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समता प्रेम नम्रता इमानदारी पवित्रता यह होते हैं मानवता के गुण मानवता इन्हीं गुणों का पालन हजारों और लाखों सालों से करते आ रहे हैं इन्हीं गुणों से मानव मानवता और मानवीय सभ्यता ने कई ऊंचे ऊंचे मुकाम हासिल किए पर यह सब तरक्की दैत्यों और दानवो से देखी नहीं गई उन्होंने छल कपट साम दाम दंड भेद की नीति अपनाते हुए मानव जाति और मनुष्य के बीच में नफरत के बीज बो दिए और फिर मनुष्य ने आपस में ही जंग करना शुरू कर दिया और इस कारण मानवता कमजोर हो गई और इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए राक्षसों और दैत्यों ने मानव जाति पर आक्रमण कर दिया और जब तक मानव जाति कुछ समझ पाती उसके पहले ही राक्षस पूरे मानव जाति के हुकुम शाह बन गए एक बार सत्ता हाथ में आ जाने के बाद उन राक्षसों ने मानव जाति पर अननवित अत्याचार किये उन्होंने मानव जाति के अपनी नफरत के कारण पूरी मानव जाति को अपना गुलाम बना दिया सारी मानव जाति एक वक्त के खाने के लिए भी तरसने लगी और इसी पेट की आग के चलते मानव जाति एक दूसरे पर हमला करने से भी पीछे नहीं हटने लगी किसी भी घर की औरतों और किशोर महिलाओं को वह राक्षस कभी भी उठाकर ले जाते और उन पर जबरदस्ती करके या तो उनको छोड़ देते यार फिर उन महिलाओं को मार कर उनको वह कच्चा ही खा लेते राक्षसों के अत्याचार के कारण पूरी दुनिया में त्राहि-त्राहि मत चुकी थी आखिरकार मानव जाति है देवों के देव महादेव की शरण में जाने का निर्णय लिया उन्होंने महादेव की भक्ति करना शुरू कर दिया मानवता ने 2000 साल तक महादेव की भक्ति की आखिरकार मानवता की उनकी भक्ति के कारण वह खुश हो गए और वह धरती पर प्रकट हुए धरती पर प्रकट होते हैं उनकी आंख गुस्से से लाल हो गई अपने भक्तों की ऐसी दुर्दशा देखकर उनकी आंखों से गुस्से की धधकती ज्वाला उठने लगी आखिरकार उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोली और उन्होंने तांडव नृत्य शुरू कर दिया वह जैसे-जैसे तांडव नृत्य करते गए वैसे वैसे उनके शरीर से अलग अलग मानवी और पशुओं की आकृति बाहर निकलती गई और वह आकृतियां दुनिया में मौजूद सारे दानव और राक्षसों का सफाया करने लगी वह जैसे जैसे तांडव नृत्य करते गए वैसे वैसे इस दुनिया में मौजूद सारे राक्षस और दानव मरते गए उनके तांडव नृत्य को देखने के लिए सारी मानवता उनके सामने उनके दर्शन करने खड़ी हो गई महादेव के शरीर से निकली हुई उन आकृतियो ने सारे दैत्यों और राक्षसों के बीच में हाहाकार मचा दिया था और वह अपनी जान बचाने के लिए यहां-वहां भागने लगे पर वह कितना भी कुछ क्यों ना करते पर वह सारे महादेव के प्रकोप से बच ना सके उन्होंने राक्षसों के सारे राजा महाराजाओं को मार दिया उन्हीं राक्षसों में एक 4 महीने का बालक था जिनके माता-पिता को उसकी आंखों के सामने उन आकृतियों ने मार डाला अपने माता-पिता को ऐसे असहाय मरता हुआ देखकर उस बच्चे के मन में मानवता और महादेव के प्रति गुस्से की धधकती ज्वाला जल उठी अपने माता-पिता के शव के सामने वह राक्षस बालक रेंगता गया उन शवों को देखकर उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े और वह अपनी आंखों में आसूं लिए हुए महादेव की तरफ देखने लगा असहाय बालक को देखकर महादेव को भी उस पर दया आ गई और उन्होंने उस बालक को क्षमा करने का निर्णय लिया उन्होंने उस बालक के आंखों में अपने खुद के प्रति नफरत के भाव को भी देखा था एक नवजात बालक की हत्या करने को महादेव का मन राजी नहीं हुआ और उन्होंने उसे जीव दान देने का निर्णय लिया वैसे भी वह इस दुनिया में सिर्फ अकेला ही दानव बच गया था सारे दानवो के खत्म होने के बाद महादेव इस दुनिया से फिर से अदृश्य हो गए पर इस दुनिया में एक दानव बालक अभी भी जिंदा था और वह भी मानवता के प्रति अपनी प्रतिशोध की अग्नि के साथ उसने घने जंगलों में पनाह ले ली और अपने शरीर के अंगों को काट काट कर फिर से राक्षस जाति को बढ़ाने लगा महादेव के तांडव नृत्य से प्रेरणा लेकर उसने अपने कबीले का नाम तांडव कबीला रख दिया और फिर से उन्ह राक्षसो ने मानव जाति के बीच में घुसपैठ करना शुरू कर दी उन्होंने कई सारी अलौकिक शक्तियां फिर से हासिल की और फिर उनको पता चला कि दुनिया में एक राजकुमार के पास महादेव का आशीर्वाद है और उसका जन्म दुनिया में से राक्षसों को फिर से खत्म करने के लिए हुआ है तो उसके शरीर को उन्होंने नींद में ही आत्मा विहीन कर दिया राक्षसों ने मान लिया कि उनका दुश्मन खत्म हो गया है पर उस राजकुमार ने 900 सालों बाद फिर से एक दूरस्थ देश के एक अनाथ कमजोर लड़के का शरीर धारण कर लिया क्या एक अनाथ लड़का एक कमजोर शरीर के साथ सच में राक्षसों का सामना कर पाएगा या फिर वह फिर से राक्षसों के छल का शिकार बन जाएगा जानने के लिए पढ़ते रहिए कहानी मेरी सच्चाई (यह कहानी समानांतर दुनिया में एक कल्पनाविलास है)

Raging_dragons · War
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और सिंह मानवो के सैनिकों का प्रमुख भी होता है उसका चेहरा जैसे ही कामराज का चेहरा राज्यवर्धन सिंह में बदल गया गर्व ने देखा कि उस राज्यवर्धन सिंह का चेहरा तो पूरा ही उतर गया है वह पिछले साल तो बड़ा ही ताकतवर और शूरवीर लग रहा होता है पर वह इस वक्त किसी दुबले पतले आदमी से कम नहीं लग रहा होता है जिसको महीना भर किसी ने खाना नहीं दिया गया हो और उसका शरीर का मास हड्डियों पर चिपक गया हो जैसे ही वह कामराज राज्यवर्धन सिंह में बदल गया उसने गर्व से कहा गर्व क्या हो रहा है हम कहां पर हैं और हमारे आस पास इतने सारे हत्यारे क्यों मौजूद है गर्व उससे कुछ कहने ही वाला होता है तभी उसका चेहरा फिर से राज्यवर्धन सिंह से कामराज में बदल गया और वह गर्व के तरफ देखकर हंसने लगा और उसने गर्व से कहा क्यू आया ना मजा तभी उसके आजू बाजू जो भी हत्यारे मौजूद होते हैं उनके शरीर के सीने में से पत्थर के चाबुक निकलने लगे और यह सारे पत्थरों के चाबुक गर्व के तरफ बढ़ने लगे उन्होंने गर्व को हाथ पैरो से जकड़ दिया और गर्व को हवा में 20 फीट ऊपर उठा दिया गर्व को तो समझ में नहीं आ रहा होता है कि उसके साथ यह क्या खेल हो रहा है पहले तो उस कामराज का चेहरा बदलकर राज्यवर्धन सिंह के चेहरे में बदल जाता है और फिर से उसका चेहरा राज्यवर्धन सिंह से काम राज में बदल जाता है या आखिर चल क्या रहा है उसने तो वहां पर राज्यवर्धन सिंह के दिमाग पर पूरा नियंत्रण बना ही लिया हुआ होता है पर उसके हाथों से बाजी फिर से पलट गई इस वक्त गर्व अपने शरीर पर जो पत्थर लगे हुए होते हैं उनसे अपना नियंत्रण खो चुका होता है पहले तो वह उन पत्थरों को अपने शरीर की त्वचा से नियंत्रित कर सकता था पर अब वह सारे के सारे गर्व के शरीर पर अपने हिसाब से चलते जा रहे होते हैं गर्व उनमें से एक को भी नियंत्रित नहीं कर पा रहा होता है अचानक गर्व के चेहरे के ऊपर जो पत्थर लगे हुए थे वह उसके चेहरे से हट गए वह पत्थर उसके सिर के पीछे होते हैं उसके चेहरे पर नहीं उन चाबूको ने जो कि वहां मौजूद हत्यारों के शरीर से निकले हुए होते हैं उन्होंने गर्व के शरीर को जकड़ लिया होता है और उसे हवा में उठाया हुआ होता है वह अपने शरीर के किसी भी अंग को हिला नहीं पा रहा होता है अचानक जो पत्थर गर्व के शरीर पर लिपटे हुए होते हैं वह गर्व के शरीर के अंदर घुसना चालू होते हैं जिससे कि गर्व के शरीर में बहुत पीड़ा उत्पन्न हो जाती है और वह जोर जोर से चिल्लाने लगता है वह पत्थर लगातार गर्व के शरीर के अंदर बाहर होते जा रहे थे जिससे कि गर्व के शरीर में काफी पीड़ा उत्पन्न हो गई थी और वह दर्द के मारे जोर जोर से चीख जा रहा होता है उस जंगल में उसकी चीख की आवाज चारों तरफ फैलती जा रही होती है जिससे कि वहां मौजूद सैनिकों की भी नजर गर्व के ऊपर पड़ गई वह भी सभी गर्व के कुछ दूरी पर ही खड़े हुए होते हैं वह देख रहे थे कि कैसे वह हत्यारे अपने एक साथी को तड़पा रहे होते हैं पर वह ऐसा क्यों कर रहे थे यह उनके समझ के बाहर होता है उन्होंने सोचा अच्छा ही है यह हत्यारे खुद ही खुद के लोगों की हत्या कर दे इससे उन्हे फिर कुछ भी करने की जरूरत नहीं इस वक्त गर्व जोर जोर से दर्द की मारे चीखे जा रहा होता है उसके शरीर से खून निकलते जा रहा होता है वह उन पत्थरों के बीच में से बहते जा रहा होता है उसके शरीर का रक्त जैसे ही उन पत्थरों पर गिरता है वह वहां पर कुछ देर तक ठहरने के बाद वापस गर्व के शरीर में अंदर जाने लगता है जिससे कि गर्व के शरीर में बहुत ज्यादा पीड़ा होने लगती है और वह और जोर-जोर से चीखने लगता है इस वक्त गर्व अपने बर्फीली तलवार का इस्तेमाल करना चाहता था पर इस वक्त उसके शरीर पर पूरी तरह से दर्द ने अपना कब्जा जमाया होता है वह अपने मुंह के अलावा शरीर के किसी भी अंग का उपयोग करने में असमर्थ था उसे इस वक्त अपने स्टोरेज रिंग का इस्तेमाल करने का भी ख्याल आया उसने अपने हाथ में फंसी स्टोरेज रिंग को देखा तो वह भी अपनी जगह पर नहीं होती है गर्व ने फिर यहा वाह देखा तो वह भी कहीं पर भी उसे स्टोरेज रिंग नहीं दिखाई दे रही होती है वह पत्थर लगातार गर्व के शरीर पर अंदर बाहर होते जा रहे थे जिसके कारण गर्व के पूरे शरीर पर दर्द का सैलाब आ गया था अब तो वह पत्थर गर्व के सिर के ऊपर भी चोट पहुंचाने लगे थे उसका सिर तो मानो फटने वाला है ऐसा दर्द गर्व को होते जा रहा था गर्व इस दर्द को बिल्कुल भी सहन नहीं कर सकता था अचानक उन पत्थरों ने गर्व के गले पर भी चोट पहुंचाना चालू कर दिया पर वह पत्थर गर्व के गले में ज्यादा अंदर तक नहीं जा रहे होते हैं तभी एक पत्थर गर्व के गले के अंदर जाकर जो गले में बोलने की हड्डी होती है उसको छूकर बाहर आ गई जिसके कारण गर्व की थोड़ी देर के लिए आवाज ही बंद हो गई थोड़ी देर बाद उसकी आवाज फिर आई और वह जोर-जोर से खासने लगा जब उसने खासना बंद कर दिया उसके बाद फिर से वह पत्थर गर्व के अंदर गले के अंदर घुस गया और फिर से वह पत्थर जो गले में बोलने वाली हड्डी होती है उसको छूकर बाहर आ गया और फिर से गर्व जोर-जोर से खासने लगा ऐसा बहुत बार चलता रहा २०-२५ बार वह पत्थर गर्व की गले की हड्डी को छूता और बाहर आ जाता इसके कारण गर्व के गले की बहुत ही बुरी हालत हो गई इस वक्त वह सैनिक अभी भी उन हत्यारों से लड़ते जा रहे होते हैं वह समझ चुके होते हैं कि अंधेरे में इन हत्यारों से लड़ने में कोई समझदारी नहीं होती है वहां पर जो सफेद बर्फ बनी हुई होती है उसके ऊपर जाकर ही इन हत्यारों से लड़ा जा सकता है और वह यह भी समझ चुके होते हैं कि यहां पर जिसने भी इस बर्फ को फैलाया हुआ होता है वह कोई तांडव कबीले से ताल्लुक नहीं रखता है वह तो उनकी मदद कर रहा होता है अगर आज रात उसने यहां पर बर्फ नहीं फैलाई हुई होती तो वह सारे के सारे सैनिक अंधेरे में रहकर मारे जाते पर उन्हें यह नहीं समझ रहा होता है कि वह अनजान आदमी जिसने भी आज रात उनकी मदद की है वह आखिर है कहा वह सारे के सारे सैनिक बर्फीली जगह के बाहर जाने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं कर रहे होते हैं वहां पर जो कोई भी उन पर बर्फीले जगहों के बाहर जाता वह उन हत्यारों के हाथों मारे जा रहा था तभी अचानक गर्व के पूरे गले के ऊपर पत्थर लपेट गए उन पत्थरों में उसके गले के ऊपर दबाव बढ़ाना चालू कर दिया और साथ ही उन पत्थरों ने गर्व के चेहरे को ढकना चालू कर दिया था वह गर्व को किसी मूर्ति के तरह बना कर मारना चाहते थे धीरे-धीरे करके गर्व के चेहरे पर वह पत्थर पूरी तरह से लपेटने लगे और साथ ही वो पत्थर उसके चेहरे के अंदर भी घुसने लगे और वह पत्थर गर्व के चेहरे का नक्शा बिघाडने लगे वो पत्थर गर्व के दातो तक घुस गए उन्होंने गर्व की नाक की हड्डी को तोड़ कर रख दिया और उन्होंने गर्व की एक आंख को भी पूरी तरह से ढक दिया और वह पत्थर उसके सारे चेहरे को लपेटे जा रहे होते हैं जल्द ही उन पत्थरों ने गर्व की दूसरी आंख को भी ढकना चालू कर दिया गर्व ने अपनी दूसरी आंख को पूरी तरह से खोल कर रखा था क्योंकि उसके पूरे शरीर पर दर्द का राज होता है और उन पत्थरों ने गर्व की बाई आंख को ढकना चालू कर दिया था बस आखरी का पत्थर और वह पत्थर पूरे गर्व के पूरे चेहरे को ढक देंगे जल्द ही उस पत्थर ने गर्व की बाई आंख को भी ढक दिया तभी गर्व की काली ध्यान की शक्ति फिर से जाग उठी जब उसकी बाई आंख के ऊपर पत्थर आ रहा होता है तब उसने एक हत्यारे के पत्थर से बने शरीर पर दो पत्थरों के बीच में एक चमकती हुई चीज को देख लिया था जैसे ही उसकी सास पूरी तरह से अटकने वाली होती है तभी उसकी काले ध्यान की शक्ति जाग उठी और वह जो चमकने वाली चीज होती है वह और कुछ नहीं बल्कि उसकी स्टोरेज रिंग होती है उसने तुरंत ही अपने काले जादू की शक्ति का अपने स्टोरेज रिंग पर प्रयोग किया और देखते ही देखते वह स्टोरेज रिंग गर्व के साथ साथ जो भी हत्यारे गर्व के आजू-बाजू खड़े हुए थे या फिर जिन हत्यारों के शरीर के चाबुको ने गर्व के शरीर को जकड़ा हुआ था उन सबको उस स्टोरेज रिंग ने अपने अंदर समा दिया और साथ ही उस स्टोरेज रिंग ने गर्व को भी अपने अंदर समा लिया क्योंकि उस स्टोरेज रिंग के ऊपर गर्व ने अपने काले जादू को लगाया हुआ होता है इसलिए उस स्टोरेज रिंग पर पूरी तरह से गर्व का कबजा होता है स्टोरेज रिंग के बाहर भले ही कुछ भी हो पर इसके अंदर गर्व का कोई भी कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता था इसके अंदर आते ही गर्व का वहां पर जो कोई भी हत्यारा होता है उनके दिमाग से गर्व के मानसिक संपर्क स्थापित हो गया था और अब गर्व उनको आदेश दे सकता था गर्व ने तुरंत ही उन हत्यारों को अपने शरीर के ऊपर से पत्थरों को हटाने का आदेश दे दिया और उन हत्यारों ने गर्व के शरीर के ऊपर से अपने पत्थरों को हटा दिया इस वक्त गर्व के शरीर में अभी इतनी भी ताकत नहीं होती है कि वह अपनी एक भी उंगली को हिला पाए इसका तो सिर्फ वहां पर मौजूद हत्यारों से ही दिमागी संपर्क स्थापित था और वह अपने काले जादू को स्टोरेज रिंग पर प्रयोग कर सकता था वह स्टोरेज रिंग के अंदर रहकर भी स्टोरेज रिंग को नियंत्रित कर सकता था और यह सब उसके काले ध्यान के कारण ही संभव हो पा रहा था गर्व ने तुरंत ही अपने जादुई शक्ति से स्टोरेज रंग के बाहर देखा तो उस स्टोरेज रिंग के आजू बाजू हत्यारे जमा होने लगे थे इस वक्त वह स्टोरेज रिंग जमीन में मिट्टी के नीचे थोड़े अंदर तक धसी हुई होती है और साथ ही गर्व ने देखा कि इस मिट्टी का रंग बादामी रंग का होता है काला नहीं जो कि पहाड़ों पर होती है फिर गर्व ने अपने जादुई शक्ति का इस्तेमाल करते हुए इस स्टोरेज रिंग को जमीन की मिट्टी में नीचे 10 सेंटीमीटर तक गाड़ दिया जिसके कारण बाहर का कोई भी तांडव कबीले का हत्यारा इस स्टोरेज रिंग को नहीं देख पा रहा होता है गर्व का इस वक्त भी उस कामराज से थोड़ा थोड़ा दिमागी संपर्क अभी भी कायम होता है और उसे अभी भी कई सारे आवाजे सुनाई देती जा रही थी वह महसूस कर सकता था कि अभी भी कामराज का उसके दिमाग से थोड़ा सा संपर्क है इस वक्त गर्व को जल्दी जल्दी अपने काम करने पड़ेंगे इससे पहले कि देर ना हो जाए और वह कामराज उसको ढूंढ ना ले