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क्वीन ऑफ़ वेगस प्लेनेट

作者: saira_begum
奇幻
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摘要

Chapter 1सपना.... या हकीकत

मुंबई के सबसे मेहेंगी इलाके मे मेहेल से भी खूबसूरत एक मेंशन था...

घड़ी पर रात के दो बज रहे थे

एक बड़े से कमरे मे खिड़की के सफ़ेद परदे हलकी हलकी हवा से लहरा रहे थे..पुरे चाँद की हलकी हलकी राउसनी उस कमरे मे पड़ रही थी....

चाँद की राउसनी उस कमरे की बेड पर सोए हुए आदमी पर पड़ रही थी चाँद की राउसनी से उसका चेहरा और भी हैंडसम दिख राहा था जैसे कोई ग्रीक गड सो रहा हो। 

नींद मे ओ सपना देख राहा था... आपनें सपने मे लड़का धुंदली सी एक लड़की को और एक लड़के को देख रहा था दोनों कि उम्र यही कोई सोला सत्रा साल कि लग रही थी दोनों का पहनावा किसी पुरानी सदी का लग रहा था। लड़का और लड़की... पहाड़ी के सबसे ऊपर वाली हिस्से मे खून से लतपत पड़े थे...दूर दूर तक अंधेरा छाया हुआ था... कोई नहीं था... जो दोनों की सहायता करता.... दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे दोनों के आँखों से आंसू बेह रहे थे....लड़की ने बहत कोसिस करके लड़के के हात को पकड़ा....लड़का मरने के हालत मे था पूरी तरह खून से लत पत उसकी आंखे धुंदली हो रही थी

लड़का आपनें बंद होते हुए आधे खुले आँखों से देखता है के लड़की के शरीर से एक रोशनी निकल रही थी लड़की ने बहत कोसिस करके लड़के के हाथों को पकड़ लेती है बहत मुश्किल से कहती है अक्की तुम्हे कुछ नहीं होगा... मे तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगी....तुम ठिक हो जाओ गे... लड़का उसी तरह आपनें बंद होते हुए आँखों से लड़की को देख रहा था। लेकिन ओ लड़की को कुछ बोल ने की भी हालत मे नहीं था.... उसकी आखिरी साँसे चल रही थी....

अभी लड़की ... के शरीर से एकरोसनी निकली... और ओ रौसनी... लड़के के शरीर मे समा गयी...तभी लड़की... ने लड़के के आँखों मे देखते हुए कहा.... अक्की... मेरा इंतजार करोगे ना.... लड़का... अपना जी जान लगा के केहता है... हा.. मे हमेसा तुम्हारा इंतजार करूँगा....लड़के के हाथों मे लड़की के हाथ थे... लड़का... आंसू भरी नजरों से लड़की को देख राहा था...

लड़के ने लड़की का नाम पुकारा "अरिया "और रोते हुए कहा तुम मुझे छोड़ कर कहीं नहीं जा सकती हो

दोनों इसी तरह एक दूसरे को देख रहे थे जहाँ लड़का बेबस लाचार और आँखों मे पानी लिए लड़की को देख रहा था वहां लड़की के आँखों मे भी आंसू थे लेकिन उसके चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान थी फिर लड़की का शरीर धीरे धीरे बिखर कर लाखो करोड़ों जुगुनू बनके लड़के के हात से फिसल गये ओर लड़के के चारो तरफ जगमगाने लगे ओर धीरे धीरे हवा मे घुल ने लगे। 

अचानक से कमरे मे सोया हुआ लड़का आपनें सपने से जागते हुए जोर कि आवाज से "अरिया "चिल्ला के उठ जाता है और आपनें बेड पर वहीँ बैठे हुए हांप रहा था उसका पूरा शरीर पसीने से तर था...और उसके सीने पर बना आधे चाँद के निसान पर तेज दर्द हो रहा था...लड़के ने अपना एक हाथ आपनें दिल पर बानी उस निसान के ऊपर रख लिया

लड़के के तेज आवाज से नीचे कमरे तक सुनाई दे गयी थी जिस वजह से वहां का बटलर जिसका नाम रामु था और उसका पर्सनल असिस्टेंट जिसका नाम  अमन शुक्ला था दोनों ही दौड़ते हुए एक साथ उस रूम मे पहचे। 

दोनों कि नजर लड़के पर गयी जो बेड पर आपनें सीने को पकड़ कर बैठा हुआ हांप रहा था उसके बॉडी से पसीने पानी कि तरह बेह रहे थे बटलर रामु ने जल्दी से वहीँ रखे कांच के ग्लास मे पानी निकाल कर लड़के कि तरफ बढ़ा दिया लड़के ने भी जल्दी से रामु के हात से पानी का ग्लास लेके एक घूंट मे सारा पानी ख़तम कर दिया। 

बटलर ग्लास वापस लेते हुए बहत ही साबधानी से पूछा अभीनाश बाबा कया आप ठीक है.. उस लड़के का नाम था अभिनाश राठौर था  

अभिनाश ने कोई जवाब नहीं दिया उसको इस तरह चुप देखना वहा के सारे एम्प्लोयी कि आदत थी सब जानते थे अभिनाश बहत कम ही बोलता था और सिर्फ काम कि बाते ही करता था अभिनाश को कोई जवाब ना देता देख कर बटलर ग्लास को टेबल पर रख के साइड मे खड़ा हो जाता है। 

अभिनाश का असिस्टेंट अमन...वहां बिना किसी भाब के खडा था उसके मुँह से एक भी शब्द नहीं निकले थे क्युकी उसे पता था उसका Boss कभी भी किसी बात का कोई आंसर नहीं देगा जब तक उसका दिल ना करें। 

तभी अभिनाश ने वही उसी तरह बेड पर बैठे ही अपनी भारी आवाज मे कहा अमन..लंदन चलने कि तैयारी करो हाम यहाँ से जा रहे है आज ही...अमन...के लिए अभिनाश कि हर बात एक आर्डर होती थी...अभिनाश का आर्डर सुनते ही अमन..ने कहा जी सर् मे अभी करता हूं बोलके वहां से चला गया बटलर वहां कन्फूज़न मे खडा था

 

 

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