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The unknown universe A6

अभी अखंड और महा का झगड़ा दानव के साथ शांत भी नही हुआ था की पिशाच बीच मे आ गया और महा को कुछ कहने लगा जिसके बातों को सुन महा, दानव को कहने लगी ओ तो तुम ही हो जो माया की प्रोफेसर डॉ सीमा स्वामीनाथन जो की उसे उन चीजों में रूचि रखने कह रही है जो उसके लिए कष्ट कारी हो तुम समय से पूर्व ही उसकी तरफ क्यू जा रहे हो तुम्हे पता है ना कि अगर उसे समय से पूर्व अनुभव किया कुछ तो उसके लिए इस समय सीमा से बाहर निकल पाना असंभव है। सुनो दानव, तुम इस बार कोई अधर्म के मार्ग का चयन मत करो जिसका परिणाम फिर से पीरा दे माया को या फिर तुम्हें तुम्हें इससे कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। ।।

दानव =कुछ और किसी और सुख या वस्तु को प्राप्त करने की लालसा ले ये वरदान नही मांगा मैने सिर्फ और सिर्फ माया को प्राप्त करने के लिए ही मैने ये किया है।इतना सब किया है।

अखंड= अच्छा फिर तो इसमें हित किसका हैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा । माया का तो अहित ही हैं तुम्हारे जैसे दुष्ट और मतलबी दानव के साथ से कोन सा सुख प्राप्त होगा।

दानव ,=क्या प्राप्त होगा उसे ये पूरा निर्माण मैने उसी के लिए किया हैं। प्रत्येक वस्तु का प्राकृतिक या अप्राकृतिक सभी वस्तुओं को संतुलित रूप से सज्ज किया है मैंने। और तुम बोलते हो मैने कुछ नही किया। लगता है वृद्ध हो चले हो तुम दोनों इतने बरसों से जीवित रहते रहते थके नहीं चले आए इस धरती पे भी अपना ज्ञान देने । ओय छोटे पिशाच यहां आ बता जरा मैने कुछ गलत कहा क्या।

और पिशाच ने आके दानव पे आग उगल दिया जिससे वो आश्चर्य जनक तरीके से जलने लगा और थोड़ी ही देर मे राख हो गया।

ये देख कर महा और अखंड परेशान हो सोचने लगे ये तो दानव राज वैदिक है ही नही मतलब वो कही और है और उसने हमे मूर्ख बनाया और ये सारे राक्षस है जो मरे हैं वो भी नकली है क्यू की यह कोई लाश है ही नहीं सब धुआं हो गया हैं।

अखंड चलो यह से जल्दी कुछ न कुछ तो किया है इस दानव जो हम समझ ही नही पाए अरे

तभी महा देखती है की अखंड एक ही जगह पर खरा जम गया हैं। और ढेर सारे छोटे छोटे इंसान उनके ऊपर चढ़े जा रहे है,जो की सिर्फ चार, पांच इंच के ही हैं और ढेर सारे सरे गले कीरे भी साथ मे चढ़ रहे हैं ऐसा लग रहा इंसानों और कीरो मे सिर्फ शरीर की बनावट का फर्क हैं। दोनों ही इक शरीर को अपना भोजन बनाने की लिए आतुर हैं । उन्हें इस ज्ञान की आवश्यक नहीं की कोन क्या है बस अपनी क्षुधा की तृप्ति चाहिए ।( इन इंसानों ने आधे जले कपड़े पहने हुए है। कुछ ने तो पहनें भी नही है ।इनके शरीर सिर्फ हडियो़ं का ढांचा था वो भी कही जला तो कही से टूटा हुआ उनके सारे बच्चों की हालत तो और भी बुरी थी वो छोटी उम्र के ही वृद्ध लग रहे थे।जो सिर्फ 12से 15 साल के हैं )

और तभी महा भी अखंड की तरह एक ही स्थान पर स्थिर हो गई और उसके ऊपर भी किरो की बारिश होने लगी जिसके बाद दोनो चिल्लाने लगे जोर जोर से चिल्लाने लगे दानव ,दानव मुक्त करो हमे यह से। और ऐसा कई घंटो तक चलता रहा कभी कोई छोटा इंसान उनके कान को अपनी छोटी तलबार से काट खा रहा था तो कभी कई छोटे इंसान मिल कर उनके बालों को खीच रहा था ।जगह जगह से कीरे रेंगते हुए उनके शरीर के अंगो को खा रहे थे ।और वो दोनों सिर्फ दानव को चीख चीख कर पुकार रहें थे और अपनी पुरी शक्ति का उपयोग कर रहे थे परन्तु कोई लाभ नहीं मिल पा रहा था और वो दोनों धीरे धीरे उन नरभक्षी के चंगुंल मे फसे जा रहे थे । वो नरभक्षी उन दोनों के शरीर का एक एक अंग खा रहे थे कुछ तो उनकी आंखो के अंदर अपने हथियार से बार कर खून निकाल रहे थे और उसे अपनी जीभ से चाट रहे थे कोई बड़े हो घिनौनी तरीके से मांस निकाल खा रहा था उन्हिका उन्दोनो के ही शरीर पे और कोई us मांस और खून को जमा कर रहा था किसी चमकीले थैले मे और जब कीरे उनकी तरफ बड़ रहें थे तो वो उन्हें भी मार और खा रहे थे । जिन जिन स्थानों पे कीड़े अंदर गए थे उन्हीं स्थानों से वो भी अंदर जा उन दोनों के आंतरिक अंगों का मांस खा रहे थे। साथ साथ वो एक दूसरे से भी लड़ रहे थे और उनमें से को कोई भी गिर या मर जाता वो तुरंत उसे भी काटना और खाना शुरू कर दिया था। थोड़ी सी देर मे ही उनके शरीर के कई छोटे टुकड़े हो चुके थे और वो छोटे इंसान जगह जगह झुंड बना उनके मांस खा आनंद ले रहे थे राक्षसों की तरह उनलोगो ने महा और अखंड के शरीर को नोच कर खा लिया चारो तरफ आग की छोटी छोटी लकड़ी जला उसपे कुछ बिशेष अंगो को पका रहे थे खाने के लिए । और अब हड्डियों को भी नही छोड़ रहे थे वो अब हड्डियों का भी बुरा हाल हो चुका था।तब तुलसी राम वहा आए और महा और अखंड को मुक्त कर उन्हें पुनः उनकी अवस्था स्वस्थ कर कहा तुम दोनों यहां कैसे फसे क्या हुआ था।तब उन्होने सारी बातें बताई तब तुलसी राम उन्हें वही छोर चले जाते है। अब ये दोनो छोटे मनुष्यों को नष्ट करने की कोशिश करते है पर अब भी इनकी शक्ति यहाँ काम नहीं कर रही थी ये देख दोनों परेशान हो जाते है।और दोबारा वो छोटे इंसान उन पर हमला करने लगते हैं । जीस से बचने महा फिर दानव को पुकार ने लगती है। जिसपे अखंड उसे टोकता है तुम दानव को क्यों बुला रही हो अपनी मंत्र शक्तियों का उपयोग क्यों नहीं कर रहीं हो।और तुम्हारा फिर भी समझ आता है परन्तु मैं स्वयं भी ईश्वर को बुलाने के बजाए दानव को पुकार रहा हु जिसके बाद दोनो अपनी मंत्र शक्तियों का प्रयोग करते हुए मुक्त हो जाते हैं। और तब महा पुछती है अखंड से हम कौन से समय मे थे और ये सब क्या था।कुछ समझ में नहीं आ रहा दानव कौन सा नया जाल बिछा रहा है।ये कोन सा खेल खेलने बाला है कैसे पता करू ।

अखंड _= क्या मतलब कैसे करोगी , तुम्हारे पास समय का ज्ञान प्राप्त है।तुम भविष्य भूत वर्तमान सभी के बारे मे कान शक्ति हों तो ये क्यू पता नही कर सकती की दानव क्या कर रहा है ।

तब महा गुस्से मे बोलती हैं नही नही बता सकती नही जान सकती मै की क्या कर रहा हैं दानव।तब अखंड पूछता है क्यूं नहीं देख सकती तुमक्या कारण है बताओं ।

महा ,,,=नहीं देख सकते क्यू की यहl की समय सीमा दानव की आधीन है वो जो चाहे जब चाहें बदल सकता है। जबतक माया यहां है और उसे आत्म ज्ञान नही प्राप्त है इस स्थान पे सब कुछ उसी के अनुसार होगा ।

अखंड = फिर हमारी इतनी मेहनत का कोई फायदा नही होगा।

तभी पिशाच वहा आता है और महा उस से गुस्से मे।पूछती हैं कहा गायब हो गए थे तुम तुम ने हमे बचाया क्यूं नहीं । पिशाच महा को आग से लिख कर बताता है वो तो यही था पर वही दोनो उसकी पूरी बात सुने बिना गायब हो गये थे। तब महा सोचने लगती हैं मतलब जब बो काल्पनिक दानव खत्म हुआ तब वो हमे। कही और ले गया था परंतु कहा । और क्या था वो सब कही हम किसी भ्रम में तो नहीं थे नही ऐसा नहीं होता मै बिल्कुल होश में थी।😣😑😑😑😵😖😣।