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राजकुमार दो समुद्र पार कर गया.

तीसरे को पार कर रहा था कि अचानक उसका पैर फिसल गया. वह समुद्र में गिर पड़ा. वहां कुछ जलपरियां खेल रही थी. वह उसे उठाकर रानी के महल में ले आई. राजकुमार बेहोश था. घरों के जैसे उनके महल थे. जब राजकुमार को होश आया तो वह एक महल में था. वहां वह तीन दिन तक रहा. तब एक घायल कबूतर उसके पास आया. वह बोला:-

"राजकुमार मेरी सहायता करो. एक बाज़ मेरे को मारना चाहता है."

राजकुमार ने गुरु की दी हुई मणि उस पर फेरी तो कबूतर स्वस्थ हो गया. राजकुमार ने बाहर आकर यात्रा आरंभ की. वह छह समुद्र पार कर चुका था. सातवां समुद्र पार कर रहा था तभी वह एक ओर खिंचने लगा. थोड़ी देर में वह एक अजगर के पेट में जा पड़ा. उसने देखा कि वहां बहुत से जानवर है. राजकुमार को बड़ा आश्चर्य हुआ. उसने तलवार निकाली और अजगर का पेट काटने लगा. थोड़ी देर में राजकुमार ने उसका पेट काट डाला. तभी जैसे भूकंप आ गया हो. खून की नदी बहने लगी. सारे जानवर खुशी मनाते हुए बाहर आ गए. उसमें एक नेवला व चूहा भी थे. वे बोले, "तुमने हमारी जान बचाई है. हम तो तुम्हारे साथ चलेंगें."

राजकुमार ने दोनों को साथ लिया और किसी तरह वह ज़हरीली घाटी में पहुंचा तो चारों और धुंआ छाया था. राजकुमार ने चूहे और नेवले कहा:-

"तुम मेरी जेब में बैठ जाओ."

और राजकुमार ने दोनों को जेब में रखकर जादुई तलवार निकाली और फिराने लगा. जहाँ वह तलवार फिराता, वहां से रास्ता बन जाता. वह वहां से आगे बढ़ता. राजकुमार को काफी देर हो गई थी परंतु धुंएँ का अंत भी नहीं आया. वह सारा पसीने से नहा चुका था. फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और फिर भी तलवार फिराता रहा. धुंआ जैसे ही तलवार से टकराता, तलवार में से आग निकलती और धुंआ जलकर नष्ट हो जाता.

तभी उसे कुछ बात-चीत का स्वर सुनाई दिया. उसे लगा वह ज़हरीली घाटी के काफी निकट है. वह तेजी से तलवार चलाने लगा. थोड़ी देर में सारा धुंआ कट गया.

राजकुमार ने गुरु की मणि की सहायता से अपने आप को अदृश्य कर लिया. वह राजा के महल की ओर चल दिया. अदृश्य होने के कारण उसे कोई नहीं देख रहा था. पर वह सब को देख रहा था. सब कामों में लगे थे. सड़कों पर राक्षस तैनात थे. वहां हर चीज लाल थी. वहां का राजा लालदेव था. राजकुमार, राजा के महल में आया. उस समय वो भोजन कर रहा था. तरह-तरह के पकवान सजे थे. राजकुमार की भूख जागृत हो गई. वह थालियों से पकवान उठा-उठा कर खाने लगा. राक्षस राज अपने खाने को इस तरह गायब होता देखकर आश्चर्य में पड़ गया. वह बोला:-

"कौन है?"

राजकुमार बोला:-

"मैं कुबेर के राक्षसों का राजा हूँ."

यह सुनकर लालदेव डर गया. उन दिनों में वहां पर कुबेर के राक्षस सबसे अधिक बलवान थे.

राजा ने सोचा

"अब मेरा सर्वनाश है. अगर मैं कुबेर के राजा के साथ दोस्ती कर लूं. तो निश्चय ही दोनों घाटियों वाले राजाओं को हरा दूंगा."

राजकुमार ने कहा:-

"तुम घबराओ मत, मैं तुम्हारे सामने प्रकट होता हूँ."

यह कहकर राजकुमार अपने असली रूप में आ गया. राजा लालदेव ने आगे बढ़कर उसका स्वागत किया और काफी सेवा की तो राजकुमार से दोस्त हो गई. राजा ने अपनी परेशानी राजकुमार के सामने रखी. राजकुमार ने युद्ध के लिए हां कह दी. राजा लालदेव अपनी सेना तैयार करवा कर चल पड़े. आगे-आगे राजकुमार था. राजकुमार ने जादुई तलवार हाथ में ले रखी थी. उसने पीली मणि को रगड़ा तो तुरंत दुदंभी राक्षस आ गया. राजकुमार ने अपने साथ लड़ने को कहा. राक्षस तैयार हो गया. दोनों आगे-आगे पीछे-पीछे लालदेव की सेना.

कुछ देर में वह राजा कालदेव की सीमा में पहुंचे. कुछ देर बाद वे कालदेव के किले की ओर जाने लगे.

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