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जर्नी टू अनॉदर वर्ल्ड

बदनसीबी का कोई चेहरा होता, तो वो बिलकुल मेरे जैसा होता। हेलो दोस्तों, मेरा नाम सूरज पाटिल है और मै दूसरी दुनिया मे फस गया हु। जिसे हम 'पैरेलल वर्ल्ड' के नाम से जानते है। ये सब कब, कैसे हुआ, पता नही... पर इतना जरूर पता है की, मेरी अच्छी-खासी लाईफ की एक झटके मे बँड बज गयी है। हे भगवान, ये सब मेरे साथ ही होना था?

D_World · Fantasie
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chapter 04- तुम्हे कुछ नहीं पता!

मेरे पुरे लाइफ मे मुझे ऐसा सरप्राइज नहीं मिला था। कत्ल करनेवाले शख्सकी फोटोमे मै दिखाई दे रहा था। ये कैसे हो सकता है? न्यूज़ बार-बार रिपीट होने लगी। मेरे फ्यूज उड़ गए। पुरे बदन पे रोंगटे खड़े हो गए। पूरा बदन सिकुड़ गया। मेरी बहुत फट गयी। न्यूज़मे दिखनेवाली फोटोके कारण लोगोकी नजर मुझपे पड़ने लगी और भीड़मे होते हुए भी मै उस भीड़ से अलग दिखने लगा। मै समझ गया, यहाँ रुकना सही नहीं होगा। अपना हाथ मुँह पे रख के, मै वहां से भाग निकला।

मै सबसे बचके चुपके जाने लगा। ऐसी घटना के कारण मुझे सोचनेका वक्त ही नहीं मिला पर किसी एक जगह रुकना नहीं है, ये पक्का था। मुँह पे रुमाल बांधे मै यहाँ वहां भाग रहा था।...

रातके 7बज गए। पर मेरे 12बज गए थे। मै दबे पाव चल रहा था। सामने एक सुनसान गली देख, मै उसके अंदर गया। रातके पिले बल्ब उस गली को झगमगा रहे थे। मै बस चल रहा था, किसी एक जगह रुक नहीं रहा था।

दबे पाव चलते चलते मै अचानकसे रुक गया। सामने की ओर, दो पुलिस गप्पे मार रहे थे। बड़े मस्तीभरे अंदाज़मे उनके गप्पे चल रहे थे। उन्हें देख मै ठंडा पड़ गया। पुतलेजैसे खड़े मेरे पे उनकी नजर पड़ी। अब क्या? मेरे सिनेकी धड़कन बढ़ने लगी। माथेपे शराबी चाल लेके पसीनेकी बूंद फिसलने लगी। मेरी ऐसी हालत को वो दोनों एकटक देख रहे थे। उनकी मेरे उपर जडी नजर, मुझे डरा रही थी। भले मैंने रुमालसे अपना चेहरा ढका था, मगर मेरी आँखे सब-कुछ बयां कर रही थी। शायद... उन्हें मेरे ऊपर शख हो गया था। और मामलेको संभालनेकेलिए मै नार्मल होंने की एक्टिंग करने लगा। मै सिंटी बजाते हुए धीरेसे मूड गया, और चलने लगा। मेरे चलने की स्पीड बढ़ने लगी। 'ऐ रुक', उनकी आवाज मेरे कानोपर पड़ी। यक़ीनन... उन्हें शख हुआ था। मेरा चलना भागनेमे बदल गया। वो दोनोंभी तेजीसे मेरे पीछे लग गए। मुझे जहां जगह मिलती, मै वहां घुसने लगा। वो दोनों साले मेरा पीछा छोड़नेकी फ़िराक़ मे नहीं थे।... क्या आपके लाइफमे ऐसा कभी हुआ है... अगर नहीं तो, आप मेरी हालत नहीं समझ सकते।

मुझे सामने एक टेम्पो दिखाई दिया, जो बिल्डिंगको चिपकके खड़ा था। और टेम्पोसे थोड़ी ऊंचाईपर एक खिड़की खुली थी। तो क्या... डूबतेको तिनकेका सहारा। मै भागके टेम्पोपे चढ़ गया... कूदके खिड़कीको पकड़ा... और घुस गया... उस फ्लैट के अंदर।

वो दोनो निचे आ पहुंचे। इधर-उधर देखके वापस चले गए।

अब थोड़ी जानमे जान आ गयी। थोड़ी सांस लेनेके बाद, मैंने उस घरको देखा। बड़ासा हाल था। वहांपर कई चीज़े पड़ी थी। वायर, पेपर बहुत कुछ। कमरेके बीचमे एक सोफा था और उसके सामने के टेबलपे आधा खाया हुआ पिज़्ज़ा पड़ा था। वो पूरा रूम गंदगीसे भरा पड़ा था। शायद यहाँपे कोई बैचलर रहता होगा। मै वहांसे निकलनेकेलिए दरवाजेकी ओर गया। तभी... एक आवाजने मुझे रोका -"जहांपे हो, वही खड़े रहो। चुपचाप पीछे मुडो। "

आवाजमे बड़ा दम था। उसने एक बार और दोहराया, "पीछे मुड़ो। "

मै धीरेसे मूड गया। वो एक 49साल का, पतलासा, सफ़ेद कलरका कोट पहने, सफ़ेद बाल, आँखोंपे चश्मा पहना हुआ आदमी था। उसके हाथ की शॉटगन देख, मैंने झटसे अपने हाथ ऊपर किये।

"I'm sorry, मुझे माफ़ कर दीजिए। मेरे पीछे पुलिस लगी थी इसलिए मै... ", मैंने डरके मारे गिड़गिड़ाना शुरू किया।

मेरी बातको बिच मे ही काटकर उसने गिड़गिड़ाना चालू कर दिया, "i'm sorry सर, मैंने आपको देखा नहीं। मुझे माफ़ कर दीजिये। plz। "

"मुझे माफ़ कर दीजिये, मै आपके घरमे चुपकेसे घुस आया। "

"अरे सर, आपहीका घर है। आप जब चाहे आ-जा सकते हो। ", वो आदमी डरके मारे बक रहा था। मुझे देख वो कांप रहा था।

मुझे लगा, क्या यहाँपर सभी का स्क्रू ढीला है? मै इसके घरमे घुसा हूँ, माफ़ी मुझे मांगनी चाहिए पर... ये मुझसे माफ़ी मांग रहा है। मैंने उससे पूछा,

"आप मुझसे माफ़ी क्यू मांग रहे हो?"

"जाने दीजिये सर", वो कांपतेहुए बोला, "मंद बुद्धि समझके माफ़ कर दीजिये।"

"एक मिनट... मुझे आपसे माफ़ी मांगनी चाहिए पर... "

"मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी 'विष' सर। मुझे माफ़ कीजिए।", उसने मुझे अलग नामसे पुकारा।

"आपको शायद गलत-फहमी हुयी है। मेरा नाम सूरज है, विष नहीं। "

"गरीबके साथ मज़ाक मत कीजिये सर। ", बोलके वो आदमी जमींपर अपनी नाक रगड़ने लगा, रोने लगा। उसका चेहरा डरसे घिरा हुआ था। मै हैरानीसे उसे देख रहा था। उसके घरका टीवी ऑन था। और फिरसे उसके टीवी पर वही न्यूज़ चलने लगी। मेरा फोटो मर्डर करनेवाले शख्समे झलकने लगा। हम दोनोंने टीवी की ओर देखा और एक दूसरेकी ओर नजर डाली। मैंने सहमे आवाज़ मे कहाँ,

"ये... ये सब झूठ है, मैंने कोई खून नहीं किया। सच मे ये सब झूठ है। माँ-कसम। पता नहीं ये मेरे साथ क्या हो रहा है।", मै निचे बैठके रोने लगा। मेरी हालतको देख उस बन्देने टीवी बंद कर दी। विश्वास भरे मनको लेके मेरे पास आया। मेरे कंधेपे हाथ रखके कहाँ,

"रो मत। चुप हो जाओ।"

"I'm not a criminal"

उसने मुझे पानी का ग्लास दिया। मैंने धीरे-धीरे रोना बंद किया। उसने पूछा,

"ये बताओ। तुम्हारा नाम क्या है?"

मैंने अपनि आँखे पोंछतेहुए कहाँ, "सूरज... सूरज पाटिल।"

ये सुनतेही पता नहीं, उस आदमीके चेहरेपर एक अलगसी रौनक छा गयी। उसने आगे पूछा,

"तुम्हारे देश का... मतलब हमारे देश का नाम क्या है?"

"ये क्या बेहूदा सवाल है?", वो मेरी टांग खींच रहा है, मुझे ऐसा लगा।

"अरे बस एक बार बता दो। plz", उसने कहाँ।

"India!", मैंने कह दिया।

उस आदमी के चेहरेपर अलगसी मुस्कान छा गयी। और वो मुस्कान हसीं मे बदल गयी। वो जोर जोरसे हसने लगा। मानो जैसे उसे कोई खजाना मिल गया हो। वो अजीब अजीब सी आवाजे निकालने लगा। वो अपनी ही दुनिया मे गुम गया। मेरी आँखे उसकी बंदर हरकतोंको देख रही थी। न रहकर मै उसके पास गया,

"आप हस क्यू रहे हो?"

"तुम इंडियासे हो!", वो फिरसे हसने लगा।

"हाँ तो इसमें हसनेवाली कोनसी बात है? आप भी तो इंडियासे हो।", मैंने थोड़ा चीड़के कहाँ।

उस आदमीने हसना बंद किया, कहाँ, "क्या तुम्हे नहीं पता, तूम कहाँपे हो?"

"I know!", मैंने झटसे कहाँ।

"No, you dont know man। तुम्हे कुछ नहीं पता।", वो हसके कहने लगा।

मैने उसकी इस हरकतपे गुस्सा होके कहाँ,

"Ok! तो कहाँ हूँ मै? "

अब वो जो बोलनेवाला था, उसे सुनके मेरे पैरोतले जमीन सरकनेवाली थी। उसने मेरे कंधोको पकड़के कहाँ,

"तुम अभी तुम्हारे जैसी दिखने वाली दूसरी दुनियामे हो। its called parallel world. You are in parallel world bro. Parallel world!", वो फिरसे हसने लगा। पर मेरी हसीं हमेशाकेलिए चली गयी। आँखोंके सामने अंधेरा छाने लगा।... और... मै बेहोश होके... जमीनपर गिर गया...

कहते है की, हम जो भी भगवानसे मांगते है, वो हमें आसानीसे मिले तो, हम बहुत खुशनसीब कहलाते है। पर मेरी तमन्ना पूरी करके भगवानने मुझे बदनसीब कर डाला था।

मेरे कानो मे मेरी आवाज गूंजने लगी,

(थेओरी किसी चीज का प्रूफ नहीं है। और रही बात मानने या न माननेकी, तो मै इसपर तभी यकीन करूँगा, जब वो दुनिया मै अपने आँखोंसे देखुंगा।)मेरे कहे हुए शब्द मुझे याद आ गए।

सब कुछ काला हो गया। मै बेहोश हो चूका था।

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