत्यधिक सुंदर और मनमोहक था उसके इर्द-गिर्द जुगनू 💗अपना रंग-बिरंगे की रोशनी फैला रहा था जिससे नीलकमल और भी सुंदर दिख रहा था 💓तब ओम ने सरोवर में जाकर दो-तीन नीलकमल तोड़ लेता है तब सरोवर👸 के उस पार से कालरात्रि कहती हैं रुको इस पुष्प 💐को मत तोड़ो यह जल में खिले अतिसुंदर लगते हैं इसे तोड़कर 💐पीड़ा मत दो तो💓 ओम को कालरात्रि की बाते सुनाई नहीं देता ओम को लगता है 💓कि सैयद ये कन्या👸 इस वन में खो गई हो और मुझे🧝 सहायता के लिए पुकार रही हैं तब ओम ने अपनी दिव्य शक्तियों से सरोवर के उस पार जाने के लिए सरोवर के बीचों बीच एक अद्भुत☀️ बांध बनाता है ये देखकर कालरात्रि👸 वहां से भाग जाती है तब ओम उसका पीछा करके कहता है रुको मैं🧝 तुम्हारे मित्र जैसा हूं यदि तुम्हें सहायता चाहिए तो मुझे कह सकते हु तब कालरात्रि एक बड़ा सा वृक्ष🌳 के पीछे छुप जाती है और 👸ओम से कहती हैं यदि तुम्हें अपने जीवन से प्रेम है तो अतिशीघ्र यहां से लौट जा अन्यथा उचित नहीं होगा 💓तो ओम 🧝कालरात्रि की बातें सुनकर हंसने लगता है उचित मेरे लिए अभी भी नहीं 💓मैं यहां अपनी मैया से छिपकर आया यदि उन्हें 🌺पता चला तो मुझे कोई नहीं बचा सकता 💓पर तुम 👸कौन हो क्या तुम यहां🌳 खो गई हो तो कालरात्रि 👸बोलती है नहीं यह 🌳मेरा घर है और मैं यही कि वासी हूं पर तुम🧝 कौन हो तब ओम कहता है मैं एक देवासी नमो देवी का पुत्र ओमेश्वर हूं यहां पर अपनी माता 🌺की इच्छा पूरा करने के लिए नीलकमल लेने आया हूं hai waha se vivah kar rahe hai to ek bar kalratri ka prem hai ki nahi deta