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Black Market

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जब विराट के कहने पर उस कर्मचारी ने गंगा प्रसाद जी के उस केबिन का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया । तो उसके बाद विराट ने अपने बैग से अपने तीनो एंटीक निकाल कर उनके डेस्क पर रख दिया ।

जब गंगा प्रसाद जी की नज़र विराट के लाये गए एंटीक पर पड़ी तो एक दम से वो अपनी जगह से खडे हो गए और घूरते हुए उन एंटीक़्स को देखने लगे ।

जब विराट ने गंगा प्रसाद जी के इस बेहेवियर को देखा तो उसके चेहरे पर एक हलकी सी मुस्कान आ गयी  और वो चुप चाप बैठे हुए गंगा प्रसाद जी के कुछ बोलने का इंतजार करने लगा ।

वही दूसरी तरफ गंगा प्रसाद जी ने कुछ समय तक उन एंटीक़्स को घुरा और फिर उन्होंने अपने ड्रार से एक लेंस और कुछ और औजार निकाल कर उन एंटीक़्स को चेक करने लगे ।

करीब बीस मिनट तक उन तीनो एंटीक़्स को जांचने के बाद उन्होंने विराट से कहा , " क्या कीमत चाहते हो तुम इनकी  " ?

गंगा प्रसाद जी के सीधे मुद्दे पर आने के बाद विराट ने भी एक हलकी स्माइल के साथ गंगा प्रसाद जी से बोला , " गंगा प्रसाद जी ! आप मुझसे ज्यादा इनकी कीमत के बारे में जानते है , आप ही बताइये आप क्या देना चाहेंगे !

विराट की ये बात सुन कर गंगा प्रसाद जी कुछ देर के लिए चुप हो गए और फिर विराट से बोले , " बेटा तुम्हारा नाम क्या है ?

गंगा प्रसाद जी का ये सवाल सुन कर विराट ने बड़ी विनम्रता से बोला , " जी मेरा नाम विराट सिंघानिया है  " । विराट का जवाब सुन कर गंगा प्रसाद जी ने अपना सर हिलाते हुए बोले , " देखो विराट बेटा , हमारे यहाँ किसी भी चीज को बेचने या खरीदने के दो नियम है ।

पहला है ,  की हम किसी भी चीज की नीलामी कराते है और उसकी कीमत का 10 प्रतिशत अपने कमीशन के रूप में रखते है और दूसरा नियम ये है , की हम किसी चीज को डायरेक्ट ही बेचने वाले से उचित कीमत पर खरीद लेटे है ।अब तुम ही बताओ , की तुम कैसे ये बेचने वाले हो ?

गंगा प्रसाद जी का ये सवाल सुन कर कुछ पल के लिए विराट सोच में पड़ गया और फिर वो अपने हाथ से पिले हीरे को उनकी तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला , " गंगा प्रसाद जी ! मै इस नायब पिले हीरे को दूसरे तरीके और बाकि इन दोनों चीजों को नीलामी द्वारा बेचना चाहूंगा ।

विराट की बात सुन कर गंगा प्रसाद जी ने कुछ देर तक अपने कर्मचारी को अपने पास बुला कर उससे कुछ बोले । गंगा प्रसाद जी की बात सुन कर वो कर्मचारी वहा से चला गया ।

उस कर्मचारी के जाने के बाद गंगा प्रसाद जी विराट से बोले , " विराट तुम कुछ देर यही बैठो । अभी मेरा बेटा आ रहा है , उसके बाद ही आगे की बात होंगी ।

गंगा प्रसाद जी की ये बात सुन कर विराट के आँखों में चमक आ गयी । क्योंकि गंगा प्रसाद का बेटा ही विराट के पिछली जिंदगी के बॉस थे, जो उसे अपने भाई की तरह मानते थे ।और अपने पिछली जन्म के भाई सामान इंसान से इस जन्म में दुबारा मिलना , विराट के लिए बेहद ख़ुशी की बात थी ।

करीब पंद्रह मिनट वेट करने के बाद गंगा प्रसाद जी का बेटा संतोष प्रसाद भी वहा पर आ गए । वहा आते ही वो उस पिले हीरे को देखने लगे ।

दरअसल उस कर्मचारी ने पहले ही संतोष प्रसाद को वहा की सारी सिचुएशन के बारे में बता चूका था , इसलिए वो आते ही हीरे की जाँच करने लगे ।

कुछ देर तक उस हीरे को जाँचने के बाद संतोष प्रसाद के आँखों में चमक आ गयी और फिर वो विराट की तरफ देखते हुए बोले , " देखो भाई ! इसके मै 800 करोड़ तुम्हे दे सकता हुँ , अगर डील मंजूर हो तो अभी इसे फाइनल करते है ।

संतोष प्रसाद की बात सुन कर विराट ने भी अपने चेहरे पर एक हलकी सी मुस्कान के साथ कहा , " जब आपने मुझे भाई बोल ही दिया है , तो मै आपके कहे को मना कैसे कर सकता हुँ संतोष भाई ! जैसा आपको ठीक लगे , आप वैसे ही करिये ।

विराट की ये बात सुन कर संतोष प्रसाद के चेहरे पर भी एक हलकी सी मुस्कान आ गयी और फिर उन्होंने तुरंत ही एक चेक पर 800 करोड़ अमाउंट भर कर उस पर साइन किये और फिर उसे विराट की तरफ बढ़ा दिए ।

संतोष प्रसाद जी ने विराट को चेक देने के बाद बाकि के दोनों एंटीक़्स को देखते हुए बोले , " देखो भाई ! कल हमारे यहाँ एक नीलामी है , अगर तुम चाहो तो कल इन दोनों सामानो को ले कर सुबह 11 बजे यहाँ फिर से आ जाना । उसी वक़्त तुम्हारी ये दोनों चीज भी नीलाम हो जाएगी ।

संतोष जी की ये बात सुन कर विराट ने अपना सर हिला दिया और फिर उसने अपने दोनों एंटीक़्स का रेजिस्ट्रेशन करवा दिया । उसके बाद संतोष जी ने उस कर्मचारी से बोले , " प्रदीप जी ! आप विराट के साथ जाइये और अच्छे से इस चेक को विराट के अकाउंट में डिपोजिट करवा दीजिये ।

संतोष जी की ये बात सुन कर उस कर्मचारी जिसका नाम प्रदीप था , उसने विराट को अपने साथ चलने का इशारा किया । कर्मचारी का इशारा समझ कर विराट ने भी अपने बाकि के दोनों एंटीक़्स को अपने साथ लिया और फिर प्रदीप के साथ बाहर की तरफ चल दिया ।

जैसे ही विराट और कर्मचारी प्रदीप उस केबिन से बाहर गए तो गंगा प्रसाद जी ने अपने बेटे संतोष की तरफ देखते हुए बोले , " बेटे संतोष ! ये लड़का विराट सिंघानिया मुझे कोई साधारण लड़का नहीं लग रहा है ! मुझे लगता है , की जरूर ही ये किसी बड़े खानदान से ताल्लुक रखता है । तुम इससे हमेशा अच्छे संबंध बना कर रखना , हमारे कारोबार के लिए ये बहुत ही सही रहेगा  ।

गंगा प्रसाद जी की ये बात सुन कर संतोष जी ने उनकी बातो को समझते हुए अपना सर हिला दिए ।

वही दूसरी तरफ विराट उस कर्मचारी प्रदीप के साथ नीलामी घर के करीबी बैंक शाखा में गया और फिर उसने प्रदीप की मदद से उस बैंक में अपना एक अकाउंट ओपन करा के वो चेक उसमे डिपाजिट करवा दिया ।

जब बैंक का सारा प्रोसेस खत्म हो गया , तब विराट ने अपने जेब से एक हजार के पांच नोट निकाल कर उस कर्मचारी प्रदीप को देते हुए बोला , " ये रखिये प्रदीप भाई , रात की पार्टी के लिए ।

विराट को ऐसे पैसे देते हुए देख कर प्रदीप के चेहरे पर चमक आ गयी और फिर उसने वो पैसे रख लिए । प्रदीप के पैसे रखने के बाद विराट ने भी बैंक के बाहर से एक ऑटो लिया और फिर वापस घर जाने के लिए निकल गया ।

घर जाते समय उसने रास्ते में खाना बनाने के लिए कुछ सामान लिया और फिर वापस घर चला गया ।

वापस घर जाने के बाद विराट ने लंच में खाने के लिए पोहे बनाये और उसे खा कर कुछ देर के लिए आराम करने के लिए अपने कमरे में सोने चला गया ।

शाम के पांच बजे के करीब विराट फ्रेश हो कर अपना बैग ले कर घर से कही जाने के लिए निकल जाता है ।

घर से निकलने के बाद वो पैदल ही ब्लैक मार्केट के लिए निकल गया । करीब आधे घंटे चलते हुए वो ब्लैक मार्केट पहुंच गया ।

दरअसल विराट के पिछली जन्म में उसने अपने लिए इसी ब्लैक मार्केट से ना जाने कितने ही नायब एंटीक़्स बेहद कम दामों में ख़रीदे थे । इसलिए वो इस जन्म में भी एक बार अपनी किस्मत आजमाने के लिए इस मार्केट में आया था ।

ब्लैक मार्केट दरअसल दिल्ली का एक चोर बाजार था , जहाँ हर प्रकार के चोरी के सामान और अलग अलग तरह के कबाड़ बन चुके एंटीक़्स मिलते थे ।

ब्लैक मार्केट में आगे बढ़ते हुए विराट कई दुकानों के सामने से गुजरा , लेकिन उसे कुछ खास नहीं मिला । इसी तरह आगे बढ़ते रहने के बाद उसे एक छोटा सा दुकान नजर आया , जहा पर कोई भी कस्टमर नहीं था ।

उस दुकान पर एक भी कस्टमर नहीं देख कर विराट को कुछ अजीब लगा । दरअसल ब्लैक मार्केट के सभी दुकानों में कोई ना कोई कस्टमर जरूर था , लेकिन इस वाले दुकान में एक भी कस्टमर नहीं था । ये देख कर विराट ने एक पल के लिए कुछ सोचा और फिर वो उस दुकान में चला गया ।

उस दुकान में जाने के बाद उसने देखा की उस दुकान के अंदर एक बूढा आदमी बैठा हुआ था और उसके हाथ में महान लेखक प्रेमचंद जी का लिखा एक उपन्यास था , जिसे वो बड़े ध्यान से पढ़ रहा था ।

उन दिनों नौजवानों और बुज़ुर्गो के बिच ऐसे उपन्यास बेहद ही लोक प्रिय माने जाते थे और ये लोग उसे बहुत ही शौक से पढ़ा करते थे ।

विराट ने उस बूढ़े आदमी को देखने के बाद जैसे ही उसके दुकान में रखे सामानो पर अपनी नजर घुमाई तो उसके होश उड़ गए  ।

उस बूढ़े आदमी के दुकान में एक कोने में पड़े कुछ सामानो से बहुत ही तेज़ सुनहरी रौशनी निकल रही थी , जो सीधे विराट के आँखों में आ रही थी  ।

ऐसा क्या था  उस बूढ़े के दुकान में जो वहा से सुनहरी रौशनी निकल रही थी ? गंगा प्रसाद ने अपने बेटे से ऐसा क्यों कहा  की विराट उनके कारोबार के लिए फायदेमंद है ?

जानेंगे अगले chapter में  ....

To be continued ...