निंग क्षी जब हॉस्पिटल से निकली तो काफी रात हो चुकी थी|
सड़कें सुनसान थी,सड़क पर कुछ ही लोग थे| आसमान में भी न तो तारे दिख रहे थे न ही चाँद|
निंग क्षी यह मान गयी थी कि निंग क्षुएलुओ की यह तरकीब बहुत ही बेकार थी| तकनीकी रूप से भी यह बेकार ही थी बार जो कुछ भी हो आखिरी में वह जीत ही गयी थी|
निंग क्षुएलुओ हर उस चीज़ का इस्तेमाल उसके खिलाफ कर रही थी जो कभी निंग क्षी की थी| जैसे निंग क्षी के माता पिता और सु यान|
निंग क्षी को कभी कभी खुद पर ही गुस्सा आता है| शायद यह उसकी ही गलती थी, वह इतनी कमज़ोर थी कि हर कोई उससे नफरत करता था, उसे धोखा देता था, उसे छोड़ कर चला गया था|
उसे इस बात की भी शंका थी कि कहीं उसके सारे प्रयास और मेहनत बेकार ना चली जाए|
अगर किसी दिन वह सफल भी हो गई और किसी मुकाम पर भी पहुँच गयी तो भी इस दुनियाँ में कोई नहीं होगा उसकी फिकर करने वाला...वह तब भी अकेली ही होगी|
अपने खयालों में खोयी निंग क्षी को इस बात का अहसास भी नहीं हुआ कि एक बिना नंबर प्लेट वाली काले रंग की कार उसका पीछा कर रही थी|
कुछ समय बाद जब सड़क पर कोई भी नहीं था, दो आदमी कार से निकले और निंग क्षी के मुंह को गीले तौलिये से ढँक दिया,फिर उसके हाथ बाँधकर उसे कार में धकेल दिया|
यह सब इतना तेजी से किया गया कि यह सब करने मे पाँच सेकंड ही लगे होंगे|
जब निंग क्षी को होश आया तो उसके शरीर में लड़ने की जरा भी ताकत नहीं बची थी| उसे कसकर बाँधा हुआ था, किसी भी हाल में उसके लिए लड़ना ना मुमकिन था|
निंग क्षी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गयी|
क्या शानदार जन्मदिन है उसका...पहले उस के खिलाफ इतनी बड़ी साजिश और अब अपहरण|
कुछ समय तक कार लगातार चलती रही| निंग क्षी का चेहरा कपड़े से ढँका हुआ था| उसे नहीं पता था कि उसे कहाँ ले कर जाया जा रहा था| यह कौन लोग थे इसका उसे जरा सा भी अंदाजा नहीं था|
निंग क्षुएलुओ के आदमी??
आज तो वह पहले ही जीत चुकी थी फिर यह सब करने की कोई ज़रूरत नहीं दिख रही थी|
फिर कौन थे यह लोग? हाल ही में उसका किसी के साथ कोई झगड़ा हुआ था क्या?
निंग क्षी सोच भी नहीं पा रही थी, तभी सामने बैठे आदमी की फोन पर बात करते हुए आवाज आयी|
"हैलो बॉस झौ.... हाँ काम हो गया,हम रास्ते में ही है, हाँ ...हाँ... आप फिकर नहीं करे, क्या माल है बॉस उस पर तो मेरा भी दिल आ गया है...हा हा हा हा हमारी इतनी हिम्मत कहाँ बॉस....वह तो सिर्फ आपकी है|"
"बॉस झौ....?निंग क्षी को यह नाम सुन कर सदमा सा लग गया|
उसे पर्ल होटल वह वाकया अचानक याद आ गया जब वह अचानक गलत कमरे में घुस गयी थी|
क्या यह झौ बॉस झौ क्षियांगचेंग था?"
वह जो उस दिन चाहता था वह हो नहीं पाया था तो अपनी इच्छा पूरी करने के लिए आज उसने गुंडे भेजे थे?
निंग क्षी को अब पूरा मामला समझ में आ गया था| वह मन ही मन झौ को गलिया देने लगी| उसने खुद को छुड़ाने की कोशिश की पर बेहोशी की दवा ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था| वह धीरे धीरे बेहोश होने लगी| अंत में उसकी आँखें पूरी तरह से बंद हो गयी|
निंग क्षी को जब होश आया तो उसकी आँखें बंधी हुई थी|
कमरे में दो लड़कियों की आवाज आ रही थी पर वह यह नहीं समझ पा रही थी कि वह क्या बात कर रहे थे| उसे महसूस हुआ की यह दोनों उसके कपड़े उतार रही थी| फिर उसे एक बहुत ही पारदर्शी सा गाउन पहनाया गया और उसके पूरे शरीर पर फूलों की पंखुड़ियाँ बिखेरी गयी|
निंग क्षी को महसूस हुआ कि कुछ भी सही नहीं है| झौ क्षियांग चेंग जैसा उतावला आदमी यह सब करने में वक्त ज़ाया नहीं करेगा| झौ चाहता तो जैसे ही निंग क्षी को लाया गया वैसे ही तुरंत उस पर टूट पड़ता पर यह सब तामझाम क्यों? पारदर्शी गाउन, फूलों की पंखुड़िया...यहाँ तक कि निंग क्षी के ऊपर खुशबूदार इत्र तक लगाया गया|
मोटा सूअर! बदमाश बूढ़ा| यह सब करने की क्या ज़रूरत थी? सीधा ही मुझे मार देता|