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अलीजा की यादें

"उमर आ रहा है।परसों " लॉन्च पर नानू ने अचानक उसे कहा। वह खाना खाना भूल गई। "परसों आ रहा है आपको किसने बताया" उसने बेचैनी से नानू से पूछा।" तुम उसे वक्त सो रही थी। वह भी तुमसे बात करना चाह रहा था। मगर मैने जब उसे यह बताया कि तुम सो रही हो तो उसने जागने से मना कर दिया।" नानू ने तफसील बताई। अलीजा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। "छुट्टियां गुजरने आ रहा है" उसने पूछा। " हां यही समझ लो फॉरेन सर्विस छोड़ दिया है कह रहा था पुलिस सर्विस ज्वाइन कर लेगा।" अलीशा को हैरत का झटका लगा। "उमर और पुलिस सर्विस मुझे यकीन नहीं आ रहा नानू इतनी अच्छी पोस्ट छोड़कर आखिर वह करेगा क्या। अंकल ने उसे कुछ नहीं कहा।" उसे अभी भी यकीन नहीं आ रहा था। " उसका कोई झगड़ा हो गया है उसने मुझे तफसील नहीं बताई।" They are not talking terms now-a-day.

"उसमें कौन सी नई बात है यह तो कई साल से हो रहा है।" अलीजा को वाकई कोई हैरानी नहीं हुई थी। "हां मगर अभी फिर कोई झगड़ा हुआ है दोनों में" " अब आएगा तो पता चलेगा कि क्या हुआ।" नानू भी ज्यादा फिकर मंद नहीं लग रही थी। " यही रहेगा क्या उसने नानू से पूछा । " हां कह रहा था कि पुलिस पोस्टिंग मिलने तक यही रहेगा।" " मुझसे पूछ रहा था कि तुम्हारे लिए अपने लिए किसी चीज की जरूरत हो तो उसे बता दे वह ले आएगा। अपने लिए तो तो मैंने कुछ नहीं कहा लेकिन तुम्हारे लिए कुछ परफ्यूमस लाने के लिए कहा था। मेरी बात पर वह हंसने लगा। अलीजा के मन मे एक याद याद लहराई । "कह रहा था कि यह तो कोई मंगवाने वाली चीज नहीं है जानता हूं अलीज़ा के सामने जाऊंगा। तो परफ्यूम के बगैर कैसे जाऊंगा। फिर मैंने उससे कहा कुछ अच्छी किताबें ले आना ले आए खास तौर पर पेंटिंग के बारे में कोई नई किताब।"

"आपने उसे ऐसे ही तकलीफ दिला दी।" अरे नहीं वह खुद बोल रहा था है तुम जरा उसके लिए कमरा सेट करवा देना।" और उसका सारा सामान भी आ रहा है अभी फिलहाल तो यहीं रख बायेगा और फिर जब posting मिलेगी तो ले जाएगा ।" नानू ने उसे हिदायत देते हुए कहा था फिर वह लंच करने के बाद उठकर चली गई थी वह बहुत देर तक वहीं बैठे कुछ सोचती रही थी। जहन मैं बहुत कुछ ताजा हो रहा होता जा रहा था। " तो उमर जहांगीर तुम वापस आ रहे हो। " उसने मुस्कुराते हुए सोचा। और उस कमरे की तरफ आ गई जहां वो अक्सर टहरा करता था। दरवाजा खोलते हुए ही उसे बहुत खुश ग्वार एहसास हुआ था वह अक्सर उस कमरे में आकर कुछ वक्त गुजारा करती थी और हमेशा ही यहां आकर उसे यूं लगता था। जैसे वह यहां कहीं मौजूद था उसकी रॉकिंग चेयर साकेत हालत में भी उसी तरह झूलती हुई नजर आती थी। जिस तरह वह उसे झुलाया करता था हर चीज पर जैसे उसका लम्स था हर तरफ उसकी जैसे आवाज गूंजती थी वही धीमा, गहरा और ठहरा हुआ लहजा वहीं पर सुकून दिल के कहीं अंदर तक उतर जाने वाली आवाज और फिर वही खेल खिलाते हुए बेइख्त्यार कहके, उस कमरे में आकर जैसे सब कुछ जिंदा हो जाता था। आलोचन अक्स बन जाता था और अक्स हकीकत बन कर उसके इर्द गिर्द फिरने लगता था कमरे में वही मखसूस खुशबू बसी हुई थी ।

उम्र के इस्तेमाल में आने वाली छोटी-छोटी चीज उसी तरह अपनी जगह पर थी जैसे उन्हें कल ही रखा गया हो। उसने याद करने की कोशिश की पहली बार वह कब आया किया था। उसे अपने जहन पर जोर नहीं देना पड़ा। उसे अच्छी तरह याद था कि वह किस साल किस तारीख किस दिन और किस वक्त आया था।

कुछ बाते आप कभी भुलना नहीं चाहते। और वह कब गया था उसे यह भी याद था। कुछ बातें आप कभी याद रखना नहीं चाहते।

उसे अपने पीछे दरवाजा खुलने की आवाज आई थी। वह अचानक से पलटी "अच्छा किया तुम भी यही आ गई मैंने सोचा मैं भी एक नजर डालती हूं।" नानू अंदर आ गई थी वह कमरे का जाएजा लेती रही। " मेरा ख्याल है कि सब कुछ ठीक ही है लेकिन फिर भी तुम जरा हर चीज को अच्छी तरह चेक कर लेना मैं नहीं चाहती कि उसे यहां कोई तकलीफ हो।" नानू मुड़कर कमरे से बाहर निकल गई थी वह ड्रेसिंग टेबल की तरफ बढ़ गई थी और वहां पढ़ा हुआ एक परफ्यूम उसने अपने हाथ में ले लिया आहिस्ता उसने परफ्यूम का ढक्कन को उतार कर खुशबू को महसूस करने की कोशिश की। एक मुस्कुराहट उसके होठों पर आ गई।

एक बार फिर एक इमेज उसके जहन में लहराई थी उसने ड्रेसिंग टेबल के आईने को देखा। वहां एकदम कोई और नजर आने लगा था। वही उस जगह से चंद कदम पीछे हट गई।।।।

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