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अध्याय 8 फिर से झगड़ा

नादिर की बात सुनने के बाद अकरम ने सबसे पहले नादिर से कहा, पहले तुम उस लड़की का हाथ छोड़ो।

नादिर ने एक पल भी नहीं लगाया और उस लड़की का हाथ छोड़ दिया ।

नादिर से हाथ छूटने के बाद वह लड़की जल्दी से नीचे झुकी और अपने बूढ़े दादा को उठा लिया।

बूढ़े आदमी के खड़े हो जाने के बाद, अकरम ने उस बुढ़े आदमी की तरफ देखा और उससे पूछा, क्या तुमने नादिर से दो सोने के सिक्के उधार लिए थे।

उस बूढ़े आदमी ने एक पल अपनी गर्दन घुमा कर नादिर के बगल से खड़े आदमी की ओर देखा, वह आदमी उस बूढ़े को खा जाने वाली नजरों से देख रहा था।

बूढ़ा आदमी समझ गया कि उसे क्या करना है, अगर वह ऐसा नहीं करेगा तो अकरम के जाने के बाद वह उसके साथ और भी बुरा सुलूक करेंगे, इसलिए उसने धीरे से अपना मुंह फिर से अकरम की तरफ किया और हां मैं अपना सर हिला दिया।

बुढ़े आदमी को ऐसा करते हुए देख नादिर खुश होकर बोला, देख लीजिए अकरम जी मैंने कहा था ना आपसे, इस बुढ़े आदमी ने मुझसे दो सोने के सिक्के उधार लिए हैं।

और मुझे पूरा यकीन है कि इसके पास अभी भी सिक्के हैं पर यह मुझे देना नहीं चाहता है, अब आप ही बताइए मैं क्या करूं, अपने दो सोने के सिक्के कैसे निकालूं इससे, आप चाहे तो किसी से इसकी तलाशी के लिए बोल सकते हैं मुझे पूरा यकीन है सच्चाई सबके सामने आ जाएगी।

अकरम ने अपने पीछे से अपने एक नौकर को बुलाया और उसे इस बुढ़े आदमी की तलाशी लेने के लिए कहा।

जब अकरम के नौकर ने उस बूढ़े आदमी की तलाशीली तो उस बूढ़े आदमी की एक जेब में से 10 तांबे के सिक्के निकले, और दूसरी जेब में से दो सोने के सिक्के निकले।

जिस जेब में से दो सोने के सिक्के निकले थे, वह वही जेब थी जिसमें नादिर के साथ खड़े आदमी ने कुछ रखा था, यह सब तमाशा देखने के बाद समीर सब कुछ समझ गया।

समझ में तो अकरम के भी सब कुछ आ गया था, पर वह कुछ कर नहीं सकता था, क्योंकि इस समय सारे सबूत नादिर की तरफ थे।

इसलिए अकरम ने अपने साथ आए नौकर से दो सोने के सिक्के नादिर को देने के लिए कहा, और 10 तांबे के सिक्के उस बुढ़े आदमी को वापस देने के लिए कहा और उसे यहां से चले जाने के लिए कह दिया।

अपने 10 तांबे के सिक्के लेकर अपनी पोती का हाथ पकड़ कर वह बूढ़ा आदमी तुरंत वहां से नौ दो ग्यारह हो गया।

उसके बाद अकरम ने नादिर की ओर देखा और उससे कहा, नादिर में जानता हूं कि यहां क्या हुआ है, जिस दिन भी मुझे तुम्हारे खिलाफ एक सबूत मिल गया मैं तुम्हारी शिकायत शहर के मुखिया से कर दूंगा।

अकरम के उस जगह से चले जाने के बाद, नादिर वहां से जाते हुए मन में बोला, अकरम में केवल मुखिया के परिवार की वजह से रह जाता हूं, अगर मैं तेरे साथ कुछ भी करूंगा मुखिया को बुरा लग जाएगा, आखिरकार जमाई जो है तू उस परिवार का।

अकरम और नादिर के वहां से चले जाने के बाद बाजार पहले की तरह सामान्य हो गया।

कुछ देर फलों का बाजार घूमने के बाद, सलमान समीर को शहर की झील पर ले गया, समीर वहां पर लोगों की बातें सुन रहा था, वह हर वह चीज महसूस कर रहा था, जो वह इतने सालों से महसूस नहीं कर पाया था।

लोगों से बात करना, उन्हें अपने दिल की बात बताना, उनके साथ घूमना, यह सब उसके लिए एक नया अनुभव था, उसने यह सब अपने माता-पिता के साथ किया था, पर उनके साथ होने का अनुभव कुछ अलग था, यह अनुभव उसके लिए कुछ अलग है।

वह पूरा दिन इंजॉय करता रहा, सलमान और समीर रात को खाने के समय हवेली पहुंचे।

जैसे ही समीर हवेली के अंदर आया सलमा उसके पास आई और उसे पूछने लगी कैसा लगा तुम्हें कंचन जंगा शहर, मुझे बताओ तुमने क्या क्या देखा।

समीर ने अपनी मां सलमा को बताना शुरू किया की सबसे पहले वह फलों के बाजार गए थे, वहां से उन्होंने अनार और स्ट्रॉबेरी खरीदी, उसके बाद उसने झील पर घूमने की सारी बातें अपनी मां को बताई।

सलमा अपने बेटे के चेहरे पर खुशी देख सकती थी, अपने बेटे को खुश देखकर वह भी बहुत खुश थी।

अब क्या अपने बेटे से बातें करती रहोगी खाने का समय हो गया है, महारानी जी कृपया खाने पर आजाइये, हामिद ने कहा।

तुसी बकवास मत किया करो, जब भी मैं अपने बेटे से बातें कर रही होती हूं तो किसी मक्खी की तरह भिन्न बनाते हुए हमारे बीच में आ जाते हो, और हमें परेशान करने लगते हो, सलमा ने हल्के गुस्से में कहा ।

ओ तो मैं अब तुम्हारे लिए एक मक्खी बन गया हूं, हामिद ने हल्का गुस्से का नाटक दिखाते हुए कहा, उसे सलमा को छेड़ने में बहुत मजा आता था।

मुझे लगता है मैंने तुम्हें मक्खी कहकर मक्खी की बेइज्जती कर दी, सलमा ने तंज मारते हुए कहा।

हामिद अभी कुछ कहने ही वाला था इससे पहले समीर बीच में बोल पड़ा, मम्मी पापा आप दोनों शांत हो जाइए, आप दोनों इतने दिनों के बाद अपनी हवेली में आए हैं, आज हमारा पहला दिन है और आप दोनों इस दिन भी लड़ रहे हैं।

देख बेटा लड़ाई मैंने शुरू नहीं कि यह सब इन्होंने ही शुरू किया था, इनसे कह दे अगर इन्हें लड़ने का शौक नहीं है तो चुप रहें, सलमा ने कहा।

ठीक है आज पापा आपसे कुछ नहीं कहेंगे, समीर ने उनका झगड़ा खत्म करते हुए कहा।

उसके बाद पूरा परिवार खाना खाने लगा।

खाना खाते हुए हामिद ने समीर से कहा, बेटा कल तुम अपनी मां के साथ बाजार चले जाना और कुछ नए कपड़े अपने लिए खरीद लाना।

पर पापा मेरे पास तो पहले से ही काफी नए कपड़े रखे हुए हैं मुझे और नए कपड़ों की जरूरत नहीं है, समीर ने बताया।

कल मैं अपने लिए कुछ नए कपड़े खरीदने जा रही थी, तो मैंने सोचा कि कल तुम्हें भी कुछ नए कपड़े दिलवा लाती हूं तुम्हारी पसंद के, अब तक तो तुमने केवल हमारी पसंद के ही कपड़े पहने हैं मैं चाहती हूं तुम पहली बार अपनी पसंद के कपड़े पहनो, सलमा ने अपने बेटे से कहा।

ठीक है मां आपको जो पसंद है मैं वही करूंगा, समीर ने कहा।

सलमा ने फ्लाइंग किस देते हुए कहा, मेरा प्यारा बेटा।

कैसी रहेगी मां बेटे की बाजार की यात्रा, यह जानने के लिए सुनते रहिए इस कहानी को।