शौर्य नगर एक ऐसा गाँव था, जहाँ हर इंसान योद्धा के रूप में जाना जाता था। चारों तरफ ऊँचे पहाड़, हरी-भरी वादियाँ, और नदियोंसे इस गाँव को एक खास ऊर्जा मिलताथा। एक ऐसी ऊर्जा जो पूरी तरह से शुद्ध और कुदरती था। यह गाँव सिर्फ अपनी कुदरती खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि अपने ताकतवर योद्धाओं के लिए भी जाना जाता था। यहाँ के बुज़ुर्गों की कहानियाँ बताती थीं कि शौर्य नगर के योद्धाओं ने कई महान लड़ईयो में जीत हासिल की थी, और उनकी वीरता की मिसालें दूर-दूर तक फैली हुई थीं।
लेकिन इन तमाम वीर योद्धाओं के बीच एक नाम सबसे अलग था—ध्रुव शौर्य। ध्रुव गाँव के सबसे काबिल और ताकतवर योद्धा अंकित शौर्य का बेटा था, और उसके जन्म के साथ ही एक महान भविष्यवाणी की गई थी। कहा जाता था कि ध्रुव के अंदर 'अग्नि शक्ति' जागृत होगी, जो उसे गाँव का सबसे ताकतवर योद्धा मे से एक बनाएगी। अंकित शौर्य और उनकी पत्नी, अंजना, ने हमेशा इस भविष्यवाणी को सच मानते हुए ध्रुव का पालन-पोषण किया था।
ध्रुव मे बचपन से ही अद्भुत काबिलियत थीं। वह अग्नि से खेल सकता था, बिना जले आग की लपटों को छू सकता था, और अपनी इच्छा से आग को काबू कर सकता था। जब ध्रुव पहली बार अपने गाँव के उत्सव में अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहा था, सभी गांब वालो ने उसे आश्चर्य और गर्व के साथ देखा। बुज़ुर्गों ने कहा, "यह लड़का गाँव का भविष्य है। इसकी शक्ति गाँव की रक्षा करेगी।"
ध्रुव के पिता अंकित शौर्य ने हमेशा ध्रुव को योद्धा बनने की ट्रेनिंग दी। वो उसे कहते थे, "ध्रुव, शक्ति का सही उपयोग तभी होता है जब तुम उसका सम्मान करते हो। इसे कभी भी घमंड या गुस्से में इस्तेमाल मत करना। शक्ति एक जिम्मेदारी है, और तुम्हारा कर्तव्य है कि तुम इसका सदुपयोग करो।"
हालाँकि, ध्रुव की इस शक्ति से सभी लोग प्रभावित और ख़ुश नहीं थे। माहिर उसके ही उम्र का एक लड़का जो उसी गांब मे रहता था, जो गाँव का एक और ताकतवर योद्धा बनने की कोशिश कर रहा था, हमेशा ध्रुव से जलता था। माहिर के पास भी कुछ खास शक्ति और काबिलियत थीं, लेकिन ध्रुव की अग्नि शक्ति उससे कहीं ज़्यादा ताकतवर थी। माहिर का घमंड ही उसे ध्रुव से नफरत कराने का एक मात्र तरीका था, और ऐसा अकसर होता है जब हमारे ही समान उम्र का कोई लड़का इतना आगे बढ़ जाए की सभी लोग बस उसकी ही बाते करे और उसकी ही तारीफ करे, तो ज़ाहिर है सामने वाले को जलन तो होगा ही, खास कर तब जब सामने वाले के पास भी लगभग वही काबिलियत हो। इसलिए वो हमेशा ध्रुव को नीचा दिखाने की कोशिश में रहता।
माहिर ने कई बार ध्रुव को चुनौती दी थी, लेकिन ध्रुव ने कभी भी माहिर से लड़ने का कोई उत्साह नहीं दिखाया। ध्रुव अपने पिता की तरह समझदार था और जानता था कि शक्ति का सही इस्तेमाल सिर्फ ज़रूरत पड़ने पर ही किया जाना चाहिए।
ध्रुव का जीवन काफी अच्छा और शांत था। वह दिन-रात अपने पिता की देखरेख में योद्धा बनने की ट्रेनिंग करता, और गाँव के लोगों के बीच सम्मान की भावना का पालन करता। लेकिन ध्रुव के मन में कहीं न कहीं यह बात बैठ चूका था कि उसकी ताकत सिर्फ गाँव के रक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि किसी बड़े मकसद को पूरा करने के लिए मिला है। यह ख्याल अक्सर उसे विचलित करता था, पर उसने कभी इसे किसी से साझा नहीं किया।
गाँव का हर जवान योद्धा की तरह, ध्रुव को भी एक दिन अपने कौशल और शक्ति का पूर्ण परीक्षण देना था। इस परीक्षा के बाद ही उसे गाँव का आधिकारिक योद्धा माना जाता। लेकिन ध्रुव की यात्रा सिर्फ एक योद्धा बनने तक सीमित नहीं थी। उसकी शक्ति और भविष्यवाणी उसे कहीं दूर और गहरे संकटों की ओर खींचने वाला था, जिसका उसे अंदाजा भी नहीं था।
गाँव का वातावरण शांत था, लेकिन ध्रुव की जिंदगी में एक बड़ा तूफान आने वाला था।
ध्रुव की ज़िन्दगी अब तक बेहद शांत था। गाँव में उसकी प्रतिष्ठा बनी हुई थी, और वह अपनी अग्नि शक्ति का अभ्यास करना सीख रहा था। लेकिन नियति कुछ और ही चाह रही थी। एक दिन, जब ध्रुव अपने दैनिक अभ्यास के बाद गाँव के बाहरी इलाके में गया, तो उसे एक अजीब एहसास हुआ। हवा में कुछ अजीब सा था, जैसे कि कोई अदृश्य शक्ति उसे बुला रही हो।
ध्रुव ने अपने चारों ओर देखा, पर कोई नजर नहीं आया। तभी, पेड़ों की आड़ से एक रहस्यमयी आदमी प्रकट हुआ। उसकी आँखें चमक रही थीं और उसके चेहरे पर एक अजीब सा घमंड था। वह लंबा, काले वस्त्रों में लिपटा हुआ था, और उसकी चाल में अजीब सी शांति थी, मानो वह संसार के सारे रहस्यों को जानता हो।
उस आदमी ने धीमी आवाज में कहा, "तुम ध्रुव हो, शौर्यनगर का सबसे शक्तिशाली योद्धा बनने वाला लड़का।"
ध्रुव चौंक गया। उसने उस व्यक्ति को पहले कभी नहीं देखा था, फिर भी वह उसके बारे में इतनी जानकारी कैसे रखता था? "तुम कौन हो?" ध्रुव ने सावधानी से पूछा।
उस व्यक्ति ने खुद को रूद्र सेनापति के रूप में प्रस्तुत किया। रूद्र, एक समय का महान योद्धा था, जिसने कई युद्धों में विजय प्राप्त की थी। लेकिन वर्षों पहले, वह गायब हो गया था और उसके बारे में केवल कहानियाँ ही बची थीं। कोई नहीं जानता था कि वह कहाँ गया और क्यों।
"मैं यहाँ तुम्हें कुछ सिखाने आया हूँ," रूद्र ने कहा, उसकी आवाज में एक रहस्यमय आकर्षण था। "तुम्हारे भीतर छिपी शक्ति को पहचानता हूँ, ध्रुव। तुम केवल इस गाँव के नहीं, बल्कि पूरे संसार के रक्षक बन सकते हो। लेकिन इसके लिए तुम्हें अपनी शक्ति को पूरी तरह समझना होगा।"
ध्रुव, जो अपनी अग्नि शक्ति को और बेहतर करना चाहता था, रूद्र की बातों में खो गया। उसे ऐसा महसूस हुआ कि यह व्यक्ति उसकी समस्याओं का समाधान कर सकता है।
रूद्र ने धीरे से कहा, "तुम्हारी अग्नि शक्ति अद्वितीय है, लेकिन यह केवल शुरुआत है। तुम्हारी शक्ति की असली क्षमता तब जागेगी जब तुम इसे नियंत्रित करना सिख जाओगे। मैं तुम्हें वह सब सिखा सकता हूँ जो तुम्हारे पिता भी नहीं जानते।"
ध्रुव की आँखों में चमक आ गई। वह अपने कौशल को और बढ़ाने के लिए हमेशा तत्पर था। "कैसे?" ध्रुव ने उत्सुकता से पूछा।
रूद्र ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, "तुम्हें मेरे साथ एक सौदा करना होगा। यह सौदा तुम्हारी शक्तियों को जागृत करेगा और तुम्हें इस संसार के सबसे शक्तिशाली योद्धा बना देगा।"
ध्रुव ने बिना सोचे-समझे हामी भर दी। उसे पता नहीं था कि वह रूद्र के जाल में फँसने जा रहा था। रूद्र की असली मंशा कुछ और ही थी। वर्षों पहले, उसने अंधकार की ताकतों से हाथ मिला लिया था और अब वह इस संसार पर नियंत्रण करने की योजना बना रहा था। ध्रुव की अग्नि शक्ति उसके लिए उस योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा था। वह ध्रुव की शक्ति को अपने अंदर समाहित करके अपार शक्तियाँ हासिल करना चाहता था।
रूद्र ने ध्रुव को एक वीरान जगह पर बुलाया, जहाँ अनुष्ठान करना था। यह स्थान गाँव से दूर, पहाड़ों के बीच में स्थित था, जहाँ पहुँचने में कई घंटे लगते थे। ध्रुव ने सोचा कि यह जगह अनुष्ठान के लिए उपयुक्त होगी, क्योंकि वहाँ कोई भी उन्हें नहीं देख सकेगा।
रूद्र ने ध्रुव से कहा, "ध्यान लगाओ और अपनी सारी शक्ति को महसूस करो। मैं तुम्हारी शक्ति को और बढ़ाने के लिए एक मंत्र पढ़ूँगा।"
ध्रुव ने आँखें बंद कर लीं और अपनी अग्नि शक्ति को अपने अंदर महसूस किया। लेकिन जैसे ही रूद्र ने मंत्र पढ़ना शुरू किया, ध्रुव के शरीर में एक अजीब सा दर्द होने लगा। उसकी अग्नि शक्ति धीरे-धीरे कमजोर होने लगी, और उसे ऐसा लगा मानो कोई उसकी ऊर्जा को खींच रहा हो।
ध्रुव ने आँखें खोलीं और देखा कि रूद्र उसकी शक्ति को अपने अंदर समाहित कर रहा था। "तुमने मुझसे झूठ कहा!" ध्रुव ने चीखते हुए कहा।
रूद्र ने एक शातिर हंसी हँसते हुए कहा, "यह संसार केवल शक्तिशाली लोगों का है, ध्रुव। और तुम अब कमजोर हो गए हो। तुम्हारी शक्ति अब मेरी है।"
ध्रुव ने खुद को बहुत कमजोर महसूस किया। उसकी अग्नि शक्ति अब पूरी तरह से चली गई थी। वह अपने घुटनों के बल गिर पड़ा, और उसकी आँखों में आँसू भर आए। उसने पहली बार खुद को इतना बेबस महसूस किया था।
रूद्र ने ध्रुव को वहीं छोड़ दिया और उसकी शक्तियाँ लेकर गायब हो गया। ध्रुव, जो कभी अपने गाँव का गौरव था, अब आम इंसान की तरह रह गया था।
रूद्र की चालबाजियों का परिणाम अब सामने था। ध्रुव, जो कभी अपनी 'अग्नि शक्ति' से गाँव का सबसे शक्तिशाली योद्धा था, अब अपनी शक्तियों से पूरी तरह वंचित हो चुका था। जिस अनुष्ठान ने उसे अधिक शक्तिशाली बनाने का वादा किया था, उसी ने उसकी सारी शक्तियाँ छीन ली थीं। वह शक्तिहीन और हताश होकर जमीन पर गिर पड़ा, उसकी आँखों के सामने सब कुछ धुंधला हो रहा था।
रात के अंधकार में, ध्रुव अकेला खड़ा था। आसमान में चाँद की धुंधली रोशनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी, और उसके मन में असहायता का तूफान उमड़ रहा था। उसका शरीर थकान से चूर था, और उसकी हिम्मत टूट चुकी थी।
"क्यों?" ध्रुव ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ दर्द और निराशा से भरी हुई थी। "मैंने तुम पर भरोसा किया, रूद्र...तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?"
रूद्र, जो अब ध्रुव की 'अग्नि शक्ति' को अपने अंदर समा चूका था, उसे घमंड से देख रहा था। उसकी आँखों में अंधकार और शक्ति की ललक साफ दिख रही थी। उसने एक जानलेवा मुस्कुराहट के साथ कहा, "ध्रुव, इस संसार में केवल एक ही नियम है - जो सबसे शक्तिशाली है, वही राज करता है। ना तो तुम अपनी ताकत को सही से समझ पाए, और नहीं उसे मुझसे बचा पाए।"
ध्रुव के मन में विश्वासघात की तीव्रता बढ़ती गई। रूद्र का हर शब्द उसके दिल को चीर रहा था। वह सोचने लगा कि कैसे वह इतना भोला हो सकता था, कैसे उसने इतनी आसानी से अपनी शक्ति खो दी।
रूद्र ने अपना मुँह ध्रुव के पास लाते हुए कहा, "तुम एक महान योद्धा बन सकते थे, लेकिन तुमने अपनी शक्ति को संभालने की काबिलियत नहीं है। अब यह शक्ति मेरी है। और मैं इसे पूरी दुनिया पर राज करने के लिए इस शक्ति का इस्तेमाल करूंगा।"
रूद्र की बातें सुनकर ध्रुव के दिल में आक्रोश और ग्लानि भर गई। वह अपने आप से नफरत करने लगा था। उसे अपने ऊपर यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसने कैसे अपनी सबसे कीमती चीज़ को खो दिया।
रूद्र ने ध्रुव को वहीं छोड़ दिया, शक्तिहीन और टूटा हुआ। वह अंधेरे में गायब हो गया, और ध्रुव वहीं जमीन पर पड़ा रहा। उसकी आंखों में आँसू थे, और उसका शरीर इतना कमजोर हो गया था कि वह हिल भी नहीं पा रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करेगा।
रात का अंधकार और गहरा हो गया था, और ध्रुव के जीवन की दिशा भी उसी अंधकार में खो गया। उसका विश्वासघात केवल उसकी शक्ति की चोरी नहीं था, बल्कि उसके आत्मसम्मान और उसकी पहचान की भी हार थी। वह योद्धा, जो कभी गाँव का गौरव था, अब पूरी तरह बिखर चुका था।