नीलधारा विकट देव की तरह ही था और उसका नाम भी दो बार पुकारा जा चुका था। उसका इतिहास भी छोटा नहीं था। वह तीन बड़े संघों में से एक, नील नदी संघ से था। दिव्य द्वार पर, उसके पास खड़ग कौशल, नीले बसंत फुहार, नील नदी संघ के पांच बड़े जानकार में से एक था। पर सभी पुराने खिलाड़ी जानते थे बड़े संघ जैसे नील नदी संघ के पीछे कोई न कोई पेशेवर क्लब होता था। उनके सबसे अच्छे जानकार, पांच बड़े विद्वान नहीं थे। पेशेवर दल के जो जानकार थे वे उनके पीछे खड़े थे।
नील नदी संघ के पीछे नीली बरखा क्लब का दल था। उनके दल का नंबर एक खिलाड़ी हुआंग शओतियन था। उसका खाता खड़ग कौशल में तूफानी बरसात था। ग्लोरी के समुदाय में वो तलवार वाला साधु के रूप में जाना जाता था और वह युद्ध देवता एक ऑटम लीफ के बराबर ही प्रसिद्ध था।
जब दसवां सर्वर खुला, तब नील नदी संघ ने नीलधारा को भेजा। साथ में मदद के लिए और लोग भेजें ताकि आये हुए नए खून को सोख कर अपनी सत्ता को स्थापित कर सकें। कोई और नहीं पर इन्हीं तीन संघ में से किसी एक का खिलाडी ही ये ख्वाब देख सकता था, कोठरियों में नए रिकॉर्ड बनाने का, वो भी एक नए सर्वर में। किसने सोचा था कि उनके ख्वाब मकड़ी की गुफा में जाकर हो टूट जायेंगे? इतना ही नहीं वह बस 10 सेकंड पीछे रह गए थे। उनके सभी साथी दुखी थे और नीलधारा को भी अच्छा नहीं लग रहा था।
"विकट देव..." इस नाम की चर्चा कर के, नीलधारा और सभी लोग काफी ठगा सा महसूस कर रहे थे। जो संघ नील नदी संघ से संघर्ष करते भी थे, वो भी दिव्य द्वार पर पहुचने के बाद। इतने साल की प्रतिस्पर्धा के बाद वह सभी एक दूसरे के जानकारों से सीखे सके थे। इस बार सभी जानकार भेज दिए गए थे 10 वे सरवर के लिए। जो भी जानकारी मिली थी वह सही और सटीक थी। पर विकट देव, कभी भी उनके नामों की सूची में उभरा नहीं था। क्या यह संभव था कि वह अचानक ही आ गया हो?
"क्या इसके दल के चारों सदस्यों के बारे में और कोई जानकारी है?" नीलधारा ने पूछा।
"नहीं" सभी साथियों ने एक साथ कहा
"गांव में सभी साथियों से जाकर मिलो और देखो किसी को उनके बारे में कोई जानकारी है" नील धारा ने कहा। नए खिलाड़ियों को गांव में इधर-उधर रखा जाता था। यहाँ तक कि नील नदी संघ के लोग भी उनसे आसानी से नहीं मिल सकते थे। अधिकतर लोग अपने दम पर ही वहाँ थे। जब तक वह बराबरी कर के ऊपर आते, उन्हें अपने भविष्य के बारे में भी सोचना होता था। जब तक वह 20 वे दर्जे पर पहुंचते और शुरुआती गांव छोड़ते, वह जरूर ही किसी बड़े संघ से जुड़ गए होते।
नील नदी संघ के खिलाड़ी, नीलधारा की अगुवाई में आए थे और जरूर ही उनका दल मुख्य आकर्षण का केंद्र था। वास्तविकता में कोई बड़ा संघ इतनी दूर तक सारे के सारे प्रारंभिक गांव तक नहीं पहुंच पाटा। खिलाड़ियों का बंटवारा बहुत ही तितर बितर ढंग से किया जाता था, इसलिए उसका सटीक होना बिल्कुल भी संभव नहीं था। पर जब नीलधारा एक बार फिर मकड़ी की गुफा में बराबरी करने गया तो उनके पास आखिरकार वह सूचना आई जो उन्होंने मांगी थी।
अब यह सूचना ना केवल उन्हें साफ तौर पर यह बताती की वे खिलाड़ी कौन थे पर उसने हालात को और भी पेचीदा बना दिया था।
सूचना ने उन्हें यह बताया कि हरे जंगल के बाहर कुछ गांव में सुषुप्त शेखर भटक रहा है और विकेट देव की आलोचना कर रहा है यह कहते हुए कि उसने जानबूझकर धोखा दीया है और उनका, छिपे हुए सरगना के खजाने का, हिस्सा भी लूटा है।
"किस तरह की छिपी हुई खिचड़ी है यह?" सुनने के बाद सभी लोग पहेली में उलझ गए।
विकट देव ने पहले ही छिपे हुए सरगना को मारने के लिए खिलाड़ियों को उलझाया और फिर एक दल बनाकर उन्हीं खिलाड़ियों के साथ पहला आदमी बना मकड़ी की गुफा को पार करने वाला? इस अजीब तरह की परिस्थिति ने, पांच अनुभवी खिलाडियों को एक बड़ी पहेली में उलझा दिया था।
"इसके बारे में पहले तो चिंता मत करो, जल्दी करो और प्रशिक्षण लेने की कोशिश करो। हमारे पास जरूर कोई ना कोई मौका होगा कि हम उनसे 20 वे दर्जे तक पहुंचने पर मिल सके" नीलधारा ने दुखी स्वर में कहा और अपने दल का नेतृत्व किया।
मकड़ी की गुफा के बाहर के गांव में भूमि सप्तम और अन्य खिलाड़ी अभी भी उत्तेजना से सराबोर थे कि वह कोठरी को पार करने वाले पहले दल है और वह इस बात को भूल नहीं पा रहे थे। वह नीलधारा और उसके जानकारों से काफी दर्जा पीछे थे। नतीजतन पहली बाधा पार करने के बाद यह एक सपने के सच होने जैसा था। किसने सोचा था कि सही में उनके पास इसे पार करने का कोई मौका होगा? इस क्षण में वह शब्दों से ज्यादा उत्तेजित हो चले थे।
और उनका नेता विकट देव? वह अभी भी शांत था मानो मर गया हो। उसने बस कुछ शब्द कहे "बहुत अच्छा अनुभव था"
"यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है तुम जानकार थे" भूमि सप्तम और बाकी खिलाड़ियों ने विकट देव को घेर लिया। इतने समय से ग्लोरी खेलने के बाद आज वह दिन था जब उसे पता चला कि शिखर पर पहुंचना क्या होता है। शिखर पर पहुंचा जानकार, उन जैसों नौसिखिया से भी, बड़ी आसानी से एक कठिन कोठरी को पार करा लेता है। भूमि सप्तम को लगा कि इस तरह के जानकार के लिए अपना संघ छोड़ना भी पड़े तो भी बड़ी बात नहीं होगी।
बाकी तीनों की तुलना में सुषुप्त शेखर का मन काफी दुखी था। इससे पहले वो जिसे दुश्मन समझ के नफरत कर रहा था, वह उसके साथियों का नायक बन गया था। इतना ही नहीं, कुछ समय पहले वह खुद उस आदमी को एक साथी के रूप में देख रहा था जिसके प्रति उसकी बुरी राय थी। अब वह अगर कुछ ना भी कहे तो भी उसका चेहरा सब कुछ बयान कर देता है। सुषुप्त शेखर ने अपने दांत पीसे और विकट देव के सामने कूद के पहुंचा "तुम्हारी कुशलता काफी अच्छी है। मुझे मानना ही पड़ेगा। मैं बस इतना कह सकता हूँ कि एक दिन मैं तुम्हारी बराबरी जरूर करूंगा"
"क्या तुम सही में गंभीर हो" ये क्सिउ हंसा
"हम्म" सुषुप्त शेखर ने कहा एकदम उकसाने वाले अंदाज में।
"तो फिर प्रयास करो" ये क्सिउ जवाब में इतना ही कह पाया और वहाँ से चला गया
"धत..." सुषुप्त शेखर लगभग पागल हो जाने वाला था। तुम्हें मुझे नीची नजर से देखना चाहिए। तुम्हें मुझसे नफरत करनी चाहिए। तुम्हें मेरा मजाक उड़ाना चाहिए। क्या जानकार चुनौतियों का जवाब इस तरह से नहीं देते? चिंता ना करे और कहे कोशिश करो जैसे कुछ हुआ ही नहीं है, वह क्या था?
"नन्हे मुन्ने चंदू, अब मान भी जाओ" भूमि सप्तम ने बड़ी आसानी से कहा।
"भाड़ में जाओ, तुम हो नन्हे मुन्ने चंदू" सुषुप्त शेखर ने गुस्से में कहा।
"शांत हो जाओ, शांत हो जाओ और जल्दी करो। हमें सीखने भी चलना है" बाकी दो साथी सूर्यास्त मेघ और वरुण लहर ने कहा। उसके बाद वह खुशी खुशी विकेट देव के पास पहुंचे उससे दोस्ती का प्रयास किया।
"चू.., वह मुझे भी तो बुला सकते थे?" भूमि सप्तम ने तुरंत भागते हुए कहा।
सुषुप्त शेखर अपने दांत ही पीस रहा था की आशा के विपरीत उससे विकेट देव से मित्रता का अनुरोध मिला।
नकार दिया, सुषुप्त शेखर ने खुशी-खुशी नकार दिया।
अगर वह फिर पूछेगा... सुषुप्त शेखर ने सोचा। पर उस तरह की कोई प्रगति नहीं हुई। विकट देव कोठरी में घुस चुका था। भूमि सप्तम और बाकी 2 साथी भी पीछे पीछे ही चल रहे थे। सुषुप्त शेखर एक किनारे रह गया था। बहुत समय बाद ही उसे भूमि सप्तम से निमंत्रण मिला। सुषुप्त शेखर परेशान था। जब वह कोठरी में घुसा, तो बाकी चारों ने उसका इंतजार नहीं किया। वह आगे बढ़ते ही चले गए जैसे वो वहाँ था ही नहीं।
सुषुप्त शेखर कोठरी छोड़ना चाहता था पर भूमि सप्तम ने उसे वापस बुला लिया। सुषुप्त शेखर को उसके साथी की चिंता पसंद आई इसलिए उसने दोबारा सोचा कि वह अपने साथी की अनुरोध को ठुकरा नहीं सकता, वो भी किसी दूसरे आदमी के कारण। अंत में वह उनके साथ हो लिया। भूमि सप्तम के अभी भी उससे अच्छे संबंध थे। उसने पाया की भूमि सप्तम भी बहुत अच्छा महसूस नहीं कर रहा है और उसने उसे एक निजी संदेश भेजा। सुषुप्त शेखर का मन कुछ हल्का हुआ।
इस बार वह कोठरी में पहले की तरह ही घुसे थे। कुछ ही देर में उन्होंने रास्ता भी बना लिया। बिना एक शब्द कहे वो तीसरे दौर में पहुँच गए। पर जैसे ही वो कोठरी में घुसे उन्हें एक संदेश प्राप्त हुआ: आप गलती से मकड़ी के बादशाह की गुफा में घुस गए हैं।
"छिपा हुआ सरगना" भूमि सप्तम ने अलार्म बजने पर चीखा और विकट देव की ओर देखा।
अगर उनके पास ये जानकार नहीं होता तो इस तरह छिपे हुए सरगना को ढूंढने की कोई कोशिश ना करते। इस जगह पर आकर सिस्टम को भी उनसे हमदर्दी हुई। छिपा हुआ सरगना खिलाड़ियों को कोठरी पार करने से नहीं रोकता था। वह उसे मार सकते थे या छोड़ सकते थे। अंतिम सरगना को मार देना अभी भी अंतिम लक्ष्य था। अब खिलाड़ियों ने बिना किसी भेदभाव के विकट देव को देखा। वह जानना चाहते थे कि उनके जानकार के पास छिपे हुए सरगना को हराने का कोई तरीका है।
"ओह, तो एक छिपा हुआ सरगना है" ये क्सिऊ ने कहा "हे ह, अगर छिपा हुआ सरगना है तो..."
"हम उसे मार नहीं सकते?" भूमि सप्तम और अन्य थोड़ा उदास थे।
"ऐसा नहीं है कि हम उसे मार नहीं सकते। बस मेरी कुछ शर्ते हैं। मकड़ी का बादशाह मजबूत मखमली मकड़ी गिराएगा? क्या तुम लोग मुझे वह दे सकते हो? बाकी सारे सामान और इक्विपमेंट मैं तुम लोगों को दे दूंगा। तुम लोग सब रख सकते हो" ये क्सिउ ने कहा।