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Poem No 69 ज़िन्दगी तुझमें कशिश तो है

ज़िन्दगी तुझमें कशिश तो है

जो मुझे तेरी तरफ़ खींचती है

तुममें कशिश ना होता तो क्या होता

हर तरफ़ मातम ही मातम होता

कोई ख़ुशी से ना जी पाता

और कहीं जिंदगी नज़र नहीं आता

ज़िन्दगी तुझमें कशिश तो है

जो मुझे तेरी तरफ़ खींचती है

----Raj

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