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सिया के राघव

作者: adrushy
奇幻
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摘要

Chapter 1सिया के राघव

एक घर के आंगन में दो गर्भवती महिलाये बैठी है और उनके बगल में ही एक दो साल का छोटा सा बच्चा खेल रहा था ।

पहली औरत छोटे बच्चे को देखकर बोली – राघव कितना प्यारा दिख रहा ना है चंद्रिका ....बिलकुल श्री राम की बाल स्वरूप लगता है.....

चंद्रिका – हा यमुना मेरे तो भाग्य खुल गए तो राघव जैसा बेटा मुझे नसीब हुआ...इसके आने से जैसे दुनिया की सारी खुशियां मेरी झोली में आ गई है.....

यमुना – अच्छा अब तुझे लड़का चाहिए या लड़की.....

चंद्रिका – लड़की हो तो परिवार पूरा हो जाएगा.....वैसे एक बात मैं बता देती हु अगर तुझे लड़की हुई तो वो मेरे घर ही आएगी.....

यमुना –और लड़का हुआ तो....?

चंद्रिका – तो मेरी बेटी तेरी .....

यमुना –अच्छा दोनो लड़के हुए तो....?

चंद्रिका चिढ़ते हुए बोली – तो क्यू मेरे सपने को साकार होने से पहले ही तोड़ रही है...देखना तुझे लड़की ही होगी और वो मेरी बहु बनेगी.....चल वादा कर तेरी बेटी मेरी....

यमुना अपना हाथ चंद्रिका के हाथ में देकर – वादा मेरी बेटी हमेशा के लिए तेरी.....

और दोनो सहेलियां हंसते हुए एक दूसरे को गले लगा लिया ।

यमुना और चंद्रिका दोनो जवानी के वक्त की सहेलियां है दोनो साथ में हॉस्टल मैं रही है और एक साथ खूब कांड किए है दोनो के परिवार वाले काफी खुले विचार के थे इसीलिए उन्हें कही भी आने जाने की आज़ादी थी ।

चंद्रिका एक बंगाली है जिसने अपने परिवार के खिलाफ जाकर शादी कर ली वही यमुना जी अरेंज मैरिज हुई है और सदभागय से दोनो पड़ोसन बनी ।

कुछ दिनों बाद दोनो को एक ही साथ बच्चा हुआ चंद्रिका ने एक लडको को जन्म दिया जिसका जन्म 31 दिसंबर को 11 :59 पर हुआ था वही यमुना को लड़की हुई जिसका जन्म 1 जनवरी को 12 :1 पर हुआ था ।

दोनो का एक साथ नामकरण हुआ वादे के मुताबिक यमुना की बेटी का रिश्ता राघव से किया गया और राघव के नाम के हिसाब से उसे सिया नाम दिया गया ।वही चंद्रिका ने अपने बेटे का काम कबीर रखा ।

दोनो सहेलियां बहुत खुश थी की पहले वो दोस्त से पड़ोसन बनी फिर समधन ।

लेकिन यमुना के पति राज को ये रिश्ता अच्छा नही लगा क्योंकि वो एक सरकारी मुलाजिम थे और उनकी तनख्वाह इतनी नही थी की वो इतने बड़े घर में अपनी बेटी का रिश्ता कर सके लेकिन अपनी पत्नी की खुशी के लिए वो चुप रहे ।

12 साल बाद 

एक छोटा लेकिन प्यारा सा घर ...घर में आंगन था और आंगन में झूला ..घर में तीन कमरे एक हॉल और एक किचन था...घर बेशक छोटा था लेकिन बहुत ही सुंदर तरह सजाया हुआ था ।

12 साल की छोटी सी बच्ची पिंक फ्रॉक पहने पूरे घर में मटक रही थी उसके हाथ में एक गुड़िया थी जिसे लेकर वो अपनी मां के पास आकर बोली –मां मुझे नई किताबे चाहिए.....मैं उस पांडा की किताबे नही लूंगी...सारे बच्चे हंसते है मेरे उपर.....

यमुना जी किचन में काम कर रही थी ।

यमुना जी उसकी मासूमितय पर मुस्कुरा कर बोली – पर पहले तूने ही तो झगड़ पर कबीर से वो किताबे ली थी ना .....तो अब क्या हुआ.....

सिया अपने नन्हे हाथो से गुड़िया के बाल बनाते हुए बोली – मां पर वो कंगारू मेरा मजाक उड़ाता है पूरी क्लास में की मेरे पास नई किताबे नही...

यमुना जी उसे समझाते हुए बोली –बेटा तू ये क्यू नही देखती की राघव तुझे कितना प्यार करता है की अपने भाई की जगह तुझे किताबे देता है...फिर तो तुझे कबीर को चिढाना चाहिए की उसके पास राघव की किताबे नही है.....

सिया खुशी से झूमते हुए बोली – हा मां मैं कल ही उस कंगारू को बोल दूंगी की राघव उससे ज्यादा मुझे प्यार करता है.....

तभी वहा कबीर नीली हाफ पैंट और पीली टीशर्ट पहने आया और बोला – मां आपको मॉम ने बुलाया है.....

कबीर की आखें काली थी बिखरे बाल , गोरे रंग था और वो दुबला पतला सा था अपनी बह रही पेंट को बार बार उपर करते हुए वो क्यूट सा लग रहा था ।

यमुना जी मुस्कुरा कर बोली –आ रही हु बेटा.....

सिया कबीर के सामने आकर बोली –ओए बड़ी बड़ी आंखों वाले कंगारू...तुझे पता है राघव मुझे ज्यादा प्यार करता है....

कबीर ने सिया की चोटी खींची और बोला –वो मेरे भाई है मुझे ज्यादा प्यार करते है समझी तू छिपकली...

सिया उसके बाल पकड़ के खींचते हुए बोली – नही मुझसे प्यार करता है तभी अपनी किताबे मुझे देता है...तुझे दी कभी....

यमुना जी दोनो को अलग करते हुए बोली – अरे तुम दोनो फिर से लड़ना क्यू शुरू हो गए.....और कबीर तुम्हारी मॉम बुला रही है ना तो चलो ....

कबीर ने एक बार फिर से सिया की चोटी खींची और भाग गया बिचारी सिया रोते हुए अपनी मां से लिपट गई यमुना जी उसे शान करते हुए बोली – रो मत बेटा ....अभी जाकर मैं उसकी शिकायत करूंगी ना तब उसे खूब मार पड़ेगी ..... तू तो मेरा अच्छा बच्चा है ना तो चुप जा ....

सिया रोते हुए बोली – मां वो हमेशा मुझे मारता है.....

यमुना जी सिया की नाक साफ करते हुए बोली – तू चिंता मत कर बेटा .....आज उसकी अच्छे से खबर लूंगी....तू जा राधा के साथ जाके खेल.....

सिया आसू पोछते हुए अपनी पड़ोसन राधा के साथ खेलने चली गई ।

यमुना जी अपने घर से निकली और अपने बगल के घर में चली गई उनके बगल का घर आलीशान था घर के बाहर ही बड़ा सा गेट उसके बाद बगीचे जहा हर तरह के फूल थे रंग बिरंगे जिससे पूरा बगीचा सुंदर लग रहा था बगीचे में बड़े बड़े पेड़ थे कुछ आम के कुछ नीम के तो कुछ बरगद के.....सबको बहुत ही अच्छे से कटाई करके एक शेप में रखा गया था ।

अंदर एक बड़ा सा हॉल उसमे लगे बेस्किमती कालीन ,गलीचे ,फर्नीचर दीवारों पर लगे तस्वीर सब कुछ उस घर के रईसी दिखा रहे थे ।

यमुना जी जैसे ही अंदर दाखिल हुई वही उन्हें अमन जी बाहर आते दिखे । अमन जी चंद्रिका जी के धर्मपति थे और एक बिजनेस मैन थे उनका अधिकतर वक्त बाहर के देशों में ही गुजरता था ।

अमन जी यमुना जी को देखते ही बोले – अरे यमुना बहन....आओ आओ....स्वागत है आपका .....कैसी है आप....?....और बताइए सिया बिटिया कैसी है ....?और राज भाई साहब....

यमुना जी – सब ठीक है भैया....आप बताइए बहुत दिनो बाद नजर आए.....

अमन जी –क्या करे अब काम ही ऐसा है...एक घड़ी यहां तो अगली घड़ी वहा...अब सब किसी के पास राज भाईसाहब जैसी सरकारी नौकरी तो नही होती ना की सुकून भरी जिंदगी जी सके...हम तो अपने परिवार को देखने तक को महीनो तरस जाते है.....

चंद्रिका जी बंगाली साड़ी पहने बाहर आते हुए बोली –अरी यमुना....कब आई तू.....और आप ये ना जाने कब की आई है ना पानी पूछा ना बैठने को कहा.....

अमन जी –मैं तो कह ही रहा था तब तक तुम मेरे सिर पर चढ़ आई.....पूछो यमुना बहन से.....बोलो बहन क्या मैने तुम्हे बैठने को नही कहा.....

यमुना जी अमन जी का पक्षलेते हुए बोली –तू बेकार में भैया को डांटती रहती है....अभी अभी भैया आए है और तू है की...

अमन जी सिर हिलाते हुए बोले –बिल्कुल यहां तो कद्र ही नही है मेरी.....

चंद्रिका जी – हा हा कर लीजिए ड्रामा.....और तू यमुना मेरी सखी होकर अपने भाई का साथ देती है...

यमुना जी –तू क्या फालतू की बहस लेकर बैठ गई ये बता क्यू बुलाया तूने मुझे.....

चंद्रिका जी –अरे क्यू बुलाया क्या.....?तुझे याद नही दो दिन बाद सिया और कबीर का बर्थडे है...पार्टी के प्लान के लिए बुलाया है तूझे.....अब तुझे बुलाकर आरती थोड़ी उतारनी है मुझे.....

यमुना जी –अरे हा .....मैं तो भूल ही गई थी....अच्छा हुआ तूने याद दिला दिया इस बार दोनो बच्चो को सरप्राईज पार्टी देंगे...

अमन जी अपना हाथ उठाते हुए बोले –मैं कुछ बोलूं क्या.....

चंद्रिका आंख दिखाते हुए –नही चुप ही रहिए आप....

यमुना जी –क्या तू भी.....हा भाई साहब बोलिए क्या बोलना है आपको.....?

अमन जी गला साफ करते हुए बोले – हा तो ब्यूटीफुल नारियों में कहना चाहता हु की क्यू ना इस बार हम सब कही बाहर जाकर बर्थडे सेलिब्रेट करे ...हर बार की तरह घर में ही घिसा पिटा बर्थडे मना कर मैं तो बोर हो गया हु...

यमुना जी ना में सिर हिलाकर बोली– ना बाबा ना.....राज नही मानेंगे.....और फिर घर में मानने में दिक्कत ही क्या है...?

चंद्रिका जी भी यमुना जी की साइड लेकर बोली – सोती....जो प्लान होगा घर के अंदर ही होगा.....बाहर कोई नही जायेगा.....

अमन जी मुंह बनाते हुए बोले –मेरी तो कोई इज्जत ही नही है.....

यमुना कुछ बोलने की हुई की चंद्रिका उसका हाथ पकड़ के अंदर की तरह ले जाते हुए बोली –इनका रोज का है ध्यान मत दे...

चंद्रिका और यमुना दोनो अंदर चली गई ।

अमन जी अपने लैपटॉप में कुछ करने लगे तभी राघव नीचे आया नीली आखें ,पतले गुलाबी से होठ ,गोरा रंग दुबला शरीर पर फुले फुले गाल जिसे देखकर किसी का भी उसे खींचने का मन हो जाए फुल पैंट के साथ ब्लैक शर्ट जिसकी बाहें फोल्ड थी एक हाथ में बेट लिए बाहर जा रहा था ।

अमन जी उसे देखकर बोले –राघव बेटे कहा जा रहे हो.....?

राघव ने एक मिनट के लिए अपने बेट को देखा फिर हैरानी से अमन जी को देखने लगा जैसे बोल रहा हो हाथ में बेट लेकर कोई कब्बड़ी खेलने तो जायेगा नही कैसा अजीब सवाल है.....

अमन जी राघव की निगाहे खुद पर देख उसके मनोस्थिति भांप गए और हंसते हुए बोले – सोरी बेटा बेट देखा नही मैने.....जाओ जाओ क्रिकेट खेलो.....

राघव दौड़ता हुआ बाहर गया की सिया से टकरा गया और सिया नीचे गिर गई राघव बिना उस पर ध्यान दिए बाहर भाग गया वही कबीर जो सिया के पीछे उसे दौड़ा रहा था सिया के पास आकर उसे उठने में मदद करते हुए बोला –छिपकली धूल बहुत चांट ली तूने चल अब चॉकलेट खाते है...

सिया ने कबीर के हाथ में दांत गडा दिए और अन्दर भाग गई ।

उपर बैठी चंद्रिका और यमुना ये सब देख रही थी ।

चंद्रिका बोली – यमुना कही हमने सिया और राघव का रिश्ता जोड़ कर कोई गलती तो नही की.....मतलब राघव को देख उसे न सिया के गिरने से फर्क पड़ा ना ही उसके रोने से.....वो तो उठकर भाग गया.....और वही दूसरी तरफ कबीर को देख.....कभी कभी मुझे राघव का सिया के प्रति रूखा रवैया देखकर डर लगता है कही ये सिया से प्यार करता भी है या नही.....

यमुना हंसते हुए बोली – चंद्रिका ये बच्चे है इनके लिए प्यार का मतलब वो नही जो हम बड़े समझते है इनके लिए प्यार का मतलब सिर्फ साथ रहना है...अभी इन्हे किसी बात की समझ नही है धीरे धीरे बड़े होंगे तो खुद ही संभल जायेंगे..... और मेरे हिसाब से राघव जैसा शांत गंभीर लड़का ही मेरी चुलबुली,नटखट बदमाश सिया के लिए सही है.....हर रिश्ते में एक बेवकूफ के साथ एक समझदार का होना जरूरी है.....अब तू खुद को और अमन भैया की ही देख ले.....

चंद्रिका आंख दिखाते हुए –तूने मुझे बेवकूफ कहा...

यमुना दांत दिखाते हुए बोली – तुझे नही भैया को.....

चंद्रिका – तो ठीक है.....वो बेवकूफ ही थे है और रहेंगे....

यमुना मन ही मन बोली – ये तो अच्छा है की अमन भैया जैसा समझदार इस झल्ली को मिला वरना इसका बेड़ा तो गर्क था.....

चंद्रिका एक प्यारी सी गुलाबी प्रिंसेस फ्रॉक दिखाते हुए बोली – ये देख सिया के लिए...कैसी लग रही है हाय मैं तो सोच सोच कर ही पागल हुई जा रही हु अपनी सिया इस फ्रॉक में कैसी लगेगी.....

यमुना जी हिचकिचाते हुए बोली –पर इतनी महंगी....

चंद्रिका –तुझे क्या अपनी बेटी के लिए ली है मैने.....तुझे क्यू जलन हो रही है...

यमुना जी हंसते हुए बोली – ठीक है बाबा पहना देना अपनी बेटी को....अब खुश.....

चंद्रिका एक काला छोटे बच्चो का सूट निकाल कर बोली –ये कबीर के लिए...अच्छा है ना.....

यमुना –बहुत प्यारा है.....अपना कबीर हीरो लगेगा इन कपड़ो में.....वैसे राघव के लिए क्या लिए है.....

चंद्रिका जी एक नीला कोट निकाल कर बोली –ये राघव के लिए...

यमुना कोटको हाथ में लेकर –वाह ये तो बहुत खिलेगा अपने राघव पे...

चंद्रिका –ये सब छोड़ तू ये बता मेन्यू में क्या क्या रखे...और केक वो तो बड़ा वाला लाऊंगी मैं इस बार...आधा नीला और आधा गुलाबी ...

यमुना –कितना खर्चा करेगी तू...कुछ तो मुझे करने दे.....

चंद्रिका –हा तो करेगी ना तू.....खाने का सारा इंतजाम तू करेगी बाकी डेकोरेशन केक और गेस्ट इनवाइट मैं करूंगी...

यमुना –ठीक है बता क्या क्या बनाना है...

दोनो सहेलियां अपने डिस्कशन लेकर बैठ गई ।

वही सिया अमन जी के पास आकर उनसे लिपट कर बोली –डेडा आप आ गए....

अमन जी उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले –हा एंजल डेडा आ गए और देखो वो अपनी एंजल के लिए क्या क्या लाए है...कहकर उन्होंने ढेर सारा चॉकलेट। से भरा बॉक्स सिया के आगे किया पीछे पीछे कबीर आकर बोला – डेड मेरे लिए.....?

अमन जी दो बॉक्स कबीर को देते हुए बोले – ये एक आपके लिए और एक राघव के लिए ...उसके कमरे में रख आओ....

कबीर दोनो बॉक्स लेकर भाग गया और अपने बेड के नीचे छुपा लिया और हंसते हुए नीचे आकर सिया से चॉकलेट छीनकर खाने लगा ।

सिया अपने बॉक्स को लेकर पूरे घर में दौड़ती और कबीर उसके पीछे पीछे दौड़ता....

सिया अपने घर की तरफ भाग गई तो मायूस सा कबीर अपने किचन में गया और फ्रिज से आइसक्रीम निकाल कर खाने लगा ।

कबीर एक नंबर का फूडी इंसान है उसका और खाने का रिश्ता कुछ ऐसा है जैसे इंसान और उसकी सांसे ,जैसे प्यासा और पानी जैसे समंदर और लहरे जिन्हे एक दूसरे से अलग करना नामुमकिन है ।

कबीर ने आइसक्रीम खाई और अपने कपड़े और फर्श को पूरा गंदा कर लिया और फिर बाहर आकर सोफे पर बैठ गया जिससे सोफा भी गंदा हो गया अमन जी ने जब उसे देखा तो चोक्कना होकर नजरे इधर उधर घुमाते हुए बोले –अच्छा हुआ तुम्हारी मॉम यहां नही। है वरना जबरदस्त कुटाई होती तुम्हारी.....चलो हाथ धोकर आते है.....

अमन जी ने कबीर के हाथ धुलवाए उसके चेहरे को साफ किया साथ ही उसके कपडे बदल दिए और बाहर आकर सोफे को साफ करने लगे की एक मेड आकर बोली –सर आप रहने दीजिए मैं कर देती हु.....

अमन जी – नही बस तुम अपनी मालकिन पर नजर रखना कही आ गई और इसके साथ मेरी भी सामत आ जायेगी...और जल्दी जल्दी हाथ चलाते हुए सोफे को साफ करने लगे वही कबीर दूसरे सोफे पर आराम से बैठा टीवी देख रहा था ।

अमन जी ने सोफे को साफ कर विजयी मुस्कान दी जैसे उन्होंने कोई किला फतह किया हो पर उन्हें खबर नही थी की किचन में फेला रायता उन्हें किले को ढहाने के इंतजार में चीख चीख कर कबीर की हरकतों को बया कर रहा था ।

थोड़ी देर बाद यमुना जी चली गई तो चंद्रिका चाय बनाने किचन में गई और किचन का हाल देखकर चीखते हुए कबीर को बुलाया ।

उसी वक्त राघव भी बाहर से आया था एक हाथ में बेट ,बिखरे बाल और पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ...

चंद्रिका जी की आवाज सुनकर अमन जी के साथ कबीर और राघव भी किचन में गए और वहा का नजारा देखा अमन जी ने अपना सिर पीट लिया और राघव भी सारा मांजरा समझ गया पर कबीर ऐसे खड़ा था जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा हो ।

चंद्रिका जी कबीर को अपनी तरफ खीच कर एक चपत लगा कर बोली –कबीर कितनी बार सिखाया तुझे अच्छे से खाया कर.....ये क्या किया है तूने.....खाना ही तो शीला को बोल देता ...पर नही अपने हाथो से लेकर ये कूड़ा फैलाने में मजा आता है ना तुझे.....तभी उनकी नजर कबीर के कपड़ो पर गई जो सफेदी की तरह चमक रही थी और अमन जी की करतूत का खुलासा कर रही थी ।

चंद्रिका जी अमन जी को घूरते हुए बोली – ये कपड़े आपने बदले न... इसकी हरकतों पर हमेशा पर्दा डालने की वजह से ही इतना बिगड़ा है ये...और एक और चपत कबीर को लगाई कबीर राघव के पीछे जाकर छुप गया ।

राघव उसे अपने हाथो से छुपाते हुए बोला –मॉम ये इसने नही मैने किया है.....आप फालतू में इसे डांट रही है....इसकी कोई गलती नही.....

चंद्रिका जी राघव के गाल पे भी एक चांटा मारते हुए बोली –अब इसके लिए तू भी झूट बोलने लगा....राघव तुझसे ऐसी उम्मीद नहीं थी....

अमन जी बीच में आते हुए बोले –अरे बस भी करो चांदनी.....बच्चे है.....

चंद्रिका जी गुस्से में बोली –मैं चंद्रिका हु चांदनी नही....और ये चांदनी कोन है कही विदेश में कोई मिल तो नही गई.... 

अमन जी बच्चो को आंखो से जाने का इशारा करते हुए बोले – अरे तुम ही मेरी चांद हो तुम ही मेरी चांदनी हो और तुम ही मेरी रोशनी.....

राघव कबीर का हाथ पकड़ कर खींचते हुए लेकर चला गया ।

चंद्रिका जी मुंह बनाते हुए बोली – झूठ बोलना कोई आपसे सीखे...

अमन जी अपने हाथो को गले पर लेजाकर कसम खाते हुए बोले –सोती.....

चंद्रिका जी उनकी हरकत पर हस दी।

कमरे में लेजाकर राघव ने दरवाजा अंदर से बंद किया और कबीर से बोला –जब तक नहा कर ना आऊ बाहर मत जाना.....

और वो दौड़ता हुआ नहाने चला गया और कबीर के लिए तो ये चांटे रोज के थे तो उसे कोई फर्क नही पड़ा इसीलिए उसने रिमोट कार उठा ली और पूरे कमरे में उधम मचाने लगा । 

राघव जब नहा कर बाहर आया तो उसने कमरे की हालत देखी और चंद्रिका जी बाहर खड़े होकर दोनो को आवाज दे रही थी उसने जल्दी जल्दी सामान उठाने लगा और उसे बेड के नीचे डालने लगा तभी उसकी नजर चॉकलेट के बॉक्स पर पड़ी तो राघव ने कबीर को घूरा जो उसे देखकर दांत दिखा रहा था राघव ने सारा सामान बेड शीट से ढक दिया और दरवाजा खोला तो उसकी मां कमरे में आके बोली – क्या कर रहे थे दोनो की इतना वक्त लग गया...? कोन सी नई शरारत की अब तूने कबीर...?

राघव आगे आकर बोला –मां कोई सेतानी नही की इसने मैं नहा रहा था और ये गेम खेल रहा था तो नही खोला होगा....

चंद्रिका जी ने कबीर को एक थप्पड़ लगा कर कहा –अगर राघव दरवाजा ना खोले तो तू तो किसी जन्म में नही खोलता ना.....चाहे तेरी मां चीखते चिल्लाते मर ही क्यू ना जाए.....मां की कोई फिक्र ही नही है...

कबीर अपने गाल सहलाते हुए बोला –मॉम ऑलरेडी 5 थप्पड़ खा चुका हु अब तो अपने हाथो को रेस्ट दे दो.....

चंद्रिका जी ने एक और थप्पड़ का प्रसाद कबीर की गालों पर दिया और राघव से बोली –तू जा मां से मेहमानों की लिस्ट लेकर आ.....

कबीर बीच में बोला – मॉम मैं जाऊ क्या.....?

चंद्रिका जी उसके कान पकड़ के बोली –हा हा क्यू नही फिर वही जाकर बस जाना.....और मेरी फूल सी बच्ची को परेशान करना....है ना... राघव खड़ा क्या है जा जल्दी...

राघव नीचे की और बढ़ गया और चंद्रिका जी फिर से कबीर को डांटने लगी ।

राघव यमुना जी के घर में आया और आते ही राज जी से उसका सामना हुआ राज उसे देखकर बोले – राघव बेटे आओ बच्चे.....और उन्होंने अपनी बाहें फैला दी और राघव आकर उसने चिपक गया ।

थोडी देर बाद राघव बोला – बाबूजी मॉम ने मेहमानों की लिस्ट मंगवाई है.....

यमुना जी बाहर आते हुए बोली– तो ले जाना बेटा.....अभी ये लड्डू खा....और एक लड्डू राघव के मुंह में डाल दिया जिससे उसका मुंह और फूल गया और वो और और भी ज्यादा क्यूट लगने लगा ।

राज जी ने एक लड्डू उठाना चाहा तो यमुना जी उनके हाथ पे मारते हुए बोली – नही ये सब राघव के लिए बनाए है मैने.....

राज जी का मुंह बन गया और राघव हस पड़ा ।

राघव राज जी से बोला – बाबूजी कल शाम को मेरा क्रिकेट का मैच है पास वाले मैदान में आप आयेंगे ना.....

राज जी मुस्कुरा कर बोले – हा बेटा जरूर आऊंगा...

सिया तभी वहा आई और एक लड्डू उठाकर मुंह में रख लिया लेकिन उसका मुंह बन गया क्योंकि लड्डू में चीनी कम थी राघव को मीठा ज्यादा पसंद नही था इसीलिए यमुना जी उसके लिए कम चीनी वाले लड्डू बनाती थी ।

सिया ने लड्डू पटक दिया और झूले पर बैठकर राघव को घूरने लगी राघव बहुत ही शांत और गंभीर लड़का था इसीलिए उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ा वो एक एक करके सारे लड्डू चट कर रहा था ।

सिया मन ही मन बोली – ये पांडा इतना खा कर गोलू मोलू हो गया है लेकिन फिर भी जब मेरे घर आता है तो मेरे सारे लड्डू चट कर जाता है उपर से मां भी इसकी पसंद की ही लड्डू बनाती है... हुह चटोर कहिका....

राघव मेहमानों की लिस्ट लेकर चला गया तो सिया अपने पापा से बोली – बाबूजी मैं कहे देती हु इस पांडा से शादी नही करूंगी....

राज जी उसकी नादानी पर हस्ते हुए बोले – वो क्यू भला....क्या किया मेरे बच्चे ने.....

सिया पैर पटकते हुए बोली – बाबूजी आप और मां मुझसे ज्यादा उससे प्यार करते हो मेरी तरफ तो कोई देखता भी नही...और तो और वो मेरे सारे लड्डू भी चट कर जाता है मेरी होमवर्क मे भी मदद नहीं करता......

राज जी उसकी मायसूमियत पे हस कर बोले – ठीक है बेटा तू मत करना उसे शादी....मैं तेरे लिए ऐसा लड़का लाऊंगा वो तेरे लड्डू ना खाए बस.....

सिया – और आप उसे मुझसे ज्यादा प्यार भी मत करना...

राज जी उसके गाल खींच के बोले – ओके बाबा नही करूंगा.....खुश मेरी गुड़िया .....

नन्ही सिया खुश होकर चली गई ।

जारी है....

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