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Love by Facebook 2

LGBT+
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摘要

[LGBTQ , Heartwarming, tradegy, Boy's love] अभिमन्यु एक बहुत ही सुंदर और जिंदादिल लड़का है। वह हमेशा खुश रहता है और दूसरों को भी खुश रखने की कोशिश करता है। वह हाल ही में अपनी डॉक्टरेट की डिग्री पूरी करके लौटा है। पहले ही दिन वह अपने साथियों के साथ अस्पताल का चक्कर लगाता है। जैसे ही वह कमरा नंबर 108 के सामने पहुंचता है, उसके कदम रुक जाते हैं। उसकी आंखों से आंसू टपकने लगते हैं। उसके दिल की धड़कनें बेकाबू हो जाती हैं और अकेलापन और खालीपन उसे घेर लेता है। वह बेहोश होकर वहीं गिर जाता है। आखिर कमरा नंबर 108 में ऐसा क्या है जिसकी वजह से अभिमन्यु के साथ ऐसा होता है। जानना है तो मेरे पास रखिए "दिल का रिश्ता".................

Chapter 1chapter 1

आज सुबह से ही इस देश के सबसे बड़े अस्पताल के अंदर अफरा-तफरी मची हुई है। बिल्डिंग के सभी कर्मचारियों की निगाहें गेट की तरफ लगी हुई थीं। ऐसा लग रहा था जैसे कोई सेलिब्रिटी आ रहा है। हां, वह किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं है।

वह इस अस्पताल के मालिक, इस पूरे साम्राज्य के इकलौते वारिश डॉ. राठौर का इकलौता बेटा है। जो हाल ही में अपनी मेडिकल की डिग्री पूरी करके विदेश से अपने देश लौट रहा है।

और आज से वह इस पूरे अस्पताल की बागडोर अपने हाथों में लेने के लिए अस्पताल आ रहा है।

तभी एक लग्जरी कार मुख्य गेट के सामने आकर रुकती है, और उसमें से एक यूरोपियन स्टाइल का लड़का उतरता है। उसे देखकर सभी लोग उसका स्वागत करने के लिए उसकी तरफ दौड़ पड़ते हैं।

आज तक डॉक्टर राठौर के बेटे को किसी ने नहीं देखा थावह पिछले कई सालों से यू.के. में रह रहा था और वहीं से अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था। अब जब उसकी पढ़ाई पूरी हो गई है और उसे डॉक्टर की डिग्री मिल गई है, तो वह अपने पिता का हाथ थामने के लिए अपने अस्पताल वापस आता है।

आज सभी को अपने राजकुमार से मिलने का पहला मौका मिला है। सबकी निगाहें दरवाजे की तरफ टिकी हुई हैं, चाहे न चाहे, निगाहें बार-बार दरवाजे की तरफ ही जाती रहती हैं।

कार रुकती है और दरवाजा धीरे से खुलता है और उसमें से दो लंबे पतले लड़के निकलते हैं। एक लंबा लड़का निकलता है, वह न ज्यादा मोटा है न ज्यादा पतला, एकदम फिट बॉडी वाला है।

जो इंडो-यूरोपियन स्टाइल का मिक्सचर लगता है, एकदम परफेक्ट मॉडल है, किसी फिल्म स्टार से भी बेहतर, किसी मैगजीन मॉडल की तरह, धीरे-धीरे चलता हुआ वह सबसे पहले अपने पिता डॉक्टर राठौर के पास आता है।

और वह झुककर अभिवादन में अपने पिता के पैर छूता है। डॉ. राठौर उसके सिर पर हाथ रखते हैं, कंधों से पकड़ते हैं, उठाते हैं और गले लगाते हैं, उनकी नम आंखों से आंसू बहने लगते हैं।

वे कुछ देर तक इसी तरह एक-दूसरे को गले लगाते रहे, जब तक कि डॉक्टर राठौर की पत्नी, अभिमन्यु की माँ ने पिता-पुत्र को एक-दूसरे को गले लगाते हुए नहीं देखा और पूछा, "क्या आप बच्चे को इसी तरह पकड़े रहेंगे, या आप इसे सभी से मिलवाएंगे भी?"

अपनी माँ की बातें सुनकर अभिमन्यु ने अपने पिता का आलिंगन छोड़ दिया।

और फिर मैं जाकर अपनी माँ से लिपट गया।

यह देखकर डॉक्टर राठौर ने गुस्से से कहा, "बेटा, अगर तुम्हें गले लगाया जाए तो तुम्हें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन अगर तुम मुझे गले लगाओगे तो तुम्हें जलन महसूस होगी!!"

डॉ. राठौर की बातें सुनकर सभी जोर-जोर से हंसने लगे। अभिमन्यु ने अपने पिता को अपनी ओर खींचकर गले लगा लिया, तीनो ने साथ आकर उन्हें गले लगा लिया।

उस परिपूर्ण परिवार को देखकर आस-पास के सभी कर्मचारी खुशी से ताली बजाने से खुद को रोक नहीं पाए।

उसके बाद डॉ. राठौर ने अभिमन्यु को बाकी लोगों से मिलवाया। मैंने एक-एक करके सभी से हाथ मिलाया। इस समय अस्पताल का माहौल बहुत अच्छा था।

अभिमन्यु एक खूबसूरत युवक है। उसकी आँखें नीले क्रिस्टल की तरह चमक रही थीं। उसके होंठ गुलाब की पंखुड़ियों की तरह थे। उसकी त्वचा का रंग बिल्कुल बर्फ की तरह सफेद था। उसके शरीर पर एक धागे का भी निशान नहीं था। वो एक हीरा जो कोयले की खदान से निकाला गया लग रहा था।

जिसने भी उसे देखा, वह फिर से उसे देखने से खुद को रोक नहीं पाया। नर्स उससे अपनी नज़रें नहीं हटा पा रही थी। सभी मन ही मन मुस्कुरा रहे थे कि इतना हैंडसम डॉक्टर उनके साथ काम करेगा। बाकी डॉक्टर भी बार-बार उसे देख रहे थे, "भई, कोई इतना हैंडसम कैसे हो सकता है??" उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। कोई भी उसकी खूबसूरती का दीवाना हो सकता है।

ऐसा लग रहा था जैसे उसने पूरे अस्पताल पर जादू कर दिया हो। हर किसी की नज़रें बार-बार उसकी तरफ घूम रही थीं।

डॉक्टर राठौर अपने बेटे का परिचय सभी स्टाफ से कराते हैं और फिर अपने बेटे को स्टाफ के पास छोड़कर अपनी ड्यूटी पर चले जाते हैं। सभी स्टाफ, सीनियर डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर, अभिमन्यु से हाथ मिलाते हैं।

कुछ लोग एक-दो बातें कह रहे थे।

डॉक्टर अभिमन्यु के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान दिख रही थी। मुस्कान को देखकर लोगों के दिल धड़कने लगे।

27-28 साल का मजबूत जवान लड़का, जिसके पास दौलत और शोहरत की कोई कमी नहीं है, उसकी मुस्कान इतनी खूबसूरत होगी। यह देखकर कुछ डॉक्टर और नर्स सोच रहे थे। एक स्टाफ सदस्य डॉ. अभिमन्यु को अपने केबिन में ले गया और उनसे कहा, "डॉ. आप कुछ समय आराम कर सकते हैं, अगर आपको किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे फोन कर दीजिएगा। कुछ समय बाद आपको अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ेगा" और सर सिर झुकाकर वहां से चले गए।

डॉ. अभिमन्यु ने अपने केबिन का दरवाजा खोला और अंदर कदम रखा।

वहां का नजारा बहुत अच्छा था, ऐसा लग रहा था जैसे उनके पापा ने उनकी पसंद के हिसाब से खास उनके लिए यह नया केबिन बनवाया हो। अभिमन्यु धीरे-धीरे अपनी कुर्सी की ओर बढ़ता है और धीरे से कुर्सी पर बैठ जाता है। कुर्सी दबाने की हल्की सी आवाज सुनाई देती है।

वह एक लंबी सांस लेता है और कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंद कर लेता है। वह धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलता है; उसकी नीली क्रिस्टल जैसी आंखें सितारों की तरह चमक रही थीं।

वह अपनी आंखों को इधर-उधर घूमता है और अपने आस-पास रखी सभी चीजों को देखता है, जैसे कि वह अपनी आंखों से हर चीज को स्कैन कर रहा हो। और फिर वह हल्के से मुस्कुराता है "पापा, आपने सब कुछ मेरी इच्छा के अनुसार बनाया है , आप ​​सबसे अच्छे हैं पापा।" उसने मुस्कुराते हुए सोचा। ऐसा लगा जैसे उसके पिता उसकी बातें सुन रहे थे, वह खुद से ही बात कर रहा था। जब उसे एहसास हुआ कि अभी क्या हुआ है, तो उसने खुद को एक हल्का सा तमाचा मारा। "अभिमन्यु तुम क्या कर रहे हो?"

"तुम बच्चे नहीं हो, अब तुम डॉक्टर हो। तुम्हें अपने पिता की तरह मशहूर डॉक्टर बनना है।" "तुम्हें अपने अस्पताल की जिम्मेदारी निभानी है, पर मैं खुद ही हँस रहा हूँ।

To be continued.....

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