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1 chapter 1

Chapter 1

कहानी है भारत के उत्तर दिशा में स्थित एक शहर रोंगसांग की।

समूच भारत इस समय रोंगसांग की खोज पर लगा था, पर हैरान करने वाली बात थी की रोंगसांग आज तक के बने किसी भी नक्शे में नही था। सभी ने रोंगसांग का नाम एक दूसरे से ही सुना था और साथ ही रोंगसांग की मशहूर कहानिया जिस कारण सभी लोग रोंगसांग की खोज में थे।

कई लोगो का मानना था की रोंगसांग बस एक मिथ्या है, परंतु कई पुराने लोग भी थे जो रोंगसांग के होने का दावा करते थे। उन्हें विश्वास था की रोंगसांग वाकई भारत में स्थित है , बस कुछ श्राप होने के कारण वहा कोई जा नही सकता और जो गया वो आज तक लौट के वापिस नही आया ।

रोंगसांग दूसरे शहरों के लोगो को भी ज्ञान प्रदान करता था। रोंगसांग के बच्चे बचपन से ही ज्ञान अर्जित करना प्रारंभ कर देते था। है हर बच्चा अलग अलग छेत्र में माहिर था जिस कारण रोंगसांग सभी चीजों में निपुण था।

रोंगसांग तकनीकी रूपों से भी काफी मजबूत था। अगर आज की दिनांक से तुलना की जाए तो रोंगसांग हर तरीको से काफी आगे है।

"माना जाता है की रोंगसांग के पास अमर बनाने की ताकत भी थी "और शायद यही कारण था की सभी लोग रोंगसांग को ढूंढ रहे थे जो आज तक किसी नक्शे में भी स्थित नहीं था।

रोंगसांग एक राज था , जो कुछ लोगो के लिए सच और कुछ लोगो के लिए मात्र एक मिथ्या था।

इसी सच को जानने के लिए शुरू करते है ये कहानी जिसमे कई दफन राज खुलकर सामने रखे जाएंगे ।

एक दिन एक व्यक्ति रोंगसांग को ढूंढ निकालता है परंतु जो उसने देखा वो काफी हैरान कर देने वाला दृश्य था।

उसने रोंगसांग में काफी गरीब लोगो को देखा जो की बताई गई कहानियों से काफी अलग था। जब तक व्यक्ति कुछ सोच पाता वह अचानक से जमीन पर गिरता है और उसकी वही मौत हो जाती है।

अब कहानी को लेकर चलते है पांच सौ वर्षो पूर्व जहां से रोंगसांग की कहानी शुरू होती है।

जंगल के बीचों बीच अचानक से एक आवाज बढ़ती हुई सुनाई देती है। बहुत दूर दिखाई पड़ता है की एक लड़की पहाड़ों की तरफ से गिरती हुई और दर्द से चिल्लाती हुई जंगल की ओर आ रही है, तभी लड़की का सर एक पत्थर से जा टकराता है और वो वही पर बेहोश हो जाती है।

जब लड़की की आंख खुलती है तो उसे एहसास होता है की किसीने उसके घाव पर मरहम लगाया था। वह धीरे धीरे खड़ी उठती है। अब वो अपने चारो ओर देखने लगती है,उसे कोई नजर नही आता। उसने अपने दिमाग पर जोर डाला पर उसे कुछ भी याद नही आ रहा था। थोड़ा आगे बढने के बाद उसे कुछ आवाज सुनाई देती है जब वो आगे बड़ी तो उसे एक गहरे गड्ढे में एक बिल्ली का बच्चा दिखाई देता है। वो गड्ढे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था पर गद्दा गहरा होने के कारण निकलना मुश्किल था। तभी लड़की बिना कुछ सोचे समझे उसे वहा से बाहर निकालती है। उसके बाद वो उसके साथ खेलना शुरू कर देती है।

वैसे ही कुछ लोगो की आवाजे सुनाई देती है, लड़की बिल्ली के बच्चे को दूसरी दिशा में फेंक देती है यदि कोई हमलावर हुए तो बच्चा बच पाए। लड़की एक पेड़ के पीछे छुप जाती है और इंतजार करती है लोगो के पास आने का। अब आवाजे और तेज हो रही थी। लड़की पेड़ के पीछे से झांकती है,उसे पांच आदमी दिखाई पड़ते है उनकी हालत ठीक नहीं थी। ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी से अपनी जान बचाते हुए भाग रहे हो। पांचों लोगो को हल्की चोट भी लगी थी। पांचों लोग आपस में कुछ बातचीत कर रहे थे।

" बस अब बहुत हुआ ,अब हम इनके नीचे दबने वाले नही है, बाहर से आए हुए लोग हमारे ऊपर राज नही कर सकते।"एक व्यक्ति बाकियों से बोलता है।

पर अभी हमे अपनी जान बचानी है और हमारे पास उनके जैसे हथियार नहीं है और ना ही सेना– दूसरा व्यक्ति बोलता है।

लड़की चुप चाप ये सब बाते पेड़ के पीछे से सुन रही थी। वह अभी भी असमंजस में थी की वो यहां कैसे पहुंची, उसे अभी तक कुछ याद नहीं आया था। कुछ देर सोच विचार करने के बाद लड़की पेड़ के पीछे से बाहर निकलती है।

"क्या मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकती हूं"...

पांचों के पांचों लड़की को देखकर भोचक्के रह जाते है।

ऐसा लगा जैसे उनकी नजरे उस लड़की पर गड़ सी गई हो।

पर उन्होंने ऐसा क्या देखा था जो सब के सब हैरान हो गए...

लड़की का मुंह एक काले कपड़े से ढका था बस उसकी आंखे दिखाई दे रही थी, लड़की के वस्त्र बहुत ही कीमती दिखाई पड़ रहे थे किसी राजा के वस्त्रों से भी ज्यादा कीमती लग रहे थे। कपड़े किसी विशिष्ट प्रकार की सामग्री से बने थे। इस तरीके के पहनावे में उन्होंने आज तक किसी को नही देखा था। लड़की के पीठ पर दो तलवारे लदी थी। दोनो तलवारे एक दूसरे को काट रही थी।दोनो तलवारे अपने आवरण में थी। उसे देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो कोई योद्धा हो। तलवारे देखकर ऐसा लग रहा था मानो इससे पहले कभी इस्तेमाल ना करी हो, तलवारों की चमक बता रही थी की तलवार कितनी कीमती है।

उनमें से किसी ने भी उस लड़की को आज तक उस इलाके में नहीं देखा था।

"क्या नाम है तुम्हारा" – उनमें से एक आदमी बोलता है।

"ताशी" –लड़की जवाब देती है।

इससे पहले तुम्हे यहां पर कभी नही देखा लगता है बाहर से आई हो – आदमी जवाब में बोलता है।

ताशी– मैं इस वक्त तुम्हे ये बताना जरूरी नहीं समझती की मैं कौन हू और कहा से आई हू,अच्छा होगा की हम कुछ काम की बाते करे।

पर हम तुम्हारी मदद क्यो ले ? –उनमें से एक व्यक्ति बोलता है।

ताशी– तुम्हारी हालत देखकर लगता है तुम्हे मदद की जरूरत है और अभी मेरी मदद से अच्छा और कोई रास्ता है नही तुम लोगो के पास।

उनमें से एक ताशी को पीछे खड़े होकर बस सुन और देख रहा था पर अभी तक उसने कुछ बोला नहीं था।

वो अपने साथियों को समझाते हुए बोलता है –" देखो हम अभी जिन हालातो में फसे है मुझे लगता है इस लड़की को एक मौका देना चाहिए क्या पता ये सच में हमारी कुछ मदद कर सके "

अगर आपको लगता है इस पर भरोसा करना चहिए तो ठीक है पर किसी अजनबी पर इतनी आसानी से भरोसा नही कर सकते – दूसरा व्यक्ति बोलता है।

वो सब तुम मुझपर छोड़ दो –पहला व्यक्ति बोलता है।

इसके बाद आपस में काफी विचार विमर्श करने के बाद बाकी चार भी मान जाते है ।

हम तुम्हे बस एक मौका देंगे अगर कुछ करना चाहती हो तो कर सकती हो – उनमें से एक आदमी बोलता है।

ताशी–पर अगर मैं तुम्हारी मदद करने में कामयाब हुई तो मुझे बदले में क्या मिलेगा?

" अगर तुम ऐसा करती हो तो हम तुम्हे अपने लोगो का पिपोन (भूटिया भाषा में ग्राम मुखिया)बना देंगे"–पीछे खड़ा व्यक्ति जो बहुत देर से ताशी को देख रहा था ।

ताशी– पिपोन हां( और वो मुस्कुराने लगती है)।कोई एक अजनबी को भला क्यों पिपोन बनाना चाहेगा। तुम्हे क्या लगता है मैं इतनी आसानी से मान जाऊंगी कि तुम मुझे अपना पिपोन बना दोगे। मुझे एक लड़की समझके कमजोर समझने की भूल मत करना वरना ये आने वाले समय में तुम्हे भारी पड़ सकता है। मैं चाहती हूं की तुम मुझे सच बताओ मुझसे कुछ छुपाने से शायद मैं तुम्हारी मदद ना कर पाऊं।

ताशी– और तुम्हारे पहले राजा का क्या?

"हम सब भूटिया कबीले से है हमारा कोई राजा नही है और नाम सुनकर लगता है तुम भी भूटिया हो" –आदमी बोलता है।

ताशी– "मैं भूटिया हू मगर मैं तुम लोगों को नही जानती,पर मैं ये वचन देती हु की अगर अपनी जान भी कुर्बान करनी पड़े तो भी तुम लोगो के लिए लडूंगी इसलिए क्योंकि तुम मेरे लोग हो ,मेरे कबीले के लोग हो।"

ताशी के दिमाग मे कुछ और ही था, उसे कुछ भी याद नही था फिर भी वो खुद को भूटिया बता रही थी। ताशी बस अपने आगे के मार्ग को आसान बनाने के लिए कुछ करना चाहती थी वो इस मौके को गंवाना नहीं चाहती थी। ताशी जो भी बोल रही थी उससे पहले वो उसके बारे में विचार करके और दो कदम (भविष्य)आगे की सोच कर ही जवाब दे रही थी।बहुत देर सोचने के बाद ताशी बोलती है– तो मुझे सबसे पहले क्या करना होगा?

एक आदमी–सबसे पहले तुम्हे हमारे साथ हमारे कबीले चलना होगा।

ताशी – तुमने मुझसे तो सब पूछ लिया मगर अभी तक अपने नाम भी मुझे नही बताए। तुम्हारे साथ जाने के लिए मुझे तुम्हारे बारे में पता करना जरूरी है। ऐसा ना हो की अकेली लड़की को देखकर तुम लोग....

ताशी रुकती है और एक कौतुक भरी मुस्कान और असमंजस के साथ बाकियों को देखती है।

"नोदोंग " एक आदमी बोलता है (जो बहुत देर से ताशी के हाव भाव को ध्यान से देख रहा था और जिसने बाकी लोगो को ताशी को एक मौका देने के लिए मनाया था ।)

मेरा नाम नोदोंग है ।

ताशी – तो तुम नोदोंग हो , इन सबके प्रमुख।

ये सब तबसे तुम्हारा कहा ही मान रहे है और तुम मुझे पूरा ध्यान लगा कर देख रहे हो लगता है अभी भी कोई शक है।

नोदोंग – ( हैरान होता है की इन सब बातो के बीच ताशी ने उस पर कैसे ध्यान दिया। अब उसे समझ आ रहा था की ये कोई आम लड़की नही है)

"मेरा काम है अपने लोगो के बारे में सोचना और मैं वही कर रहा था मुझे नही लगता इसमें कुछ गलत है।"

ताशी– उम्मीद करती ही बहुत जल्द तुम मुझे भी अपने लोगो में गिनोगे , आखिर मैं भी एक भूटिया हू।

नोदोंग – "वो आने वाला समय ही तय करेगा की तुम कितनी अपनी हो और कितनी पराई।"

ताशी –" तो ठीक है यहां से शुरू करते है अपना सफर और देखते है आनेवाले समय में कौन किस पर कितना भरोसा करता है। "(ताशी आत्मविश्वास से भरी हुई थी वो नही चाहती थी की किसी को भी उस पर शक हो )

नोदोंग – (ताशी को इतने आत्मविश्वास में देखकर एक तरफ वो खुश था की शायद वो उनकी कुछ मदद कर पाए और दूसरी तरफ उसे डर था की वो सब खत्म ना कर दे। )"तो चलते है पर ध्यान रहे अगर हमें धोका देने की कोशिश की तो तुम बच नही पाओगी।"

ताशी – ताशी किसी को धोका नही देती और अगर दे भी दिया तो भी तुम मेरा कुछ नही कर सकते ये बात हमेशा याद रखना।

(ताशी को देखकर सब डरे लग रहे थे क्योंकि ताशी एक हिम्मत और किसी से भी ना डरने वालो में से थी। बस एक उम्मीद थी की शायद वो उनकी मदद करने में कामयाब हो सके। यही कारण था जो अब तक सब ताशी के घमंड को झेल रहे थे। पर कोई नही जानता की आने वाले कल यही घमंड उनके लिए लाभकारी साबित होगा या फिर हानिकारक ।)

नोदोंग –तो चलते है हमारी छोटी सी जगह रोंगसांग ।

ताशी– रोंगसांग हां.... तो फिर चलते है देखते है कौन है जिसका मरना ताशी के हाथो लिखा है।

नोदोंग और उसके साथी चलने की तैयारी करते है

फिर नोदोंग कुछ सोच विचार कर बोलता है– पर तुमने अपना चेहरा क्यो छिपाया है और तुम्हारी तलवारे ....

ताशी–(बीच में बोलती है) मैने कहा ना मेरी चिंता मत करो तुम जो सोच रहे हो वो मैं नही हू और तुम जो नही सोच रहे हो वो मैं बिल्कुल ही नहीं हू मै वो हू जो तुम सोच भी नही सकते ।

(ताशी की हर बात में घमंड झलक रहा था। बाकी के चार लोग नही समझ पा रहे थे कि आखिर नोदोंग ने क्या सोच कर ताशी पर भरोसा किया)

नोदोंग अभी भी असमंजस में था इतनी आसानी से किसी पर भरोसा करना खतरे से ख़ाली नही था पर ताशी एक आम लड़की नही थी उसके चेहरे पर एक अलग सा तेज था वो किसी से डरने वालो में से नही थी वो सब कुछ भूल के बस विश्वास करना चाहता था।

सभी वहा से रोंगसाँग के लिए निकलते है रोंगसांग वहा से कुछ ही दूरी पर था । नोदोंग और उसके साथी काफी सवालों के साथ वापस जा रहे थे उन्हें नहीं पता था की आगे क्या होने वाला है बस एक उम्मीद थी ताशी ....

ताशी अभी भी कुछ सवालों का जवाब ढूंढ रही थी की वो कौन है कहा से आई है और उसने अपना नाम ताशी क्यों बताया क्या ये उसका असली नाम है अगर है तो उसे बाकी कुछ याद क्यो नही ।

जैसे जैसे रोंगसांग पास आ रहा था ऐसा लग रहा था माना स्वर्ग उतर के धरती पर आया हो। सुंदरता को शायद शब्द बयां नहीं कर सकते थे। आखों मे किसीने मानो कोई जादू सा कर दिया हो। ताशी ने इससे सुंदर जगह शायद ही कभी देखी होगी । जैसे जैसे रास्ता कम हो रहा था सुंदरता बढ़ती ही जा रही थी। मानो किसी हरे समंदर में प्रवेश किया हो ।

नोदोंग – तुम्हे आगे नहीं चलना क्या.....

(ताशी एक जगह खड़ी होकर चारो ओर बस निहार रही थी)

तभी ताशी नजारो के ख्यालों से बाहर निकलती है

ताशी –" सुंदर बहुत सुंदर" तुमने कहा तुम मुझे पिपोन बनाओगे?

नोदोंग – हां पर....… अचानक से.....

ताशी– ये बहुत ही सुंदर जगह है और मुझे किसी भी कीमत पर ये चाहिए ।

नोदोंग –( जिस बात का डर नोदोंग को था वही हो रहा था, ताशी अपना वचन भूल रही थी , नोदोंग अब काफी डरा हुआ लग रहा था)" तुमने वचन दिया था की तुम पहले हमारी मदद करोगी।"

ताशी –इस जगह को पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं फिर तुमने तो बहुत छोटी सी चीज मांगी है।

नोदोंग – तुम्हे कैसे पता की हमने छोटी सी चीज मांगी है हमने बस मदद करने को बोला है पर तुम्हे अभी तक बताया नही है की करना क्या है। तो इस गलत फहमी में मत रहना की ये काम आसान होने वाला है।

ताशी– ये सब देखकर अब मुझे नही लगता कोई मुझे रोक सकता है ,मैं भी देखती हु कौन है जो ताशी को हरा सकता है।

नोदोंग – (मुस्कुराता है)....इतना भी अहंकार अच्छा नहीं , पर कोई बात नही कुछ समय बाद ये भी टूट जायेगा। अभी फिलहाल हमें निकलना है।बाकी तुम्हे बाद में सब समझ आ जायेगा ( वह फिर से मुस्कुराने लगता है और आगे बढ़ता है)

(ताशी दिखा तो रही थी की सब आसान है पर वो अंदर से बहुत कमजोर थी उसे अपने सवालों का पता करना था पर ऐसा कोई भी नही था जिस पर वो विश्वास कर पाए और अपने अंदर जो चल रहा है उसे बता पाए। )

सब लोग रोंगसांग पहुंचते है रोंगसाग उतना ही सुंदर था जितना ताशी ने सोचा था । चारो ओर घास की चादर साथ ही फूलो की महक और चहचहाती चिड़ियाएं। ताशी ने पहले इससे सुंदर शायद ही कुछ देखा था।

ताशी – ये सच नही हो सकता, मैने आज तक ऐसा कुछ नही देखा, ऐसा लगता है इसके पीछे बहुत लोगो की मेहनत छिपी है।

नोदोंग – मेहनत....(नोदोंग मुस्कुराते हुए बोलता है) एक वक्त था जब रोंगसांग इससे भी सुंदर हुआ करता था अब रोंगसांग में वो पहले वाली बात नही है।

ताशी – अब ऐसा क्या हुआ जो रोंगसांग बदल गया?

नोदोंग – इतनी भी क्या जल्दी है ,अब रोंगसांग आ ही गई हो तो तुम्हे धीरे धीरे सब पता चल जायेगा। बस सब्र करो ।

बाते करते करते सभी नावांग( रोंगसांग में वो जगह जहां पर नोदोंग और उसके साथी रहते थे) पहुंचते है।

नावांग रोंगसांग की एक बहुत छोटी जगह थी।

नोदोंग – लो हम पहुंच गए।

ताशी– ये तो मेरी उम्मीद से छोटा निकला। लगता है इस बड़े से रोंगसांग में बहुत कम लोग रहते है।

नोदोंग – ( गहरी सांस भरते हुए , आंखो पर एक दुख झलकता हुआ दिखाई पड़ता है , और गुस्से के साथ बोलता है) इसके आलावा भी बहुत से लोग है जिनसे तुम बहुत जल्द ही मिलोगी।

ताशी– मुझे नही पता इस जगह में ऐसा क्या है पर पता नही क्यों ये जगह मुझे अपनी तरफ खीच रही है ऐसा लग रहा है मानो मुझे ऊपरवाले ने इसी जगह के लिए बनाया हो। ( इस बार ताशी अपने दिल से जवाब दे रही थी बाकी समय से बिलकुल अलग) अभी मैने प्रवेश ही किया है और यहा के बारे में इतना कुछ सुन और देख लिया है। ना जाने यह बीते हुए समय में क्या हुआ होगा और ना जाने आने वाले समय में यहां क्या होने वाला है मैं नही जानती पर मेरा दिल मुझे एक खतरे का संकेत दे रहा है ( इस वक्त ताशी थोड़ी घबराई हुई थी)

नोदोंग ताशी को ऐसे देखकर काफी हैरान होता है क्योंकि वो जबसे ताशी से मिला था वो आत्मविश्वास और एक घमंड़ में थी , किसी से ना डरने वाली ताशी को डरते हुए देखकर वो काफी हैरान था और सोच रहा था की क्या होगा अगर उसे इस जगह का सच पता चलेगा।

नोदोंग – तो स्वागत है तुम्हारा हमारी छोटी सी जगह नावांग में।

नावांग काफी छोटा था बस चार पांच घर थे जो दिखाई पड़ रहे थे एक छोटा सा महल जैसा दिखाई पड़ रहा था। सुंदरता में कोई कमी नही थी पर ताशी काफी हैरान थी उसने जो सोचा था की शायद रोंगसान्ग लोगों से भरा होगा , पर उसे वहा आसपास कोई नही दिखाई पड़ रहा था ।

सभी गांव की तरफ प्रवेश करते है।

नावांग में एक छोटा सा महल भी था सभी लोग वहा प्रवेश करते है।

( ताशी अब थोड़ा सतर्क थी आसपास कोई भी नही दिखाई पड़ रहा था, अब वो काफी डरी हुई लग रही थी ऐसा ना हो की ये इन लोगो की कोई साजिश हो उसे पकड़ने की )

महल अंदर से काफी सुंदर था और जितना छोटा बाहर से दिखाई पड़ रहा था हैरानी की बात थी की वो अंदर से उतना ही बड़ा नजर आ रहा था ।

नोदोंग जोर से चिल्लाता है – "सभी लोग बाहर आ जाओ,अब खतरा नहीं है।"

तभी कुछ ऐसा होता है ताशी हैरान हो जाती है

( जमीन से चार विशाल द्वार ऊपर की ओर खुलते है (द्वार महल में चारो दिशाओं में थे) और वहा से लोग निकलते हुए दिखाई पड़ते है। अब महल पूरा लोगो से भर चुका था उनमें पुरुष सबसे ज्यादा मात्रा में थे और महिलाएं और बच्चे काफी कम थे।

नोदोंग उसके साथी और ताशी महल के एक तरफ और बाकी लोग एक तरफ थे।

ताशी के लिए ये अभी तक का सबसे हैरान करने वाला विषय था जिसके बारे में वो जल्द से जल्द जानना चाहती थी।

नोदोंग –' मेरे नावांग के लोगो अभी खतरा टल गया है , डरने की कोई जरूरत नहीं है'।

( नावांग के लोग भी ताशी को देखकर काफी हैरान थे )

भीड़ में से एक व्यक्ति चिल्लाता है– क्या ये लड़की भी उनमें से एक है।

नोदोंग – मुझे पता है तुम सबके मन में काफी सवाल है पर ये उनमें से नहीं है ये हम में से एक है, ये एक भूटिया है....

अचानक से आवाजे तेज हो जाती है सभी लोग आपस में बाते कर रहे थे की ऐसा कैसे हो सकता है असली भूटिया बहुत सालो पहले ही नावांग में बस गए थे। उन्हें लग रहा था की ताशी को उनकी जासूसी करने के लिए भेजा गया है ।

(ये हममें से कैसे हो सकती है) – भीड़ में आवाजे तेज होती हुई सुनाई पड़ती है

नोदोंग – मेरा भरोसा रखो ये उनमें से नहीं है मैं वहा के हर एक बच्चे से वाखिब हु ये उनमें से नहीं है।

" तो फिर इसने अपना चेहरा क्यो छिपाया है और इसके हथियार, हमारे लोगो के पास ऐसे हथियार नहीं है " –भीड़ में एक व्यक्ति चिल्लाता है।

नोदोंग – हां ये यहां से नही है पर ये उनमें से भी नही है मेरा भरोसा रखो ।

( ताशी चुप चाप किनारे से ये सब देख रही थी बहुत सी बाते थी जो उसे पता नही थी जिसके बारे में सभी लोग बाते कर रहे थे उसके मन में बहुत से सवाल थे –की कौन है जिनका जिक्र बार बार किया जा रहा है कही मैं भी उन्ही में से एक तो नही जिनका बाकी सभी जिक्र कर रहे है। अब वो अपने दिमाग पर फिर जोर डालती है, उसे अभी तक कुछ याद नहीं आया था पर इस बार जब वो याद करने की कोशिश करती है तो उसके सर पर बहुत तेज दर्द होता है उसे सब धुंधला दिखाई देने लगता है ,पर वो दीवार के सहारे खुद को गिरने से बचा लेती है )

नोदोंग – ये यहां हमारी मदद करने आई है और मुझे उम्मीद है की ये शायद वो कर पाए जिसके लिए हम सालो से मेहनत कर रहे है। मैने इसे वचन दिया है की यदि ये हमारी मदद करने में कामयाब हो जाती है तो हम इसे अपना पिपोन बना देंगे।

(सभी लोग ये सुनकर हैरान हो जाते है भीड़ में आवाजे तेज हो गई थी कोई भी ये सुनकर खुश नही था। भीड़ में कुछ आवाजे सुनाई दे रही थी जैसे–

"बाहर से आई हुई लड़की पर इतना भरोसा नही कर सकते"

"नोदोंग ने आज तक हमारे लिए इतना कुछ करा है हम ये नही होने दे सकते"

"ये दिन देखने के लिए नोदोंग ने रोंगसांग नही छोड़ा था"

"अपनी जगह पाने के लिए हम नोदोंग को नही हटा सकते"।

( ये सब सुनने के बाद ताशी के दिमाग में ये बात तो साफ हो गई थी की वो नोदोंग ही है जो इन सबका पिपोन है और क्यो यहां आने से पहले बाकी लोग उसका कहा सुन रहे थे और क्यो वो उसे इतने ध्यान से देख रहा था और क्यो उसने उसे अपने साथ आने दिया )

ताशी मन ही मन सोचती है– पर जब मैंने नोदोंग को पूछा था की तुम्हारा पिपोन कौन है तो उसने मना क्यो किया, इसके पीछे क्या कारण हो सकता है जबकि वो खुद पिपोन है।

नोदोंग – मुझे पता है तुम लोगो का एक अजनबी पर भरोसा करना नामुमकिन है मेरे पास इस समस्या का एक हल है ।

( अब सारे लोग हैरान थे। ताशी भी नही सोच पा रही थी की आखिर नोदोंग के मन में चल क्या रहा है।)

नोदोंग – ताशी को पहले ये साबित करना होगा की वो हमारे प्रति वफादार है।

(ताशी ये सुनकर काफी हैरान थी उससे नोदोंग ने जो वादे किए थे ये उसका ठीक विपरीत था। ताशी नोदोंग को लेके काफी असमंजस में थी की आखिर नोदोंग पर भरोसा करना चाहिए या नहीं। परंतु उसके पास इसके अलावा कोई रास्ता नही था उसके पास अपने सवालों के जवाब ढूंढने के लिए कोई और रास्ता नही था, चाहते हुए भी वो नोदोंग से कोई सवाल नही कर सकती थी।)

ताशी–वफादारी साबित और मुझे....(ताशी मुस्कुराती है) अगर तुम यही चाहते हो तो यही ठीक । पर बदले में अपना दिया वादा मत भूलना । वैसे भी तुमने अपने इलाके में आते ही रंग दिखाना शुरू कर दिया है पता नही आगे और क्या क्या करोगे।

(ताशी को अपने पिपोन से ऐसे बात करते देख लोग काफी नाराज दिख रहे थे)

नोदोंग –तुम्हारा मुझ पर सवाल उठना जायज है, लेकिन मैं अपने लोगो को भी भरोसा दिलाना चाहता हु की तुम हममें से एक हो। मुझे उम्मीद है तुम मेरी और उनकी भावना को समझोगी।

ताशी–मेरे लोग .... बहुत जल्द ये सब मेरे लोग होंगे और तुम ऐसे ही काम करोगे फर्क होगा बस एक चीज का ..... पिपोन

(ताशी की घमंड भरी बाते सुनकर लोगो को समझ नही आ रहा था की आखिर नोदोंग ने ताशी जैसी घमंडी लड़की को ही क्यों चुना।)

नोदोंग –बहुत जल्दी है पिपोन बनने की , अभी मैने अपनी बात पूरी नहीं की है।

( इसके बाद नोदोंग ऐलान करता है)

" ताशी को पहले नावांग के लोगो का दिल जीतना होगा अगर वो इस काम में कामयाब होती है तो ही मैं उसे अपनी मदद करने का मौका दे सकता हु, क्योंकि ये बस मेरा फैसला नही नावांग के लोगो का फैसला होना चाहिए । मेरी आप लोगो से गुजारिश है की ताशी को खुद को साबित करने का एक मौका दें , अगर वो कामयाब नही हो पाती है तो मैं उसे आगे की इजाजत नहीं दे पाऊंगा।

ताशी– पहली बार ऐसा देख रही हु जहां मदद करने वाले को खुद को साबित करने को बोला जा रहा है। क्या नावाँग में मदद करने वाले के साथ ऐसे ही पेश आते है।

नोदोंग –अगर तुम ये सब नही करना चाहती तो तुम जा सकती हो हम तुम्हारे ऊपर कोई दबाव नहीं बनाएंगे , लेकिन नावांग के लोगो के लिए मैं अपना फैसला नही बदल सकता।

( ताशी को कही ना कही ऐसा लग रहा था जैसे नोदोंग को उसकी हालतों के बारे में सब पता हो। ताशी के पास नावांग रहने के अलावा और कोई चारा नहीं था।)

ताशी – मन ही मन "आखिर तुम (नोदोंग) हो कौन, ऐसा प्रतीत होता है मानो तुम्हे सब पता हो और तुम मेरा फायदा उठा रहे हो। अगर मुझे किसी से बच के रहना चाहिए तो वो तुम हो। तुम जो भी हो ,ताशी किसी से नही डरती ।"

भीड़ में से एक व्यक्ति–पहले इसे हमें अपना चेहरा दिखाना होगा इस वेशभूषा में हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।

इसके बाद भीड़ में आवाजे तेज हो जाती है सभी लोग कुछ बाते बार बार दोहरा रहे थे–

(" इससे बोलो अपना चेहरा दिखाए"

"अगर ये उनमें से नहीं है तो अपना चेहरा दिखाने में डर क्यों रही है"

"हमने ऐसी वेशभूषा में किसी को नही देखा हम इसे ऐसे स्वीकार नहीं कर सकते।")

ताशी –चुप चाप बस सुन रही थी क्योंकि उसके पास खुद भी इसका जवाब नहीं था। बस एक लंबी सांस भरते हुए मन में सोचती है " मैं इन लोगो को क्या जवाब दूं मुझे खुद इसका जवाब जानना है ।बस मैं इतना जानती हु की मैं ताशी इतनी कमजोर नहीं हू की अपने जवाब ना ढूंढ पाऊं , हां थोड़ा समय लग सकता है पर तब तक मेरा ऐसे रहना ठीक है। ना जाने इसके पीछे क्या कारण हो, इतनी आसानी से ताशी चेहरा नही दिखने वाली है।"

नोदोंग –शांत हो जाइए सारे ... मैने खुद ताशी का चेहरा देखा है मेरा यकीन मानिए ये उन लोगो में से नही है, बस चेहरे पर जलने के निशान होने के कारण ताशी को चेहरा ढकना पड़ रहा है । मेरी आप लोगो से विनती है की उसके इस फैसले का सम्मान करे और जैसे वो रहना चाहती है उसे रहने दिया जाए ये उसका निजी मामला है।

( नावांग के लोग अब कुछ शांत दिखाई दे रहे थे सभी आपस में सुनसिश्चित करते है की अब कोई ताशी को चेहरा दिखाने के लिए जबरदस्ती नहीं करेगा । सभी लोग अब थोड़े निश्चिंत दिखाई दे रहे थे )

ताशी– (अभी भी नही समझ पा रही थी की नोदोंग ने अभी अभी क्या बोला) क्या .....चेहरा .... आखिर क्यों....ये सब करके नोदोंग करना क्या चाहता है ।मेरे लिए अपने लोगो से झूठ बोलकर ये साबित क्या करना चाहता है। मैं जितना नोदोंग को समझने की कोशिश कर रही हु ये उतना आगे निकलता चला जा रहा है । ताशी कुछ कर, वरना ये नोदोंग ना जाने क्या क्या कर बैठेगा और तू बस देखती रह जाएगी ।

(साथ ही साथ नोदोंग के साथी जो ताशी से मिले थे सभी काफी हैरान थे वो बस नोदोंग पर भरोसा करना चाहते थे।)

नोदोंग – अब आप लोग अपने घर जा सकते हो। मेरा साथ देने के लिए मैं आप लोगो का आभारी हूं। बस उम्मीद करता हूं आप लोग मेरे इस फैसले का सम्मान करोगे। बहुत जल्द हम आजाद होंगे और अपनी जगह रोंगसांग होंगे अपने लोगो के साथ । उम्मीद ही है जो हम लोगो को यहां तक लेकर आई है बस थोड़ा सा वक्त और फिर सब सही हो जायेगा मेरा यकीन मानिए ।"शुख्ठी"

नावांग के सभी सदस्य –"शुख्ठी".....

ये कहने के बाद सभी लोग बाहर निकलने लगते है।

सभी अपने अपने घरों को जाते है।

ताशी –सुनो नोदोंग..... ये शुख्ठी क्या है।

नोदोंग –तुम भूटिया ही हो ना ??

ताशी – हां कोई शक .....

नोदोंग –"सिंहासन" ( इतना कहते ही नोदोंग वहा से निकलने लगता है थोड़ा आगे चलने के बाद पीछे मुड़ता है ) –

ताशी को आराम करने के लिए एक कक्ष की तैयारी कीजिए( नोदोंग अपने साथियों को बोलता है और वहा से निकल जाता है।)

ताशी–आखिर पिपोन ने अपने बदलते रंग दिखा ही दिए। इसे अचानक क्या हुआ ,ये अभी तक बहुत शांत और धैर्य से पेश आ रहा था परन्तु अभी कुछ और दिखाई पड़ रहा हैं।

(अंधेरा हो गया था ताशी को आराम करने के लिए एक कक्ष दिया जाता है और साथ ही भोजन भी दिया जाता है।)

ताशी– आज का दिन बहुत उलझन से भरा था लेकिन नोदोंग आखिर करना क्या चाहता है ये मेरी मुस्किले और बड़ा रहा है । (सबसे हैरानी वाली बात तो ये थी की सबने ताशी को चेहरा दिखाने के लिए बोला नोदोंग को छोड़कर ) क्या नोदोंग मुझे पहले से जानता है। जो भी है उसने आज मेरी मदद भी की है मैं ये भी नही भूल सकती । और ये कौन लोग है जिनकी सभी लोग बार बार बात कर रहे थे। कही मैं उनमें से एक तो नही हू। बहुत सी बाते है जो मुझे पता करनी है खुद से पहले मुझे नावांग से जुड़े सच का पता करना होगा आखिर ये लोग चाहते क्या है। उसके बाद ही मुझे अपने सवालों के जवाब मिल सकते है। और सोचते सोचते ताशी को नींद आ जाती है।( ताशी के मन में बहुत से सवाल थे जिनका जवाब एक ही दिन में पता चलना नामुंकिन था ।यहां से उसका रास्ता आसान नही होने वाला था इतना तो वो जानती थी। पर वो ताशी थी दूसरों से चार कदम आगे सोचकर चलने वाली उसके लिए आसान तो नहीं था पर बाकी के जितना कठिन भी नहीं था।)

Chapter 1 end

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