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कॉमन बॉय

दोस्तों बहूत दिनो से कुछ मन मे हलचल सी चल रही थी! की क्या हम लोग भी जीवन मे कुछ कर पाएंगे!

की नहीं की जीवन योही चलता रहेगा! फिर एक रोज एक ऐसी घटना हुयी की मन दहल गया और सोचा नहीं

जीवन ऐसे नहीं काटना जो किसी ोे काम ना आया उस जीवन का वैर्थ है! हम इतने पढ़ लिख लेने के बाद भी नौकरी करे और गुलामी ये सम्भब नहीं बन पा रहा है!

हमलोग ऑफिस मे अपने कालिग्स से इतने घुल मिल गए है जैसे घर का सदस्य हो अगर किसी को कोई दिक्क़त होती है तो हम लोग मिलकर समाधान करते है!

मुझे ये बुक लिखने का कोई अनुभव नहीं है पर ज़ब से मैंने अपने फेवरूट लेखक सर चेतन भगत के बुक्स से इंस्पारेशन मिला वो वाक्य बेहतरीन लेखक और संवादक है

ये मेरी पहली प्रती उनको समर्पित है