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Eternal love:- Love Beyond time

Tác giả: Bhumija
Kỳ huyễn
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Chapter 1शिवी का कहीं जाना

मेवाड़, राजस्थान 

सुबह का वक्त, एक आलीशान घर 

करीब सुबह के पांच बज रहे थे।.....  एक 13 साल की लड़की किसी से छुप छुपाते बाहर जा रही थी।.... वो पीछे के रास्ते से होते हुए जा ही रही थी की किसी ने उसे पीछे से आवाज लगाई," राजकुमारी आप यहां क्या कर रही है? वो भी इत्ती सुबह?" उसकी बात पर उस लड़की ने पीछे मुड़ कर उसे मुंह बना के देखा और बोली," क्या आप भी न अंकल! आप इत्ती रात को सोते नही है क्या? और हमे महादेव के वो पहाड़ी मंदिर पर जाना है! त्रिजल मंदिर! अब आप को पता ही चल गया है तो आप हमे लेके चले!"  उसकी बात पर वो  गार्ड घबराते हुए बोला," राजकुमारी, राजा साहब का आदेश नही है तो हम आपको कैसे ले जाए! आप हमारी माने आप अन्दर चले! पहले आज्ञा लेले फिर हम आपको ले जाएंगे!" 

उसकी बात पर वो लड़की मुंह बना के बोली," आप सब लोग कितना डरते हैं पापा से! अरे कुछ नही होगा हम हैं न!" उसकी बात पर वो गार्ड कुछ और कहने को हुआ तो वो लड़की सक्त आवाज में बोली,"  आपको अगर हमारे साथ चलना है तो चुप चाप चले! वरना यहां बैठ जाए! आपको लगता है की पापा कुछ कहेंगे तो हम है आप चिंता न करे!" उसकी बात सुन कर वो गार्ड अपने आप में ही बड़बड़ाते हुए बोला," आप हैं तो तभी तो चिंता है!" उसकी बात को वो लड़की सुन नही पाई थी लेकिन उसने गार्ड के मुंह में कुछ बोलता हुआ देख लिया था तो वो आंख को सिकोड़ते हुए बोली," आपने कुछ कहा क्या?" उसकी बात पर वो हड़बड़ाते हुए बोला," कुछ नही राजकुमारी! आप चले! मैं गाड़ी लेकर आता हूं!" उसकी बात पर उसने हां कहा और बाहर चली गई।..... 

वो लड़की गाड़ी में बैठ कर त्रिजल मंदिर की और निकल पड़ी थी।.... सुबह के अब करीब 5: 15  हो रहे थे, सूरज थोड़ा थोड़ा निकल कर रोशनी कर रहा था लेकिन अभी तक पूरा सवेरा नही हुआ था।.... उसकी गाड़ी रेत के टीलों को पार कर करीब आधे घंटे बाद एक पहाड़ पर चढ़ने लगी थी।.... अगर वहां से नजारा देखा जाए तो वो बहुत ही सुंदर और अविश्वसनीय लग रहा था।... उसकी गाड़ी पहाड़ के ऊपर के मंदिर के बाहर रुकी तो वो जल्दी से अपना घाघरा पकड़ के बाहर आई और सामने खड़े गार्ड्

से बोली," आप हमारा यहीं इंतजार करे! हम बस थोड़ी देर में आते हैं! Ok?" उसकी बात पर वो आदमी डरते हुए हां में सिर हिला दिया तो वो सीढियां चढ़ के अन्दर चली गई।.... 

 वो लड़की दिखने में काफी सुंदर थी, गोरा रंग, उस पर से भरा हुआ शरीर, नेने नक्श ऐसे की अगर कोई देख ले तो उस को देखता रहा जाए।... अगर बात करे उसके व्यव्हार की तो वो अपने रूप रंग से अलग ही व्यव्हार रखती थी।..... जुबान ऐसी की किसी ने गलत किया तो उसे वहीं पर अच्छे से सुना दे, तेवर ऐसे की कोई झेल न पाए।...  लेकिन इस लेखिका का मानना है की लड़कियों के तेवर और गुरुर सिर्फ  उसके पिता उठा सकते हैं और उसके बाद उसका सच्चा हमसफर।..... उस लड़की में बड़ी ही  अलग बात थी वो थी तो सिर्फ 13 साल की लेकिन उसकी हरकते और उसकी बातों से वो बहुत ही बड़ी लगती थी।..... अगर किसी ने उसकी सिर्फ बाते सुनी हो तो कहा सकते थे की वो  एक बहुत ही पढ़ी लिखी लड़की है।.... 

वो अंदर आई तो समाने पंडित जी को देख वो उनके पास अपना घाघरा पकड़ कर जल्दी से भागते हुए आई और बोली," खम्मा घणी! पंडित जी! कैसे हैं आप?" उसकी आवाज पर वो 70 साल के भूडे आदमी मुड़े और उसे देख मुसकुराते हुए बोले,"  आप आज फिर से बिना बताए आई? हमने ठीक समझा न राजकुमारी!" उनकी बात पर वो लड़की अपना पूजा का झोला नीचे रख कर बैठते हुए बोली," आपको जब पता है तो आप बार बार क्यों पूछते हैं! हमे आज अकेले आना था! हमारा मन नही लग रहा है! पता नही क्यों मन करता है की हम यहां से बनारस चले जाए और वहां कुछ दिन रहे! लेकिन पापा से कैसे बोले वो तो हमे ज्यादा घर से निकलने नही देते! हे महादेव! अब हमे लगता है आपको हमारी चिंता नही है! लगता है आपको हमसे प्यार नही रह गया जभी तो कब से कहा रहे हैं की बुला लो न अपने पास! बस एक बार प्लीज!"  वो ये सब महादेव से बड़े ही नटखट तरीके से बोल रही थी। 

पंडित जी उसकी इस हरकत पर हस दिए और बोले," अच्छा बस बस! महादेव से शिकायत हो गई हो तो चलो पूजा करते हैं!" उनकी बात पर वो उठी और आरती करने लगी।..... पंडित जी भी उसी के साथ आरती कर रहे थे।..... अब तक सूरज भी अपनी पूरी चमक से उग गया था।.... 

आरती पूरी हुई तो वो लड़की अंदर शिव जी के पास गई और उनका जल , दूध , दही से अभिषेक कर, उसने महादेव को बेलपत्री , फूलों, और चंदन से श्रृंगार कर वो उनके पास बैठते हुए बोली," आप को पता है आज किसका जन्मदिन है! हमारी मां का! हम उनसे मिल तो नही पाए लेकिन वो अभी जहां कहीं भी हो उन्हे सुरक्षित रखना और हमेशा खुश!" ये कहते हुए उसकी आंखे नम थी और होटों पर एक छोटी सी मुस्कान।..... वो पंडित जी से मिल कर वहां से घर के लिए निकल गई।

इधर दूरी तरफ , महल

एक बूढ़ी लेडीज सभी गॉर्ड को देख गुस्से में बोली," आप सब क्या कर रहे थे जब वो यहां से निकली!" उनकी बात पर एक गार्ड डरते हुए बोला," वो महारानी हमारी आंख लग गई थी गलती से!" उसकी बात पर वो गुस्से में बोली," हम तुम्हे सोने के लिए पैसे नहीं देते हैं! देखभाल करने के देते हैं! आप सब जाए उन्हे खोजे! जल्दी से जल्दी!" ये कहते हुए वो काफी परेशान दिख रही थी।....  तभी कोई उन्हे पीछे से पुकारते हुए बोला," गायत्री क्या हुआ तुम इतनी परेशान क्यों दिख रही हो?" उनकी बात पर गायत्री जी अरविंद जी के पास जल्दी से जाकर बोली," वो वो राजकुमारी कहीं चली गई हैं! हम सुबह उठे तो उनके कमरे में गए तो देखा वहां नही थी ! पूरे महल में देखा तो कहीं नही दिखी!" उनकी बात पर अरविंद जी उन्हे सोफे पर बिठाते हुए बोले," आप चिंता न करे! वो यहीं होंगी! कहां जाएंगी!" उनकी बात पर वो डरते हुए बोली," अगर रुद्र को पता चल गया तो!" उनका इतना ही कहना था की पीछे रुद्र सीढ़ियों पर खड़ा था।.... वो उन दोनो के पास आया और बिना भाव के उन्हे देखते हुए बोला," क्या पता चल जाता हमे तो?" उसकी आवाज पर गायत्री जी थोड़ा डर गई और अरविंद जी की तरफ देखने लगी तो उन्होंने आंखों से शांत होने का इशारा किया और रूद्र की तरफ मुड़ते हुए बोले," बेटा वो वो गुड़िया मिल नही रही है! हमने अभी आदमियों को बेजा है! तुम चिंता मत करो!" उनका इतना ही कहना था की  रुद्र की आंखों में गुस्सा उतर आया और वो बाहर जाते हुए गुस्से में बोला," अगर वो घर पर आएं तो कॉल करना हमे! हम उन्हे ढूंढ़ने जा रहे हैं!" 

इधर वही लड़की की गाड़ी महल में आके रुकी तो वो अपना वही झोला लिए जल्दी से अंदर जाने लगी ही थी की उसे रुद्र बाहर गुस्से में आता दिखा तो वो जल्दी से पीछे मुड़ते हुए जाने लगी और खुद से धीरे से बोली," ये तो पापा का उठने का समय नहीं है! ये इत्ती जल्दी कैसे उठ गए! बेटा अगर पकड़ी गई तो तू तो आज गई!" ये कहते हुए वो पीछे के रास्ते से जाने के लिए मुड़ी ही थी की किसी की गुस्से से भरी ज़ोरदार आवाज़ उसके कानो में गई," शिवी जहां हैं वहीं रुक जाएं!" रुद्र की गुस्से भरी आवाज पर शिवी स्तब्द खड़ी हो गई।

क्या शिवी को रुद्र डाटेगा? क्या होगा इस कहानी में आगे?

आगे जानने के लिए पढ़ते रहे," इटरनल बॉन्ड:- लव बियोंड टाइम!"

- भूमिजा 

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