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जिंदगी 1

अब ये हम दोनो के बिच प्यार था या आकर्षण ये तो पता नही ,लेकिन जो भी था बहुत जबर्दस्त था । अब थोरे थोरे मेरे कदम भी लर्खराने लगे थे , मैने उसे बोला की अब चलते है ,मैने अभी पुरा बोला भी नही था की उसने अपनी उंगली मेरे लिप्स पे रख दी ,और बोली नही अभी नही अभी और , ये बोलते बोलते उसके कदम लर्खराने लगे थे,उसकी आँखे बन्द हो रही थी ,मेरे सिने पे उसने अपने सिर को रखा उसके हाथ मेरे गर्दन पर लिपटे थे,वो उपर आँखे कर के मुझे इक मदहोश नजरो से देख रही थी ।उसकी गरम सांसे मुझे बहुत ज्यादा रोमांचित कर रही थी , कुछ देर तक तो मै उसे ऐसे ही देखता रहा ।फिर मैने सोचा की अब हमे निकलना चाहिये ।मैने घरी देखी रात के 10बज चुके थे ,मैने सोचा हमे अब निकलना चाहिये ।

Anurag_Pandey_5625 · Realistic
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बीते लम्हे 3

सर की आवज सुनने के बाद मै खरा हो गया था अपनी जगह पे ।

क्लास मे सब लोग मेरी तरफ ही देख रहे थे।तभी फिर से एक बार सर की आवज क्लास मे गूँज उठी । इस बार उन्होने एक ऐसा प्रस्न पुछा जिसके बारे मे मैने सोचा तक नही था ।उन्होने बहुत ही टफ प्रसन पुछा था।उन्होने पुछा था की बताओ मै क्या पढा रहा हू ।मै भला कैसे बता सकता था ।मै तो अपने मन के पृस्नो को सॉल्व कर रहा था ।सायद सर सम्झ ग्ये थे मेरे मन के बातो को ।मेरे चेहरे को देख कर उन्हे ये समझते देर नही लगी की मेरा ध्यान उन्की बातो मे बिल्कुल नही था ।और उनका चेहरा देख कर मै भी समझ गया था की ये आज मुझे छोरने वाले नही है ।उन्हे तो सिर्फ़ इस बात पे गुस्सा आ रहा था की मै उन्की बातो को ध्यान से नही सुंन रहा था ।लेकिन उन्हे क्या पता था की ,अगर बगल मे खुबसूरत लर्की बैठी हो तो , पढाई पे ध्यान देना कित्नी बरी बेबकूफी वाली बात है ।लेकिन मेरे एक भी पृस्नो का जबाब नही देने से सर का गुस्सा तो सातवें आस्माँन पर था ।वो बस मुझे घुरे जा रहे थे ,की काम से कम एक प्रसन का उतर मै दे देता ।लेकिं ये मेरी मजबुरी थी की मै उन्हे कुछ नही बता पाया।उनका गुस्सा जायज था ,लेकिं उन्हे भी तो समझनी थी की किसी का ध्यान कैसे लगे पढाई मे अगर उसके मन की मुराद पूरी होने वाली हो ।मेरे लिये मुस्किल हो रहा था पढाई मे ध्यान देना ।मेरी पुरी कोसिस तो अपने सपने को पुरा करने मे लगी थी क्या ध्यान देता मै पढाई पर ।मुझे तो यह भी पता नही था की क्या पढाई चल रही है ।मै तो बस अपने धुन मे ही मस्त था । और जब मैं अपने आप मे मस्त था ।मै सर के लेक्चर को कैसे सुन सकता था ।वो अभी भी बोले जा रहे थे ,और मुझे कुछ पता ही नही चल रहा था वो क्या बोल रहे है ।मै तो बस उसकी खयालो मे डुब जाना चाहता था ।बस उसी के सपने देखना चाहता था मै ।कुछ देर बाद सर ने मुझे बैठने का इशारा किया।मुझे तो इस बात की चिंता हो रही थी ,पता नही उन्होंने क्या क्या बोला था ।उन्होने तो मेरी सारी कमियो को सब के सामने ला कर रख दिया था।पता नही क्या सोच रही होगी वो ।लेकिं मै तो बस उसकी खयालो मे ही डूबा था ।और डूबता भी क्यू नही मेरा हक था ।तभी एक आवज ने मुझे अपने सपने से बाहर किया ।ये उसी लर्की की आवज थी ।उसने बहुत धीमी आवज मे मुझ से पुछा क्यू तुम्हे लेक्चर समझ नही आ रहा क्या ?मैने भी और धिमी आवज मे बोला ना ।कुछ नही आ रहा ।पता नही क्या क्या पढा रहे ।फिर वो कुछ नही बोली ।एक दम से चुप हो गयी ।फिर मै उसके खयालो मे डुब गया फिर से ।तभी कुछ देर बाद घंटी बजी और क्लास समाप्त हो गयी ।सब अपने अपने घर चले ग्ये ।मै भी अपने घर को निकल गया ।आज मैने गारी का इन्तजार नही किया ।मै पैदल ही अपने घर की तरफ चलने लगा ।आज मुझे अकेले रहना बहुत अच्छा लग रहा था।बस मै उसके बारे मे सोचना चाहता था। बहुत आजिब था ये पहली नजर मे ।आखिर ये क्या हो रहा था मुझे ।और क्यू । मै ये समझ नही पा रहा था ।उसे सोचते सोचते मै घर पहुंचा ।पता ही नही चला ये दुरि कब खत्म हो गयी ।मै घर आके अपने बैड पर लेट गया ।और उसके बारे मे सोचने लगा।पता ही नही चला कब आंख लग गयी मेरी ।और मै सो गया ।सुबह हुई फिर से अगले दिन क्लास जाना था ।मै इन्तजार कर रहा था कित्नी जल्दी क्लास की टाईम हो जाए और मै उसे बस एक बार देख लू ।बस एक बार उसे देखने की इच्छा थी मेरी ।आज तो दिन भी नही बित रहे थे ।आज तो मुझे खाने की इच्छा भी नही थी ।कितना पगल हो गया था मै ,बस उसकी एक झलक पा के ,।मेरी आन्खो मे एक दीवानगी थी ,दिल मे एक जुनून था , बस उस से बात कर ने की एक ललक थी ,कहते है ना की "एक बार के मिलने के जो पायर समझते है ,पगल है मगर खुद को होसियार समझते है :।, बस वही मै अपने आप को सम्झ रहा था ।याद है मुझे पहले का वो दिन जब हम सब दोस्त एक साथ घुमा कर ते थे , और लरकियो को देख कर पहले ही बोल देते थे ,देख वो तेरी भाभी आ रही है ,और फिर उस बात को लेकर लरते थे की नही वो तेरी नही मेरि है, आज मेरे पास कोई भी नही था ये बोल्ने को जिसे मै बोलता देख तेरी भाभी कित्नी हसिन है ,देख ना कित्नी खुबसूरती से भगवान ने उसे बनाया है ,।सच बताऊँ तो आज तक तो बस नाम जुरता आया था किसी के साथ,।आज तक हमने खेला था वो खेल जिसमे मेरी वली ,तेरी वाली तो थी लेकिन ये बात आज तक पता नही चल पाया था ,की ये मेरी वाली कों है ।बस हमे तो ये जान कर ही खुस हो जाते थे की कोई मेरी वाली भी है । कोन थी ।कोई थी भी या नही पता नही ,बस इतना पता था की मेरी वाली थी कोई । किसी के बोल्ने भर से गाल गुलबी हो जाते थे ,कभी वो दिन भी थे ।दोस्त बोलते चल पार्टी दे। घर मे बोलते कहाँ खोया है ,कुछ खा भी ले ,।आज बोल्ने वाला कोई नही था ।लेकिं आज मुझे कमी लग रही थी अपने दोस्तो की ,अपने घर वालों की ।आज मुझे बहुत याद आ रही थी उन सब की ।लेकिन फिर भी मै बहुत खुस था आज ।अपनी जिंदगी की हसिन सपनो मे ।मुझे हरेक लम्हा जो गुजर रहा था मुझे रोमांचित कर रहा था ।बहुत अच्छा लग रहा था सब कुछ सोच कर । डुबा जाना चाहता था मै उसकी ख्यालों मे । कितना प्यारा था ओ पल ।