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क़ैद

हम मनुष्य भी अजीब है , खुद यदि क़ैद हो जाएं तो हम क़ैद से छुटना चाहते हैं। लेकिन वही हम दूसरे जीवों को क़ैद कर खुश रहना चाहते हैं , पर हम एक भी बार उन बेजुबान जानवरों कि खुशी के बारे में नहीं सोचते है ।

ऐसे ही एक दिन मैं अपने दोस्त से मिलने उसके घर चला गया। हम दोनों इधर उधर की बातें कर रहे थे ।बैठे-बैठे पता नहीं मेरे फ्रेन्ड को क्या हुआ वह मुझे कुछ दिखाने के लिए उठती है और अपने कमरे के तरफ मुझे ले गई । उसने अपने कमरे में मेरे प्रवेश करते ही दरवाजे की कुंडी भीतर से बंद कर देती है , और मुझसे कहती है " एकदम चुप रहना तुम , मैं तुम्हें कुछ दिखाती हूं "। मैंने भी उसकी बातों में चुप्पी साध ली। अब वह मुझे अपने बेडरूम के बिस्तर के बगल में मुझे कुछ दिखाती है । मैं देख कर हैरान रह गया ! , वहां एक मोटे कपड़े के ऊपर एक खूबसूरत सी बेजुबान जीव लेटी हुई थी । जिसने मुझे देखते ही वह उठ खड़ी हुई और " म्यांऊ - म्यांऊ करना चालू कर दिया " ।

वह एक बेहद ही खूबसूरत , सफेद और हल्के पीले रंग की एक बिल्ली की बच्ची थी । जिसकी गोल मोती की जैसे चमकिली आंखें मन को खुशी पहुंचाने वाली थी । जिसके पंजे बहुत ही कोमल थे । मेरे दोस्त ने कहा " लगता है इसे भूख लगी है , इसलिए म्यांऊ - म्यांऊ कर रही है , तुम यहीं रुको , मैं किचन से इसके लिए थोड़ी सी दूध और एक ड्रोपर लेकर आती हूं " । जब तक मेरी दोस्त उसके लिए दूध लाने के लिए जाती है तब तक मैं उस बिल्ली के बच्चे के कोमल शरीर को सहलाने लगता हूं । इस दौरान मेरे मन में कई सवाल जन्म लेने लगी थीं । जो उसके दूध लेकर आते ही मैं उससे डिटेक्टिव की भांति पूछना शुरू कर देता हूं । " आरित्रीका तुम्हें यह प्यारा सा जीव कहां से मिला ? , और इसका परिवार कहां है ? , कहीं तुमने अपनी खुशी के लिए इसे इसके मां के पास से चुराया तो नहीं है "? मेरे सवाल सुनते ही, अरित्रीका को गुस्सा आ गया । वह गुस्से से मेरी ओर देखते हुए " अरे यार तुम पागल हो , तुमने ऐसा सोच भी कैसे लिया कि मैं किसी के बच्चे को उससे चुरा कर अपने पास रखूंगी ‌, और वैसे भी ये बिल्ली का बच्चा मुझे हमारी घर के किचन की खिड़की से मिली है "। फिर भी यार , यह बच्चा तुम्हें जहां कहीं से भी क्यों न मिला हो , तुम इसे छोड़ कर क्यों नहीं देती हो ‌। ये आजादी से अपनी जिंदगी जिएगा । अपने आस पास की दुनिया में घुमेगा और बड़ा होगा । " अरे यार तुम ही देखो न कि यह कितना क्यूट है" । क्यूट होने से क्या हुआ , आखिर है तो क़ैद में ही न। " देखो यार , अभी ये बच्चा है , इसकी मां को भी मैंने नहीं देखा । यदि इसे मैं अभी बाहर छोड़ दूंगी तो कई कुत्ते इस पर हमला करके इसे मार डालेंगे । इसलिए इसे मैं अपने पास ही बड़ी करुंगी " । पर पता नहीं क्यों मुझे अब भी ऐसा ही लग रहा था कि वह रहेगी तो क़ैद में ही ।

उसकी बातें और तर्क सही थी मगर चाहे बच्चा हो या बड़ा हमें उसे अपने पास रखकर किसी भी जीव कि आजादी नहीं छिननी चाहिए ‌। वह अपने आजाद परिस्थितियों में भी तो बड़ा हो ही सकता है , बस उसे थोड़ा सा संघर्ष ज्यादा करना पड़ेगा ।