एक खुशहाल प्रदेश में एक शानदार हवेली बाहर से दिखने में बहुत पुरानी लग रही थी लेकिन उतनी ही भव्य और आलीशान थी वह हवेली।
इस हवेली की पहली मंजिल में एक आदमी एक कमरे के बाहर खड़ा था,उसके साथ एक दूसरा आदमी था और उसके साथ एक औरत थी। वह तीनों लगातार उस दरवाज़े को देख रहे थे जिसके अंदर से किसी औरत के चीखने की आवाज़े आ रही थी।
एक तेज आवाज के साथ वह चीखने की आवाज बंद हो जाती है और वे तीनों हैरानी से उस दरवाज़े को देखने लगते हैं, वह औरत जो उस दूसरे आदमी के साथ खड़ी थी,उसने कस कर उस आदमी का हाथ पकड़ लिया और उसे देखकर कहने लगी…। "प्रताप क्या हुआ है? मीनाक्षी भाभी ने चीखना क्यों बंद कर दिया है।"
प्रताप अपनी पत्नी नीलू का हाथ पकड़ते हुए कहता है…। "मुझे नहीं पता नीलू। मैं नहीं जानता कि भाभी ने अचानक से चिल्लाना क्यों बंद कर दिया है पर तुम फ़िक्र मत करो। माता रानी सब सही करेगी।"
तभी दरवाजा खुलता है और एक बुजुर्ग औरत अपने हाथों में सफेद कपड़े में लिपटे हुए एक बच्चे को लेकर बाहर आती है।
उस औरत को देखकर उन तीनों के चेहरे पर परेशानी के भाव आ जाते हैं और वह औरत धीरे-धीरे उस बच्चे को अपनी गोद में लेते हुए सबके पास आती है और कहती है…। "लड़की हुई है।"
प्रताप और नीलू हैरानी से एक दूसरे को देखते हैं और उसके बाद प्रताप उस आदमी के पास जाता है और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहता है…। "भाई साहब, आपको बेटी हुई है।"
वह आदमी कसकर अपनी आंखें बंद कर लेता है और एक आंसू उसकी आंखों से गिर जाता है। उसने अपना चेहरा घुमाया और दूसरी तरफ कर लिया, उसने अपने भाई प्रताप को देखकर कहा…। "उसके जन्म पर क्या खुशियां मनाएं जिसके जन्म पर पूरी कायनात रो रही है।"
लेकिन वह औरत जो अभी-अभी बच्चे को बाहर लेकर आई थी दाईमां है,दाईमां उस आदमी को देखकर कहती है...।"यह क्या कह रहे हो ठाकुर साहब, माना कि बच्ची का जन्म गलत नक्षत्र में हुआ है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है ना कि यह बच्ची मनहूस है इसलिए अपना दिल बड़ा रखिए ठाकुर साहब और बच्ची को अपना लीजिए।"
लेकिन ठाकुर वीरेंद्र ने उस बच्ची की तरफ पलट कर नहीं देखा, उसने उस बच्ची से अपना चेहरा मोड़ लिया और अपने भाई प्रताप और नीलू की तरफ देखते हुए कहा…।
" प्रताप नीलू तुम दोनों भी हमारे लिए हमारे बच्चे जैसे ही हो और हमें पता है जब मीनाक्षी ने हम सबको खुशखबरी दी थी तो सबसे ज्यादा खुशी नीलू को ही हुई थी लेकिन हम मीनाक्षी को नहीं बता सकते हैं कि इस बच्ची के साथ क्या गलत है पर इस बच्ची को रखकर हम लोगों पर संकट नहीं डाल सकते । अगर यह बच्ची रही तो पूरी दुनिया में तबाही आ जाएगी, जो नहीं होना है वही होगा। इसलिए बेहतर यही होगा कि यह बच्ची यहां नहीं रहे।"
प्रताप और नीलू हैरानी से ठाकुर साहब को देखते हैं और नीलू कहती है…। "यह आप क्या कह रहे हैं भाई साहब? इतनी छोटी बच्ची को आप ऐसे कैसे खुद से दूर कर सकते हैं? मीनाक्षी भाभी जब होश में आएगी तब क्या होगा और वह अपने बच्ची के बारे में नहीं पूछेगी?
और इसमें इस मासूम की क्या गलती है, अगर यह गलत नक्षत्र में पैदा हुई है तो भाई साहब हो सकता है इस बच्चे की कुंडली में जो लिखा है वह सच ना हो, आप क्यों यह इन सब बातों पर यकीन कर रहे हैं? ज़माना कितना बदल गया है, आपको भी ज़माने के साथ आगे बढ़ना चाहिए और इन सब बातों को यही छोड़ दीजिए क्युकी यह सारी बातें सिर्फ कहावतें होती हैं।"
लेकिन ठाकुर साहब ने गुस्से में उन दोनों को देखकर कहा…। "बिल्कुल भी नहीं। यह सारी बातें गलत नहीं है। पंडित जी ने साफ-साफ बताया है कि यह लड़की आगे जाकर क्या तबाही मचा सकती है,वरना तुम ही सोचो इतने सालों से हमें कोई औलाद नहीं थी।
और अचानक से पंडित जी के बताए हुए समय पर ही मीनाक्षी के गर्भवती होने की खबर कैसे आ गई। पंडित जी ने पहले ही बता दिया था कि लड़की होगी और वह भी किस समय पर और किस नक्षत्र में यह भी भविष्यवाणी हो चुकी है पहले ही।
इतनी सारी बातें इत्तेफाक नहीं हो सकती है नीलू,इसीलिए इस लड़की का यहाँ रहना ठीक नहीं है। लेकिन हम ठाकुर होने के साथ-साथ एक पिता भी है,फिर इतने सालों बाद हमें संतान का सुख मिला है,हम उसे कैसे खुद से अलग कर सकते हैं।
इसीलिए हम चाहते हैं कि प्रताप और नीलू आप हमारी बच्ची को लेकर यहां से बहुत दूर चले जाइए। इतनी दूर जहां पर इस नक्षत्र का कोई नामोनिशान तक नहीं जानता है और इतनी दूर जहां पर इस भविष्यवाणी की परछाई भी हमारी बेटी तक ना पहुंच पाए। आप दोनों इसे लेकर यहां से हमेशा हमेशा के लिए चले जाइए और फिर कभी दोबारा लौटकर मत आइयेगा।"
प्रताप और नीलू जब यह सुनते हैं तो हैरानी से एक दूसरे को देखने लगते हैं।नीलू कहती है…। "भाई साहब यह आप क्या कह रहे हैं ? हम ऐसा कैसे कर सकते हैं ? जब भाभी को होश आएगा तो आप उनसे क्या कहेंगे कहां गई उनकी बच्ची?"
" हम मीनाक्षी से कहेंगे कि उनकी बच्ची मरी हुई पैदा हुई है, वह बच्ची इस दुनिया में आने से पहले ही मर चुकी थी।जानते हैं कि थोड़े समय के लिए मीनाक्षी को सदमा लगेगा लेकिन हम उसे संभाल लेंगे।
और देखा जाए तो इसी में सब की भलाई है, तुम दोनों इस बच्ची को लेकर विदेश चले जाओ, हम कहेंगे कि वहां का बिजनेस संभालना बहुत ज्यादा जरूरी था इसीलिए तुम लोग वहां चले गए हो फिर तुम्हारी भी कोई औलाद नहीं है, इस के सहारे तुम लोगों को भी एक औलाद का सुख मिल जाएगा और इस बच्ची के भाग्य में जो लिखा हुआ है वह भी इसे नहीं मिलेगा।"
प्रताप और नीलू हैरानी से एक दूसरे को देखते हैं लेकिन उनके पास भी इसके अलावा और कोई चारा भी नहीं था। इसीलिए उन्होंने दाई मां की गोद से उस नन्हीं सी बच्ची को अपने पास लिया और रात के अंधेरे में वहां से निकल गए।
ठाकुर साहब कस कर अपनी आंखें बंद करते हैं और एक गहरी सांस छोड़ते हुए उस कमरे में जाते हैं जहां पर उनकी पत्नी बेहोशी की हालत में थी। ठाकुर साहब के कमरे में जाते ही दाई मां वहां की बड़ी सी खिड़की पर आती है और ऊपर आसमान में चमक रहे उस लाल चाँद को देखती हैं और अपनी आंखों से उस चांद को देखते हुए कहती है…। "किस्मत से कोई नहीं भाग सकता है और जिस के भाग्य में जो लिखा है वह उसे मिल कर रहेगा। इंसान सिर्फ कोशिश कर सकता है लेकिन होता वही है जो होना तय है।
सब कुछ पहले से तय हो रखा है।उसे बस सही समय का इंतजार करना है। क्योंकि समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को कुछ भी नहीं मिला है।"
25 साल बाद ऑस्ट्रेलिया
एक बड़ी सी चौड़ी सड़क पर बाइक रेस हो रही थी जहां पर बहुत सारे लोग उस बाइक रेस को देख कर इंजॉय कर रहे थे। तो वहीं पर एक ब्लू एंड रेड कलर की बाइक थी जो इन सभी बाइक से आगे निकल रही थी।सब लोग उस बाइक को देख रहे थे और अपने हाथ में पकड़े हुए झंडे को ऊपर करते हुए जोर से चिल्ला रहे थे… ।
"वात्सल्य वात्सल्य"
वह ब्लू और रेड कलर की बाइक सभी बाइक को पीछे छोड़ते हुए फिनिश लाइन तक आती है और रेस जीत जाती है।
हवा में वात्सल्य के नाम के झंडा लहरा रहे थे और लोग उस का नाम लेकर चिल्ला रहे थे। वात्सल्य अपनी बाइक रोकता है और अपना हेलमेट उतारता है, एक चार्मिंग सा चेहरा सबके सामने आता है।
भूरी आंखें, फेयर स्किन और हवा में लहराते हुए उस के वह बाल।
ऐसा लग रहा था कि यह शख्स इस दुनिया का है ही नहीं।शायद भगवान ने इसे बहुत फुर्सत से बनाया था।इतना अट्रैक्टिव चेहरा कि कोई भी उसे एक बार देख कर दोबारा देखे बिना रह ही नहीं सकता है।
वात्सल्य अपना हाथ उठाता है और जो लोग उस का नाम लेकर चिल्ला रहे थे उन्हें देख कर हाय कहता है ।
तभी वहां पर न्यूज रिपोर्टर्स आ जाते हैं जो वात्सल्य का इंटरव्यू लेने लगते हैं। एक रिपोर्टर वात्सल्य से पूछता है…।
" वात्सल्य दीवान आप के बारे में कौन नहीं जानता है? इंडिया में इतनी बड़ी बिजनेस फैमिली से होते हुए भी आप बाइक रेसिंग जैसी चीजों के शौकीन कैसे हो सकते हैं? आपको तो बिजनेस में होना चाहिए ना।"
वात्सल्य मुस्कुराते हुए उस रिपोर्टर को देख कर जवाब देता है…।"जी बिल्कुल सही कहा आपने,मेरी फैमिली इंडिया में बहुत बड़े बिजनेस एम्पायर की मालिक है,लेकिन मुझे बिजनेस में कुछ खास इंटरेस्ट नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे बिजनेस करना नहीं है, मैं बस इस वक्त अपनी लाइफ को एंजॉय करना चाहता हू।"
तभी एक दूसरा रिपोर्टर कहता है…। "मिस्टर दीवान यह लगातार तीसरी बाइक रेस है जो आप जीत रहे हैं, क्या आप को नहीं लगता है कि आप को दूसरों को भी मौका देना चाहिए, आप कब तक इस तरीके से जीते रहेंगे ?"
वात्सल्य हंसता है और अपने हेलमेट को बाइक पर रखते हुए कहता है…।"इसमें मेरी क्या गलती है? जीतना मेरी आदत है,अब मैं हर बार रेस जीत जाता हूं तो यह तो अच्छी बात है ना और वैसे भी मैने ये रेस जीतने के मन से नहीं किया है,बस मेरा गुड लक मेरे साथ रहता है इसलिए मैं हर बार जीत जाता हूं।"
वात्सल्य के यह कहते ही सारे रिपोर्टर्स एक दूसरे को हैरानी से देखते हैं फिर एक रिपोर्टर पूछ ही लेता है…। "वैसे मिस्टर दीवान आपका गुड लक है! क्या जो हर बार आप को जीत देता है जरा हम भी तो जाने?"
वात्सल्य मुस्कुराता है और सामने की तरफ देखते हुए कहता है…। "मेरा गुड लक और मेरा लकी चार्म सिर्फ एक ही इंसान है और वह है मेरा प्यार,, मेरी ज़िन्दगी... मेरी गर्लफ्रेंड नैना।"
वात्सल्य यह कहते हुए स्टेडियम की तरफ देख रहा था जहां से एक लड़की जिसने जींस और क्रॉप टॉप पहना हुआ था। वह लोगों के ऊपर से कूदते हुए और सब को धक्का देकर साइड करते हुए स्टेडियम में आ जाती है,वह गार्ड को हटाती और दौड़ते हुए वात्सल्य के पास आने लगती है।
उसे इस तरीके से आता देख वात्सल्य रिपोर्टर्स के पास से हट कर उस लड़की के पास आता है और अपनी बाहें खोल देता है, वह लड़की दौड़ते हुए वात्सल्य के पास आती है और उसके गले से लग जाती है, वात्सल्य उस लड़की को लिफ्ट करके उठाता है और वह लड़की आसमान में अपनी बाहें खोल देती है। वात्सल्य उसे लेकर गोल-गोल घूमता है और वह लड़की जोर से चिल्लाते हुए कहती है…। "आई लव यू वात्सल्य. आई रियली लव यू।"
वात्सल्य भी हंसता है और मुस्कुराते हुए कहता है…।"आई लव यू टू नैना।"
वात्सल्य नैना को जमीन पर उतारता है,नैना वात्सल्य की गर्लफ्रेंड और एक खूबसूरत लड़की।
जिसकी हल्की ग्रीन आंखें हैं, पतले होंठ हैं और होठों के पास एक तिल है,पतली सी नाक पर गोल्ड की नोज रिंग, उसके बाल ज्यादा बड़े नहीं है सिर्फ शोल्डर तक है,क्योंकि उसे लंबे बाल पसंद नहीं है इसीलिए वह अपने बाल छोटे ही रखती है।
और उसकी सुराहीदार गर्दन पर एक चेन थी जिसमें v नाम का पेंडेंट लगा हुआ था।
नैना पिछले 4 साल से वात्सल्य की गर्लफ्रेंड है और वह वात्सल्य का लकी चार्म भी है, नैना जिस रेस में मौजूद रहती है वात्सल्य वह रस जीतता ही जीतता है, इसलिए वात्सल्य हमेशा नैना को अपने साथ रेस में ले कर आता है ताकि उसकी जीत पहले से डिसाइड रहे।
लोग इस चीज को हंसी में उड़ा देते हैं और इस पर यकीन नहीं करते हैं लेकिन वात्सल्य इस बात पर पूरा यकीन करता है कि नैना के होते हुए उसे कोई भी हरा नही सकता है।