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02. नया दिन , नयी सुबह और नया घर....

मेरी आंखें खुली , मैंने घड़ी की तरफ देखा तो सुबह के 9:00 बज रहे थे। सब कुछ मानो सपना जैसा लग रहा था। मैंने टेबल पर रखे गिफ्ट की तरफ देखा जो सॉन्ग ने मुझे दिया था। उसकी पैकिंग बहुत अच्छे से हुई थी। जरूरी ये मेरी प्यारी दोस्त ने अपने हाथों से किया होगा यह सोच कर मैं मुस्कुरा उठी, मैंने अभी तक उसे खोल कर नहीं देखा था। मैं यही सोच रही थी कि अचानक से मुझे मां की चिल्लाने की आवाज आई। मैं झट से बिस्तर पर खड़े हो गई और नीचे की तरफ भागी।

वहां मैंने देखा मां के सामने एक छोटा सा कुत्ता का बच्चा था जो शायद गलती से हमारे घर के अंदर आ गया। कुत्ते ने पीले रंग का कपड़ा पहना हुआ था और उसके गले में एक सुंदर सी चैन थी जिस पर किंग लिखा हुआ था ।।।

इसके घर वाले शायद इसे कुत्ता नहीं शेर समझते हैं यह सोच कर मैं हल्के से मुस्कुराई। मां ने मुझे जल्दी से इसे बाहर ले जाकर , इसके मालिक को इसे वापस लौटाने को कहा ! मैं कुत्ते को लेकर तुरंत घर के बाहर निकली और थोड़ी दूर दूर तक जाकर इसके मालिक को ढूंढने लगी। वहां मुझे कोई नहीं दिख रहा था।

मैं जैसे कुत्ते को लेकर पीछे मुड़ी और घर की तरफ जाने लगी तो तभी मुझे एक हल्की सी आवाज सुनाई दी।

सुनो....

मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो एक सुंदर सी लड़की मेरे पीछे थी। वह‌ काफी अमीर घर की लग रही थी उसने हल्के गुलाबी रंग का ड्रेस पहना हुआ था और उसके गले में मोतियों की सुंदर चैन थी।

उसने मुझे हल्के आवाज में कहा , यह कुत्ता हमारा है आपको यह कहां मिला।

यह गलती से हमारे घर के अंदर आ गया था , हमारा घर यही पास में है। मैंने जवाब दिया। उसने मुझे कुत्ते के लिए धन्यवाद कहां और कुत्ते की वजह से हुई कोई परेशानी के लिए माफी मांगी । कुत्ते के मिल जाने से उनके चेहरे पर एक अलग ही खुशी दिख रही थी उसके आंखों में आसूं थी और यह शायद खुशी के आंसू थे। उसने मुझसे कुत्ते को लेते हुए यह बताया कि मैं और मेरा भाई इस कुत्ते को काफी घंटों से ढूंढ रहे थे ।

तभी मेरे मोबाइल फोन में मां का फोन आया और मैंने जल्दी से उससे अलविदा ली और घर की तरफ भागी।

रास्ते में मुझे एक पार्क दिखाई दिया जहां मैं और मेरे दोस्त झूला झूला करते थे। मेरे घर के सामने रोड के कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था और रात में शायद बारिश भी हुई जिससे रास्ते पर कीचड़ हो रखा था।

मैं झूले की तरफ देख कर उसे याद कर रही थी फिर मुझे मां का ख्याल आया कि मां ने मुझे फोन कॉल किया था मैं जैसे पीछे मुड़कर मां को फोन लगाती उसी समय एक आदमी जोर से मुझ से टकरा गया और मैं तेज़ी से नीचे सड़क पर गिर गई।

वह बहुत मजबूत था , यह सोच कर मैंने जैसे चेहरे पर से बाल हटा कर ऊपर की तरफ देखा तो वहां कोई नहीं था मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वह इंसान आगे भागते जा रहा था। उसने रुक कर मुझे उठाने की जरूरत ही नहीं समझा । उठाने तो बहुत दूर की बात है उसने तो रुक कर या पीछे मुड़कर यह भी देखना जरूरी नहीं समझा कि मैं जिंदा भी हूं या उससे टकराकर मर गई।

कैसे कैसे लोग होते हैं दुनिया में,

यह बोलकर मैं धीरे से खड़ी हुई मेरे कपड़े कीचड़ से गंदे हो चुके थे। जल्दी से घर के अंदर गई तो मां ने होल का सारा सामान पैक कर लिया था और काम पर जाने की तैयारी कर रही थी। मां मेरी हालत देख कर जल्दी से नहाने को कहा और नाश्ता कर लेने को कहा और घर से चली गई। मैं नहाकर नस्ता करने किचन की तरफ गई तो मां ने किमची राइस बना रखा था। मां बहुत स्वादिष्ट खाना बनाती है उनका सारा खाना बहुत स्वादिष्ट होता है यह बोलकर मैं खाना खाने के लगी।

खाना खाते समय मुझे फोन की घंटी की आवाज आई मैं जल्दी से फोन को उठाया तो लाइन पर मां थी ‌। उन्होंने मुझे शाम तक तैयार होने को कहा और फोन काट दिया।

इस का मतलब हम आज दूसरे जगह जा रहे हैं, मैंने मन में कहा -

मैं मां के कमरे में जाकर उनका सामान पैक करने जाने लगी । मैंने जैसे ही मां के कमरे का दरवाजा खोला तो देखा मां ने अपना सारा काम कब का खत्म कर लिया था। शायद मां पूरी रात अपना सारा सामान ही पैक करती रही और सुबह हॉल का सारा सामान पैक किया ।

मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि मैं मां की कोई भी मदद नहीं कर पा रही थी ।

मां शायद मेरी अच्छी जिंदगी की शुरुआत के लिए यह शहर छोड़ रही है क्योंकि यहां उन्हें उनकी काम का अच्छा वेतन नहीं मिल पाता। जिससे वे मुझे कोई अच्छी सी कॉलेज पर पढ़ा सके। मैंने कई बार मां को अपने पार्ट टाइम काम के बारे में कहा, लेकिन माने मुझे हर बार मना कर दिया।

पता नहीं क्यों मां मुझे अभी तक बच्ची ही समझती है जो अपना ध्यान खुद नहीं रख सकती ।

शाम होने को थी मैं टैक्सी का इंतजाम कर रही थी और वह मेरे घर के बाहर थोड़ी देर में आने वाला था। मैं जल्दी से सारा सामान एक-एक करके घर के बाहर कर रही थी तो मुझे एक इंसान वहीं से गुजरते दिखा। उसने सफेद रंग का शर्ट और भूरे पैन्ट पहनी हुई थी। उसे देखकर पता नहीं क्यों मुझे सुबह वाले इंसान का ख्याल अचानक से आ गया जो मुझसे टकराकर मुझसे माफी भी नहीं मांगी और मेरी मदद भी नहीं की। मैंने उसे देखा था पीछे से, वह भाग रहा था शायद वह बहुत जल्दी में था। उसने पीले रंग का स्वेटर और सफेद रंग का जींस पहना हुआ था।

वह मेरी मदद करता तो वह शायद बिल्कुल उस प्यारे कुत्ते जैसा होता ।

जो मेरे घर में गलती से आ गया था, उसने भी पीले कपड़े पेहने थे।

लेकिन उसकी हरकत तो जानवरों जैसी भी नहीं थी ।

मैं यही सोच रही थी कि तभी गाड़ी की होर्न की आवाज जोर से आईं। मुझे समझ आ गया था कि ये वही गाड़ी है जिसमें मुझे जाना है।

मैं जल्दी से अपना सारा सामान गाड़ी की और ले जाने लगी तभी ड्राइवर भी मेरी मदद करने लगा और सारा सामान गाड़ी में अच्छे से रख दिया । उसने मुझे गाड़ी में बैठने का इशारा किया और मैं गाड़ी के अंदर बैठ गई । थोड़ी दूर में मां काम करती थी , हमें मां को वहीं से पिक करना था । थोड़ी दूर आकर मैंने खिड़की से मां को रास्ते के किनारे देख लिया। मैंने जल्दी ड्राइवर को गाड़ी रोकने को कहा और खिड़की से मां को आवाज देने लगी। मां ने मुझे तुरंत देख लिया था वह हमारी और आने लगी। मां जल्दी से गाड़ी में बैठ गई और गाड़ी चलना शुरू हो गई।

मैंने मां से पूछा हम कहां जा रहे हैं और हमारा नया घर कहां है...

मां ने सियोल कहा-

मैं थोड़ी देर के लिए शांत हो गई क्योंकि सियोल बहुत बड़ा शहर था और वहां का खर्चा भी यहां से ज्यादा होगा। थोड़ी खुशी थी कि मैं इतने बड़े शहर में जा रही हुं लेकिन मुझे डर भी था कि मां वहां अकेले सब कुछ कैसे संभालेगी।

मां ने गाड़ी के अंदर मेरी परेशानी शायद भाप ली थी उन्होंने मुझे चिंता नहीं करने को कहा और अपनी एक दोस्त के बारे में बताया कि वह वही रहती है कुछ दिनों पहले उनकी उनसे बात हुई थी । उन्होंने मां के लिए वहां एक अच्छा काम देखा है जहां मां को बस थोड़े से परिवार के लिए खाना बनाना है ।

यह सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ के मां अब किसी के घर में खाना बनाएगी। और मां ने मुझे यह भी बताया की जहां वह काम करेगी वह मेरी पढ़ाई का खर्चा खुद उठाएंगे ‌। क्योंकि वह बहुत अमीर है और उनका खुद का एक कॉलेज सियोल में है तो मुझे वहां किसी भी तरह की फीस देने की जरूरत नहीं है।

अब मुझे समझ आया कि मां ने सियोल जैसे बड़े शहर में आने का क्यों सोचा।

क्योंकि उन्हें मेरी पढ़ाई और भविष्य की चिंता थी।

मुझे बहुत दुख हुआ और मैंने मन में सोचा की मैं वहां जाकर बहुत मेहनत और कोई पार्ट टाइम काम ढूंढ लुंगी , जिससे मां की मदद हो सके और इस बार मैं मां की कोई बात नहीं सुनूंगी। बातें करते करते हैं पता नहीं चला कब 3 घंटे पूरे हो गए और हम सियोल पहुंच गए। हमारी टैक्सी बड़े से बंगले के सामने खड़ी हो गई जो बिल्कुल महल जैसा दिखाई दे रहा था।

उसके बाहर एक औरत खड़ी थी जो शायद हमारा ही इंतजार कर रही थी मैंने मन में सोचा ये जरूर मेरी मां की दोस्त होगी और मैं सही थी ।

मां ने उसे गले लगाया और उनका हालचाल पूछा दोनों के चेहरे में बहुत बड़ी मुस्कुराहट थी। जैसे मैं और सॉन्ग इतने सालों बाद मिलते तो यही खुशी हमारे चेहरे में भी होती ।

आंटी ने मुझे और मां को अंदर चलने को कहा मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था की मैं इतने बड़े महल में रहने वाली हूं ।

मां की दोस्त यहां शायद काफी वक्त पहले से ही काम करती है वहां आने जाने वाले सारे लोग उन्हें पहचान रहे थे।

तभी हमारा रास्ता थोड़ा सा अलग हो गया और मुझे पता चला हमारे लिए अलग जगह है हम इतने बड़े महल में नहीं रहने वाले।

वही महल के दाएं ओर दो छोटा सा घर था जो हमारे पुराने घर से थोड़ा छोटा दिख रहा था लेकिन अच्छा था‌ हम वही चले गए । आंटी ने बताया कि अब हमलोग यही रहेंगे । सामने वाले घर में आंटी और उनका एक बेटा रहता था उन्होंने मुझे कुछ भी जरूरत पड़ने पर अपने बेटे से मदद लेने के बारे में कहा और बताया कि पहले जो इस बड़े से बंगले में खाना पकाया करती थी वह यहां रहती थी जो कबका यहां से चली गई है और अब तुमलोग यहां रहोगे। मुझे भी समझ आ गया की यह जगह नौकरों के लिए थी जो भी हो मुझे मां को परेशान नहीं करना था।

इसलिए मैंने आंटी और मां को काम पर जाने को कहा और सारा सामान घर पर अच्छे से रखने लगी। घर में दो कमरे थे जो बहुत छोटे थे और साथ में एक होल था हॉल के सामने ही एक छोटी सी जगह थी जहां हमें खाना बनाना और खाना खाने के लिए इस्तेमाल करना था। मैंने सारा सामान अच्छी तरह से रख दिया था तभी मुझे याद आया आंटी ने मुझे एक स्टील का बॉक्स दिया था मैंने उसे जल्दी से अपने पास लाया और उसे खोलो तो उसमें दो हाफ बॉयल अंडे और नूडल्स थे ।

मुझे भूख भी लगी थी-

मैंने थोड़ा मां के लिए अलग निकाल दिया और बाकी खुद खा लिया अब जाकर मुझे अच्छा लग रहा था मेरे पेट भर चुका था ।

हमारे घर के सामने एक बड़ा सा बगीचा था और लकड़ी के छोटे-छोटे बेंच बने हुए थे जैसे पार्क में होता है। मैं घर से बाहर निकलकर थोड़ी देर बैठ गई और सोचने लगी कि मां ने अभी तक तो रात का खाना वहां बना दिया होगा तो घर क्यों नहीं आए? ..

कि तभी मेरी नजर आंटी की तरफ पड़ी वो मेरी तरफ ही आ रही थी ।

मैंने उनसे मां के बारे में पूछना ही चाहा कि, उन्होंने मुझे अंदर जाने को कहा उन्होंने बोला , बंगले के अंदर जाओ मिस्टर पार्क तुमसे मिलना चाहते हैं तुम्हारी मां भी वही है ।

मैंने ठीक है में सर हिलाया और बंग्ले के अंदर जाने लगी ।

मैंने जैसे वहां अपना पहला कदम रखा तो मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था वह बहुत सुंदर था और बहुत बड़ा भी , बाहर से उसकी खूबसूरती का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन अंदर से वह बहुत सुंदर था सामने बड़े-बड़े सोफे रखे थे वही मेरी नजर मां पर पड़ी जो खड़ी थी और सामने एक महिला और पुरुष साथ में बैठे हुए थे। जो जरूर मिस्टर पार्क और मिस पार्क होंगी मैंने यह मन में सोचा।

मां मुझे अपनी ओर बुलाया, और उनसे मेरा परिचय कराया ।

मिस पार्क ने मुझे देख कर कहा कि तुम बहुत सुंदर हो यह सुनकर मैंने उन्हें धन्यवाद कहां।

दोनों ने मुझे बैठने को कहा, मैं चुप से बैठ गई, वहां मेरे कॉलेज के बारे में बात हो रही थी उन्होंने मुझे कल से कॉलेज जाने को कहा और बताया की उनके बच्चे उसी कॉलेज में पढ़ाई करते हैं तो मुझे चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

दोनों बच्चे वही पढ़ेंगे और हमेशा मुझे नौकर की तरह परेशान करेंगे ऐसे में मैं चिंता ना करू तो क्या करूं । यह सोचकर मैं धीरे से अपना सर हां में हिलाया और मैं और मां वहां से जाने लगी कि तभी मिस पार्क ने मुझे एरा कहकर पुकारा ओर कहा कि कल सुबह तुम्हारा यूनिफॉर्म ओर किताबें तुम्हें मिल जाएगी तो तुम कालेज जाने के लिए तैयार रहना ।

वे दोनों ने मुझे कल के लिए गुड लक कहां -

मैंने मुस्कुराकर उन्हें धन्यवाद कहा और मां के साथ अपने सामने वाले घर की ओर जाने लगी ।