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Heartless king

न्यूयोर्क शहर एक उँची ईमारत से, एक शख्स शीशे क़ी खिड़की के पास खड़ा  निचे आते -जाते हुए गाड़ीयों और लोगों को देख रहा होता हैँ..... उतनी ऊंचाई लोग और गड़िया उसे कीड़े माकोड़े क़ी तरह दिख रही होती हैं। वो निचे देखते हुए कुछ सोचे जा रहा था। तभी दो लोग अंदर आते हैँ, चलो हमें निकलना हैँ, काका हुजूर का बार बार फ़ोन आ रहा हैँ .... राजस्थान के लिए.... जैट तैयार हैँ......... वो शख्स, "हम्म्म " कहते हुए फिर से खिड़की क़ी तरफ देखते हुए और कहता हैं........... क्या उसके बारे कुछ मालूम हुआ, कहते हुए उसके आखों में एक दर्द उभर आया। दूसरा शख्स, "तुम आज तक नहीं भूले हो उसे..... सात साल हो गए.... कौन थी, कहाँ से आयी थी, केसी दिखती हैं,अब तक हमें मालूम नहीं हुआ,जैसे उसे जमीन खा गयी या आसमान निगल गया। जिन्दा भी हैं या मर गयी। तभी वो गुस्से में, उसका गला पकड़.... जस्ट शटअप दुबरा ये कहने की हिम्मत मत करना ये कहते हुए उसके आँखो में खून उतर आया। फिर झटके से उसे छोड़ दिया। वो खाँसते हुए अपने गले को सहलाता हैं। तभी वो मुड़ता हैँ और कहता हैँ..... उसकी पहली मुलकात के बाद यही कहूँगा क़ी उसके बगैर दिल कही लगता नहीं ज़ब तक जियूँगा उसे आखिरी सांस तक ढूढ़गा..... आगे महादेव क़ी मर्जी। तभी तीसरा शख्स छोड़ ना तू इसे जानता तो हैँ। तीनों निकल जाते हैं इंडिया के लिए.....

Dhaara_shree · Urban
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32 Chs

Ch-26

अंकित कहता है ठीक है। इधर अंकित बाहर निकल जाता है और शुभम उस हर कों ठीक करके सीधे चौपाल पर पहुँच जाता है। कुछ देर बैठने के बाद अंकित भी आ रहा होता है और बुजुर्ग महिला के साथ कुछ और बुजुर्ग पुरुष और महिला आते है। जिन्हें देख कर शुभम और अंकित आगे आकर उनको बिठा देते है।

फिर वो दोनों सबसे पूछते है, उनके बच्चे और परिवार मे अब कोई बचा है या नहीं। सभी रोते हुए अपना सर ना हिलाते है। शुभम और अंकित कों बहुत बुरा लगता है।

शुभम कहता है क्या आप लोग यहाँ से हमारे साथ चलिए।हम आप सभी के रहने -खाने का अच्छा इंतजाम कर देंगे। उस पर सभी बुजुर्ग कहते है, नहीं साहब !! अब आखिरी सांसे हम सब यही लेगे। यही हमारे परिवार की यादें है और हम उनकी यादो से दूर नहीं जाना चाहते है।

तब तक आकाश दो ट्रक के साथ आ जाता है। सभी उसकी तरफ मुड़ कर देखते है।

शुभम कहता है तो अगर हम आपके लिए कुछ करना चाहे तो क्या आप वो हमे करने देंगे। सभी उसकी तरफ असमजस से देखते है। अंकित इशारा करता है। आकाश ट्रक से समान उतरवाने लगता है।खाने पीने का समान देख सभी. बुजुर्ग के आखों मे आंसू आ जाते है और सभी अपने हाथों कों ऊपर उठा कर उन्दोनो के सामने जोड़ कर खड़े हो जाते है।

शुभम कहता है ये आप सभी के लिए तीन महीने का राशन है और हर तीन महीने का राशन आप सबको. मिलता रहेगा। अगर आप सब यहाँ से नहीं जाना चाहते तो हम चाहते है की आप सब यहाँ सुकून से रहे। हमेशा अपना बेटा या पोता समझ कर, हमारे लाये हुए समान कों रख ले। ये समान हम आप सभी पर दया करके नहीं, बल्कि अपना समझ कर दे रहे है।

तभी सभी बुजुर्ग उन तीनों कों दिल खोल कर आशीर्वाद देते है। वो बूढ़ी दादी पूछती है, बेटा तुम सब आये किस लिए क्योंकि इस गाँव मे तो सालों बीत गए कोई नहीं आता है।

शुभम कहता है,दरअसल दादी माँ !! हम यहाँ हमारे पुराने जानकार की तलाश मे आये थे। फिर वो पूछती है, कौन था वो ? तुम सब के इस उपकार के बदले,हम इतना तो कर ही सकते है।

अंकित उनकी बात सुनकर कहता है, उनका नाम नरेंद्र शर्मा था। हम. उनको और उनके परिवार कों ढूढ़ रहे है।अंकित की बातें सुनकर दादी कहती है, तुम कौन हो और उनको क्यों ढूढ़ रहे हो? इस वक़्त उनके चेहरे पर बेचैनी के भाव उभर आये थे।

अंकित कहता है वो हमारे बड़े पापा के सबसे वफ़ादार मुलाजिम और दोस्त थे। उनके गुजड़ जाने के बाद किसी ने उनकी खबर नहीं लीं क्योंकि हम सब बहुत छोटे थे और बड़े पापा का पूरा परिवार बिखर गया था।

वो बूढ़ी औरत ये सुनकर रोने लगी। उसे रोता देख आकाश जल्दी से उसे पानी पिलाते हुए पूछता है, क्या बात है दादी माँ !! इस तरह क्यों रोने लगी !!

वो रोती हुई कहती है, "ये हमारा बेटा था !!"ये सुनकर तीनों हैरानी हो जाते है। आकाश पूछता है तो क्या अब वो इस दुनिया मे नहीं रहे। वो बताती है क्या बताऊ बेटा।शुभम कहता है आपको जो भी मालूम है वो बता दीजिये।

उस दिन नरेंद्र बहुत खुश था।बड़े मालिक और मालकिन दो साल बाद छोटे मालिक कों लेकर लौट रहे थे। दो साल से छोटे मालिक और मालिकन कही बाहर थे। नरेंद्र हमारी बहु और पोती के साथ उनके स्वागत के लिए निकला था।

उस दिन मेरा जी बहुत घबरा रहा था। पता नहीं क्या होने वाला था। फिर दो दिन बाद नरेंद्र बहुत बुरी हालत मे आधी रात कों घर आया। मैंने पूछा बहु और पोती कहाँ है तो उसने कहा की उन्हें एक सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया है और हमे भी निकलना है। तब हमलोगो बड़ा बाजार मे रहा करते थे। जल्दी जल्दी कुछ जरूत का सामान्य बांधते हुए मैंने पूछा बड़े मालिक और मालकिन कहाँ है ? और तुम इतना क्यों घबरा रहे हो !!

वो फुट फुट कर रोने लगा और सिर्फ इतना ही बता पाया की उन दरिंदो ने मालकिन और मालिक कों..... तब तक हमारे घर पर किसी ने आग की मसाले फ़ेंक दी। खिड़की से देखा की बहुत लोग हमारे घर पर आग की माशाले फ़ेंक रहे थे। बड़ी मुश्किल से हम हमारी परोसी के मदद से निकलने।

यहाँ हम बचते बचाते तो पहुंच गए। लेकिन मेरा बेटा उस दिन से पागल हो गया। वो जमीन खोदते हुए कहता है। बचा लो मालकिन कों बचा लो। मैंने बहुत कोशिश की अपनी बहु और पोती कों ढूढ़ने की लेकिन मुझे नहीं पता वो कहाँ चले गए। नरेंद्र उस दिन के बाद सिर्फ मिट्टी मे गढ़े खोदता और कहता है, यही गड़ओगें तुम सब एक दिन सब मरोगे। कोई बचा लो हमारी मालकिन कों उन दरिंदो से !!

ये सुनकर शुभम, अंकित, और आकाश तीनों लड़खड़ाने लगते है। वो बूढ़ी दादी रोती हुई बोलती जा रही थी की फिर एक दिन एक कार ने मेरे बेटे कों कुचल दिया। तब से लेकर अब तक मै ना अपनी बहु कों ढूढ़ सकी ना अपनी पोती कों।

मुझे ये भी नहीं मालूम की हुआ क्या था। बूढ़ी दादी की बात सुन कर तीनों बहुत मुश्किल से कहते है। आपका बहुत बहुत शुक्रिया दादी। राशन आपके घर मे पहुंचा दिया है और आपकी देख रेख करने के लिए एक औरत रख दिया। इस गाँव मे सबसे बुजुर्ग आप ही है और इस उम्र मे आप कहाँ खाना बना पायेगी। वो आपका देख रेख करेगी। हम. कोशिश करेंगे आपकी बहु और पोती कों ढूढ़ने की।

वो औरत मुस्कुराते हुए कहती है, अगर मरने से पहले उनकी इतनी खबर भी मिल जाये की वो दोनों सकुशल है तो मेरी आत्मा नहीं भटकेगी।

शुभम के साथ साथ अंकित और आकाश अपने सीने पर हाथ रगड़ते हुए कहते है, ये ऐसी बात क्यों ख रहे थे। क्या उन सभी की मौत एक्सीडेंट मे नहीं हुई थी।

आकाश हकलाते हुए कहता है, वो वो उस के कहने का क्या मतलब था की बचा लो मालकिन कों दरिंदो से,!!... अंकित रोते हुए कहता है, कही कुछ ऐसा तो नहीं हुआ था जो हमारे परिवार की नींव हिला कर रख दे।

शुभम कहता है, ऐसा मत बोलो... मै ये कल्पना भी नहीं कर पा रहा हूँ !! ऐसा कुछ हुआ होगा तो दक्ष भाई पुरे राजस्थान कों श्मशान मे बदल देंगे। अगर इसमें मेरे माँ बाप शामिल हुए तो....!!

आकाश, अंकित और शुभम की अभी मानसिक स्थिति कुछ अलग हो चुकी थी। अंकित कहता है, भाभी माँ कों क्या बतायेगे और कैसे ?

शुभम कहता है, पहले हम ये सच जानेगे और नरेंद्र जी के पत्नी और बेटी कों पहले ढूढ़गे। फिर भाभी माँ या किसी कों कुछ बतायेगे।. ऐसे आधा अधूरा सच नहीं बता सकते।

फिर अंकित अपने गुस्से भरी आखों से कहता है, अगर इस बात मे हल्की सच्चाई हुई तो मै सबको ऐसी मौत दूँगा जो उनकी नश्ल यहाँ पैदा नहीं होगी।

उसकी बातें सुनकर शुभम कहता है, पहले पता लगाना होगा था कौन कौन इसमें शामिल। आकाश कहता है, हाँ ये बेहद जरूरी है की हमे मालूम हो की कौन कौन था उसमें।

उस बक्शे मे क्या है... चलो पहले वो देखते है, आकाश कहता है। अंकित कहता है, यहाँ नहीं !! ये जगह सुरक्षित नहीं है, पार्वती मेन्सन चलते है। तीनों एक साथ निकल जाते है।

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इधर वीर दक्ष के कहने पर सयम की छोटी बहन के पास पहुँचता है। वो उससे मिलकर अपना परिचय देता है। जिसे सुनकर वो अपने भाई कों फोन करती है। सयम उसे कहता है, "आप अपनी सहेली के साथ प्रजापति महल पहुँचिये। हम भी आपको शाम तक वही मिलेंगे।

वीर के साथ तीनों प्रजापति महल निकल जाती है।

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इधर राठौर हवेली मे.....

भुंजग राठौर अपने नौकरो से कहता है, जल्दी जल्दी हाथ चलाओ हमारे मेहमान आने वाले है। तभी पीछे से आवाज़ आती है, मेहमान आने वाले नहीं भुजंग आ गए है।

भुजंग राठौर मुड़ कर देखता है तो एक उसके उम्र का आदमी खड़ा था और एक लड़का और दो लड़की खड़ी थी। दोनों लडकियाँ आ कर  उसके गले मिलती हुई कहती है, डैड !!

भुंजग राठौर उसे गले लगाते हुए कहता है, "कैसी है मेरी बच्ची!! मेरी कायरा!!" वो लड़की जिसका नाम कायरा है कहती है, बिल्कुल ठीक हूँ डैड !! फिर भुजंग दूसरी के पूछता है और मेरी छोटी मायरा कैसी है !! वो भी कहती है, बिल्कुल अच्छी हूँ डैड!!

भुंजग उन्दोनो लड़कियों से प्यार करते हुए कहता है, " अभी बोल दिया आगे से डैड सबके सामने मत बोलना, आपको याद है ना हमने क्या सिखाया था।"वो दोनों मुस्कुराती हुई कहती है। बिल्कुल याद है।

फिर भुजग कहता है, आपकी माँ ठीक है !! वो दोनों कहती है बिल्कुल ठीक है। फिर वो लड़का उसके गले लग कर कहता है, कैसे है अंकल !! हम बिल्कुल ठीक है मेरे शेर,!! आप तो अपने पिता से भी ज्यादा हैंडसम है, अधीराज चौहान "!!

क्या आप भी अंकल !!

तभी भुजंग उस अधेर उम्र के आदमी के गले लगते हुए कहता है,स्वागत है मेरे दोस्त "अलंकार चौहान "!!

प्रजापति महल

शाम के वक़्त वीर के साथ सयम की बहन अपनी दोनों दोस्तों के साथ अंदर आती है। तभी एक कहती है, यार मेरा मोबाइल गाड़ी मे छूट गया है। जिसे सुनकर वीर कहता है, मैं लेकर आता है। तभी वो लड़की कहती है, नहीं वीर भैया !! घर तो हम आ गए है। मैं आती हूँ कहती हुई, गाड़ी की तरफ बढ़ जाती है।

इधर जब वीर सबको लेकर अंदर आता है तो हॉल मे बैठे सभी लोग कहते है..... वीर के साथ दो लडकियाँ देख पृथ्वी कहता है, ये कौन है वीर !

वीर से पहले एक लड़की कहती है, हमारा नाम वृंदा प्रताप है और ये है हमारी दोस्त रेशमा सिंह !! एक और दोस्त है हमारी जो अभी बाहर है। हम माधवगढ़ की राजकुमारी है। ये सुनकर शुभ कहती है, आईये राजकुमारी!आपका स्वागत है। ये सुनकर वृंदा कहती है, आप हमे राजकुमारी नहीं कहे,!! वृंदा ही बुलाये, हमें अच्छा लगेगा।

इधर जैसे ही वो लड़की मोबाइल निकाल कर जाने लगती है, हार्दिक उसकी बाजु पकड़ कर कहता है, कौन हो तुम और यहाँ महल मे कैसे घुसी हो तुम

उसकी बात सुनकर वो लड़की घूरती हुई कहती है, बड़े बत्तमीज इंसान हो तुम ! मुझसे पूछने वाले हो कौन तुम और मेरा हाथ छोड़ो नहीं तो तुम्हारा दाँत तोड़ दूँगी !!

हार्दिक उसकी बाजु जोर से पकड़ कर कहता है,"जबाब तक तुम अपना नाम नहीं बताओगी तुम्हें जाने नहीं दूँगा !! लड़की गुस्से मे कहती है,"यू.....!!!! मेरा नाम साक्षी शर्मा है !! अब मेरा हाथ छोड़ो।"

हार्दिक उसे फिर पूछता है की तुम यहाँ क्यों आयी हो,!! तब तक वीर आकर कहता है, हार्दिक क्या हुआ,!! वीर कों देख हार्दिक साक्षी का हाथ छोड़ देता हैऔर कहता है, भाई ये मैं !!

वीर कहता है, ये हमारी मेहमान है हार्दिक!माधवगढ़ की राजकुमारी के साथ ये आयी है। ये उनकी दोस्त है। चलो साक्षी अंदर। साक्षी कहती है जी भाई !! वीर आगे बढ़ जाता है। साक्षी हार्दिक कों घूरती हुई कहती है, तुम्हें तो मैं देख लुंगी कहती हुए उसके पैर पर अपने पैर से मारती हुई  निकल जाती है।

हार्दिक अपना पैर पकड़ उधर देखते हुए कहता है, तुम्हें तो मैं छोरुँगा नहीं जंगली चुहिया !!

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माधवगढ़

दीक्षा सबके साथ प्रजापति महल के लिए निकलने लगती है। दक्ष कहता है, आप सब निकलिए महरानी सा!! हमे माधवगढ़ के राजा से कुछ जरूरी बात करनी है। ये सुनकर दीक्षा कहती है, ठीक है !! हम नानू, मामी सब के साथ निकल रहे है।

दीक्षा के जाने के बाद। सयम और दक्ष अंदर बैठ कर उस अल्बम कों देखने लगते है। जिसमे दक्ष के माता पीता के साथ साथ सबकी कॉलेज समय की तस्वीरें थी।

सयम कहता है, "आपको एक बात बतानी है दक्ष,!! "दक्ष कहता है बताईये क्योंकि हमे लगता है की ऐसा बहुत कुछ है जो हम नहीं जानते है।

सयम कहता है, हाँ !! आप बहुत कुछ नहीं जानते है। जबसे माँ -पापा कों मालूम हुआ की बुआ जी की एक बेटी और एक बेटा है। तब से वो बुआ कों ढूढ़ रहे थे। लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। जब मैं बाहर से आया तब मुझे उन्होंने बताया की मेरी एक बहन और भाई है।

मैं जब से यहाँ आया, उस दिन से हर कड़ी कों जोड़ता हुआ जा रहा था। तब मुझे तीन साल पहले मालूम हुआ की मेरी बुआ और उनके पति इस दुनिया मे रहे। इस खबर ने मेरी दादी सा के प्राण ले लिए। फिर मैंने अपने दोनों भाई बहन कों ढूढ़ने की कोशिश की, मैं कानपुर भी गया था लेकिन मेरी बुआ के ससुराल वालों कों उनसे कोई मतलब नहीं था। मुझे बहुत दुख हो रहा था की अगर नाक का सवाल दादू ने नहीं बनाया होता तो आज हालात कुछ और होते।

दक्ष कहता है, समझ सकता हूँ !! फिर सयम कहता है, अपनी खोज बिन के दौरान मुझे ये पता लगा की तुम्हारी माता पीता और काका काकी की मौत एक्सीडेंट से नहीं हुई थी और मेरे बुआ और फुभा जी की भी मौत रॉड एक्सीडेंट नहीं थी बल्कि उनको मारा गया था।

ये सुनकर दक्ष कहता है, क्या मतलब है तुम्हारा सयम !! सयम कहता है, तुम्हारी पीता जी दो साल बाद लौट रहे तुम्हारे चाची और चाचा जी कों लेने गए थे तो वो अकेले नहीं आ रहे थे। मालूम हुआ है की उनके साथ कोई तीन साल का बच्चा भी था। सही तरीके से मुझे ज्यादा कुछ नहीं मालूम चला क्योंकि मैंने सारा ध्यान दीक्षा और दिव्यांश कों ढूढ़ने मे लगा दी !!

लेकिन ये दावे के साथ कह सकता हूँ की एक्सीडेंट मे तो नहीं मारे गए थे। दक्ष उसकी बातें सुनकर कहता है अगर ये तुम कह रहे हो तो जरूर कोई खास बात होगी।

चलो कल के बाद इस पर फिर से खोजबीन करते है। सयम कहता है, हाँ जरूर !!

तभी दक्ष के नंबर पर किसी का मेसेज आता है, जिसे देख उसकी आँखे छोटी हो जाती है। वो सयम से कहता है, चलो. किसी जरूरी जगह जाना है। दोनों निकल जाते है।

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राठौर हवेली

अलंकार चौहान बैठा होता है, तभी रंजीत और दाता हुकुम आते है। वो दोनों अलंकार कों देख कर कहते है, तुम यहाँ क्यों आये हो !! ये सुनकर भुंजग कहता है, ये कैसी बात कर रहे है आप दोनों। मैंने इन्हें बुलाया है क्योंकि दक्ष का राजभिषेक होने वाला है।क्या आप लोगों कों ख़ुशी नहीं हुई इनको देख कर।

रंजीत जी बैठते हुए कहते है, ऐसी बात नहीं है की ख़ुशी नहीं हुई !! बहुत ख़ुशी हुई है हमे लेकिन यहाँ बात इनके आने की नहीं है। बात है की इनके आने से गड़े मुर्दे ना उखड़ने लगे । जो अभी हम नहीं चाहते है। हम चाहते है की राजभिषेक तक पुरानी चीजे सामने नहीं आनी चाहिए।

अलंकार कहता है, कह तो तुम ठीक रहे हो रंजीत। वही तो मैं सोचु मेरा यार!! मेरे आने से खुश क्यों नहीं है। रंजीत कहता है, तेरे आने से खुश क्यों नहीं होगा।

चलो मैं आने का कारण बता दू आज मेरे भाई साहब ने अपने परपोते के लिए बहुत बड़ा जश्न रखा है। मैं आया था भुजंग और दाता कों न्योता देने लेकिन अब तुम आ गए हो तो सब आ जाना।

ये सुनकर भुंजग कहता है, "हाँ भई !! एक बार और मौत का खेल खेलने से पहले जरा देख तो ले कौन कौन खिलाड़ी है, मैदान मे। ये सुनकर अलंकार कहता है, सही कहा तुमने भुजंग !!

तभी कायरा, मायरा और अधीराज आते  हुए कहते है, क्या बात है डैड !!

ये सुनकर उनतीनों की तरफ रंजीत और दाता हुकुम देख कर कहते है, ये तुम्हारे बच्चे है अलंकार !! हाँ भई ये तीनों मेरे बच्चे है। फिर अपने बच्चों से कहता है, चलो नमस्ते करो !! तीनों नमस्ते करते है, तभी विराज जो दो दिन के बाद घर आया था। उसे देख कर भुंजग कहता है, विराज तुम दो दिनों से कहाँ थे। तभी पीछे से ओमकार आते हुए कहता है, राठौर साहब ये हमारे साथ थे।

ये सुनकर विराज उसकी तरफ देखता है।ओमकार अपनी पलकें झपका देता है। भुंजग कहता है, क्या बात है, दोनों दुश्मन दोस्त कब बन गए। ये सुनकर विराज कहता है,"बाबा सा !! जबाब मंजिल एक हो तो दुश्मनी भी एक. हो जाती है। ये सुनकर सभी हँसते हुए कहते है, ये हुई भुंजग राठौर की बेटे वाली बात !!

तभी अधीरज और कायरा उसके गले लगते हुए कहते है, कैसे हो विराज !! विराज दोनों के गले लग कर कहता है, मैं बिल्कुल ठीक हूँ,!! तुम दोनों कैसे हो !! वो दोनों भी कहते है, हम बिल्कुल ठीक है।

मायरा विराज के गले लग कर कहती है, मैंने तुम्हें बहुत मिस किया विराज!! विराज उसके गले लगने से थोड़ा असहज हो जाता है,वो खुद से उसे अलग करते हुए कहता है, मैं बिल्कुल ठीक हूँ मायरा !! और तुम भी बिल्कुल ठीक लग रही हो !!

मायरा कों अच्छा नहीं लगता जबाब विराज उसे खुद से अलग करता है लेकिन वो कुछ कहती नहीं है।

विराज भुजंग से कहता है, " बाबा सा!! मेरी कुछ मीटिंग है तो मैं बाहर जा रहा हूँ। "भूंजग कहता है, ठीक है तुम जाओ लेकिन कल का दिन खुद कों व्यस्त मत रखना!! क्यों बाबा सा ? वो इसलिये क्योंकि प्रजापति महल मे कल. जश्न है उसमें हम सभी का रहना जरूरी है।जी ठीक है, कहते हुए निकल जाता है और उसके पीछे ओमकार भी चला जाता है।

उन्दोनो कों जाते देख दाता हुकुम कहता है, सुना था दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है और आज देख भी लिया।"उसकी बातें सुनकर सभी हँस देते है। भुंजग कहता है, ये हमारे दुरूप का इक्का है इसलिये इसे हम इतना मानते है।

मायरा कहती है, वाव!! मैंने आज तक राजसी जश्न नहीं देखा। इस बार देखूगी बड़ा मजा आएगा। ये सुनकर अलंकार कहता है, अधीराज आप इनदोनो कों शॉपिंग करवा दीजियेगा। जी डैड। फिर उन्दोनो कों देख अधीराज कहता है, चलो तुम दोनों। दोनों उसके साथ निकल जाती है।

सबके जाते ही रंजीत कहता है, तुमने सुना जयचंद अपने परिवार के साथ रातों रातों कही चला गया। ये सुनकर भुंजग कहता है डरपोक था इसलिये भाग गया। छोड़ो जीजा उसकी बातों कों।

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दीक्षा जबाब महल के अंदर आती है तो. सब उनसे मिलते है। सालों बाद हरिचंद्र जी से मिलकर राजेंद्र जी और तुलसी जी बहुत ख़ुश होते है। विक्रम कों पदमा कों देख लक्ष्य और सुमन उनके गले मिलते है।

तभी वृंदा आकर अपने दादा, माँ पापा से मिलती है। विक्रम जी कहते है,"पहले आ गयी लेकिन आपकी पहचान सबसे हुई याँ नहीं। वृंदा हंसती हुई कहती है, बाबा सा !! हम आपकी पहचान सबसे करवाते है,"ये है रानी माँ और राजा साहब " ये है लक्ष्य काका हुजूर  और सुमन काकी माँ, ये है प्यारी निशा और सुकन्या काकी और ये है प्यारे से मुकुल और चैतन्य काकु। ये है हमारे अर्चना काकी और अनंत काकु। "

अब मिलिए हमारे प्यारे भाई और भाभी, बहन सभी से से..... ये बड़े भाई सा पृथ्वी और भाभी माँ शुभ और ये है वकील भाई सा अनीश और वकील भाभी सा रितिका, ये है डॉक्टर भाभी सा तूलिका और ये है अतुल. भाई सा और ये है कनक भाभी सा और रौनक भाई सा।

अब मिलिए इनसे ये है हार्दिक, सौम्या दी, अंकिता दी और अनामिका और ये है वीर भाई सा, ये है हमारी दोस्त रेशमा और ये है साक्षी।

तभी पीछे से कोई हमारे बारे मे भी बता दो। तभी ये आवाज़ सुनकर दीक्षा मुड़ जाती है और पीछे अपनी आंसू भरी हुई आखों से देखती हुई कहती है, दिव्यांश !!

दिव्यांश दौड़ कर दीक्षा के गले लग जाता है। उसे देख रितिका और तूलिका भी दौड़ कर गले लगाती हुई कहती है, "कितने सालों बाद मिले हो। बिल्कुल दुबला हो गया है ये दीक्षा कहती है। दिव्यांश मुँह बना कर तूलिका की तरफ देखता है। तूलिका कहती है, घबरा मत प्यार मे अंधी हो गयी है, कितना हैंडसम हो गया है तु।

तभी अनीश कहता है, हमसे भी कोई मिलवा दो, नजरें बिछाए बैठे है।

दीक्षा एक. एक करके सबसे मिलवाती हुई कहती है ये है हमारा छोटा भाई दिव्यांश राय।दिव्यांश एक एक करके सभी बड़ो के पैर कों छूता है। तभी दीक्षा कहती है, ये है हमारे नानू और ये है हमारे मामा -मामी !! ये सुनकर दिव्यांश कहता है, मतलब हम समझे नहीं दी !!"

दीक्षा घर मे सभी कों बताती है माधवगढ़ मे कैसे उसे ये मायका मिला। सभी सुनकर खुश हो जाते है। फिर दीक्षा वृंदा कों देख कर कहती है, और हम है दीक्षा आपकी बहन भी और दक्ष भाई की पत्नी होने के नाते भाभी भी। बाक़ी बहुत लोग है जिनसे आप अभी नहीं मिली है, उनसे हम रात मे खाने के वक़्त मिलवा देंगे।

फिर शुभ, कनक, रितिका, तूलिका सब आकर विक्रम, पदमा और हरीशचंद्र जी कों घेर लेती है और मुस्कुराते हुए उनको देखती है। वो तीनों कुछ समझ नहीं पाते है। तभी दीक्षा कहती है, ये सभी आप तीनों कों घेर कर इसलिये खड़ी है क्योंकि हम पांचो ने सब कुछ साथ साथ बांटा है, रिश्ते भी। चाहे रिश्ता जिनका हो लेकिन बंटे है, हम सभी मैं !! पदमा जी कहती है, हम कुछ समझे नहीं बच्ची !!

दीक्षा कहती है, मामी जी !! हमारे साथ साथ ये भी आपको मामी, मामा, और नानू कह कर बुलाएगी और माधवगढ़ एक हमारा नहीं इनका भी मायका हुआ और हमारे साथ साथ ये भी आपकी बेटियाँ हुई।

ये सुनकर हरीशचंद्र जी के साथ साथ विक्रम और पदमा जी सबको प्यार और दुलार से कहती है, सालों बाद हमेहमारी घर की खुशियाँ मिल गयी। आप सबका स्वागत है। उसके साथ साथ दिव्यांश से कहते है और आपका भी हमारे बच्चे। दिव्यांश मुस्कुरा कर गले लग जाता है।

दिव्यांश कों देख उनकी आँखे नम हो जाती है लेकिन तीनों. अपने भाव कों छुपा लेते है।

तुलसी जी कहती है, अब मेल मिलाप हो गया हो तो बैठिये। सफर से आये है तो. कुछ चाय पानी होने चाहिए। तुलसी आवाज़ देती है, बरखा -झुमकी जरा सबके लिए चाय और कुछ नाश्ते का प्रबंध करो।

दीक्षा और शुभ कहती है, हम अभी देख लेते है, कहती हुई दोनों किचेन मे जाती है। दीक्षा शुभ से कहती है, जीजी हमे स्टोर रूम मे जाना है। शुभ कहती है, यहाँ मैं सबको चाय नाश्ता देती हूँ, तुम और कनक निचे चली जाओ। दीक्षा कहती है, कनक अभी अपने माँ बाबा के साथ है तो उनको छोड़ देते है। शुभ कहती है, रितिका अभी वृंदा सबके साथ है। तभी दीक्षा तूलिका कों इशारा करती है और शुभ से कहती है, मैं और तुली जा रहे है, आप यहाँ संभाल लीजिये।

दोनों स्टोर की तरफ जाती है। स्टोर रूम जो कई सालों से बंद था। अंदर आते ही दोनों खाँसने लगती है। दोनों अपने चेहरे कों नाक कई तरफ से बांधती हुई, एक दूसरे से कहती है, अरे यार !! शुरुआत कहाँ से करे !!

दीक्षा कहती है, एल्बम, डायरी बस यही दो चिज से हम अतीत मे झाँक सकते है। दोनों लग जाती है ढूढ़ने।

तभी हरीशचंद्र जी कहते है, जिसे देखने के लिए हम आये है, वो कहाँ है !! हार्दिक और वीर कहते है, बस हम. अभी बुला कर लाते है। वो दोनों दक्षाशं कों लेने बगीचे कई तरफ जाते है। दक्षांश माली से बात करते हुए पेड़ पौधों कों देख रहा था। हार्दिक कहता है, जूनियर !! दक्षांश उसे देख कहता है, वीर काका, बडी !! आप दोनों। तभी हार्दिक कहता है चलिए आपसे किसी कों मिलवाना है।

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बाहर बगीचे मे दक्षांश कुछ पेड़ पौधों के साथ कर रहा था। तभी उसे किसी के रोने की आवाज़ आयी। दक्षांश उस तरफ गया तो देखा दो लडकियाँ मिट्टी मे गिर गयी थी। दक्षांश उन लड़कियों कों मिट्टी से उठाते हुए कहता है, ध्यान कहा था तुम दोनों का !! दिखा नहीं कीचड़ है और तुम दोनों हो कौन और तुम्हरा नाम क्या है?

दक्षांश के इतने सवाल सुनकर एक लड़की कहती है, एक एक करके सवाल पूछ सकते थे ना भैया!! मेरा नाम वर्षा है और ये मेरी बहन मेघा है। हमदोनों वो जो घर है। दक्षाशं उधर देख कर कहता है, सर्वेंट क्वाटर !! वो दोनों कहती है, हाँ !! हम उसमें रहते है।

हमने सुना की कल यहाँ बहुत बड़ा जश्न होने वाला है, इसलिये हम दौड़ कर माँ कों बताने जा रहे थे की क्या हम भी वहाँ जायेगे। हमारे लिए नए कपड़े लेने चले क्योंकि हमने कभी कोई जलसा नहीं देखा।

दक्षांश मुस्कुरा देता है और कहता है, अच्छा ये बात है। चलो तुमने मुझे भैया बनाया है तो इस ख़ुशी मे, हम तुम्हारी लिए कपड़े मंगवा देंगे। तभी मेघा कहती है, क्या आप हमारे साथ खेलेंगे!! दक्षांश कहता है, हाँ जरूर खेलूँगा लेकिन स्कूल से आने के बाद। वर्षा हंसती हुई कहती है, हम भी स्कूल जाते है।आप यहाँ क्या कर रहे थे!!

दक्षाशं कहता है, मुझे पेड़ पौधे बहुत पसंद है और जब भी मेरा मन नहीं लगता तो, मैं इनके पास चला आता हूँ और इनकी देख रेख करता हूँ। मेघा कहती है, तो क्या हम भी आपकी मदद कर सकते है। दक्षाशं कहता है, क्यों नहीं,!! लेकिन बाद मे, अभी तुमदोनों के कपड़े गंदे हो गए। पहले इनको बदल कर आओ।

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विराज और ओमकार एक दूसरे से कहते है, क्या लगता है.... वो सब आएंगे। दोनों क्लब मे बैठे हुए होते है। विराज कहता है, जब तक आ नहीं जाते कुछ कहना मुश्किल है।

तूलिका के हाथ एक पुरानी डायरी लगती है और दीक्षा के हाथ पुरानी अल्बम !! तूलिका कहती है देख मुझे क्या मिला,!! इधर दीक्षा भी कहती है, मुझे भी पुरानी अल्बम मिल गयी है। तूलिका कहती है, मेरे हाथ तुम्हारी सासु माँ की डायरी लगी है. जिसे सुनकर दीक्षा कहती है, कमाल है !! इस डायरी के बारे मे दक्ष कों क्यों नहीं मालूम है!

तूलिका कहती है, " हो सकता है कभी जीजू ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया हो। उन्हें सच मे लगा हो की माँ बाबा सभी एक्सीडेंट मे ही मारे गए हो इसलिये उन्होंने सिर्फ खुद कों मजबूत करने मे इतना वक़्त लगा दिया की. भविष्य मे कोई भी उनके परिवार कों हानि ना पहुंचा सके।"

दीक्षा वो डायरी पर हाथ फेरती हुई कहती है, शायद तुम ठीक कह रही हो। तूलिका कहती है, अभी पढ़ना है इसे,!! दीक्षा कहती है अभी नहीं कल के जश्न के बाद।

दोनों स्टोर रूम से निकल जाती है।

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हार्दिक साक्षी जो अपने कमरे की तरफ जाती है, उसे देख कर पीछे से आता है और उसके मुँह पर हाथ रख कर सीधे अपने कमरे मे ले जाता है और दरवाजा बंद कर देता है।लेकिन जब उसकी आखों मे देखता है तो साक्षी का डर की वजह से पूरी आँखे लाल हो जाती है और वो काँपने लगती है।

साक्षी कों ऐसे डरते देख, हार्दिक जल्दी से उसके मुँह पर से हाथ हटा लेता और उसे इस तरह से डरते हुए देख हार्दिक घबरा जाता है। उसे कहता है देखो मै बस मजाक कर रहा था, मेरा इरादा तुम्हें हर्ट करने का बिल्कुल नहीं था।

फिर जल्दी से टेबल से पानी का ग्लास उठा उसके होठों से लगाते हुए कहता है, इसे पी लो। फिर वो जल्दी जल्दी पानी पी लेती है लेकिन वो अब भी घबरा रही थी। तब हार्दिक उसको अपनी बाहों मे भर लेता है और उसके पीठ कों सहलाते हुए कहता है, "शांत हो जाओ और मुझे माफ कर दो !! मैंने नहीं सोचा था की मेरा इतना छोटा मजाक तुम्हें इतना डरा देगा।

अब तक साक्षी खुद कों संभाल लेती है और कहती है,"ऐसे किसी का मुँह बंद कर दोगे किसी अनजान जगह पर तो वो लड़की डरेगी नहीं तो नाचेगी ख़ुशी से !!ये कहती हुई उसे घूरती है।

हार्दिक हँसते हुए कहता है, ओह गोड!चलो अच्छा हुआ तुम हँसी तो सही लेकिन ये बात याद रख लेना। ये प्रजापति महल है यहाँ स्त्रियों का आदर और सम्मान किया जाता है। यहाँ तुम्हारी साथ कभी कुछ गलत नहीं होगा। रही बात अभी जो मैंने की वो तो तुम्हें सबक सिखने के लिए की क्योंकि तुमने मेरे पैर कों अपने पैर से कुचल दिया था।अब तुम डर गयी तो फिर कभी बदला ले लूँगा। हार्दिक प्रजापति किसी का उधार नहीं रखता। ये बातें करते हुए दोनों बहुत करीब थे।

साक्षी तो इतने करीब से हार्दिक के फीचर्स देख रही थी। बड़ी बड़ी आँखे, सिल्की बाल हल्के माथे पर झुके हुए, लम्बी नाक, ख़ूबसूरत हर्ट शेप मे बना होंठ, जीम मे तैयार बदन, गेहूँवा रंग एक नजर मे किसी लड़की कों अपनी तरफ आकर्षित कर ले।

हार्दिक जबाब देखता है की साक्षी एक टक उसे निहार रही है तो वो धीरे से कहता है, क्या मै तुम्हें अच्छा लग रहा हूँ !! वो भी बहकी बहकी कहती है, बहुत ज्यादा !! हार्दिक मुस्कुरा कर कहता है तो क्या मै तुम्हें चूम लूँ... साक्षी फिर कहती है, हाँ!!

हार्दिक उसके दोनों गालों कों चूम लेता है। लेकिन साक्षी अब भी उसे ही देख रही होती है। तभी हार्दिक की नजर साक्षी के चेहरे पर जाती है.... छोटा गोल चेहरा, गोरा रंग, छोटी नाक, छोटे और पतले होंठ, होंठ के निचे एक प्यारा तिल, आँखे जादू भरी हुई, नाक मे प्यारी सी नोज रिंग, हार्दिक कों बहुत मोहक लग रही थी।

जबाब हार्दिक देखता है की साक्षी अब भी बेख्याली मे है तो वो धीरे से उसके होठों कों हल्का सा चूम लेता है। तभी साक्षी कों होश आता है और वो मुस्कुराते हुए हार्दिक कों देखती है, जल्दी से उसके बगल से उठ कर खड़ी हो जाती है और अपने होठों पर हाथ रख उसे धका देती हुई कहती है, बेशर्म, बदमाश !! कह  भाग कर जाने लगती है, तभी हार्दिक उसके हाथों कों पकड़ कर कहता है, अभी तो मुझे निहारे जा रही थी। मुझे चूमने कों कह रही थी और अब मै बेशर्म हो गया।

साक्षी बिना उसके मुड़े शरम से लाल हुई जा रही थी।हार्दिक उसकी हाथों कों पकड़ अपनी तरफ घूमता है। साक्षी अपने सर कों निचे किये अपने चेहरे की लाली कों नाकामयाब कोशिश कर रही होती है। हार्दिक अपने हाथों से उसके चेहरे कों ऊपर उठा देता है। साक्षी की नजरें अब भी निचे झुकी हुई थी। हार्दिक कहता है अपनी नजर कों ऊपर कर मेरी तरफ देखो। साक्षी अपने सर कों ना मे हिलाती हुई इन्कार कर देती है।

हार्दिक कहता है, तुम बहुत खूबसूरत हो फिर उसके कानों के पास आकर कहता है, आज से तुम मेरी हो। इसलिये शर्माना छोड़ दो। ये सुनते ही साक्षी उसकी तरफ देखती हुई कहती है, लेकिन मेरा तो.!

हार्दिक उसके होठों पर ऊँगली रखते हुए कहता है, इस बारे मे बाद मे बात करेंगे। लेकिन एक बात याद रखना तुम हार्दिक प्रजापति की अमानत हो। फिर उसके माथे कों चूमते हुए कहता है। अगली बार जबाब मै अपनी बाहों मे तुम्हें लूँ तो तुम डरकर नहीं मुस्कुरा कर मेरी बाहों मे आना। ये कह कर हार्दिक अपनी बाहें फेला देता है।

साक्षी मुस्कुराते हुए उसके सीने से लग जाती है।

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इधर रेशमा अपने मे बात करती हुई महल मे घूम रही होती है। तभी उसे रितिका मिलती है। रितिका कों देख रेशमा पूछती है, भाभी मेरा कमरा कौन सा है? रितिका मुस्कुराते हुए कहती है दाहिने से तीसरा नंबर। रेशमा ध्यान से जाती है तभी उसे वृंदा फोन करके पूछती है, "तुम अपने कमरे मे हो? रेशमा कहती है नहीं यार!!इतना बड़ा महल है की मै कमरा ढूढ़ते ढूढ़ते थक गयी !! टू कहाँ है !! वृंदा कहती है, मै बाहर हूँ !! बनजारों की बसती की तरफ जा रही हूँ !! मैंने सोचा तुमदोनों थक गयी होगी इसलिये अकेले चली आयी। वैसे तुझे मिल गया तेरा कमरा !!

रेशमा कहती है,"हाँ यार बाएं से तीसरा कमरा है !! अच्छा अब तू रख मै रात मे खाने पर मिलती हूँ।दोनों एक दूसरे कों बाय कहती है।

रेशमा कमरे मे जैसे ही घुसती है..... जोर से चीखती है।

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विराज और ओमकार वी आई पी एरिया मे एक टेबल पर बैठे हुए ड्रिंक कर रहे होते है। तभी उसके पीछे दूसरे टेबल पर दो आदमी आकर बैठते है। दोनों ड्रिंक का ऑडर देते है और विराज के पीछे जो. आदमी बैठा होता है, वो पूछता है बताओं क्यों बुलाया।