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अध्याय 5 कंचन जंगा शहर से आया एक पत्र

सलमा और हामिद अभी भी एक दूसरे के साथ बिस्तर पर थे, हामिद ने सलमा को अपनी बाहों में कस रखा था।

हामिद, सलमा ने बहुत प्यार से हामिद का नाम लिया।

हां, बोलते हुए हामिद सलमा के बालों में हाथ फेर रहा था।

हामिद हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारी जिंदगी इतनी अच्छी बीतेगी, सलमा ने अपनी दिल की गहराई की बात हामिद को बताई।

हामिद ने सलमा के माथे पर चुमा और बोला, इन सब का कारण हमारा बेटा समीर है, उसने हमारी जिंदगी में खुशी के फूलों की महक बिखेर दी है।

कभी-कभी मुझे अपने बेटे के लिए बहुत दुख होता है, सलमा ने अपना दर्द बयान किया।

ऐसा क्या हो गया जिसके लिए तुम्हें इतना दुःख महसूस हो रहा है, हामिद ने सलमा से पूछा।

सलमा ने हामिद को बताया, अगर हमारा परिवार इस समय शहर से 20 किलोमीटर दूर नहीं रह रहा होता, बल्कि शहर में रह रहा होता।

तो समीर के लिए कितना अच्छा होता, उसके कई सारे दोस्त बनते, वह विद्यालय जाता, हो सकता है कुछ लड़कियां उसकी दोस्त होती और वह उनमें से किसी को पसंद करता तो उसकी जिंदगी कितनी अच्छी होती।

हामिद ने एक गहरी सांस ली और कहा, अगर हम अपने बेटे को लेकर शहर में रहने लगेंगे तो उसके लिए काफी खतरा बढ़ सकता है, तुम उसकी शक्ति के बारे में जानती हो, अगर किसी को भी उसके बारे में पता चल जाता तो बचपन से ही उसको फसाने के लिए कई लोग उसके ऊपर जाल बिछाने लगते।

और एक दिन हमारा बेटा उस जाल में फसकर उनके हाथ की कठपुतली बन जाता।

शहर में ज्यादातर रहने वाले लोग दिखावे की जिंदगी जीते हैं, जब किसी पर मुसीबत आती है तो कोई भी उसकी मदद नहीं करता है बल्कि सब उसका मजाक उड़ाते हैं।

अपने भी पराए हो जाते हैं, यह भला हमसे बेहतर कौन जान सकता है, भाई के घायल हो जाने के बाद सभी ने हमसे मुंह मोड़ लिया था।

हमारे हालात दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे थे, उस समय, कोई भी हमारी मदद करने के लिए आगे नहीं आया था।

पर यह सब तो हमारा नजरिया है, हमारे बेटे को क्या पसंद है यह तो उसकी मर्जी पर निर्भर करता है, अभी तक उसने केवल हमारे तरीके से जिंदगी जी है, मुझे लगता है कि अब उसे जिंदगी में आगे बढ़ना चाहिए, सलमा ने हामिद के सामने एक प्रस्ताव रखा।

हामिद ने सलमा की बात सुनी और कुछ देर सोचने के बाद कहा, तुम ठीक कह रही हो, हमने अपने बेटे को सब कुछ सिखाया है जो उस शहर में अन्य बच्चों को सिखाया जाता था, तुमने उसे हर वह चीज सिखाई है जो उस शहर के सबसे उत्कृष्ट बच्चों को आती है।

इसीलिए अब हमें आगे बढ़ना चाहिए, अभी अभी 2 महीने सर्दियों के बीते हैं, यह हमारी पहली समुद्र की यात्रा थी, अभी हम अपने बेटे को अपने साथ ही रखते हैं और उसे शहर के बारे में और वहां के लोगों के रहन सहन और बर्ताव के बारे में सिखाते हैं।

जब अगली सर्दियां आइंगी तो इस बार हम अपने इस घर में नहीं रहेंगे, हम दो महीने के लिए शहर में अपनी पुरानी हवेली में रहेंगे।

यह सुनने के बाद सलमा बहुत खुश हो गई उसने फिर से हामिद को किस किया, और बोली अब तुम सो जाओ मैं बाहर का काम देखकर आती हूं।

और वह अपने कपड़े पहनकर कमरे से बाहर चली गई, हामिद गहरी नींद में सो गया।

इस दिन के बाद हामिद और सलमा समीर को शहर से जुड़ी बातें बताने लगे, 7 महीने बीत गए, हामिद की इस बार की समुद्र की यात्रा बहुत अच्छी रही थी, इसलिए उन दोनों ने फैसला किया था कि वह अब दो महीने शहर में नहीं रहेंगे बल्कि 4 महीने शहर में रहेंगे, वह सर्दियों से दो महीने पहले ही शहर चले जाएंगे।

एक दिन हामिद और सलमा घर पर ही थे, वह अगले दो दिन बाद शहर जाने वाले थे, लेकिन उन्होंने पहले से ही पूरी तैयारी कर रखी थी, घर का पूरा सामान उन्होंने सही से संरक्षित कर दिया था जिससे उनके लौटने पर वह खराब ना हो।

वहां केवल जरूरत का समान ही वह ले जा रहे थे, बाकी सब कुछ तो शहर में पहले से ही मिल जाने वाला था, घर की देखभाल के लिए एक चौकीदार रख लिया था, जो 4 महीने तक घर की बाहर से देखभाल करेगा।

नाव पर तो दो पहले से ही चौकीदार रहते थे, तो नाव की उन को कोई चिंता नहीं थी, वह दोनों बैठकर फलों का जूस पी रहे थे, और बातें कर रहे थे, समीर नाव पर गया हुआ था।

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, हामिद उठकर जाने ही वाला था, तभी सलमा ने उसे हाथ के इशारे से रुकने के लिए कहा और वह दरवाजे पर पहुंच गई।

दरवाजा खुलते ही उसके सामने कंचन जंगा शहर के मुखिया का एक कर्मचारी खड़ा हुआ था, सलमा ने उसके कपड़ों से उसे पहचान लिया था, क्योंकि इस तरह की पोशाक केवल कंचन जंगा शहर के मुखिया के नौकर को पहनने की इजाजत थी।

उस आदमी ने बड़े तहजीब भरे लहजे में कहा, हामिद जी के लिए कंचन जंगा शहर के मुखिया द्वारा पत्र आया है कृपया आप उन्हें बुला दें।

मैं उनकी पत्नी हूं, आप उस पत्र को मुझे दे सकते हैं, सलमा ने कहा।

उस आदमी ने वह पत्र सलमा के हाथ में दे दिया और वह वहां से मुड़कर वापस चला गया।

कंचन जंगा शहर के मुखिया के आदमी के वहां से चले जाने के बाद सलमा ने दरवाजा बंद कर दिया, और हामिद की ओर जाते हुए उस पत्र को खोलने लगी।

अभी वह पत्र खोल ही रही थी, उसे आता हुआ देख हामिद बोला, कौन था दरवाजे पर।

सलमा लिफाफे में से पत्र निकालते हुए बोली, कंचन जंगा शहर के मुखिया का नौकर आया हुआ था, तुम्हारे लिए कोई पत्र भेजा है।

यह कहने के बाद सलमा चलती हुई पत्र को पढ़ने लगी, जैसे ही वह हामिद के पास पहुंची, उसके पैर एक दम से रुक गए, वह पत्र उसके हाथों से छूट गया, उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।

सलमा की ऐसी हालत देखकर हामिद घबरा गया, उसने जल्दी से जमीन पर गिरा पत्र उठाया और उसे पढ़ने लगा, उसे सारी बात समझ में आ गई।

दरअसल कंचन जंगा शहर के मुखिया द्वारा भेजे गए इस पत्र में मुखिया द्वारा समीर को हरे आयाम में जाने का निमंत्रण था।

कंचन जंगा शहर में रहने वाले सभी निवासी जो इस कंचन जंगा शहर के स्थाई निवासी थे, जब वह 18 साल से ऊपर के हो जाते थे तो उन्हें एक बार हरे आया मैं जाना पड़ता था।

चुंकि अब समीर 18 साल का हो चुका था, इसलिए कंचन जंगा शहर के मुखिया ने उसे हरे आयाम में जाने का निमंत्रण दिया था ।

हामिद सलमा के पास आया, तो सलमा ने उसे गले से लगा लिया, और तेज तेज रोते हुए बोली, मैं अपने बेटे को कहीं नहीं जाने दूंगी, हामिद, तुम सुन रहे होना मैं अपने बेटे को कहीं नहीं भेजूंगी, तुम कुछ भी करो बस मेरे बेटे को इससे बाहर निकालो।

हामिद ने काफी देर तक सलमा को अपने गले से लगाए रखा, जब सलमा पूरी तरह से शांत हो गई तो उसने उसे कुर्सी पर बिठाया।

अब क्या फैसला लेगा हामिद, क्या वह समीर को हरे आयाम में भेज देगा, क्या सलमा इतनी आसानी से अपने बेटे को हरे आयाम मैं जाने देगी, यह जानने के लिए सुनते रहिए इस कहानी को।