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Heartless king

न्यूयोर्क शहर एक उँची ईमारत से, एक शख्स शीशे क़ी खिड़की के पास खड़ा  निचे आते -जाते हुए गाड़ीयों और लोगों को देख रहा होता हैँ..... उतनी ऊंचाई लोग और गड़िया उसे कीड़े माकोड़े क़ी तरह दिख रही होती हैं। वो निचे देखते हुए कुछ सोचे जा रहा था। तभी दो लोग अंदर आते हैँ, चलो हमें निकलना हैँ, काका हुजूर का बार बार फ़ोन आ रहा हैँ .... राजस्थान के लिए.... जैट तैयार हैँ......... वो शख्स, "हम्म्म " कहते हुए फिर से खिड़की क़ी तरफ देखते हुए और कहता हैं........... क्या उसके बारे कुछ मालूम हुआ, कहते हुए उसके आखों में एक दर्द उभर आया। दूसरा शख्स, "तुम आज तक नहीं भूले हो उसे..... सात साल हो गए.... कौन थी, कहाँ से आयी थी, केसी दिखती हैं,अब तक हमें मालूम नहीं हुआ,जैसे उसे जमीन खा गयी या आसमान निगल गया। जिन्दा भी हैं या मर गयी। तभी वो गुस्से में, उसका गला पकड़.... जस्ट शटअप दुबरा ये कहने की हिम्मत मत करना ये कहते हुए उसके आँखो में खून उतर आया। फिर झटके से उसे छोड़ दिया। वो खाँसते हुए अपने गले को सहलाता हैं। तभी वो मुड़ता हैँ और कहता हैँ..... उसकी पहली मुलकात के बाद यही कहूँगा क़ी उसके बगैर दिल कही लगता नहीं ज़ब तक जियूँगा उसे आखिरी सांस तक ढूढ़गा..... आगे महादेव क़ी मर्जी। तभी तीसरा शख्स छोड़ ना तू इसे जानता तो हैँ। तीनों निकल जाते हैं इंडिया के लिए.....

Dhaara_shree · Urban
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9. हंगामा

सभी हैरान हुए,पृथ्वी और रौनक की बगल मे खड़ी लड़कियों को देख रहे होते है। पृथ्वी के चेहरे पर तो कोई हैरानी नहीं होती लेकिन रौनक की तो चेहरे का रंग ही उतर चूका था।क्योंकि रौनक के बगल मे कनक खड़ी थी और पृथ्वी के बगल मे शुभ। जिसे देख कामिनी जी जल्दी से पृथ्वी के बगल मे खड़ी शुभ को खींचती हुई कहती है, "ए छौरी!!! ये सब क्या है??? तू कैसे हमारी पृथ्वी से सगाई कर सके हे।और और..... ये रौनक की बिंदनी कैसे हो सके हे।

कामिनी जी चीखती हुई सभी के तरफ देखते हुए कहती है..... अरे आप सब चुप क्यों हो???? बोलो ये सब.....!!!! और ये छौरी हमारी घर की बहु कैसे हो सके हे।लेकिन सभी चुप थे क्योंकि किसी को समझ नहीं आ रहा था की ये आखिरी हुआ कैसे??

किसी को कुछ ना बोलता देख राजेद्र जी गुस्से मे अपनी छड़ी को जमीन पर दो बार पटकते हुए कहते है हमे जबाब चाहिए। ये कैसे हुआ और..... हमें इसकी जानकारी क्यों नहीं हुई???

फिर तुलसी जी कामनी के हाथों से शुभ का हाथ छुड़ाती है, क्योंकि कामिनी जी बहुत जोर से शुभ के बाजु को पकड़ रखी हुई थी, और कहती है," शुभ बच्चा आप बताईये....। आप की सगाई पृथ्वी से कैसे हुई। शुभ जो कामिनी जी की इस तरह की प्रतिक्रिया पर अपनी सर झुकाये खड़ी थी.... उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की अभी वो क्या जवाब दे। क्योंकि उसका कुछ भी बोलना कहीं गलत प्रतिक्रिया ना दे दे इसलिए वो खुद को खामोश ही की हुई थी। बात को बिगड़ते देख पृथ्वी शुभ के पास आकर खड़ा हो जाता है और उसके कंधे पर अपने हाथ रखते हुए कहता है की.... "शुभ मेरी पसंद है और इसलिए आज मेरी शुभ के साथ हुई।इसलिए किसी को कुछ भी पूछने ka हक सिर्फ मुझसे है.... शुभ से नहीं। फिर शुभ के चेहरे को ऊपर उठा कर कहता है,"आपने कोई गलती नहीं की फिर आपने अपने सर को क्यों झुकाया है। आज के बाद आप अपना सर नहीं झुकायेगी।

फिर रौनक की तरफ रुख करता है। रौनक जो कनक के साथ ही खड़ा रहता है। पृथ्वी अपनी बात को बढ़ाते हुए कहता है,"रही बात रौनक की सगाई कनक के साथ। तब सबकी नजर कनक और रौनक पर जाती है जिनके चेहरे पर ना ख़ुशी थी ना मायूसी..... बस दोनों ही चुप थे। पृथ्वी कनक के पास आ कर उसकी तरफ देखते हुए कहता है। जानता हूँ आपके साथ ये गलत हुआ लेकिन भरोसा करिये मैंने कभी आपको उस नजर से नहीं देखा। हो सके तो मुझे माफ कर देना आप। फिर अपने भाई रौनक की तरफ देखते हुए कहता है," आपको हम पर भरोसा है ना छोटे। रौनक उसके गले लगते हुए कहता है..... भाई सा मुझे आप पर पूरा भरोसा है और ये सब क्यों हुआ किसलिए हुआ इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मेरे लिए आज से और अभी से मेरी होनी वाली पत्नी कनकलता ही है और मै ये रिश्ता पूरी दिल और ईमानदारी से निभाउंगा और ये बात कहते हुए..... वो कनक की तरफ देख रहा होता है। कनक की नजर भी उसी पर थी। दोनों ने एक दूसरे को अपनी नजरों से सहमति दे रखी थी बस इंतजार था  एक दूसरे से बात करने की।

पृथ्वी फिर  राजेंद्र जी के पास आकर, उनके हाथों को अपने हाथों मे लेकर कहता है..... दादा सा ये सब हमने दादू सा की मर्जी से किया है।क्योंकि हम अपने खानदान और दादू सा को हमेशा खुद के ऊपर रखते है, इसलिए हमने जो भी किया उसमें दादू सा भी शामिल थे।

सभी रंजीत की तरफ देखते है।

कोई कुछ कहता उससे पहले रंजीत जी और जय जी आगे आकर कहते है..... हमें बताते है आप सब को...।तभी दोनों एक झूठी कहानी पुरे परिवार के आगे रखते हुए,कहते है की.... लतिका की कुंडली मे दोष था इसलिए उनकी शादी रौनक जी से नहीं हो सकती थी। हमने ये बात ज़ब समधी सा के आगे कहीं तो उन्होंने पृथ्वी जी से बात की.... फिर पृथ्वी जी ने हमें अपनी दिल की बात बताई, और हम सबकी मर्जी से, ये सगाई हुई है । जिसे सुनकर राजेद्र जी कहते है..आप सबने इतना कुछ कर लिया, फैसला भी ले लिया लेकिन किसी ने हमसे पूछना या बताना जरूरी नहीं समझा....!!!! अरे हमारी छोड़िये!!! चलिए मान लेते है की पृथ्वी ने अपनी पसंद की लड़की से सगाई कर ली।.रौनक को भी कोई एतराज नहीं  हुआ इस सगाई से.... लेकिन किसी ने . कनक बेटी से  पूछा, की वो क्या चाहती है क्या वो भी रौनक को उसी रूप मे देखतीह जिस रूप मे रौनक उन्हें देखता है????

जिसे सुन सभी कनक की तरफ देखते है। कनक अपनी तरफ सबको देखते हुए कहती है की, " जी मुझे मालूम था राजा साहब!!! की मेरी सगाई रौनक जी से हो रही है और इसमें मेरी भी रजामंदि थी, मुझे कोई परेशानी नहीं है रौनक जी को अपने जीवन साथी के रूप मे देखने मे । जिसे सुन सभी हैरान होते है और रौनक भी।

दूर से दक्ष दीक्षा के साथ खड़ा सब कुछ देख रहा होता है और दीक्षा धीरे से कहती है, "दक्ष ये सब आपने किया ना "। स्वीट्स ये बात हमें बाद मे करेंगे घर पर।

स्नेहलता जी कामिनी जी के पास आकर कहती है.... काकी सा ये बात हमे पहले ही मालूम हो गयी थी इसलिए हमने  लतिका को सुमेर और उनकी पत्नी के साथ घर भेज  दिया था।

रंजीत जी राजेंद्र जी के पास आते है और अपनी कुटिलता की कलाकारी दिखाते हुए कहते है,"भाई सा आप अपने इस छोटे भाई को माफ कर दे। हमें ये बातें आपको पूछ कर करना चाहते थे लेकिन इतना वक़्त नहीं था हमारे पास और हमारे खानदान की इज्जत पहले बचानी थी इसलिए हमने ये सब बिना आपसे पूछे कर लिया और अपने दोनों हाथों को जोड़ते हुए रोने लगते है।

उनका रोना देख अनीश दक्ष के कानों मे कहता.... तुम्हें नहीं लगता की दादा सा को अमरीश पूरी का रोल मिलना चाहिए था। दक्ष उसकी तरफ देखते हुए कहता है.... और तुझे नहीं लगता की तुझे जॉनी लिवर का रोल मिलना चाहिए था। दोनों एक दूसरे को घूरते हुए फिर आगे देखने लगते है.

राजेंद्र जी.... रंजीत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहते है..... रंजीत हमे बुरा नहीं लगा। ये सब अचनाक हुआ इसलिए हमें नाराजगी हुई। वैसे अब समझ कर देखे तो ठीक ही हुआ क्योंकि हमारी पृथ्वी को उनकी पसंद की दुल्हन मिल गयी और रौनक को भी अच्छी जीवनसंगनी मिल गयी है। फिर उसके कंधे को थपथपाते हुए कहते है..... चलिए रात काफ़ी हो गयी है। तो सब जा कर आराम कीजिये। आज के लिए बहुत तमाशा हो गया है... अब अगले पांच दिन बाद शादी है। उसमें इस बात का सभी ध्यान रखे की कोई गलती ना हो।

फिर जयचंद की तरफ देखते हुए कहते है.... हम चाहते है की आज काफ़ी रात हो गयी है इसलिए आप सब आज यही आराम कर ले। लक्ष्य....। जी काका साहिब। आप इन सभी के रहने का इंतजाम कीजिये। फिर एक नजर दक्ष पर दी। दक्ष ने अपनी पलकें झपकाते हुए इशारे मे कुछ कहता है। राजेंद्र जी आशवस्थ होते हुए चल जाते है.... उनके पीछे तुलसी जी भी कनक और शुभ के माथे पर हाथों को फेरती हुई चली जाती है।

एक कमरे मे रंजीत जी, जयचंद, कामिनी जी, स्नेहलता, लक्षिता और शमशेर बैठें होते है.... फिर रंजीत जी कहते है...

कुछ समय पहले

रंजीत और जयचंद ज़ब बाहर आते है तो उनको एक कागज मिलता है। जिसमे लिखा होता है,

कैसे हो रंजीत प्रजापति और जयचंद सिंह.....

वीडियो के कुछ सीन भेजे थे। कैसा लगा मेरा तोफा।हाँ!!!हाँ!!!जानता हूँ बहुत खुश हो गए होंगे इतना बड़ा तोफा पा कर।

तुम दोनों खेल तो बहुत अच्छा खेला है लेकिन इस बार हुक्कम का इक्का मेरे पास है। और अगर तुम दोनों चाहते हो की ये बात सामने नहीं आये तो जितना कहुँ वही करो।

कनक की सगाई और शादी रौनक से होगी पृथ्वी से नहीं।

अगर तुम दोनों ने मेरी बात नहीं मानी और कोई चालाकी की तो,जिसे देख तुम्हारे चेहरे के रंग उड़ गए। उसे देख कर सोचो तो अंदर महफिल मे कितने के रंग खिल जायेगे और अगर तुम्हारे परिवार वालों ने देख लिया तो सोचो तुम दोनों की जिंदगी मे तो दिवाली आने से पहले ही आतिशबाजी शुरू हो जायेगे।

तुम्हारा सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा

हितैशी🙏🙏🙏

रंजीत उस पर्चे को हाथों से मोड़ कर फाड़ते हुए कहता है...."". कौन है ये!!!  जिसने हमारे साथ ऐसी हरकत करने की कोशिश की। जयचंद भी गुस्सै मे था, लेकिन उन्दोनो को समझ नहीं आ रहा था की इस तरह की हरकत कौन कर सकता है।छोड़ो इस बारे मे, हम बाद मे,सोचेंगे लेकिन अभी कैसे इस समस्या से निकले यही सोचना है रंजीत जी जयचंद से कहते है।

जयचंद तो मन ही मन इस बात से खुश था की उसकी बेटी लतिका की शादी रौनक से नहीं होगी लेकिन वो ये भी नहीं चाहता था की कनक की शादी रौनक से हो। लेकिन अभी उसके पास कोई रास्ता नहीं है। दोनों परेशानी मे होते है तभी रंजीत कहता है की तुम कनक से बात करो मै पृथ्वी से बात करता हूँ।

दोनों साथ मे अंदर जा रहे होते है की तभी सामने का नजारा देख रंजीत की आँखे बड़ी हो जाती है और जयचंद थोड़े गुस्सै मे आ जाता है क्योंकि....सामने वो दोनों देखते है की...

लतिका ओमकार के बहुत नजदीक थी। जिसे देख जयचंद गुस्से मे... अपनी मुठियों को बंद कर लेता है। ज़ब वो देखता है की लतिका युहीं अकेले खड़ी थी तो जयचंद आकर बेख्याली मे खड़ी लतिका की बाजु पकड़ गुस्सै मे कहता है....ये क्या था लतिका?????

रंजीत गुस्सै मे और कुछ कहता है की उससे पहले रंजीत जी कहते है, "इससे क्या पूछ रहे हो.... जो था हमारी आखों ने देख लिया है। बात जो भी हो जयचंद अच्छा है की आपकी ये बेटी हमारी घर की बहू नहीं बनेगी । आप दोनों बाप बेटी अपनी बातें अपने घर मे करना अभी चलो।

दोनों आगे बढ़ जाते है और लतिका को समझ मे नहीं आता की ओमकार ने अभी अभी उसके साथ क्या किया। फिर खुद मे ख़ुश होते हुए कहती है की.... चलो मुझे जो पसंद है उसे मै भी पसंद हूँ.... दक्ष प्रजापति से ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं है ओमकार रायचंद। खुश होती हुई वो भी अंदर चली जाती है।

इधर अंदर मे, रंजीत जी अकेले खड़े थे तभी पृथ्वी आता है.... और आते के साथ कहता है.... दादू सा आपने बुलाया।

हाँ पृथ्वी!!!रंजीत जी उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहते है। दादू सा आप कुछ परेशान नजर आ रहे है। तभी जयचंद भी अंदर आते हुए कहते है की हमें आपलकी जरूरत है। जी कहिये राजा जी मै आपके लिए क्या कर सकता हूँ। रंजीत जी कहते है की हमें आपकी सगाई राजकुमारी कनक के साथ नहीं होने दे सकते है।

पृथ्वी ये सुन अंदर से इतना खुश होता है लेकिन अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं लाता हुआ कहता है, मतलब क्या है दादू सा आपका। जयचंद थोड़ा नाटक करते हुए कहता है की कनक की कुंडली आपसे नहीं मिली और रौनक से मिली है इसलिए। उसकी आगे बात रंजीत जी पूरा करते हुए कहते है की इसलिए हम चाहते है की आपकी सगाई अब कनकलता से नहीं हो।

लेकिन सवाल ये है की यहाँ सारे मेहमानों को मालूम है की आज आप दोनों भाइयों की सगाई है और ऐसे मे सिर्फ रौनक की सगाई ऊपर से उनसे जिनसे आपकी सगाई होने वाली थी समझ नहीं आता की हम क्या करे।

रंजीत जी बड़ी उम्मीद से पृथ्वी की तरफ देखते है। तब पृथ्वी कहता है की सिर्फ आपके लिए दादू सा हमने इस शादी के लिए हाँ कहा था। हाँ हम जानते है पृथ्वी, आज तक आपने अपने दादू सा को कभी निराश नहीं किया। बस अभी भी हमें आपसे यही उम्मीद है की आप कोई ना कोई हल जरूर निकाल लेगे।

फिर पृथ्वी  कहता है,"दादू सा!!! मेरी सेक्टरी है शुभ प्रियदार्शनि जो अनाथ है और अभी ऐसी परिस्थिति मे वही है जो मेरी बात मान सकती और मेरे साथ बिना कोई सवाल किये सगाई कर सकती है। लेकिन ये सिर्फ मै आपकी और अपने परिवार की इज्जत बचाने के लिए करुँगा।

जिसे सुन रंजीत जी कहते है लेकिन पृथ्वी ये कैसे हो सकता है?? दादू सा इसके आलावा और कोई तरीका नहीं है इस समस्या से निकलने का। फिर ज़ब सब कुछ हो जायेगा फिर परिवार को भी तो समझना होगा लेकिन मेहमानों के आगे हमारी इज्जत बच जाएगी। जयचंद कहते है... प्रजापति जी हमें लगता है की पृथ्वी बेटा ठीक कह रहे है।

हम्म्म्म तो फिर चलो।

फिर रंजीत जी अपनी बात कहते हुए चुप हो जाते है।

कामिनी जी और स्नेहलता जी गुस्से मे उन्दोनो को देखते हुए कहती है.... ऐसा क्या था उस वीडियो मे जो आप दोनों को ये कदम उठाना पड़ा।

दोनों उनकी बात सुन कर चुप हो जाते है और कुछ कहते नहीं।

इधर रौनक अपने कमरे मे जा रहा होता है तो उसकी नजर कनक के कमरे की तरफ पड़ी। कनक के दरवाजे को खुला देख रौनक उसके कमरे मे चला आता है। कनक खिड़की के पास खड़ी चाँद को देख रही थी। उसके लम्बे काले बाल खुले, रात की ठंडी हवा मे लहरा रहे थे। रौनक को उसे पीछे से देख उसके दिल मे एक अलग अहसास जग रहे होते है। वो कनक के पास आकर खड़ा हो जाता है। खिड़की के पास दोनों खड़े चाँद को देख रहे होते है। दोनों की बिच सुकून भरी ख़ामोशी थी।

रौनक उस ख़ामोशी को तोड़ता हुए, चाँद देखते हुए कहता है, "आपको ज़ब सब कुछ मालूम था फिर भी आपने सगाई के लिए हाँ क्यों कहा!!!!"और उसकी तरफ देखने लगाता है। चाँद की रौशनी मे कनक के चेहरे का नूर चमक रहा होता है..... जिसे देख रौनक उसकी हुस्न की खूबसूरती मे खो गया था लेकिन ज़ब उसकी नजर कनक की आखों मे पर जाती है तो उसकी खाली आखों को देख उसका दिल जब्त हो जाता है, लेकिन वो कुछ कहता नहीं बस कनक के बोलने का इंतजार कर रहा होता है।

कनक रौनक की तरफ देखते हुए कहती है,"रौनक जी बात तब मेरी पसंद ना पसंद की होती ज़ब मुझसे पूछा जाता। मुझे तो आदेश दिया गया जिसे मुझे पूरी करनी थी।क्योंकि घर की इज्जत तो सिर्फ बड़ी बेटी के कंधे पर होती है, जिसे उसे पूरा करना ही होता है, यही उसका धर्म, कर्म है।"

रौनक उसकी बात सुन उदास होते हुए कहता है, " ठीक है, "अगर आपकी रजामंदी से ये सगाई नहीं हुई तो हम आपको जबरदस्ती के रिश्ते मे नहीं बंधने देंगे और आप फ़िक्र ना करे सारे इल्जाम मै अपने सर ले लूँगा। आप पर कोई इल्जाम नहीं आएगा। कहता हुआ उसके बगल से निकलने लगता है," तभी कनक उसकी बाजु पकड़ लेती है। इस तरह पकड़ने से रौनक उसकी तरफ देखने लगता है। दोनों कुछ पल के लिए एक दूसरे की आखों मे खो जाते है।

कनक कहती है लेकिन मैंने आपसे ये तो नहीं कहा की मुझे इस रिश्ते या आपसे एतराज है। मै प्यार तो आपके बड़े भाई सा से भी नहीं करती थी, ना आपसे ही करती हूँ। लेकिन कुछ है जो आपसे मुझे बांधता है। ये कैसे जज़्बात पनप रहे है, मेरे अंदर नहीं मालूम लेकिन जो भी है.... आपके साथ इस रिश्ते को वजह देने के लिए काफ़ी है। बाक़ी आप पर सब कुछ छोड़ती हूँ, अगर आप चाहे तो रिश्ता तोड़ सकते है। राहुल कनक बात सुन कर मुस्कुराते हुए कहता है, " हम आपसे कुछ नहीं छिपाएंगे, "हमें लतिका पहली नजर मे पसंद थी, लेकिन सिर्फ पसंद थी जिसे हम प्यार नहीं कह सकते। हमारे दिल मे उनके लिए कोई अहसास नहीं था वो हमारी नजरों को पसंद लेकिन हमारे अहसासों से नहीं जुड़ी थी।" और आप हमारे अहसासों से जुड़ी है.... ये कैसे अहसास है, ये हमें नहीं मालूम इसलिए हम भी इस अहसास के लिए आपसे रिश्ता जोड़े रखना चाहते है।

दोनों एक दूसरे की करीब, एक दूसरे की आखों मे आँख डाल कर बात किये जा रहे थे। शायद यही से उन दोनों की एक खूबसूरत रिश्ते की शुरुआत होने वाली थी।

पार्वती मेन्सन

दक्ष कमरे मे दीक्षा को अपने बाहों मे लिए सुला रहा था। दीक्षा भी दक्ष के सीने पर सर रख, सुकून भरी नींद सो रही होती है।तभी उसके मोबाइल पर X के नंबर से एक मेसेज आता है। दक्ष उस मेसेज को देख... अपनी आँखे बंद कर लेता है।

इधर अनीश रितिका की बालकनी मे खड़ा उसका इंतजार कर रहा होता है। रितिका ज़ब वाशरूम से, कपड़े बदल कर आती है, तभी उसकी नजर बलकनी मे जाती है..... रितिका कमरे से ही कहती है, "कौन है वहाँ???

ये सुन अनीश उसके कमरे मे आता है। आप यहाँ!!! हाँ," मै यहाँ!! सोचा तुम्हें गुडनाइट विश कर दूँ, " कहते हुए रितिका की तरफ देखता है।

रितिका मुस्कुराते हुए कहती है, तो फिर आपने गुडनाइट बोल दिया। अब आप जाइईये। अनीश उसकी बातें सुन हल्का मुस्कुरा देता है और उसकी कमर पकड़ कर अपनी तरफ खींचता है। ये ये आप क्या कर रहे है.... उसके सीने पर हाथ रखती हुई रितिका कहती है।अनीश उसे झुक कर देख रहा होता है और रितिका अपना सर उठा कर। दोनों मुस्कुरा रहे होते है की तभी अनीश के नंबर पर मेसेज की टोन बजती है। जिसे सुन अनीश उसकी माथे पर किश करते हुए कहता है.... सो जाओ छुईमुई। ये कहते हुए तेजी से रितिका के कमरे से निकल जाता है।उसे इस तरह से जाते देख रितिका खुद से कहती है, "इन्हें क्या हुआ???

अतुल बस तूलिका को बाहों मे लिए सो रहा होता है और उसके मोबाइल पर भी मेसेज आता है। अतुल अपनी मोबाइल देख धीरे से तूलिका को अपनी बाहों से हटा कर.... आराम से सुला देता है। फिर बाहर निकल जाता है।

तीनों एक साथ पार्वती मेंशन के स्टडी रूम मे होते है। तीनों के चेहरे के भाव बिल्कुल अभी ठन्डे हो रखे थे। अतुल तेजी से एक बुक सेल्फ से एक बुक निकलता, जिसके निकलते ही स्टडी रूम के एक तरफ का हिस्सा पूरी तरह से खुल जाता है। तीनों एक साथ उसके अंदर दाखिल हो जाते है। उनतीनों के अंदर दाखिल होते ही... वो हिस्सा इसी तरह से बंद हो जाता है जैसे पहले कुछ था ही नहीं।

तीनों एक साथ वहाँ से महल से बाहर निकल आते है। बाहर मे पहले से एक नकाबपोश इंसान उनका इंतजार कर रहा होता है। उस गाड़ी मे बैठने के साथ तीनों...रात के सन्नाटे को चिड़ते हुए वो गाड़ी तेजी से शहर से बाहर निकल जाती है। कुछ समय बाद चारों एक गाँव मे पहुंचते है।

ज़ब वो गाँव मे उतरते है तो वहाँ का मुखिया तेजी आकर अपना सर झुकाते हुए कहता है..... खम्माघणी राजा सा!!! पधारो।

दक्ष सर को झुका कर मुखिया का अभिवादन स्वीकार करते हुए, हाथ के इशारे से आगे बढ़ने को कहता है।

जहाँ रात के अँधेरे मे, चारों तरफ मसाल जल रहे होते है। सभी गाँव के लोग एक जगह इकठा हुए किसी के आने का इंतजार कर रहे होते है।

बिच मे कुर्सी लगी हुई थी जैसे सबको किसी के आने का इंतजार था।तभी मुखिया आगे आता है और पीछे से सभी आते है। सभी गाँव वाले एक साथ उन सभी के अभिवादन मे खड़े हो जाते है।

दक्ष सीधे उस कुर्सी पर बैठ जाता है, अनीश, अतुल और पृथ्वी दक्ष के पीछे खड़े हो जाते है।

दक्ष सभी. को बैठने का इशारा करता है। सभी एक साथ बैठ जाते है। दक्ष फिर इशारे से मुखिया से पूछता है।

मुखिया हाथ जोड़ते हुए कहता है, "राजा साहब "।

दक्ष अपनी सर्द आवाज़ मे कहता है"मुखिया "।  जी जी राजा साहब हाथ जोड़ते हुए कहता है।

मुखिया अगर चोट मिला है तो जरूरी है की पहले उस चोट पर मरहम लगाया जाय। ये नहीं की बिना मरहम पटी के सामने वाले को तब तक रखा जाये, ज़ब तक उसे कोई देख ना ले की चोट कहाँ कहाँ लगी है । ये बोलते हुए दक्ष सामने बैठी लड़की को देख रहा होता है। जो मैली - कुचली कपड़े पहन रखी हुई थी, जो जगह जगह से फटी हुई थी। जिसे उसके बगल मे बैठी हुई एक बूढ़ी महिला अपने आँचल से ढक रही होती है।दोनों सर झुका कर बैठी हुई होती है। उनकी अवस्था देख उन चारों का खून खोल जाता है।

माफ कर दीजिये राजा साहब गलती हो गयी, हाथ जोड़ते हुए मुखिया कहता है ।

दक्ष मुखिया की बात सुनकर, अपनी जगह से उठते हुए कहता है की,"मुखिया बात तुम्हारी माफ़ी की नहीं '. यहाँ बैठी इस लड़की  की है जिसे तुमलोगों ने सभी के बिच इस तरह से बिठा रखा है, कहते हुए अपने ऊपर से शाल उतार कर उसे ओढ़ा देता है।

दक्ष गुस्से मे, मुखिया की तरफ देखते हुए कहता है,

"मुखिया औरत की इज्जत बाजार की नहीं होती है।ये घर....की होती। जरूरी है हम सभी को ये बात समझना खास कर हम मर्दो को। लेकिन अफ़सोस तो ये है की हम मर्दो को ये बात समझ नहीं आती क्योंकि हमारी नाक नीची हो जाएगी,"कहते हुए दक्ष उस लड़की के पास आकर निचे बैठ जाता है और कहता है,"बच्ची!!! ऊपर देखो छोटी!!!"उसकी आवाज़ सुन वो लड़की अपनी आंसू भरी नजर से उसे सर उठा कर देखती है।नाम क्या है तुम्हारा??? झुमकी, वो रोती हुई कहती है।

ना ना.... बच्चे ऐसे रोते नहीं,दक्ष उसे देख कर कहता है की,"तुम मेरी छोटी बहन हो.... इसलिए बिना खबराये बताओ की क्या हुआ था तुम्हारे साथ"।

वो रोती हुई.... अपनी हाथों के इशारे से दिखाते हुए भीड़ मे खड़े एक लड़के को दिखाती हुई कहती है,"वो... वो.... राजा साहब वो.....है श्यामल । सभी भीड़ मे खड़े उस लड़के की तरफ देखते है।

दक्ष हल्का मुड़ता है तो उसके आदमी उस लड़के को पकड़ कर बिच मे लाकर खड़ा कर देते है। वो लड़का घबराते हुए कहता है, "मैंने कुछ नहीं किया.... राजा साहब.... मैंने कुछ नहीं किया...। दक्ष बिना उसकी तरफ देखे हुए  कहता है,"बच्चा बताओं क्या हुआ "। वो रोती हुई कुछ कहती की उससे पहले उस लड़के के माँ -बाप आगे आकर हाथ जोड़ कर खड़े होते हुए कहते है,"खम्बाघणी राजा साहब "। हमारे छोरे ने कुछ नहीं किया, ये छौरी ही माहरे छोरे के पीछे लगी पड़ीयो है। इसमें माहरे छोरे की कोणे गलती ना से राजा सा।

नहीं नहीं राजा साहब ये गलत है। इनका बेटा रोज मुझे हर जगह परेशान करता था। अपने प्रेम का इजहार करता था।फिर एक दिन मै भी इसकी बातों मे आ गयी ओर कल रात इसने मुझे मिलने बुलाया ये कहते हुए की इसके माँ बापू हमसे मिलने चाहते है मै भी अपनी बूढ़ी दादी को छोड़ इससे मिलने गयी लेकिन इसने मेरे साथ.... कहती हुई जोड़ जोड़ से रोने लगी।

वो लड़का दक्ष के पैरों को पकड़ कर कहता है,"मैंने कुछ नहीं किया राजा सा.... ये झूठ बोल रही है।"दक्ष उसकी तरफ झुक कर कहता है, अगर तुम सच मे, मेरे प्रकोप से बचना चाहते हो तो सच बोल दो। नहीं तो आगे मुझे ओर तरीके आते है सच बुलवाने के... ये कहते हुए दक्ष इतना क्रूर दिख रहा था की, उसे देख कर एक बार यमराज भी डर जाये ओर वो तो बस एक गाँव का लड़का है।

नहीं नहीं राजा सा, मुझे माफ कर दीजिये हाँ इसने जो कहा वो सब सच है।

मुखिया इन दोनों की अभी की अभी शादी करवाओ। ये सुनते ही उस लड़के के माता पिता.... बोलने लगे नहीं राजा सा हमें अपने बेटे को. इस लड़की के साथ नहीं होने दूँगी।

दक्ष उनकी तरफ अपनी गुस्से भरी नजर देखते हुए कहता है,"खबरदार जो किसी ने झुमकी के साथ कुछ भी गलत करने की कोशिश की तो, याद रखो सब की वो आज से दक्ष प्रजापति की बहन है। फिर उस लड़के के माता पिता की तरफ देखते हुए कहता है,

"आपके कहने से कुछ नहीं होगा ये हमारा फैसला है ओर एक बात अगर इस लड़की के ऊपर शादी के बाद एक खरोच भी आयी तो इसका जिम्मेदार तुम सब होंगे। ओर तुम्हें दक्ष प्रजापति की कहर से कोई नहीं बचा सकता है।

कुछ देर बाद वहाँ मंडप सज जाता है, पंडित आते है। झुमकी को दुल्हन की तैयार करके शादी की मंडप पर लाया जाता है। शादी शुरू हो जाती है। पंडित जी कन्यादान के लिए बुलाया है तो दक्ष, अतुल, अनीश और पृथ्वी चारों एक साथ आते है....। पंडित उन चारों को देख खबरा जाते है। दक्ष कहता है पंडित जी हम चारों अपनी बहन कन्यादान करेंगे। जिसे सुन कर सभी गाँव वाले उन चारों को देख हर्ष से उत्साहित होकर अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा कर जोड़ लेते है। सभी कन्यादान करने के बाद दादी के पास आते है और कहते है, ज़ब भी आपको जरूरत महसूस हो, अपने इन पोतों को बुला लेना दादी माँ।

जुग जुग जियो राजा जी। आप सबने मुझ बुढ़िया की इज्जत बचा लिया।फिर झुमकी और श्यामल के पास आते हुए कहता है,

"चाहे शादी किसी भी परिस्थिति मे हुई हो, तुम्हें हर वचन निभाना होगा झुमकी के साथ। इसके आखों मे आंसू नहीं आनी चाहिए। सभी याद रखो की ये दक्ष प्रजापति की बहन है।"

झुमकी के सर पर चारों हाथ रखते हुए कहते है, "खबराना नहीं बच्ची!बस याद कर लेना तुम्हारे भाई तुम्हारे पास होंगे। सदा खुश रहो!!!सदा सुहागन रहो।

कहते हुए सभी निकल जाते है।

दक्ष ज़ब रास्ते मे होता है तो पृथ्वी कहता है,"कब तक छुपने का इरादा है तुम्हारा ओर ऐसा क्या भेजा था तुमने दादू को जो उन्होंने सब कुछ खुद पर ले लिया।

भाई सा आपके पहले सवालों का ज़वाब बहुत जल्द दूँगा क्योंकि अब मुझे ये साजिश जो बरसों पहली रची गयी थी उसके कड़ी को जोड़ना है। ओर रही बात दूसरी तो जाने दीजिये। कुछ रजवाड़े को उनकी शॉक ले डूबती है, ऐसा ही कुछ शौख हमारे दादा सा की है जिसे वो किसी को नहीं बताना चाहते है। चलिए आपकी मंजिल आ गयी है।

वो दक्ष मै...!!! जरा शुभ से।

पृथ्वी की बात सुनकर, अनीश कहता है, भाई सा अपनी दो कुंवारे भाइयों पर भी तरस खा लो। लगे हुए हो अपनी सेटिंग मे। अब भाभी से मुलकात शादी के बाद ही होगी। हाँ भाई सा, अनीश ठीक कह रहा है क्योंकि अभी किसी को मालूम नहीं होना चाहिए की हमारे रिश्ते कैसे होंगे।हम्म्म्म तुम ठीक कह रहे हो।

दक्ष, दीक्षा को बाहों मे लिए सो रहा था। रात को देर से आने के कारण वो अब तक सो रहा होता है।सुबह ज़ब दीक्षा की आँखे खुली तो खुद को दक्ष की बाहों मे देख कर मुस्कुराने लगी। उसकी उंगलियां दक्ष के चेहरे पर घूमने लगती है, "खुद से ही कहती है,"सोचा नहीं था की दक्ष प्रजापति कभी मेरा होगा, सोचना तो दूर ऐसे तो ख्वाब भी नहीं देखे थे मैंने की दुनिया का सबसे हसीन इंसान सिर्फ मेरा ही है। और धीरे से उसकी नाक को चुम लेती है, और उठ कर जाने को होती है की तभी उसकी हाथों को दक्ष पकड़ते हुए नींद मे ही कहता है,"स्वीट्स ज़ब इतना हैंडसम इंसान सिर्फ तुम्हारा ही है तो तुम्हें नहीं लगता की उसे इस तरह से छोड़ कर नहीं जाना चाहिए।" दक्ष आप जाग रहे थे। छोड़िये मेरा हाथ सुबह होगा गयी है। दक्ष उसकी कमर की पकड़ कर अपने ऊपर करता हुआ कहता है..... "हाँ स्वीट्स ज़ब आप मेरी तारीफ कर रही थी तब मै जाग रहा था और अपनी प्यारी पत्नी के मुँह से अपनी तारीफ सुन रहा था। अच्छा जी तो जनाब अपनी तारीफ सुन कर ख़ुश होगा रहे थे। हाँ, लेकिन एक बात कहना चाहता हूँ, आपसे। कहिये मै सुन रही हूँ।

"स्वीट्स मुझे भी यकीन नहीं होता की दुनिया की सबसे हसीन लड़की सिर्फ मेरे लिए बनी है। मेरी जिंदगी मे आने के लिए शुक्रिया स्वीट्स।" फिर उसके होठों पर अपने होठों को रख कर दोनों एक दूसरे को किश करने लग जाते है।

चलो स्वीट्स हमें साथ मे नहाते है। नहीं दक्ष। बिल्कुल हाँ स्वीट्स कहते हुए उसे गोद मे उठा लेता है। कुछ देर बाद दीक्षा आईने के आगे आकर गुस्से मे दक्ष को देखती हुई कहती है, "आप कितने बुरे है दक्ष देखिये कहाँ आपने ये निशान दिए है, मै बाहर जाउंगी तो सभी देखेंगे तो क्या कहेंगे।

"स्वीट्स, पीछे से बाहों मे भरते हुए कहता है, तुम अपने मेकअप से छिपा लो स्वीट्स कहते हुए उसके कंधे को चुमते हुए कहता है,"मेरा मन तो तुम्हें छोड़ना ही नहीं चाहता है।"चलिए छोड़िये और मुझे तैयार होने दीजिये और आपके कपड़े भी निकाल दिए है।"ठीक है फिर अभी छोड़ रहा हूँ रात मे सारे हिसाब बराबर करुँगा कहते हुए उसके  ईर्बलो को काट लेता है। आअह्ह्ह दक्ष.....। ऊऊह्ह्ह्ह स्वीट्स।

इधर अनीश भी अपने कमरे मे सो रहा होता है। लेकिन रितिका सुबह उठ कर ब्रेकफास्ट तैयार करवा रही होती है, उसका साथ शुभ दे रही होती है।

क्या बात है रितिका, अभी तक दीक्षा नहीं उठी है। हाँ भाभी मुझे भी नहीं मालूम।

अतुल तूलिका को बाहों मे लिए सो रहा था। तूलिका उसके साथ सहज होती जा रही थी। तूलिका की आँखे खुलती है तो वो खुद को अतुल की बाहों मे पाती।

अपनी ऊँगली से अतुल के चेहरे को छुती हुई कहती है, "

तुम्हारे पास खुद को महफूज समझती हु। चाहती हु तुम्हारी बाहों मे पूरी जिंदगी दुनिया से छिप जाऊ। लेकिन मेरी जैसी लड़की ये ख्वाब नहीं दे  सकती।

क्यों नहीं ये लड़की ख्वाब देख सकती है, कहते हुऐ अपनी बंद आँख खोल कर अतुल देखता है। आप जाग रहे थे। हम्म ज़ब तुम्हारे हाथों की छुवन मेरे चेहरे पर चल रही थी।

अब बताओ क्यों नहीं देख सकती। ऐसा कुछ नहीं है अतुल जी। मैंने आपको बहुत परेशान किया और उसके लिए धन्यवाद।और जाने लगती है। उसके हाथों को पकड़ कर कहता है, "तूलिका तुम मुझे ये छुई मुई नहीं पसंद हो, ये अतुल जी, हाँ जी, ना जी!!! हुउहू.... बिल्कुल नहीं। मुझे तो तुम वैसी पसंद हो जो मेरी आखों मे डालती हुई कहती है, जंगली, जानवर.... और ना जाने क्या क्या???

जिंदगी रूकती नहीं मेरी शेरनी। कहते हुए उसके माथे को चुम लेता है।

तूलिका उसकी बातें सुन हल्का मुस्कुराती हुई  कहती है,'" जरूरी तो नहीं जो दिखे वही सच हो और तुम मेरे बारे मे जानते ही कितना हो।

तूलिका की बातें सुन कर, अतुल एक तिरछी मुस्कान के साथ उसे अपने करीब खींचता है और कहता है, "अगर ये कहुँ की मुझे मतलब सिर्फ आज से है तुम्हारे कल से नहीं। और अगर बात तुम्हारे बीते कल की है तो भरोसा रखो। मुझे वैसा ही पाओगी जैसा अभी हूँ। बस साथ मत छोड़ना मेरा कभी। बाक़ी जो है जैसा भी है सब कुछ संभाल लूँगा।"

अपने अंगूठे से उसके गालों को रब करते हुए, दोनों एक दूसरे को अपनी गहरी नजरों से देख रहे होते है। अतुल उसी तरफ देखते हुए कहता है..... हम्म्म्म तो शेरनी.... बनो। बाक़ी जो भी उसे संभालने के लिए तुम्हारा शेर हमेशा तुम्हारे साथ ही होगा। अब मुस्कुराते हुए मुझे एक गुडमॉर्निंग किश दो।

उसकी मुँह से किश की बातें सुन कर तूलिका उसकी तरफ देखते हुए कहती है.... क्या क्या कहा तुमने!!!जो तुमने सुना मेरी शेरनी। तूलिका उसे धका देते हुए कहती है, "शेरनी का मूड नहीं है की किसी बाघर बिल्ले से लिपटा लिपटी करे, कहती हुई तेजी से निकल कर वाशरूम चली जाती है। अतुल मुस्कुराते हुए कहते है,"इसी तरह चाहता हूँ की तुम बोलो फिर वाशरूम की तरफ देखते हुए कहता है,"तूलिका तुम्हारे कपड़े निकाल दिए है, आज तुम यही पहना। मै अपने कमरे मे जा रहा हूँ तैयार होने...।

तूलिका उसकी बात सुन कर आईने मे खुद को देखती हुई मुस्कुराने लगती है। तुम मुझे अच्छे लगते हो अतुल सिंहानियाँ।

कोई है घर मे हैलो.....!!!!!

सभी अपने अपने कमरे कमरे मे थे निचे की आवाज़ सुन कर.... दीक्षा कहती है दक्ष से, ये कौन आवाज़ दे रहे है, कौन आया है!!!!दक्ष मुस्कुराते हुए कहता है चलो निचे चल कर देखते है। आप मुस्कुरा रहे है तो आपको मालूम होगा ना, तो बताईये कौन आया है निचे। अरे रानी सा पहले निचे चलिए, फिर खुद देख लेना। कहते हुए निचे आने लगते है। सभी अपने कमरे से निकलते है और शुभ -रितिका भी किचेन से बाहर आती है तो सभी देखते है की....

"हाल मे करीब 3-4 लोग आकर जोर जोर से चिल्ला रहे होते है। उनमे से  एक लड़की दौड़ती हुई दक्ष से लिपट जाती है। जिसे देख कर दीक्षा के साथ साथ सभी की आँखे बड़ी हो जाती है।

दक्ष सभी को देखते हुए तुम सब अचानक यहाँ कैसे??? अनीश और अतुल भी चारों को घूर रहे होते है।

चारों सर झुका कर खड़े होते हुए कहते है, वो भाई हम सब शादी मे शामिल होने आये है। उनकी बातें सुन कर अतुल कहता है,"लेकिन हमने तो तुमलोगों को बुलाया नहीं फिर कैसे आये हो"।

एक मिनट और तुमलोगों को कैसे मालूम की शादी है!!! प्रश्नवाचक एक्सप्रेशन के साथ तीनों उन चारों को देख रहे होते है।

इधर दीक्षा, शुभ, तूलिका और रितिका ये समझने मे लगी होती है की कौन है ये चारों।

वो भाई, अनीश भाई से मालूम हुआ। अनीश उनकी बातें सुन कर अपनी आँखे बड़ी करते हुए उन चारों को देखता है और कहता है,"मैंने कब बताया तुम्हें "????

दक्ष और अतुल अनीश की तरफ घूरते है जिसे देख कर अनीश कहता है,"घुरो मत तुमदोनो मुझे नहीं मालूम की ये चारों नालायक मेरा नाम क्यों ले रहे है।"

अब बोलो भी मैंने कब बताया तुम सभी को।वो भाई आपने ज़ब आकाश को फोन किया था तो.... आपने अपना फोन कट नहीं किया था और आपकी और दक्ष भाई की बातें सुन ली थी। सॉरी भाई।

सॉरी के बच्चे !!! बेड मैनर।

दक्ष उनकी बातें सुन कर कहता है, ठीक है बातें खत्म करो। "स्वीट्स, यहाँ आना "। दीक्षा, दक्ष की बात सुन कर उसके पास आती है,"स्वीट्स इन चारों शैतानों से मिलो ये कहते हुए वो मुस्कुराते हुए, उन चारों को अपनी पास बुलाता है। चारों पास आते है इनसे मिलो ये है,"अंकित सिंघानियाँ और अंकिता सिंहानियाँ, ये दोनों अतुल के छोटे भाई बहन है। और ये है सौम्या मल्होत्रा और आकाश मल्होत्रा, अनीश के छोटे भाई बहन है।

और उन चारों को देखते हुए कहते है, तो शैतान मंडली, इन से मिलो ये है, दीक्षा दक्ष प्रजापति और ये है तूलिका और रितिका इनकी दोस्त और ये है शुभ प्रियदर्शीनी हमारी भाभी सा।

ओओओओ हमारी भाभियाँ कहते हुए चारों उन सभी से लिपट गए। और एक गोल घेरा बनाते हुए सभी घूमने लगे। सभी एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश थे।

और दक्ष, अतुल और अनीश एक तरफ खड़े होकर सभी को देख रहे होते है। यार दक्ष, तुझे क्या लगता है अब ये तूफान मंडली क्या करनी वाली है। पता नहीं अतुल देखते है। फिर उन सभी से दक्ष कहता है,"बस अब ज़ब आ गए हो तुम सब तो. आराम से बात कर लेना। स्वीट्स हमें ऑफिस के लिए निकलते है।

दक्ष मै भी चलती हूँ। हम्म्म्म ठीक है फिर चलो। अतुल -अनीश, रितिका और तूलिका भी साथ मे निकलने लगते है तो सौम्या कहती है भाई फिर आप सब जा रहे हो तो हमें क्या करेंगे। कुछ नहीं आज आराम करो कल से शादी के फंक्शन शुरू हो रहे है तो कल से सारे काम घर से ही होगी फिर सबके साथ रहना।

लेकिन भाई शॉपिंग भी हमने अभी तक नहीं की है। हम्म्म्म ठीक है फिर कल शॉपिंग कर लेना।

उसी बिच मे तूलिका कहती है की,"मेरा शायद मुश्किल हो आना क्योंकि बहुत दिनों से मै खुद की वजह से हॉस्पिटल से छुटी बहुत दिन से ले रखी थी।

दक्ष कहता है, "कोई बात नहीं तूलिका, तुम्हारी शॉपिंग भी दीक्षा और रितिका कर लेगी "। ठीक है दक्ष फिर मै चलती हूँ।

अतुल कहता है, रुको मै तुम्हें छोड़ देता हूँ। नहीं मै चली जाउंगी। नहीं चलो मै छोड़ दूँगा और उसका हाथ पकड़ कर निकल जाता है, जिसे देख कर सभी घूर कर देखते है।

दक्ष कहता है,"भाभी सा!! आप घर पर ही रहिये शादी तक। दीक्षा भी आज के बाद घर पर ही रहेगी शादी तक।

सभी निकल जाते है। अब चारों जो बचे हुए थे, वो शुभ की तरफ देखते हुए कहते है,"भाभी तो जल्दी से चाय पिए फिर बहुत सारी बातें करेंगे। हाँ जरूर मेरे छोटे देवर और ननद रानी। अभी चाय और नाश्ता लगवाती हूँ।"

ऑफिस पहुँचे की दीक्षा अपनी केबिन मे चली जाती है और दक्ष अपने केबिन मे।कुछ देर दीक्षा कुछ फ़ाइल और कॉफी लेकर दक्ष के पास आती हुई कहती है, "दक्ष ये कंस्ट्रक्शन साइड के मेटेरियल के पेपर है, और ये आपकी कॉफ़ी,। हम्म्म्म थैंक यू "स्वीट्स "। ओओओ मिस्टर प्रजापति आप भूल रहे है आप शायद भूल रहे है की, ये ऑफिस है आपका घर नहीं।

बिल्कुल नहीं स्वीट्स मुझे बिल्कुल याद है, लेकिन आप शायद भूल रही है की ये दक्ष प्रजापति का ऑफिस है, जहाँ उसकी मर्जी के बिना कोई नहीं आ सकता है।

जी मिस्टर प्रजापति अब जरा फ़ाइल देखिये हमें साइट विजिट पर भी जाना है। दक्ष फ़ाइल देखते हुए कहता है, आप ऐसा कीजिये रानी साहिबा,.... आगे कुछ कहता तभी उसके डेस्क पर फोन की घंटी बजी।

जिसे उठा कर दक्ष कहता है, बोलो। रिसेप्शन से कहा जाता है,"सर मिस्टर ओमकार रायचंद आये है आपसे मिलने।"नाम सुनते ही दक्ष की भौहे ऊँची हो गयी। हम्म्म्म उन्हें कुछ देर इंतजार करने को बोलो।जी सर, कहती हुई रिसेप्सनिस्ट सामने खड़े ओमकार को कहती है, सर आप वेटिंग एरिया मे थोड़ी देर इंतजार कीजिये, सर कुछ देर बाद आपसे मिलेंगे।

उसकी बातें सुन ओमकार का खून जल जाता है लेकिन वो चुप होकर वेटिंग एरिया मे बैठ जाता है।

इधर दीक्षा कहती है, अपनी बात पूरी कीजिये दक्ष। दक्ष उसकी बात सुनकर उसके हाथों को पकड़ अपनी तरफ खींचता हुआ कहता है,"वो रानी साहिबा मै कह रहा था की, आप घर जाईये और उन शैतानी टोली को साथ लीजिये और शॉपिंग कर लीजिये। भाभी सा को साथ ले लीजियेगा क्योंकि पृथ्वी भाई सा उनका इंतजार वहाँ करेंगे तो कुछ देर उन दोनों को भी वक़्त मिल जायेगा एक दूसरे से बात करने के लिए।

लेकिन हम अभी तो कुछ देर पहले ही आये है और फिर अभी क्यों??? वो भाई सा का फोन आया था इसलिए। दीक्षा, दक्ष की तरफ देखती है,.... दक्ष गहरी सांस भरते हुए उसे अपने लैंप पर बिठाते हुए कहता है, "मै जानता हूँ तुम्हारे मन मे बहुत सारे सवाल है, और मुझे वक़्त दो, मै तुम्हें एक एक करके सब कुछ बता दूँगा। कहते हुए उसके गालों को चुम लेता है और कहता है, जाओ निचे रितिका इंतजार कर रही है तुम्हारा।

ठीक है फिर शाम को मिलते है.....दीक्षा कहती हुई जाने लगती है । ओके.... दीक्षा... आवाज़ देते हुए दक्ष कहता है,"स्वीट्स vip लिफ्ट से जाना। ठीक है। बाय।

दीक्षा के जाने के बाद, दक्ष के चेहरे के भव बदल जाते है। रिसेप्शन पर फोन करते हुए कहता है,"मिस्टर राय चंद को भेज दो।

कंटिन्यू.....