अर्ज़ कुछ यूँ किया है जरा गौर फरमाइयेगा।
पसंद अगर आ गये तो दो - चार टमाटर मारीयेगा।
दोस्ती करना और निभाना जुनुन नहीं यह आदत है हमारी
दोस्ती करना और निभाना जुनुन नहीं यह आदत है हमारी
दोस्तों के बिना ज़िन्दगी अधुरी है हमारी
पिघलती है हर मोमबत्तीयाँ दिये की गर्मी से
हम वो है जो पिघलाते है दिलों को अपनी नर्मी से
दोस्तों को भूल जाये ये हो नहीं सकता
जब तक आखरी सांस है दोस्तों को भूल नहीं सकता