webnovel

karmana

Tác giả: Yash_8920
Kỳ huyễn
Đang thực hiện · 3K Lượt xem
  • 4 ch
    Nội dung
  • số lượng người đọc
  • N/A
    HỖ TRỢ
Tóm tắt

Chapter 1शुरुआत

यश के लिए दिन की शुरुआत कुछ ज्यादा अच्छी नही थी उसे सुबह उठकर पोधो में पानी डालना पड़ा और यह बतादु की वो 12 बजे उठा था . उसकी गर्मियों की चुटिया बहुत बेकार जा रही थीं कुछ भी करने को नही था और वो बहार भी नही जा सकता था क्यों की पहले जब भी वो बहार खेलने गया है त‌ब तब बुरा ही हुआ है आज से 2 महीने पहले वो बहार खेलने गया तो दो बच्चे यश से कुछ ज्यादा ही दर गए थे क्यों की यश ने बिना छुए ही क्रिकेट के स्टंप गाण दिए थे उन बच्चो का कहना है की उस समय यश की आंखे लाल चमकने लगी थी लेकिन यश का कहना है उसने तो बस मन में सोचा था की उसे अब स्टंप गड़ने है इस दिन के बाद से उसे कोई अपने साथ नही खिलाता था

यश का कोई दोस्त नहीं था और न ही उसके पास कोई बात करने वाला था वो उसके मामा के घर पर 14 साल से रह रहा है अभी 15 साल का है उसके पहले बर्थ डे पर उसका पूरा परिवार मार गया था वजह उसे और किसी को भी नही पता उसे तो पिछले साल तक ये भी नही पता था की जिसको वो इतने सालो से उसके मम्मी पापा समझ रहा है वो उसके मामा मामी है उसे ये बात उसके मामा के डायरी पढ़ने से पता चली उसने ये बात उसके मामा मामी को भी नही बताई थी वो बस अब पिछले साल से ये ही जानना चाहता है की उस रात को क्या हुआ था उसने पिछले साल ही सोच लिया था उसे इस साल की गर्मियों में क्या करना है गर्मियों की छुट्टी का ये 14 दिन था और वो उसके परिवार के बारे में अब तक कुछ नही जान पाया था उसे अब तक सिर्फ एक ही चीज पता चली थी की उसके पापा बहुत पैसे वाले थे यह भी वो तब पता लगा पाया जब वो काल रात के उसके मामा की पुरानी डायरी चुप कर पढ़ रहा था

उसने आज भी ऐसा ही कुछ करने का प्लॉन बनाया था लेकिन आज पता नही क्यों उसके मामा मामी सोए नहीं उनकी आंखो में नींद तो थी लेकिन सो नही रहे थे जैसे ही घड़ी की घंटे वाली सुई 3 पर आई उसी ववक्त दरवाजे की बेल बाजी उसके मामा मामी खुशी से झूम उठे यश को कुछ भी समझ नही आ रहा था तभी वो दरवाजा किसी बर्फ सिल्ली की तरह पिघल गया इस वक्त तक यश समझ चुकता की ये एक सपना है अब यश कितनी भी अजीब चीज से लाए तैयार था जब पिघले दरवाजे में से एक औरत अंदर आई जिसने काली साड़ी पहन रखी थी यहां तक तो ठीक था लेकिन उस औरत की काली पगड़ी कुछ अजीब थी यश इस सब के लिए तैयार था

वह औरत अंदर आते हुए बोलती है तुम क्या कर रहे थें... दरवाजा नही खोलपा रहे थे .... उस औरत की आवाज बहुत कड़क थी उसकी यह बात सुनकर यश कहता है पहले आप देखे माना की हम लोग दरवाजा नहीं खोल पाए तो आपने इससे पिघला दिया उसने ऐसे बोला जैसे दरवाजा पिघलना साधारण बात है उसकी बात सुनकर वो औरत थोड़ी पागल सी दिखने लगी क्यों की अधिकतर उसकी बात का जवाब कोई ऐसे नही देता है सच तो यह है की उस औरत से ऐसा बोलने में यश भी दर रहा था लेकिन फिर उसने सोचा सपना हितों है जाड़ा से जाड़ा क्या ही होगा

वो औरत यश की बात सुनकर बहुत खुश हुई वो सोचती है इतना निडर बच्चा मैंने आज तक नही देखा वो औरत कहती है आररर... दरवाजे के लिए माफी चाहती हू और अपना हाथ पीछे ही तरफ झटकती है और दरवाजा फिर से जुड़ने लगता है

वो औरत कहती है मेरा नाम है कृष्टिना गौतम में करमाना स्कूल ऑफ मैजिक एंड वेपन आर्ट्स की टीचर हू मुझे लगता है आप इसके बारे में जानते होंगे यश के मामा जिनका नाम पार्थ है वो कहते है हैं है बिलकुल मेरी बहन भी एक जादूगरनी थी यश मान ही मान सोचता है अब बहुत हुआ ये सपना कुछ ज्यादा ही अजीब नही . पार्थ कहते है लेकिन क्या आप प्लीज सब कुछ बता सकती है हमने अभी तक इससे कुछ नहीं बताया है कृष्टिना कहती है क्या कुछ भी नही बताया .....तो ठीक है में ही बता देती हु तो सुना वैसे इसका नाम क्या है पार्थ कहता है यश कृष्टिना कहती है ओह यश बहुत ही भयानक नाम है इस समय तक यश पागल हो चूक था वो सोच रहा था की अब इस नाम में क्या दिक्कत है क्रिस्टीना अपनी बात शुरू करती है वो कहती है तो सोना यश करमाना एक आम स्कूल नही बल्कि तुम्हारे जैसे बच्चो का स्कूल है इस स्कूल में कुल 5 दल है हर बच्चा अपनी प्रतिभा के हिसाब से किसी एक दल में जाता है हर दल का अपना एक अलग हतियार है में वायु दल से हूं इस लिए मेरा हतियार एक चाबुक है आग दल का हटियार एक भाला है पानी दल का हटियार धनुष है और धरती दल का हटियार एक तलवार और पचवा सबसे बेचिजदा दल जिसका कोई हतियायर नहीं क्योंकि पचावा दल अब बंद हो चुका है इस दल में जो लोग थे वो लगभग मर चुके है . दल चुनने के लिए बच्चे के खून को एक बहुत ही रहस्यमय पत्थर पर डालना होता है

कृष्टिना अपने हाथ को दो बार घूमती है जिससे उसके हाथ ने सुनहरी रोशनी निकलने लगती है और उसके हाथ में एक छोटा सा संधुक आ जाता है जिससे वो हवा पर ही रख देती है जैसे हवा में कोई पार दर्शी कुर्सी हो उस संधूक को खोलने पर उसमे से एक कला पत्थर और एक कला खंजर निकलती है और यश को अपनी ओर आने का इशारा करती है इससे समय तक अब यश का सिर दर्द करने लगता है

यश कृष्टिना के ठीक सामने खड़ा था कृष्टिना उसकी कलाई पकड़ती है और उसी खंजर से उसकी कलाई पर एक घाव बना देती है जिससे उसका खून बहने लगता है और उससे पता चलता है की वो सपना नही देख रहा है उसकी खून से सनी कलाई को वो पत्थर पर रख देती है और यश का दर्द भी बंद हो जाता है और उसी वक्त पूरा कमरा लाल रोशनी से भर जाता है

अंगे क्या हुआ क्या यश भी एक जादूगर है क्या यश के मम्मी पापा जादूगर थे क्या यश किसी दल में चूना गया होंगा अंगे जानने के लिए बने रहे हमारे साथ

Bạn cũng có thể thích