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Poem No 16 तुम्हारे हाथों की गर्मी

तुम्हारे हाथों की गर्मी

सर्द पड़े जीवन में

हरारत आ जाती है

तुम्हारे सासों की गर्मी

तन बदन में तहारत

आ जाती है

तुम सात ना होते तो

शायद इस सर्द पड़े

जीवन जम जाते

अब तुम हो सात मेरे

तो हर ग़म में राहत है

तुम्हारे हाथों की गर्मी

सर्द पड़े जीवन में

हरारत आ जाती है

तुम्हारे सासों की गर्मी

तन बदन में तहारत

आ जाती है

----Raj