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मधु नहा धोकर अपने कमरे में आ जाती है और अपना बेड पर पड़ा हुआ लहंगा चोली पहनने लगती है ! जैसे ही वह उसको पहने लगती है तो उसे पता चलता है ! चोली के पीछे जो जिप लगी हुई थी ! वह ऊपर की ओर आधी ही बंद हो रही थी और आधे में जाकर अटक रही थी पिछले 15 मिनट से मधु कोशिश कर रही थी लेकिन  जिप है की ऊपर आने का नाम ही नहीं ले रही थी !

अब तो उसका हाथ तंग पा गया ! कोशिश करते करते फिर उसने सोचा क्यों ना वहां पार्टी में जाकर ही किसी दूसरी महिला मित्र से इसको पर करवा लेती हूं ! तब तक के लिए इसको पीछे पल्लू से ढक देती हूं ! वह पूरी तरह से तैयार हो जाती है अचानक उसको ध्यान आया कि उसको हाथों में मेहंदी भी लगानी थी !

लेकिन वह एकदम से  पागल है भूल ही गई उसने तुरंत अपना बचकाना दिमाग लगाया की हल्की हल्की मेहंदी हाथों पर लगा लेती हूं अब तो यहां से जाना ही है ऑटो में बैठना है जब तक मेहंदी भी सूख जाएगी और वहां जाकर हा थों लेगी ! उसने तुरंत मेहंदी की कपी उठाई और हल्की हल्की मेहंदी अपने दोनों हाथों में लगा ली  ! 

मधु को मेहंदी लगाने का काफी शोक है ! फिर उसे लग यह तो  बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही है !उसने उसके ऊपर से उसको गहरा करने के लिए और मेहंदी लगा ली अब उसके दोनों हाथ काफी अच्छे लग रहे थे !

मधु जैसे  ही तैयार होकर कमरे से बाहर निकलती है ! एकदम से फिर से चौक जाती है ! क्योंकि किचन के अंदर वीर अपने लिए चाय बना रहा था जैसे ही उसको आहट हुई कि मधु कमरे से बाहर आ गई है वीर ने पलट कर देखा और उसने 1 सेकंड का भी वक्त नहीं लिया और कहने लगा मधु जी आप आज बहुत ही ज्यादा अच्छे लग रहे हो आप ऐसे लग रहे हो जिस और शब्दों में बयान कर पाना लगभग नामुमकिन सा है आज आप को देख कर एक बात मैं दावे के साथ कह सकता हूं आपको देखकर कभी किसी का कंपैरिजन नहीं किया जा सकता  ! आप इसके जैसे होते हैं या उसके जैसे होते हैं . या आपकी आंख वैसे होती कान वैसे होते हैं .

मधु को इस बात का बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि वह कुछ इस तरह से बोलेगा ! उसने शर्मा कर अपनी गर्दन नीचे की और नजर ना मिलाते हुए कहा "मैं बाहर जा रही हूं ! कुछ चाहिए हो तो मुझे फोन कर लेना"

लेकिन आज मधु तो शर्म से पानी पानी हो गई  ! पहली बार किसी ने उसकी तारीफ की थी ! वह अपने आप में फूले नहीं समाए जा रही थी ! तभी उसकी नजर वीर की छाती पर पड़ी उसने फिर से कोई बनियान टीशर्ट कुछ नहीं पहना था और लगा हुआ है चाय बनाने क्या बंदा है यार कोई शर्म नहीं बिल्कुल बिंदास ! 

मधु की नजरें एक पल के लिए उसके नंगे कसी हुई छाती पर पड़ गई और उसके छोटे-छोटे मनके जैसे मधु को आमंत्रण दे रहे हो मधु अपने आप में शीहर  सी गई !

वीर _ अरे मधु जी आपने कहा था कुछ जरूरत पड़े तो फोन कर देना ! जरूरत तो मुझे पड़ी हुई है ! मुझे इतनी देर से चीनी नहीं मिल रही !

मधु न बीर की तरफ देखते हुए कहां अरे वहां उस डब्बे  के नीचे रखि  है वहीं से ले लो ! इतना कहते ही मधु वहां से हम मुड़कर चलने लगी !

अचानक पीछे से वीर की आवाज आई अभी तो  मधु ने एक कदम भी नहीं रखा था ! मधु एक बात बोलूं अगर आपको बुरा नहीं लगे तो !  मधु ने कहा हां बोलिए लेकिन पीछे मुड़कर नहीं देखा ! मधु ने सोचा यह कल की बात करेगा !

वीर _ मधु आपके चोली की चैन लगभग पूरी तरह से  खुली हुई है आपके हाथों में तो मेहंदी लगी हुई है अगर आपको बुरा नहीं लगे तो मैं इसको ऊपर कर देता हूं !

मधु कुछ बोल पाती उससे पहले ही वीर महाराज हेल्प करने के लिए आगे आ गए !

वीर ने पीछे से चोली के दोनों किनारों को जिस पर चैन लगी हुई थी उसको जोर से खींचा !

मधु के सीने पर एक जोरदार झटका सा लगा चोली का खिंचाव बढ़ता ही जा रहा था वीर में काफी कोशिश की लेकिन चैन है कि ऊपर जाने का नाम ही नहीं ले रही थी !

वीर की उंगलियां मधु की चोली में से झांकती हुई कमर पर मचल रही थी !  उसके नाखूनों का घर्षण बढ़ता ही जा रहा था

मधु की सांसे लगातार तेज होती जा रही थी ! लगातार बढ़ती जा रही सांसों से कभी उसका सीना बाहर आ रहा था तो कभी उसका पेट बाहर आ रहा था उसके पूरे बदन में वासना की लहर फिर से दौड़ने शुरू हो गई !

अभी मधु को अचानक से अपने कमर पर वीर के होटो का एहसास हुआ ! उसने अपने कहानी से अचानक से वीर को पीछे करने का प्रयास किया और कहने लगी वीर तुम क्या करने लगे हो हद है तुम्हारी !

अरे मधु जी जीप के अंदर एक धागा फंसा हुआ है ! अपने मुख से वही निकाल रहा हूं और इतना कहते ही वह दोबारा शुरू हो गया वीर के मुंह से एक लार की एक बूंद उसकी उम्र हुई पीठ के मध्य धसी रीड की हड्डी पर जा गिरी और वह लगातार नीचे की तरफ उसके नितंबों की तरफ दौड़े जा रही थी ! उसका पूरा शरीर हिलो रे मार रहा था उसके रोम रोम से वासना जाग गई  ! मधु के लिए कंट्रोल करना लगभग नामुमकिन सा हो गया था उसने अपने दोनों पैरों को हटाकर अपनी योनि पर दबाव बढ़ाया !

वीर के नाक और मुख दोनों से सांसे लगातार उसकी पीठ पर हमला कर रही थी ! लगातार सांसे एक जगह पर पड़े तुम वहां वैसे भी नमी का आभास होने लगता है वीर की सांसों की गर्मी मधु को पिंगलाने लगी थी  !

वीर ने अचानक से अपने दांतो से पकड़ कर जिफ को ऊपर करने के लिए एक झटका सा मारा और इस बार उसकी मजबूत जांगे मधु के नितंबों से टकराई और अब जीपर बंद हो गई !

बाकी कहानी आगे !!!

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