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1.

🌸शहर में फिर से तालाबंदी हुई है।🌸

सड़कें सूनसान दिखती है,

दूर तक इंसान नजर नही आते है।

अकारण घर से निकले लोग

पुलिस के हाथों पीटे जाते है।

जब भी किसी के खांसने या

छींकने की आवाज आती है।

तत्काल हमारी नजरें,

आसपास-चाऱो तरफ मंडराती है।

चौक चौराहे पर सन्नाटा है,

पुलिस की निगरानी इतनी कड़ी है।

शहर मे फिर से तालाबंदी हुई है।

अब राशन की दुकान में भीड़ नही रहती

लोग दूरियां बनाये गोले में खड़े दिखते है।

शायद जेबकतरों को भी शिकायत हो चली है

लोग जेब मे रूपये की जगह सैनेटाइजर रखते है।

दफ्तर से कर्मचारी निकाले गये,

दुकानों पर ताले लगे।

सामान दुगुनी कीमत में मिलने लगा,

हिसाब से सब खाने लगे।

सफाई कर्मी कम पड़े हैं,

नालियां भरी हुईं है।

शहर मे फिर से तालाबंदी हुई है।

मीलो दूर गये थे जो,

रोटी कमाने के लिए,

ऐसा वक्त आया

वही रोटी पटरी पर पड़ी थी।

रोटी तो थी पर उसे खाने वाले नही थे,

पटरी के इधर-उधर उनकी लाशें भी पड़ी थी।

कोरोना के खौफ से ही कुछ आत्म-हत्या कर गए।

और जो जीना चाहते थे, वो बेचारे भूख से मर गए।

परिजन के मृत्यु पे भी जा नही सकते,

ऐसी विपदा आन पड़ी है।

शहर मे फिर से तालाबंदी हुई है।

जब देश में पहली तालाबंदी हुई थी।

हर किसी को पैसे की तंगी हुई थी।

गिन-गिन कर जमा की गई पूंजी, तालाबंदी मे खर्च हो गए।

शादी के लिए उधार ली रकम

पेट भरने मे हर्ज हो गए।

चार दीवारों में ही कैद हो गए,

जो बच्चे आँगन मे खेलते थे।

धंधा उनका चौपट हो गया,

जो गली गली जाकर सामान बेचते थे।

स्कूल, कॉलेज बंद हुए हैं, परीक्षाए रद्द हुई है।

शहर मे फिर से तालाबंदी हुई है।

चिकित्सक, पोलिस के सबसे बड़े योगदान है।

ताली बजाने, घंटी बजाने से बड़ा इनका सम्मान है।

चिकित्सक मरीज की, और पोलिस जनता की सेवा सुरक्षा मे लगी है।

शहर मे फिर से तालाबंदी हुई है।

Writer_k.k.kurwanshi