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राजकुमार चला जा रहा था कि अचानक उसका घोड़ा विपरीत दिशा में दौड़ने लगा. राजकुमार ने काफ़ी प्रयत्न किया लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ. वह भाग्य के भरोसे बैठा रहा. घोड़ा उड़ा जा रहा था. दिशा का कोई ज्ञान नहीं था. उसका घोड़ा एक राज्य की सीमा में प्रवेश करने लगा.

अरे बाप रे!

यह तो राक्षसों का राज्य था. राक्षस उसके पीछे दौड़ने लगे थे. राजकुमार का घोड़ा राजा के दरबार में आ गया. काफी भयानक था राक्षसों का राजा, सिर पर सींग थे. विभिन्न आकृति के राक्षस दरबार में बैठे थे. घोड़ा सामने जाकर खड़ा हो गया. राक्षस ने हाथ में मिट्टी लेकर कोई मंत्र बोला. राजकुमार घोड़े से अपने आप उतर आया. राक्षसराज ने कहा:-

"मनुष्य तुम हमारी सीमा में थे. तुम कौन हो? क्यों आए हो?"

राजकुमार ने कहा:-

"मैं वीरपुर का राजकुमार हूँ. मैं रहस्यमय मुर्दे की खोज में जा रहा था."

"मुर्दा! मुर्दा हमारे सम्राट का दूत है. कन्ने खां इसे काल-कोठरी में डाल दो."

राजकुमार ने अपनी जादुई तलवार निकाल ली जैसे ही वह पास आया उसका सर धड़ से अलग हो गया. सब राक्षस अचंभे में पड़ गए. राजकुमार ने राजा की राजा की गर्दन पकड़ ली और बोलो,

"खबरदार! कोई आगे आया तो राजा जिंदा नहीं बचेगा."

सब उठते-उठते बैठ गए. राजकुमार ने पूछा, "कहां है तुम्हारा सम्राट?"

कोई कुछ नहीं बोला. राजकुमार ने राजा को तलवार छुआकर बोला:-

"नहीं बताओगे…."

किंतु यह क्या राक्षसराज भस्म हो गया. कोई कुछ नहीं बोला. राजकुमार को यह तलवार की करामात जान पड़ी. वह घोड़े पर बैठ आगे बढ़ चला. उसके जाते ही वह राक्षस-नगर गायब हो गया. राजकुमार ने मुड़कर देखा तो वहां कुछ भी नहीं था. वह चला जा रहा था.

बहुत दूर आने पर उसे सागर दिखाई पड़ा. उसके किनारे एक राक्षस-नगर था. राजकुमार वहीं उतर गया. सोचा कुछ आराम करेंगे. नगर में एक मेला सा लगा था. वहां राक्षस ही राक्षस थे अतः राक्षसों में रहने के लिए राजकुमार राक्षस बन गया. वहां एक बहुत बड़ा राक्षस खड़ा था. वह कह रहा था:-

"जो मुझे कुश्ती व जादू की लड़ाई में हरा देगा, मैं उसका हर काम कर दूंगा."

कोई राक्षस आगे नहीं आया. काफी देर बाद एक दानव आया. पहले वाले राक्षस ने उस दानव को उठा लिया. दानव ने मंत्र मारकर अपने को छुड़ा दिया. दानव भी जादू से उसके बराबर हो गया. दोनों में भयंकर लड़ाई होने लगी. कभी राक्षस भारी पड़ता, कभी दानव. कुछ देर बाद दानव हारने लगा. राक्षस ने उसे हाथ में उठा कर पटक दिया. दानव मर गया. राक्षस भयानक रूप से हंसा और बोला:-

"और कोई…."

राजकुमार को बड़ा गुस्सा आया. वह राक्षस के वेश में था. मैदान में आया और राक्षस से भी बड़ा हो गया. उसने जादू की तलवार निकाल ली. राक्षस ने भी खड़ग उठा लिया. राजकुमार ने उसके खड़ग पर तलवार भिड़ाई थी कि खड़ग सहित राक्षस भस्म हो गया.

राक्षस को मारकर राजकुमार आराम करने लगा. उसकी आँख में नींद छाने लगी, वह सो गया.

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