kya khoon....
pyaar ek ehsaas hai ya dheere dheere chdhta khumaar ,
nsha hai ya sukoon .
baarish ki boondein hain ya ,
grjte baadlon ki gdgadaahat.
तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता पूरा समां ,
उसके इंतज़ार में था , और वो खुद के है बनाए सम्राज्य का एक अनजान आशिक , दीवाना , पागल , आवारा था , जो ना कभी जीता पल को ऐसा लगता कि वो ही एक पल था ।
मदमस्त सी चाल , खुद में ही डूबा उसका तन बदन ,
लंबे बाल , सुलझे उलझे से , आवाज का कोई पता नहीं , कब गुस्सा कब बेइंतहां प्यार , कब गुमों के साए में डूबी हुई कोई गजल , कभी हसीन शायर को मदमस्त शायरी बेवफा लगती । उसकी अंदाज़ ए शेर ,
कभी वीर रस , कभी प्रेम रस , कभी अनसुलझी सी दास्तां ए ज़िन्दगी ।
कभी कफा खुदसे , कभी बेशुमार प्यार जताता वो खुद पे , समझ नहीं आता उसमे डूब जाऊं , या वो ही बन जाऊं ।
माफ़ करना , मैं प्रियंका , आप मुझे प्रियामित बुला सकते हैं ।
माफ़ करना इस नाम का मतलब नी पता होगा तो हम अभी बता देते है - प्रिय अर्थात - बहुत प्यारा , अमित अर्थात - जिसका कोई अंत न हो आदि ।
ये किताब एक दास्तां ए ज़िन्दगी है जो मेरी , उसकी , किसी और कि नहीं , हम सब की है क्योंकि ,
कहते हैं प्रकाश - इस पल में एक लम्हा है , इस लम्हे में एक ज़िन्दगी , और इस ज़िन्दगी में , मेरी जाम , मैं और तुम ।
तो चलने क्यूं करें इंतज़ार किसी और पल का जीते हैं ना जी भर इस पल को ।।।।