मै शादीशुदा हूं। मेरी शादी को अभी अगले महीने में चार साल पूरे हो जाएंगे।
मेरे पती मुझे हमेशा खुश रखते है, हमारी सेक्स लाइफ भी बढिया चल रही थी। मेरे पती का नाम अनिल है, और वो एक प्राइवेट फर्म में काम करते है। उनका जॉब काम के अनुसार होता है, जिस दिन अधिक काम उस दिन ज्यादा देर तक रुकना पडता था।
सब कुछ अच्छा चल रहा था, हमे एक बच्चा भी था, दो साल का। उसका नाम हमने सचिन रखा है।
मेरे पती का ऑफिस और हमारा घर बस आधे घंटे की दूरी पर है। और उनके जॉब का कोई टाइमिंग तो है नही। जब काम बढ जाता है, तब उनको बिना समय देखे वहां जाकर अपना काम करना पडता है। जब भी कुछ काम नही होता, वो सीधे घर चले आते और आते ही मुझे अपनी बाहों में जकड लेते थे।
हमारे पूरे घर मे अब तक ऐसी एक भी जगह नही बची थी, जहां हम दोनों ने सेक्स नही किया हो। घर के हर एक कोने में, हर एक पोजिशन में हमने सेक्स करके देखा है। मेरे पती को हर बार चुदाई में कुछ नया चाहिए होता है, और इसी चक्कर मे कभी कभी वो कुछ और ही कर बैठते है।
एक दिन मेरे पती ने मुझे उनके ऑफिस से फोन किया और कहा कि, "मै घर आ रहा हूं, तुम तैयार रहना।"
इसका मतलब आज वो जमकर चुदाई करने के मूड में थे। यह सोचकर ही मेरे मन मे तरंगे उठने लगी थी। मै भी अब अपने आप को सजाने धजाने में लग गई। उनका फोन आते ही सबसे पहले तो मै नहाने चली गई, नहाकर आते ही मै शीशे के सामने खडी होकर अपने आप को देखने लगी।
मेरा शरीर थोडा भर सा गया था, अब मै पहली जैसी स्लिम नही लग रही थी, लेकिन अब भी मेरे चूचियों और चुतडों को देखकर कोई भी लंड अपना पानी छोड दे, ऐसे उनको रखा था।
उनके आने की खुशी में मैने जल्दी से कुछ सेक्सी कपडे निकाल लिए, और फिर उनमें से एक सलेक्ट करके पहन लिया। फिर थोडा हल्का सा मेक-अप भी कर लिया और अब उनके आने का इंतजार करने लगी।
यह ऐसे अक्सर बीच बीच मे घर पर आते है, और फिर हम चुदाई करने में लग जाते है। हम दोनों ही इस मामले में बहुत चुदास से भरे हुए है। रात में जितनी भी चुदाई हो, लेकिन ऐसे दिन में उनके आने के बाद जो चुदाई होती थी, उसका किसी चुदाई के साथ मोल नही होता।
इस चुदाई में मै हमेशा तैयार होकर उनके आने का इंतजार करती रहती हूं, तो वो मन मे जो चलता है, वह फीलिंग सबसे अच्छी लगती है।
थोडी ही देर मे मै अपने विचारों में इतना खो गई कि, वो आकर घर की बेल बजाए जा रहे है, लेकिन मै सुन ही नही रही। फिर उन्होंने मुझे फोन किया, तब जाकर मैने दरवाजा खोल दिया। दरवाजा खोलते ही मेरे पती ने मेरे हाथ मे उनका बैग पकडा दिया और खुद फ्रेश होने चले गए।
वो भी बहुत जल्दी जल्दी सब कर रहे थे, उनको भी चुदाई की प्यास लगी हुई थी। मेरे पती को भी मेरी तरह ही चुदाई का बहुत शौक है। जब भी मौका मिलता है, वह मेरी चुदाई करना शुरू कर देते है। उन्हें मेरी चुत चाटना बहुत पसंद है, उनके कहे अनुसार मेरी चुत से निकलने वाला रस पानी नही अमृत है, और उसे जाया नही होने देना चाहिए।
जल्दी ही वो फ्रेश होकर बाहर आ गए। अब उन्होंने सिर्फ अपनी चड्डी पहने रखी थी, और बाकी के सारे कपडे बाथरूम में ही उतार दिए थे। बाहर आते ही उन्होंने मुझे मेरे हाथ से पकडकर अपने पास खींच लिया।
मै भी उनके खींचने से किसी लता की तरह जाकर उनसे लिपट गई। आज मेरे पती कुछ ज्यादा ही रोमांटिक मूड में थे। मेरा हाथ पकडकर वो अचानक से मेरे साथ डांस करने लग गए। फिर अचानक से मुझे नीचे झुकाते हुए एप्ने सर को मेरे ऊपर लाकर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। अब वो मेरे होंठ चूमने लगे थे।
लेकिन अगले ही पल वो तुरंत ही मुझसे अलग हो गए, और फिर से नाचने लगे। कुछ देर तक नाचने के बाद, उन्होंने मुझे अपनी गोद मे उठाया और बिस्तर पर लाकर आराम से लिटा दिया। मेरे बिस्तर पर लेटते ही वो मेरे ऊपर आ गए, और अब उन्होंने मेरे दोनों गालों को ऊनी हथेली में रखा, और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
अब वो चुम नही रहे थे, बल्कि मेरे होंठ को एप्ने मुंह मे लेकर चूस रहे थे। ऐसा लग रहा था, जैसे वो आज जी मेरे होंठों का सारा रस पी जाएगा। बीच बीच मे वो हल्के से मेरे निचले होंठ को काट भी देते थे।
मेरे होंठ को काट खाने से मेरे मुंह से सिसकारियों की आवाज निकलने लगी थी।
मेरे मुंह से सिसकारियां निकलना शुरू होते ही उनका हाथ मेरे उरोजों पर आ गया। अब तक तो मै भी उनकी पीठ पर हाथ घुमा रही थी, और अब मेरी चुत ने भी पानी छोडना शुरू कर दिया था। मेरी पैंटी भी अब गीली होना शुरू हो गई थी।
मेरे पती को मेरे बारे में सब पता है, कब क्या करने से मुझे मजा आता है। तभी उन्होंने मेरे उरोजों को जोर से दबाना शुरू कर दिया। अब तक उन्होंने अपना एक हाथ मेरी कमर पर लाते हुए मेरी ट्रांसपरेंट नाइटी को ऊपर सरकाना शुरू कर दिया था।
नाइटी मेरी कमर तक आते ही उन्होंने अपना एक हाथ मेरी नाइटी के अंदर घुसा दिया। उनका हाथ अब धीरे धीरे मेरी कमर से होते हुए मेरे उरोजों की तरफ बढ रहा था। तभी उन्होंने मेरी पीठ को नीचे से पकडकर मुझे हल्का सा ऊपर की ओर उठाते हुए मेरी नाइटी को मेरे बदन से अलग कर दिया।
अब मै भी सिर्फ ब्रा और पैंटी पहने हुए ही थी, और वो तो बस चड्डी पहने हुए थे। चड्डी के ऊपर से भी उनके लंड का साफ पता चल रहा था, अंदर तंबू बनकर उनका लंड बाहर आने को बेताब था। तभी मैने उनकी बेताबी समझते हुए अपना हाथ उनकी चड्डी के अंदर घुसा दिया और उनके लंडK ओ अपने हाथ में पकड लिया।
मेरे हाथ लगाते ही जैसे उनके लंड में किसी ने जान फूंक दी हो वैसे उसने एक झटका मारते हुए फूलना शुरू कर दिया। उनका लंड पहले से ही किसी रॉड की तरह सख्त बन चुका था। अब उन्होंने भी मेरी ब्रा के एक कप को नीचे खिसकाकर मेरे दूध को बाहर निकाल लिया।
दूध बाहर आते ही उन्होंने उसे अपने मुंह में भर लिया और छोटे बच्चे की तरह चूसने लगे, जैसे अभी उसमे से दूध बाहर निकल आएगा। थोडी देर बाद मुझे मेरे उरोजों पर दर्द महसूस होने लगा था, तो मैंने उन्हें ब्रा निकालने को कह दिया। तब उन्होंने मेरी पीठ पर अपने हाथ लाकर मेरी ब्रा के हूक खोल दिए।
अब मेरे दोनों चुचे आजाद हो चुके थे, और मेरे पटी ने दोनों पर ही हमला बोल दिया था। मैने अपने हाथ से उनके लंड को पकडकर हिलाते हुए ही दूसरे हाथ से उनकी चड्डी को नीचे खिसका दिया। तो अब वो पूरे नंगे हो गए। उन्होंने भी देर ना करते हुए मेरी पैंटी खोलने के लिए हाथ नीचे बढाया ही था कि, उनके फोन की घंटी बजने लगी।
उन्होंने फोन की घंटी सुनते ही मेरे होठों पर एक चुम्मी दी, और मेरे ऊपर से उठते हुए अपनी चड्डी ठीक कर ली। फिर वो अपना फोन उठाकर बातें करने लगे।
उनको ऑफिस से बुलाया गया था, कोई जरूरी काम आ गया था। इधर मै सेक्स की प्यासी, अपनी चुत चुदवाकर प्यास बुझाना चाहती हूं और इनको बुलाया जाता है। अब मै चाहकर भी कुछ नही कर सकती थी। इस तरह मेरी चुदाई अधूरी रह गई।
समाप्त