अब आगे
सिद्धार्थ ने अपने सभी आदमी को श्रद्धा के बारे में जानकारी निकालने के लिए काम पर लगाया था, लेकिन कोई भी कुछ भी जानकारी नहीं निकल पाया था श्रद्धा उसे दिन के बाद कहां गायब हो गई है किसी को नहीं पता था यहां तक की उसकी मां भी किसी अस्पताल में यह भी कोई नहीं पता लगा पा रहा था।
एक दिन सिद्धार्थ अपने ऑफिस में बैठा कम कर रहा होता है तभी उसके फोन पर एक आदमी का फोन आता है यह आदमी कोई और नहीं सिद्धार्थ के दादाजी का करे टिकट है उसकी बातें सुनते ही सिद्धार्थ के पहले तरह जमीन खिसक जाती है और वह भाग अपने दादाजी के ओल्ड ओबेरॉय मेंशन चला जाता है यह मेंशन उसके पुश्तैनी मेंशन था, जहां उसके दादाजी अपने बचपन से रह रहे थे।
सिद्धार्थ ने उन्हें बहुत बार कहा कि वह आपका उनके साथ रहे लेकिन वह अपनी पत्नी और अपने बचपन की यादों से दूर नहीं जाना चाहते थे तो सिद्धार्थ ने भी उन्हें फोर्स करना बंद कर दिया। जल्दी ही सिद्धार्थ अपने दादाजी के मेंशन पहुंच गए जब वह वहां गया तो देखा कि दादाजी बेड पर लेटे हुए हैं उनके सिर में हल्की सी चोट आई है जिन पर पट्टी लगी हुई है उनका केयरटेकर वहीं बैठा हुआ है।
अपने दादाजी को सही सलामत देखकर सिद्धार्थ ने एक चैन के साथ इसलिए फिर वह जाकर अपने दादाजी के गले लग गया और उन पर गुस्सा होने लगा क्योंकि सबके मना करने के बाद भी दादाजी बिना बताए बाहर चले गए थे। उन्होंने सभी गार्डों को केयरटेकर को अपने सामने आने से अपने साथ आने से मना कर दिया था, इसलिए सिद्धार्थ तुमसे गुस्सा था सिद्धार्थ उन्हें कुछ और कहता तभी उसके कानो में एक मीठी आवाज आती है।
उस आवाज को सुनते ही सिद्धार्थ एक बार के लिए जम सा गया, सिद्धार्थ के दादाजी ने जब उसे आवाज की दिशा में देखा तो उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। सिद्धार्थ ने भेजा पलट कर देखा तो उसकी आंखों में एक चमक आ गई क्योंकि उसके सामने श्रद्धा खड़ी थी जिसके हाथों में एक ट्रे थी। दादाजी ने सिद्धार्थ और श्रद्धा को देखते हुए का बेटा इसका नाम श्रद्धा है आज इसी ने मेरी जान बचाई। सिद्धार्थ को तो कुछ समझ में ही नहीं आया था कि वह क्या बोले फिर दादाजी ने श्रद्धा की ओर देखकर कहा बेटा यह है मेरा पता इसके बारे में तुम्हें बता रहा था।
दादा जी के ऐसा कहने पर श्रद्धा ने सिद्धार्थ को देखकर हेलो किया फिर दादा जी के पास जाकर उन्हें सुप्रभात देते हुए कहा दादा जी यह सुप पी लीजिए इसके बाद आपको आराम मिल जाएगा। फिर वह अपने हाथों से दादाजी को सौप पिलाने वालों सिद्धार्थ वहीं खड़ा उसकी केयर अपने दादाजी के लिए देख रहा था। थोड़ी देर बाद श्रद्धा ने जब दादाजी को पूरा सुख पिला दिया तो दादा जी ने प्यार से कहा बहुत ही स्वादिष्ट बनाया था बेटा आपने।
उनकी बात पर श्रद्धा नहीं किया थैंक यू दादा जी आपको पता है इसकी रेसिपी मुझे मेरी मां ने सिखाया था, वह बहुत अच्छा खाना बनाती हैं श्रद्धा की बात सुनकर दादाजी ने कहा मैं भी तुम्हारी मां से मिलना चाहता हूं उन्हें कभी लेकर आना यहां पर उनके पास उनका श्रद्धा की चेहरे पर एक उदासी आ गई उसने दादा जी से कहा दादा जी मेरी मां यहां पर नहीं आ सकती।
दादाजी ने पूछा क्यों नहीं आ सकती तो उसने बताया कि उसकी मां कोमा में है और अभी हॉस्पिटल में एडमिट है, श्रद्धा की मां के बारे में सुनकर दादा जी को बहुत बुरा लगा लेकिन फिर भी उन्होंने उसके सिर पर हाथ रखकर कहा बेटा सब ठीक हो जाएगा तुम्हारी मां ठीक हो जाएगी यह कहकर उन्होंने सिद्धार्थ से कहा कि वह श्रद्धा को उसके घर तक छोड़ दे। सिद्धार्थ जैसे इसी चाह में था. उसने दादाजी की बात पर तुरंत हमें भर दी और श्रद्धा के साथ निकल गया श्रद्धा उसे मना करने लगी लेकिन उसने कहा कि ज्यादा जीने कहा है तो वह उनकी बात नहीं टाल सकता है। हे मां को श्रद्धा को उसके साथ जाना ही पद लेकर श्रद्धा ने उसे अपने घर का एड्रेस ना देकर हॉस्पिटल का एड्रेस दिया क्योंकि वह अपनी मां के पास जाना चाहती थी।
सिद्धार्थ ने श्रद्धा को अस्पताल के बाहर छोड़ गाड़ी सुधार का श्रद्धा ने उसे थैंक यू कहा और वहां से बिना मुडे चली गई सिद्धार्थ उसे तब तक देखता रहा जब तक वह उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई, उसके जाने के बाद सिद्धार्थ ने अपने एक आदमी को फोन लगाया और उसे कुछ इंस्ट्रक्शन देने के बाद अपना फोन रख दिया और अपने ऑफिस के लिए निकल गया।
क्या होगा आगे जाने के लिए
To be continued ❤️❤️❤️
राधे राधे