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1 प्रथम की दरिंदगी!

रूहानी नजर जब हॉल में टंगी हुई watch की और गई तो उसने देखा की शाम के 6 बज कर 38 मिनिट हो रही थी ,, प्रथम गुस्से से तिलमिलाता अपने दर्द को गुस्से से बाहर निकालते हुए वो अपने रूम की ओर तेजी से चला जाता है ,, ।

रूहानी भी कुछ सोच कर अपने सामने खड़े इंसान को सोफे पर बैठने का कह कर प्रथम के पीछे पीछे रूम की ओर धीमे कदमों से चल देती है ,, लेकिन रूहानी जेसे ही रूम के पास पहुंच कर दरवाजा ओपन करती है ,, वो सामने का नजारा देख कर चौंक जाती है , ओर सहम कर थोड़ा पीछे हो जाती है ,, " ।

वो देखती है ,, की प्रथम ने पूरे रूम का सामान इधर उधर फेंक रहा था ,, उसकी आंखो मे गुस्से की लाली अभी भी बरकरार थी ,, पता नही कितने भाव समय हुए थे ,, उसकी आंखो में ,, दर्द , नफरत , गुस्सा , मजबूरी जेसे कही भाव एक साथ ही आज रूहानी को उसकी आंखो में दिख रहे थे ,, ।

कुछ पल के लिए तो वो सहम सी गई ,, ओर हिम्मत कर के वो प्रथम के पास गई ,, ओर उसे पीछे से हग कर लिया ,, ।

ओर आहिस्ता से उसके कान में बोली ,, " बस करो अब ,, I am here with you ,, में साथ हु तुम्हारे ,, हमेशा के लिए ,, " ।

लेकिन अभी भी मानो प्रथम पर कोई शैतान हावी हो ,, उसने रूहानी को खुद से दूर किया और बेड पर धक्का दे दिया और कहा ,, " नही ,, कोई नही है मेरा ,, कोई भी नही है साथ मेरे ,, मुझे तुम्हारी हमदर्दी की या तरस की जरूरत नही है ,, " ।

कह कर वो वाशरूम की ओर बढ़ जाता है ,, ओर वही रूहानी उसे अजीब तरीके से देख रही थी ,, या यू कहे की उसे समझने की कोशिश कर रही थी की ,, आखिर है क्या ये इंसान ,, कुछ भी समझ में नही आ रहा है ,, ।

रूहानी खुद को ही कहते हुए बोलती है ,, " रूहानी , किस्से पाला पड़ गया है यार तुम्हारा ,, ओर ये इतना अजीब क्यों है ,, ? क्यों ये कभी भी कुछ समझने की कोशिश नही करता " ।

वो इसी कश्मशक में वही बैठी रही ,, कुछ देर बाद प्रथम वाशरूम से बाहर निकला ,, ।

रूहानी उसकी ओर देखती है तो वो हैरान हो जाती है ,, उसके सारे कपड़े गीले हो चुके थे ,, ओर उसके शरीर से पानी की बूंदे गिर रही थी , लेकिन इस रूप में तो वो मानो काम देव का अवतार लग रहा था ,, कपड़े भीग जाने के कारण उसके शरीर से चिपक गए थे ,, जिसके प्रथम की मस्कुलर बॉडी को साफ साफ देखा जा सकता था ,, उसके थोड़े से भूरे और थोड़े लंबे कंधे तक आते बाल ,, आज उलझे हुए उसके चहेरे पर चिपक गए थे ,, ओर उसमे भी उसकी कातिलाना बड़ी ओर सिल्वर ग्रे कलर की आंखे ,, । 

रूहानी तो कुछ पल के लिए उसे बिना पलके जपकाए हुए देखती ही रही ,, । मानो की वो उसे खुद को आंखो में समा लेना चाहती हो ,, ओर वैसे भी आज पहली बार था जो उसने प्रथम को इतने गौर से देखा था ,, ।

ऐसा नही है की उसने कोई हैंडसम बंदा नही देखा था ,, लेकिन इसकी बात ही कुछ अलग थी ,, प्रथम को ऐसे देख कर रूहानी की धड़कने तेज मेट्रो की स्पीड से धड़कने लगी ,, ।

प्रथम खुद को ऐसे घूरता हुआ पा कर वो रूहानी की ओर देखता है ओर कहता है ,, " क्या घूर रही हो ,, ? "

रूहानी बेशर्मी से जवाब देती है ,, " तुम्हे घूर रही हु ,, मेरा इतना हैंडसम पति है ,, तो of course घूरना तो बनता है ,, ओर वैसे भी आज पहली बार इतने गौर से देखने का मोका मिला है ,, तो हाथ मिला मोका ऐसे केसे जाने दू ,, ! " कह कर आहना धीरे से मुस्कुराती है ,, ।

ये सुन कर प्रथम चिढ़ जाता है ,, ओर रूहानी के पास बेड पर आता है ,, वो अपना मुंह रूहानी के मुंह के एकदम करीब ले जाता है ,, ओर उसकी ठुड्ढी को अपने हाथ में पकड़ता है ,, ओर अपने जबड़े भींच कर कहता है ,, " अभी मुझे उकसाने की हिम्मत बिलकुल भी मत करना ,, वरना अंजाम बहुत ही बुरा होगा ,, ओर पछताओगी बाद में इसके लिए ,,, " ।

रूहानी ये सुन कर कुछ पल के लिए तो ब्लैंक हो जाती है ,, ओर फिर अपनी आंखे घुमाती है ,, फिर उसकी आंखो में देखती है ,, ओर कॉन्फिडेंस के साथ कहती है ,, " रूहानी प्रथम शाह ,, कभी भी अपने लिए गए फैसले पर रिग्रेट नही करती ,, मिस्टर प्रथम शाह ,, " ।

ये सुन कर प्रथम रूहानी की ठुड्ढी को खींच कर उसका मुंह ओर भी उसके करीब लाता है ,, ओर अपने दांतो को भींचते हुए कहता है ,, " मेरे अंदर के दरिंदे को मत जगाओ ,, वरना सहन नही कर पाओगी ,, " ।

रूहानी अभी भी कॉन्फिडेंस के साथ जवाब देती है ,, " मंजूर है ,, मुझे ,, ! "

ये सुन कर प्रथम के अपने पर का सयंम का बांध टूट जाता है ,, ओर वो रूहानी को अपनी गोद में उठा कर वाशरूम के अंदर ले जाता है ,, ओर जोर से पानी भरे हुए बाथटब में फेंक देता है ,, ।

अचानक हुई इस हरकत से रूहानी थोड़ा सा सहम जाती है ,, ओर उसके कमर में उसे एक तेज दर्द महसूस हुआ ,, ओर उसके मुंह से एक " आह " निकल जाती है ,,  .

लेकिन प्रथम को मानो अभी कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था ,, ।

वैसे ही अपने सर्द एक्सप्रेशन के साथ वो खुद भी बाथटब में चला जाता है ,, ओर फिर एक ही जटके से वो रूहानी के कपड़े के खींच कर और फाड़ कर निकाल फेंकता है ,, ।

रूहानी अभी भी प्रथम की आंखो में ही देख रही थी ,, आज उसे प्रथम का एक बिलकुल अलग ही और नया रूप देखने को मिल रहा था ,, ।

प्रथम उसके सभी कपड़ो को निकाल फेकने के बाद इसकी गर्दन को अपने हाथ में लेता है ओर उसके पास जा कर अपने जबड़े भींच कर कहता है ,, " कहा था मेने की मत जगाओ मेरे अंदर के दरिंदे को ,, अब तड़पो ,, । कह कर वो रूहानी के होठों को बड़े ही बेरहमी से चूमने लगा ,, ।

अब प्रथम के इस रूप से रूहानी को थोड़ा थोड़ा डर लगने लगा था ,, लेकिन अब वो कुछ भी नही कर सकती थी ,, ।  

कुछ ही देर में रूहानी ही चिंखे ओर सिसकियां उस साउंडप्रूफ रूम में गूंजने लगी लेकिन कोई भी नही था वहा उसकी आवाज सुनने वाला ,, ।

ओर प्रथम पर तो शैतान हावी था ,, उसे रूहानी की चिंखे से आज कोई फर्क नही पड़ रहा था ,, ।

एक घंटे बाद जब प्रथम ने अपना सारा फस्ट्रेशन निकाल दिया ,, तब उसने रूहानी की ओर देखा ,, लेकिन रूहानी अब तक बेहोश हो चुकी थी ,, । 

प्रथम जब रुहानी को बेजान सा पड़ा हुआ देखता है ,, तब उसे होश आता है की क्या कर दिया है उसने ,, वो फिर जल्दी से चेंजिग रूम में गया और अपने कपड़े चेंज करके आया ,, ओर साथ एक लंबी ओवरसाइज्ड t-shirt ले कर आया ,, उसने रूहानी को जल्दी से बाथटब से बाहर निकाला और वो ओवरसाइज़्ड t-shirt पहना दी ,, फिर गोद में उठा कर उसे रूम में ला कर बेड पर लेटा दिया ,, ।

ओर कुछ घंटे पहले गुस्से में रूम में आ कर बेड पर फेंका हुआ अपना फोन उठाता है ,, ओर किसी को फोन लगाता है ,, सामने से जब कॉल उठ जाता है , तो प्रथम अपनी सर्द ओर गहरी आवाज में बोलता है ,, "अर्श को मेरे रूम में भेजो ,, ! "

सामने से आवाज आती है ,, " yess sir ,, ! " ओर फिर फोन बिप,,,, बिप्प,,, की आवाज के साथ कट हो जाता है ,, ।

कुछ ही देर में एक 30 31 साल का लड़का प्रथम के रूम में आता है ,, ये वही लड़का था जिसको 2 घंटे पहले रूहानी ने हॉल में जिसको सोफे पर बैठने को बोला था ,, उसका नाम अर्श था ,, जो प्रथम का बचपन का और बेस्ट फ्रेंड था ,, ओर उसके साथ साथ वो एक बेस्ट डॉक्टर भी था ,, ।

अर्श जेसे ही रूम में आता है ,, प्रथम बेड से दूर रखे सोफे पर जा के बैठ जाता है , ओर अर्श को अपनी सर्द आवाज में कहता है ,, " जा , उसे जा कर देख ,, ! "

" अर्श , बिना कुछ भी कहे रूहानी के पास बढ़ जाता है ,, ।

रूहानी ने सिर्फ t-shirt पहनी हुई थी ,, जो प्रथम ने उसे पहनाई थी ,, जो उसके knee तक आ रही थी ,, ।

अर्श रूहानी के पास बेड पर बैठता है ,, । ओर उसकी t-shirt को थोड़ा सा ऊपर कर के देखता है ,, ।

जेसे ही अर्श रूहानी की t-shirt थोड़ी सी ऊपर करता है ,, वही दूर बैठ कर देख रहा प्रथम अपनी नजरे फेर लेता है ,, ओर उसकी आंखे सिकुड़ जाती है ,, ।

वो अर्श से कहता है ,, " उससे ज्यादा उसकी t-shirt ऊपर नही होनी चाहिए ,, " ।

ये सुन कर अर्श रूहानी की थाई पर अपनी एक उंगली फेरता है ,, जहा से ब्लड बह रहा था और उसके आस पास Swelling हो गई थी ,, ।

अर्श ये देख कर गुस्सा हो जाता है ,, ओर अर्श के पास आ कर उसके गाल पर एक तमाचा जड़ देता है ,, ।

अचानक हुई इस हरकत से प्रथम भोंचका रह जाता है ,, ओर तुरंत सोफे से खड़ा हो जाता है ,, ओर गुस्से से अर्श का कॉलर पकड़ते हुए कहता है ,, " तुमने इस के लिए मुझ पर हाथ उठाया ,, ! "

ये सुन कर अर्श हस देता है ,, लेकिन उसकी हसी में कटाक्ष ओर दर्द के मिलेजुले भाव साफ नजर आ सकते थे ,, ओर वो बोलता है ,, " अगर कोई प्यार नही था इससे तो फिर क्यों मेरी ही शादी में , मेरी ही दुल्हन से शादी कर ली तुमने ,, ? "

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी ,, " My dearest phycho hubby "